Amit Bharat - Amit Bhatnagar

Amit Bharat - Amit Bhatnagar Social & Political Activist, State Secretary AAP M.P. Motivational Speaker

17/07/2024
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आत्मीय शुभकामनायें, मेरा मानना है कि,  #योग भारत द्वारा दुनिया को दी गई अद्वितीय सौगात है, ची...
21/06/2024

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आत्मीय शुभकामनायें, मेरा मानना है कि,
#योग भारत द्वारा दुनिया को दी गई अद्वितीय सौगात है, चीन आदि देशों ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया पर उसमें पर उसमें शरीर की क्षमताओं को ही बढ़ाने पर जोर दिखता है जो अपने आप में अनुकरणीय है। समग्रता को समाहित किए भारतीय योग दर्शन ने न केवल शारीरिक क्षमताओं को विकसित किया अपितु मन, शरीर और आत्मा के आपसी तालमेल से मनुष्य को मनुष्यता के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का मार्ग प्रदस्त किया, यही कारण था कि भारत को विश्व गुरु जैसे सर्व सम्मानित पुरुष्कार का गौरव प्राप्त हुआ, आज हमें अपने पूर्वजों के योग के पीछे के समग्र दृष्टिकोण की मूल भावनाओं को समझना उसे आत्मसात करने का संकल्प लेना होगा तभी हम, भारत के पुनः विश्व गुरु बनने के सपने को साकार कर पाएंगे,
बचपन से ही दर्शनशास्त्र में रुचि होने के कारण एक छात्र के रूप में योग को जितना समझ पाया, गुस्ताखी की क्षमा सहित आपके सामने रख रहा हूं, आपके प्रश्न व सुझाव का स्वागत है।
योग : सम्पूर्ण भारतीय दर्शन की ओर एक कदम

नमस्कार, मेरा नाम अमित भटनागर है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं, लेकिन योग को केवल आसन और प्राणायाम तक सीमित किया जा रहा है। योग का वास्तविक अर्थ और महत्त्व इससे कहीं अधिक विस्तृत और गहरा है। योग के सम्पूर्ण भारतीय दर्शन को समझना आवश्यक है, जिसमें महर्षि पतंजलि, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी सहित अन्य मनीषियों के दृष्टिकोण भी शामिल हैं।

# योग का वास्तविक अर्थ
महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है, जिन्हें अष्टांग योग कहते हैं। ये हैं: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। आइए, इन अंगों को विस्तार से समझें।

# 1. यम और 2.नियम
योग का पहला और दूसरा चरण यम और नियम हैं। यम में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह आते हैं। महर्षि पतंजलि कहते हैं:
अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमा:
(पतंजलि योगसूत्र, 2.30)

नियम में शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान आते हैं:
शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः
(पतंजलि योगसूत्र, 2.32)

# 3. आसन और 4.प्राणायाम
आसन केवल शारीरिक मुद्राओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्थिरता का प्रतीक हैं:
**"स्थिरसुखमासनम्"**
(पतंजलि योगसूत्र, 2.46)

प्राणायाम में श्वास की गति पर नियंत्रण करना शामिल है, जो प्राण शक्ति को संतुलित करता है:
"तस्मिन सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेदः प्राणायामः"
(पतंजलि योगसूत्र, 2.49)

# 5. प्रत्याहार, 6.धारणा, 7.ध्यान और 8.समाधि
प्रत्याहार में इंद्रियों को बाहरी विषयों से हटाकर आंतरिक विषयों पर केंद्रित करना शामिल है। धारणा में मन को एक बिंदु पर स्थिर करना और ध्यान में मन को एकाग्र करना शामिल है। समाधि में आत्मा का आत्मा से मिलन होता है, जो योग का चरम लक्ष्य है।

# योग के दार्शनिक पक्ष
स्वामी विवेकानंद ने कहा था:
"योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि आत्मा को उन्नत करने का साधन है।"
महात्मा गांधी ने भी योग के महत्व पर बल दिया और कहा:
"योग मन, शरीर और आत्मा का संतुलन है, जो जीवन को सच्ची स्वतंत्रता की ओर ले जाता है।"

# योग का व्यापक प्रभाव
योग केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है। योग व्यक्ति को समाज के प्रति संवेदनशील बनाता है, और यह संवेदनशीलता ही विश्व शांति और सह-अस्तित्व की नींव है।

# निष्कर्ष
अतः, योग केवल आसनों और प्राणायामों तक सीमित नहीं है। यह जीवन के हर पहलू को शुद्ध और समृद्ध करने का माध्यम है। योग के सम्पूर्ण दर्शन को समझने और अपनाने से ही हम सच्चे योगी बन सकते हैं। आइए, योग को सम्पूर्णता में अपनाएं और इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं।

*जय योग, जय भारत!*

# प्रेरणादायक उद्धरण
1. महर्षि पतंजलि
पतंजलि ने "योग सूत्र" की रचना की, जिसमें उन्होंने अष्टांग योग के आठ अंगों का वर्णन किया।
कथन: "योग चित्तवृत्ति निरोधः।" (योग मन की वृत्तियों का निरोध है।)
2. स्वामी विवेकानंद : "योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि आत्मा को उन्नत करने का साधन है।"
3. महात्मा गांधी : "योग मन, शरीर और आत्मा का संतुलन है, जो जीवन को सच्ची स्वतंत्रता की ओर ले जाता है।"
4. परमहंस योगानंद
परमहंस योगानंद ने प श्चिमी दुनिया में क्रियायोग को लोकप्रिय बनाया। उनकी पुस्तक "ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी" आज भी विश्वभर में पढ़ी जाती है।
कथन: "योग हमें शाश्वत आनंद और शांति के स्रोत से जोड़ता है।"
5. बी.के.एस. अयंगर
बी.के.एस. अयंगर ने अयंगर योग की स्थापना की, जिसमें आसनों और प्राणायाम पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
कथन: "योग हमें वर्तमान में जीने की कला सिखाता है।"
6. सद्गुरु (जग्गी वासुदेव)
सद्गुरु ने ईशा योग को लोकप्रिय बनाया और योग को आधुनिक जीवन के लिए प्रासंगिक बनाया।
कथन: "योग का मतलब यह नहीं है कि आप अपने सिर को अपने पैरों तक ला सकें। इसका मतलब है कि आप जीवन के हर पहलू को पूरी जागरूकता के साथ अनुभव कर सकें।"
7. रमण महर्षि
रमण महर्षि ने आत्मज्ञान के माध्यम से योग की ओर अग्रसर होने का मार्ग दिखाया।
कथन: "स्वयं की खोज सभी योगों का सार है।"
8. परमहंस रामकृष्ण
परमहंस रामकृष्ण ने भक्ति योग और ध्यान का प्रचार किया।
कथन: "योग का अभ्यास आपको भगवान से मिलाने का साधन है।"
9. योगाचार्य श्रीकृष्ण पट्टाभि जोइस
उन्होंने अष्टांग विन्यास योग की स्थापना की, जो आज दुनिया भर में लोकप्रिय है।
कथन: "योग 99% अभ्यास और 1% सिद्धांत है।"
10. महर्षि महेश योगी
महर्षि महेश योगी ने ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन (टीएम) का प्रचार किया।
कथन: "योग का उद्देश्य है आत्म-ज्ञान प्राप्त करना और जीवन में स्थायी शांति और खुशी प्राप्त करना।"

अमित भटनागर


इस लेख के माध्यम से योग के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझें और जीवन में अपनाएं।

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