Dr. Seema Jain

Dr. Seema Jain AIDWA

  1932 में तेलंगाना में मेडक जिला के पामूलापार्थी गांव में पैदा हुई पदमा ने कोमुदी कोदंदाराम रेडडी से शादी की जो एक बड़े...
30/06/2025



1932 में तेलंगाना में मेडक जिला के पामूलापार्थी गांव में पैदा हुई पदमा ने कोमुदी कोदंदाराम रेडडी से शादी की जो एक बड़े जमीदार परिवार से संबन्धित होंते हुए भी एक कम्यूनिस्ट थे। रेडी को सेना द्वारा मार दिया गया। पति की मृत्यु के बाद पदमा सशस्त संघर्ष तथा भूमिगत कम्युनिस्ट सेना से जुडी, जिस दौरान एक बार उनकी बाजू में गोली भी लगी। उन्हे आम्पा गौतम राव के साथ नई जगह खोजने को कहा गया। जिसके साथ बाद में उन्होंने शादी भी कर ली। जब गौतम बस्तर के जंगलों में लड़ रहा था, पार्टी तथा पदमा को उसकी मौत की खबर मिली। हालांकि संघषर्विराम के बाद पता लगा कि यह सूचना सही नहीं थी तथा पदमा और गौतम दुबारा मिले । 7 नवंबर 2014 को पदमा की 82 वर्ष की आयु में मौत हो गई।

  1926 में जन्मी नीरू बेन पटेल ने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी स्कूली शिक्षा को छोड़ दिया व बाद में दोबारा अपनी पढ़ाई...
29/06/2025



1926 में जन्मी नीरू बेन पटेल ने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी स्कूली शिक्षा को छोड़ दिया व बाद में दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू की। उन्होंने बांम्बे एल्फिस्टोन कॉलेज से एम.ए. पास् की तथा कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्या बनी। उन्होंने सौराष्ट्र सरकार द्वारा दवाइयों के दाम बढ़ाने व टेक्स लगान, जिसकी वजह से किंसानो में जबरदस्त असंतोष पनपा, के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की। सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के स्थाई आदेश दे दिए लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका। 'सौराष्ट्र की शेरनी के नाम से प्रसिद्ध नीरूबेन पटेल लोगों की मीटिंग करती, भाषण देती, पुलिस की नाम के नीचे से गायब हो जाती थी। सौराष्ट्र के किसान उन पर थोपी गई बैटरमेंन्ट लेवी को वापस करवाने में कामयाब हुए। उन्होने भाषा के आधार पर राज्य बनाने के आंदोलन में हिस्सा लिया व पुर्तगाली शासन से गोवा, दीव, दमन की मुक्ति के लिए आंदोलन किया, जिसमे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1968 में वह गुजरात की पहली महिला मेयर चुनी गई। 1974 में रेलवे कर्मचारियो की हड़ताल में मीसा के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया।

28/06/2025
       #ज्योति_चक्रवर्ती का जन्म नोवाखाली (वर्तमान में बांग्लादेश में) हुआ। इन्हें साथी प्यार से काकीमाँ कहकर पुकारते थे...
28/06/2025




#ज्योति_चक्रवर्ती का जन्म नोवाखाली (वर्तमान में बांग्लादेश में) हुआ। इन्हें साथी प्यार से काकीमाँ कहकर पुकारते थे। सन् 1930 में गाँधीजी के सत्याग्रह के आहवान पर वे स्वतंत्रता आंदोलन वे शामिल हुई और गोद में खेलते अपने दो बच्चों के साथ गिरफ्तार कर ली गई। इन्होंने बंगाल में सन् 1943 में स्थापित हुई महिला आत्मरक्षा समिति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1946 में नोवाखाली में हुए साम्प्रदायिक दंगों का शिकार हुई लगभग 100 महिलाओ को शरण देने के लिए इन्होंने बड़ी बहादुरी से शरणार्थी कैंप चलाया। सन् 1970-1983 के बीच इन्होंने बंगाल में गणतांत्रिक महिला समिति का अध्यक्ष पद सफलतापूर्वक संभाला। सन् 1958 में वे सी.पी.आई. की कलकता जिला समिति की सदस्य भी बनी और बाद में वे सी.पी. आई (एम) में शामिल हुई। पश्चिम बंगाल में 70 के दशक के शुरूआती अर्द्ध-फासीवादी दौर में इन पर गुंडों ने शरीरि हमले भी किये और वे बुरी धायल भी हुई। सन् 1986 में इनका निधन हो गया लेकिन वे जीवन की अंतिम साँस तक अपने राजनीतिक विचारो पर अडिग रही।

हमारी गौरवशाली विरासत     #माधुरी_दास_गुप्ता का जन्म 21 अप्रैल 1921 में हुआ। वे महिला रक्षा समिति बनने के प्रारंभिक दौर ...
27/06/2025

हमारी गौरवशाली विरासत


#माधुरी_दास_गुप्ता का जन्म 21 अप्रैल 1921 में हुआ। वे महिला रक्षा समिति बनने के प्रारंभिक दौर में ही उसमें शामिल हो गई। इन्होंने 1945 में बंगाल के भयानक अकाल के समय मे लोगों की सहायता के लिए की गई गतिविधियो में नेतृत्व कार्य भूमिका निभाई। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वह फांसीवाद विरोधी जन रक्षा कमेटी की सक्रिय कार्यकर्ता रही। वे गणतांत्रिक महिला समिति की संस्थापक सदस्य थी। उन्होंने झुग्गी झोपड़ियो में रहने वाली महिलाओ को संगठित करने में अपने आप को समर्पित किया। उन्होंने इन महिलाओ को जीविका कमाने व आत्म विकास का प्रशिक्षण दिया। 22 फरवरी 2009 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

22/06/2025


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18/06/2025


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