
29/09/2024
काटने को मना किया था फुफकारने को नहीं,इस कहानी से आप भली-भांति परिचित हैं फिर एक बार में सुनाना चाहता हूं। सांप एक बार साधु के पास गया और निवेदन किया कि लोग हम से डरते हैं दूर भागते हैं मुझे देख।साधु ने कहा तुम काटना छोड़ दो , लोग तुमसे नहीं डरेंगे। सांप एक वृक्ष के नीचे पड़ा रहता उसने काटना तो छोड़ दिया था पर बच्चों ने पत्थर मारकर घायल कर दिया। सांप फिर उस साधु के पास गया और अपनी परेशानी से अवगत कराया तो साधूं ने कहा मैंने काटने को मना किया था फुफकारने को नहीं।याने लोग जब डरते हैं जब आप फुफकारते है याने गुस्सा होते हैं। मैं भी जब शासकीय सेवा में था तो इसका अमल बहुत किया परन्तु रिजल्ट अच्छा नहीं रहा जिससे मैंने डांट-डपट से काम लिया उससे हमेशा संबंध खत्म हो गये और जिनसे समझा बुझाकर प्यार से काम लिया उनसे संबंध अच्छे रहे। कार्य पूर्ण नहीं होने या पसंद काम नहीं होने पर गुस्सा आना स्वाभाविक है पर उसे बाहर निकालने में नुकसान दोनों तरफ़ से है 🙏❤️