
26/09/2025
आज पवन को कॉलेज अलॉटमेंट देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
आँखों में आँसू आ गए। डॉ सुनील तेतरवाल बज्जू के प्रयास कभी-कभी ज़िंदगी में हालात इतने कठिन होते हैं कि इंसान के पास सपने देखने तक की हिम्मत नहीं होती।
ऐसा ही एक BPL परिवार का बच्चा है – पवन, पिता का नाम रामस्वरूप जी, गाँव कनासर, फलोदी का रहने वाला।
पवन एक BPL परिवार से है। घर की हालत इतनी साधारण कि उसके पास पहनने को दो–तीन जोड़ी कपड़े से ज़्यादा कभी नहीं रहे। और शायद ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि उन कपड़ों में से कोई भी कपड़ा 2 साल से नया हो
पढ़ाई की शुरुआत उसने जम्भेवर स्कूल फुलासर से की, जहाँ मेरे मित्र भंवर जी भादू ने उसे पढ़ाया। 10वीं में बस 75% अंक आए। आसपास वालों को यही लगा कि “बस, इतना ही कर सकता है।” लेकिन कहानी यहीं से बदलनी शुरू हुई।
10वीं के बाद पवन ने Desert80 Foundation का एग्ज़ाम दिया। अंक अच्छे आए, पर चयन नहीं हो पाया। उस वक़्त अगर कोई हार मान सकता था, तो वो पवन था। लेकिन उसका साथ बना उसके मामा दिनेश जी गुरुजी (प्राइवेट विज्ञान शिक्षक) और मेरे मित्र भंवर जी भादू का। दोनों ने मुझसे कहा –
“डॉ. साहब, इस गरीब बच्चे को Desert80 Foundation में ले जाओ। ये आपको रिज़ल्ट देगा।”
और सच कहूँ, वो दिन आज भी मेरी आँखों के सामने ताज़ा है।
जब पवन पढ़ाई करने आया, तो हालात ये थे कि बाकी बच्चे, स्कूल में जिनके 10वीं में उससे कहीं ज़्यादा प्रतिशत थे, हँसते थे उस पर। कहते –
“क्यों टाइम ख़राब कर रहा है? आर्ट्स ले ले। दो साल बर्बाद कर देगा, पर कुछ नहीं मिलेगा।”
लेकिन पवन का विश्वास उससे बड़ा था –
• खुद पर विश्वास
• Desert80 Foundation पर विश्वास
• और सबसे बढ़कर अपने लक्ष्य पर विश्वास
वो दो साल चुपचाप पढ़ता रहा। बिना दिखावे, बिना शोर।
टीचर से चुपके-चुपके डाउट पूछना, घंटों बैठकर सवाल हल करना, और सबसे बड़ी बात – ईमानदारी से मेहनत करना।
कई बार जब मैं उससे मिलता था, तो उसकी आँखों में एक ही सवाल होता –
“सर, मेरा होगा ना? चाहे 2-3 साल भी लग जाएँ, लेकिन बिना चयन के घर वापस नहीं जाऊँगा… क्या जवाब दूँगा लोगों को?”
ये उसकी सच्चाई थी। और उसकी यही सच्चाई आज कहानी बनी है।
पवन ने 12वीं के साथ ही अपने कैटेगरी में 1333वीं रैंक लाई। और आज… आज उसकी मेहनत रंग लाई है।
आज उसे राजस्थान की टॉप सेकंड मेडिकल कॉलेज – S.P. Medical College, बीकानेर में MBBS का प्रवेश मिला है।
उन सबके लिए जवाब
जो बच्चे उस पर हँसते थे, जो कहते थे कि “कुछ नहीं होगा”,
आज पवन का चयन उनका चुपचाप जवाब है।
साबित कर दिया कि 10वीं के 75% मायने नहीं रखते, मायने सिर्फ लक्ष्य और मेहनत रखते हैं।
आज Desert80 Foundation के माध्यम से हमें हमेशा बच्चों और अभिभावकों का प्यार मिला है।
लेकिन पवन की सफलता अलग है।
क्योंकि आज वो बच्चा, जो कभी घर की हालात और लोगों की हँसी का सामना करता था, आज MBBS में दाख़िला ले रहा है।
और पाँच साल बाद, वही बच्चा –
वही पवन,जो कभी गरीबी और कठिनाइयों से लड़ा,
समाज के लिए डॉक्टर बनकर लौटेगा।
शायद हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि जिसने इतने दर्द और मुश्किलें देखी हों,
वो डॉक्टर बनकर समाज के लिए कितना कुछ कर सकता है।
ये पवन की जीत नहीं है, ये हर उस बच्चे की जीत है जो हालातों से बड़ा सपना देखने की हिम्मत रखता है।
मेरे प्यारे पवन,
तुझे MBBS में प्रवेश की हार्दिक शुभकामनाएँ।