18/09/2023
आज देश की बहुत ही महिलाएं व्रत हैं।
व्रत अच्छी क्रिया है, महिला- पुरुष सबको करना चाहिए।
बस रहने के पीछे प्रेम जरूर होना चाहिए।
यह मै नहीं कह रहा, आयुर्वेद के महान ऋषि, महर्षि चरक ने,
व्रत या उपवास किसे नहीं करना चाहिए बताया है।
इसके अनुसार, तमाम वात रोगों के साथ-साथ, कामी,घृणा करने वाले तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों को भी उपवास ना करने की सलाह दी है। चरक शरीर.3
खैर! व्रत को अगर आप आयुर्वेद के दृष्टि से देखेंगे तो यह काफी स्वास्थ वर्धक बताया गया है, और कहा है, यह शरीर के दोषों को दूर करता है, शरीर में हल्कापन लाता है, पेट की अग्नि को अच्छा करता है।
हिप्पोक्रेट्स ने भी फास्टिंग को अच्छा बताया है, उनके अनुसार।
लगातार भोजन लेते रहने तथा मल को सही से बाहर ना निकालने से, मानव को कई रोग हो रहे हैं। उपवास इसको ठीक करने का अच्छा तरीका है।
व्रत में जो ध्यान देने वाली चीज है, वह है कफ प्रकृति के लोग, पानी या निराजल रह सकतें हैं,
पर पित्त प्रकृति के लोगों को इससे दिक्कत होती है, उन्हें दूध पर रहना चाहिए।
एक मोटा तरीका है, अगर भूंख लगने पर आपको, खाना मिलने में देर हो तो सिर दर्द और गुस्सा आने लगता है, तो बहुत हद तक चांस है कि आप पित्त प्रधान व्यक्ति हैं, ज्यादा फर्क ना पड़े तो कफ की प्रधानता है। वात वालों का भूख अनियमित होता है।
इसी तरह से महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में जो अस्टांग योग बताएं हैं, प्रत्याहार उसमें से एक है, जिसकी तुलना हम उपवास से कर सकतें हैं।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात, व्रत तोड़ने की।
व्रत के बात बहुत हल्के से शुरू करके दूसरे दिन ठीक से भोजन करना चाहिए, एक एक वैसे ही है, जैसे खड़ी गाड़ी को पहले, पहले गियर में डाला जाता, फिर धीरे धीरे, टॉप गियर तक पहुँचते हैं।
पर होता उल्टा ही देखने को मिलता है, लोग टूट कर खाते हैं, जो आपके दिन भर के उपवास को व्यर्थ कर देता है।
तो व्रत में दो ही चीज सबसे जरूरी है, शुरू करने से पहले,
द्वेष और ईर्ष्या को त्यागना, प्रेम को बढ़ाना तथा व्रत तोड़ने के समय हल्का खाना।
#हरतालिका_तीज