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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
21/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 21 अगस्त 2025
🔅 दिन - गुरुवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - त्रयोदसी
🔅 नक्षत्र - पुष्य
🔅 योग - व्यतिपात
🔅 दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:10 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:09 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 28:59 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 18:09 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 14:17 - 15:55 अशुभ
🔅 अभिजित -12:14 -13:02 शुभ
🔅 तिथिविशेष - गुरुपुष्य योग , स्वार्थसिद्धि योग , अमृतसिद्धि योग, पर्यूषण पर्व प्रारंभ , मासिक शिवरात्रि
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*🌻🌱"फेंगशुई टिप्स: खुशियां और तरक्की लाते हैं हंसते हुए बुद्ध"🌱🌻*

*🌻फेंगशुई पद्धति नकारात्मक ऊर्जा को खत्म या कम करती है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है। फेंगशुई में इस्तेमाल होने वाले छोटे-छोटे यंत्रों से वास्तु दोषों का भी हल निकलता है। फेंग शुई में बताए कुछ ऐसे खिलौने भी हैं, जो आपको खुशहाली का रास्ता भी बता सकते हैं। अपने समृद्धि के चमत्कारों की बदौलत वे चीनी वास्तुशास्त्र का अभिन्न अंग हैं।*

*🍀लाफिंग बुद्धा या हंसते हुए बुद्ध की मूर्ति को संपन्नता, सफलता और सौभाग्य लाने वाली माना जाता है। मान्यता है कि लाफिंग बुद्धा जिस स्थान पर भी विराजित होते हैं उस स्थान पर धन स्वयं ही आकर्षित होकर चला आता है। इसी विशेषता के चलते लोग घर एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान, होटल, दुकान, ऑफिस में इनकी मूर्ति को रखते हैं।*

*🌱घर में धन की बढ़ौतरी और सौभाग्य लाने वाला चीनी देवता है हंसोड़ बुद्ध जिसे अंग्रेजी में लाफिंग बुद्धा, चीनी में पु ताइ एवं जापानी में ह तेई के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की यह भिक्षु चीनी राजवंश त्यांग काल के समय से हैं। उन्हें मौज- मस्ती घुमना-फिरना बहुत पसंद था। वह जहां भी जाते वहीं अपना भारी भरकम पेट और गुदगुदे बदन से समृद्धि एवं खुशियां वितरित करते। सेंटा क्लॉज की तरह ही वह बच्चों में बहुत लोकप्रिय थे।*

*1 लाफिंग बुद्धा एकदम मुख्य द्वार के सामने न रखें। दरवाजे से करीब तीस फुट की ऊंचाई पर लगाने का प्रावधान है। यह मूर्ति घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा का अभिनंदन करती है। अगर ठीक सामने संभव न हो तो इसे कुछ किनारे पर भी रखा जा सकता है।*

*2 इसे घर में ऐसे रखें कि उनका मुस्कराता हुआ चेहरा घर में आने-जाने वाले व्यक्ति को दिखता रहे।*

*3 यदि आपकी आमदनी अच्छी है, घर में धन का अच्छा प्रवाह रहता है किंतु आप कुछ भी संचय नहीं कर पाते तो ऐसी स्थिती में धन की पोटली लिए हुए लॉफिंग बुद्धा को घर में रखें। कुछ दिनों में ही धन की संचय होने लगेगा।*

*4 क्या आपको आपकी मेहनत का फल प्राप्त नहीं हो पाता? बना बनाया काम बिगड़ जाता है तो दोनों हाथों में कमण्डल उठाए हुए लाफिंग बुद्धा को घर में लें आएं।*

*5 स्वस्थ एवं निरोगी काया चाहते हैं तो वू-लू लिए हुए लाफिंग बुद्धा को अपने घर अवश्‍य ले आएं।*

*6 संतानहीन दंपति बच्चों से घिरे हुए लाफिंग बुद्धा को घर में उचित स्थान दें। जल्द ही आपके घर में बच्चे की किलकारियां गूंजेगी।*

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*👉नोट~~~~ आज व्यतिपात योग में गन्ने का दान करना शुभफलदायी है।*
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*✍ पंचागकर्ता~~~इन्द्रकृष्ण भारद्वाज(बीकानेर)*

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*यह पंचांगबीकानेर की अक्षांश रेखांश परआधारित है।*
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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
20/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 20 अगस्त 2025
🔅 दिन - बुधवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - द्वादशी
🔅 नक्षत्र - पुनर्वसु
🔅 योग - सिद्धि
🔅 दिशाशूल - उत्तर दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:09 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:10 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 27:54 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 17:24 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 12:40 - 14:18 अशुभ
🔅 अभिजित -12:14 -13:02 अशुभ
🔅 तिथिविशेष - प्रदोष व्रत , अजा एकादशी पारण , बछ बारस
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*●मरने से पहले रावण ने लक्ष्मण को बताई थी ये 3 बातें●*

*🌻जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस समय श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए। रावण ने कुछ नहीं कहा।*

*🍀लक्ष्मणजी वापस रामजी के पास लौटकर आए। तब भगवान ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है।*

*1- पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्। मैं श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई।*

*2- दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भूल कर गया | मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया | मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। मेरे से गलती हुई।*

*3- रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।*

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*👉नोट~~~~ आज सिद्धि योग में गाय का दान करना शुभफलदायी है।*
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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
19/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 19 अगस्त 2025
🔅 दिन - मंगलवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - एकादशी
🔅 नक्षत्र - आद्रा
🔅 योग - वज्र
🔅 दिशाशूल - उत्तर दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:09 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:11 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 26:48 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 16:32 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 15:56 - 17:34 अशुभ
🔅 अभिजित -12:14 -13:02 शुभ
🔅 तिथिविशेष - त्रिपुष्कर योग , अजा एकादशी
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*🌟 अजा एकादशी: हजारों यज्ञों के बराबर फल देने वाला व्रत🌟*

*📖 अजा एकादशी का महत्व*

*🌻अजा एकादशी भाद्रपद मास (भादों) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।*

*इसे “अजा एकादशी व्रत” भी कहते हैं।*

*🌱यह व्रत भगवान श्री विष्णु को समर्पित है और इसे रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।*

*🍀पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसे दुख, दरिद्रता व पापों से मुक्ति मिलती है।*

*👉क्यों की जाती है (पौराणिक कथा व मान्यता)*

*🛕भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अजा एकादशी व्रत का महत्व बताते हुए कहा था कि इस व्रत का पालन करने से मनुष्य को हर प्रकार के पाप से मुक्ति मिलती है।*

*🌱कथा के अनुसार रघुवंश के राजा हरिश्चंद्र ने इस व्रत को किया था। उनके ऊपर बहुत दुख और संकट आए थे, लेकिन अजा एकादशी का व्रत करने के बाद उन्हें अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिली और खोया हुआ राज्य, पत्नी और पुत्र वापस मिला।*

*🌟 अजा एकादशी व्रत से लाभ📖 अजा एकादशी का महत्व*

*1. जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।*

*2. मोक्ष की प्राप्ति होती है।*

*3. घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।*

*4. मन को शुद्धता और पवित्रता प्राप्त होती है।*

*5. दुःख, दरिद्रता और नकारात्मकता का नाश होता है।*

*6. इस दिन व्रत रखने से हजारों अश्वमेध यज्ञ और सैकड़ों वाजपेय यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।*

*📅 अजा एकादशी कब आती है.!*

*यह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है।*

*यानी सावन पूर्णिमा के बाद जब कृष्ण पक्ष चलता है, तो उसकी ग्यारहवीं तिथि को अजा एकादशी होती है।*

*हर साल यह अगस्त-सितंबर (भादों मास) के बीच पड़ती है।*

*🌻एकादशी या 'कामिका एकादशी' का व्रत भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस एकादशी के दिन किया जाने वाला व्रत समस्त पापों और कष्टों को नष्ट करके हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करता है। अजा एकादशी के व्रत को करने से पूर्वजन्म की बाधाएँ दूर हो जाती हैं। इस एकादशी को 'जया एकादशी' तथा 'कामिका एकादशी' भी कहते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के 'उपेन्द्र' स्वरूप की पूजा अराधना की जाती है तथा रात्रि जागरण किया जाता है। इस पवित्र एकादशी के फल लोक और परलोक दोनों में उत्तम कहे गये है। अजा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को हज़ार गौदान करने के समान फल प्राप्त होते हैं। व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गये सभी पाप समाप्त होते है और जीवन में सुख-समृ्द्धि दोनों उसे प्राप्ति होती हैं।*

*👉 अजा एकादशी व्रत कथा:----*

*🌻एक बार राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न देखा कि उन्होंने अपना सारा राज्य दान में दे दिया है। राजा ने स्वप्न में जिस व्यक्ति को अपना राज्य दान में दिया था, उसकी आकृति महर्षि विश्वामित्र से मिलती-जुलती थी। अगले दिन महर्षि उनके दरबार में पहुँचे। तब सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न में दिया अपना सारा राज्य उन्हें सौंप दिया। जब राजा दरबार से चलने लगे, तभी विश्वामित्र ने राजा से पाँच सौ स्वर्ण मुद्राएँ मांगी। राजा ने कहा- "हे ऋषिवर! आप पाँच सौ क्या, जितनी चाहें मुद्राएँ ले सकते हैं।" विश्वामित्र ने कहा- "तुम भूल रहे हो राजन, राज्य के साथ राजकोष तो आप पहले ही दान कर चुके हैं। क्या दान की हुई वस्तु दक्षिणा में देना चाहते हो।"*

*🌱तब राजा हरिश्चन्द्र को भूल का एहसास हुआ। फिर उन्होंने पत्नी तथा पुत्र को बेचकर स्वर्ण मुद्राएँ जुटाईं तो सही, परन्तु वे भी पूरी न हो सकीं। तब मुद्राएँ पूरी करने के लिए उन्होंने स्वयं को बेच दिया। राजा हरिश्चन्द्र ने जिसके पास स्वयं को बेचा था, वह जाति से डोम था। वह श्मशान का स्वामी होने के नाते मृतकों के संबंधियों से 'कर' लेकर उन्हें शवदाह की स्वीकृति देता था। उस डोम ने राजा हरिश्चन्द्र को इस कार्य के लिए तैनात कर दिया। उनका कार्य था, जो भी व्यक्ति अपने संबंधी का शव लेकर 'अंतिम संस्कार' के लिए श्मशान में आए, हरिश्चन्द्र उससे 'कर' वसूल करके उसे अंतिम संस्कार की स्वीकृति दें, अन्यथा संस्कार न करने दिया जाए। राजा हरिश्चन्द्र इसे अपना कर्तव्य समझकर विधिवत पालन करने लगे।*

*🍀राजा हरिश्चन्द्र को अनेक बार अपनी परीक्षा देनी पड़ी। एक दिन राजा हरिश्चन्द्र का एकादशी का व्रत था। हरिश्चन्द्र अर्द्धरात्रि में श्मशान में पहरा दे रहे थे। तभी वहाँ एक स्त्री अपने पुत्र का दाह संस्कार करने के लिए आई। वह इतनी निर्धन थी कि उसके पास शव को ढकने के लिए कफ़न तक न था। शव को ढकने के लिए उसने अपनी आधी साड़ी फाड़कर कफ़न बनाया था। राजा हरिश्चन्द्र ने उससे कर माँगा। परन्तु उस अवला के पास कफ़न तक के लिए तो पैसा था नहीं, फिर भला 'कर' अदा करने के लिए धन कहाँ से आता? कर्तव्यनिष्ठ महाराज ने उसे शवदाह की आज्ञा नहीं दी। बेचारी स्त्री बिलख कर रोने लगी। एक तो पुत्र की मृत्यु का शोक, ऊपर से 'अंतिम संस्कार' न होने पर शव की दुर्गति होने की आशंका। उसी समय आकाश में घने काले-काले बादल मंडराने लगे। पानी बरसने लगा। बिजली चमकने लगी। बिजली के प्रकाश में राजा ने जब उस स्त्री को देखा, तो वह चौंक उठे। वह उनकी पत्नी तारामती थी और मृतक बालक था, उनका इकलौता पुत्र रोहिताश्व, जिसका सांप के काटने से असमय ही देहान्त हो गया था।*

*🌻पत्नी तथा पुत्र की इस दीन दशा को देखकर महाराज विचलित हो उठे। उस दिन एकादशी थी और महाराज ने सारा दिन उपवास रखा था। दूसरे परिवार की यह दुर्दशा देखकर उनकी आँखों में आँसू आ गए। वह भरे हुए नेत्रों से आकाश की ओर देखने लगे। मानो कह रहे हों- "हे ईश्वर! अभी और क्या-क्या दिखाओगे?" परन्तु यह तो उनके परिक्षा की घड़ी थी। उन्होंने भारी मन से अनजान बनकर उस स्त्री से कहा- "देवी! जिस सत्य की रक्षा के लिए हम लोगों ने राजभवन का त्याग किया, स्वयं को बेचा, उस सत्य की रक्षा के लिए अगर मैं इस कष्ट की घड़ी में न रह पाया तो कर्तव्यच्युत होऊँगा। यद्यपि इस समय तुम्हारी दशा अत्यन्त दयनीय है तथापि तुम मेरी सहायता करके मेरी तपस्या की रक्षा करो। 'कर' लिए बिना मैं तुम्हें पुत्र के अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दे सकता।" रानी ने सुनकर अपना धैर्य नहीं खोया और जैसे ही शरीर पर लिपटी हुई आधी साड़ी में से आधी फाड़कर 'कर' के रूप में देने के लिए हरिश्चन्द्र की ओर बढ़ाई तो तत्काल प्रभु प्रकट होकर बोले- "हरिश्चन्द्र! तुमने सत्य को जीवन में धारण करने का उच्चतम आदर्श स्थापित करके आचरण की सिद्धि का परिचय दिया है। तुम्हारी कर्त्तव्यनिष्ठा धन्य है, तुम इतिहास में अमर रहोगे।" राजा हरिश्चन्द्र ने प्रभु को प्रणाम करके आशीर्वाद मांगते हुए कहा- "भगवन! यदि आप वास्तव में मेरी कर्त्तव्यनिष्ठा और सत्याचरण से प्रसन्न हैं तो इस दुखिया स्त्री के पुत्र को जीवन दान दीजिए।" और फिर देखते ही देखते ईश्वर की कृपा से रोहिताश्व जीवित हो उठा। भगवान के आदेश से विश्वामित्र ने भी उनका सारा राज्य वापस लौटा दिया।"*

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#अजाएकादशी #मोक्षमार्ग #धर्मऔरआस्था

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18/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 18 अगस्त 2025
🔅 दिन - सोमवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - दशमी
🔅 नक्षत्र - मृगशिरा
🔅 योग - हर्षण
🔅 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:08 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:12 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 25:43 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 15:32 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 07:46 - 09:24 अशुभ
🔅 अभिजित -12:14 -13:02 शुभ
🔅 तिथिविशेष - सर्वार्थसिद्धि योग , अमृतसिद्धि योग
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉इस स्तोत्र का दिन में 3 बार पाठ करने से होगी धन वर्षा:----*

*🌻कृष्णाष्टकम् (आदि शंकराचार्य रचित) भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति का अत्यंत दिव्य स्तोत्र है। इसका नित्य श्रद्धा एवं भक्ति से पाठ करने से शास्त्रों और भक्तजन अनुभवों के अनुसार निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं –*

*🌸 कृष्णाष्टक पाठ के फल*

*1. भक्ति की वृद्धि – मन में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गहन प्रेम और भक्ति भाव जाग्रत होता है।*

*2. सुख-शांति की प्राप्ति – पाठ से मानसिक अशांति, तनाव व चिंता दूर होकर जीवन में शांति आती है।*

*3. संसारिक दुखों से मुक्ति – भक्ति से जन्म-जन्मांतर के पाप और दुखों का क्षय होता है।*

*4. सौभाग्य और ऐश्वर्य – श्रद्धा से किए गए पाठ से जीवन में समृद्धि, यश और सौभाग्य मिलता है।*

*5. मोक्ष की प्राप्ति – शास्त्रों में वर्णन है कि जो व्यक्ति कृष्णाष्टक का श्रद्धा से जप करता है, उसे अंत समय में श्रीकृष्ण के चरणों की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मरण से मुक्त होता है।*

*6. मन की पवित्रता – पाठ से मन शुद्ध होता है, और भगवान के नाम में सहज आनंद का अनुभव होता है।*

*7. संकट-निवारण – भगवान की कृपा से भक्त के जीवन के बड़े-बड़े संकट भी सहज ही दूर हो जाते हैं।*

*🌼 विशेष मान्यता*

*"कृष्णाष्टकम् पठति यः मनुजः प्रयत्नात्"* —

*🌻जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करता है, उसे श्रीकृष्ण सदा अपने भक्तवत्सल स्वरूप से रक्षा करते हैं।*

*नित्य प्रातःकाल या सायंकाल इसका पाठ करने से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है।*

*भगवान कृष्ण की पूजा करके तीन बार इसका पाठ करने से उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है।*

*|| श्री कृष्णाष्टकं ||*

*वसुदेव-सुतं देवं कंस-चाणूर-मर्दनम्*
*देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*अतसीपुष्पसङ्काशं हार-नूपुर-शोभितम्*
*रत्न-कङ्कण-केयूरम कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*कुटिलालक-संयुक्तं पूर्णचंद्र-निभाननम्*
*विलसत्-कुण्ड्लधरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*मंदारगन्ध-संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजं*
*बर्हि-पिच्छावचूडाङ्गं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*उत्फुल्लपद्म-पत्राक्षं नीलजीमूत-सन्निभम्*
*याद्वानां शिरोरत्नं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*रुक्मिणीकेली -संयुक्तं पीताम्बर-सुशोभितम्*
*अवाप्त-तुलासीगंधम कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*गोपिकानां कुचद्वन्द्व-कुन्कुमाङ्कित-वक्षसम्*
*श्रीनिकेतं महेष्वासं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्, ||*

*श्रीवात्साङकं महोरस्कं वनमाला-विराजितम्*
*शङ्कचक्र-धरं देवं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||*

*कृष्णाष्टकं-इदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत्*
*कोटिजन्म-कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ||*

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17/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 17 अगस्त 2025
🔅 दिन - रविवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - नवमी
🔅 नक्षत्र - रोहिणी
🔅 योग - व्याघात
🔅 दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:08 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:13 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 24:43 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 14:26 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 17:35 - 19:13 अशुभ
🔅 अभिजित -12:14 -13:02 शुभ
🔅 तिथिविशेष - ज्वालामुखी योग , सिंह संक्रांति , रोहिणी व्रत
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉कैसे शांत होंगे राहु ग्रह के कष्टकारी प्रभाव::-----------*

*🌻ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएँ, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राओं आदि का कारक माना जाता है। जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है। 27 नक्षत्रों में राहु आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। ज्योतिष के अनुसार राहु छाया ग्रह होने के बाद भी जन्म कुण्डली में अपना प्रभाव बनाए रखता है। हमारी जन्म कुण्डली में राहु के ख़राब होने पर अनेक बाधाएं तथा जीवन में बहुत प्रकार की बिमारियों के होने के भी संकेत मिलते है। जन्मकुण्डली में राहु की खराबी जातक को जेल भेजने तक के योग भी निर्मित कर देती है।*

*🌻ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में राहु और केतु की एक ऐसी भी स्थिति बनती है, जिससे एक कुयोग का निर्माण होता है, जिसका नाम है कालसर्प दोष। जब जन्म कुण्डली के सभी ग्रह राहु और केतु के अंदर आ जाये अर्थात दोनो ग्रह किनारे में हो और बाकी के ग्रह बीचों बीच हो तो ऐसी स्थिति में यह दोनों ग्रह काल सर्प दोष का निर्माण करते हैं। राहु के द्वारा जातक को हमेशा बुरे प्रभाव नहीं मिलते हैं, परंतु यदि जातक की जन्म कुण्डली में राहु अशुभ कारक स्थिति में है, तो फिर बुरे फल प्राप्त होने लगते हैं। राहु ग्रह के बुरे प्रभावों के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां मिलना, सही निर्णन न ले पाना, याददाश्त में कमजोरी आना, बुद्धि का सही दिशा में न लग पाना, मन का इधर-उधर भटकना इन सभी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।*

*🌻जब जन्म कुण्डली में राहु की दशा या महादशा का काल प्रारंभ होता है, तथा जन्म कुण्डली में राहु की स्थिति नाजुक है तो भी हमे कठिन समय से होकर गुजरना पड़ता है, क्योंकि किसी भी ग्रह की दशा या महादशा का उचित फल तभी प्राप्त होता जब वह ग्रह हमारी जन्म कुण्डली के अनुकुल हो और दशा या महादशा के पूर्व भी उस ग्रह से हमें अच्छे फल प्राप्त हो रहे हैं, तब हमें किसी भी ग्रह की महादशा का पूर्ण रुप से फल प्राप्त होता है। जन्म कुण्डली में राहु के खराब होने से हम मानसिक रुप से बहुत ही कमजोर हो जाते हैं, जिससे हम अपने भविष्य की योजना बनाने में असमर्थ हो जाते है। राहु के खराब होने से आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। खुद की कार्य क्षमता में संदेह होने लगता है,कि क्या यह मै कर पाउंगा या नही। घर-परिवार, समाज तथा रिश्तेदारों के प्रति गलतफहमी की भावना उत्पन्न होने लगती हैं। अपनी जुबान पर से नियंत्रण उठ जाता है तथा किसी को भी बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिसका बुरा असर हमारे ऊपर पड़ता है।*

*👉राहु ग्रह का संबंध:----*

*🌻ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह का संबंध ख़ुफ़िया पुलिस, ख़ुफ़िया महकमा, जेल, ससुराल, भूचाल, जौं, सरसों, चालबाज़, कच्चा कोयला, काला कुत्ता, गंदी नाली, लोहे में लगने वाली जंग, काना, लंगड़ा, प्लेग, बुखार, भय आदि चीज़ों का संबंध राहु ग्रह से दर्शाया जाता है। राहु का संबंध गोमेद रत्न, आठ मुखी रुद्राक्ष और नागरमोथा की जड़ी से है।*

*👉राहु ग्रह का प्रभाव::-------*

*🌻यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। राहु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में राहु का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है।*

*🌻यदि राहु किसी जातक की कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति के मस्तिष्क में शुभ विचार उत्पन्न होते हैं जिससे वह अच्छे कार्यों को अंजाम देता है। यदि किसी जातक की बुद्धि सही दिशा में लगे वह ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है। राहु के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति बुद्धि से काम लेता है और यदि कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि के कार्य करता है तो बड़े से बड़ा कार्य कर सकता है, किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में कमज़ोर राहु के कारण उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएँ मानसिक और शारीरिक रूप से भी हो सकती हैं। पीड़ित राहु के कारण हिचकी, पागलपन, आँतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि की समस्याएँ जन्म लेती हैं। अतः कुंडली में राहु ग्रह को मजबूत करना चाहिए।*

*👉राहु ग्रह के उपाय:------*

*🌻वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के उपायों को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। राहु ग्रह की शांति के लिए उपाय और टोटके बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। राहु ग्रह से संबंधित उपाय करने से जातकों को राहु ग्रह के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।*

*🌻अगर आपके जन्मांक में राहु, चंद्र, सूर्य को दूषित कर रहा है तो जातक को भगवान शिवशंकर की सच्चे मन से आराधना करना चाहिए।*

*🌻भगवान भोले शंकर भक्त की पवित्र श्रद्धा पूर्ण आराधना से तत्काल प्रसन्न होने वाले देव है।*

*🌻राहु महादशा में सूर्य, चंद्र तथा मंगल का अंतर काफी कष्टकारी होता है, अतः समयावधि में नित्य प्रतिदिन भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाकर दुग्धाभिषेक करना चाहिए।*

*🌻जातक को शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए।*

*🌻सोमवार को व्रत करने से भी भगवान शिवशंकर प्रसन्न होते हैं।अतः सोमवार को शिव आराधना पूजन व्रत करने के पश्चात, शाम को भगवान शिवशंकर को दीपक लगाने के पश्चात्‌ सफेद भोजन खीर, मावे की मिठाई, दूध से बने पदार्थ ग्रहण करना चाहिए।*

*🌻राहु की महादशा अथवा अंतर प्रत्यंतर काफी कष्टकारी हों तब भगवान शिव का अभिषेक करवाना चाहिए।*

*🌻निर्मल हृदय से सच्ची आस्था के साथ भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।*

*🌻ॐ नमः शिवाय मंत्र का नाम जाप लगातार करते रहना चाहिए।*

*🌻प्रतिदिन अपने माथे पर सफेद चंदन का टीका जरुर लगाए।*

*🌻भगवान शिव की प्रभु श्रीराम के प्रति परम आस्था है, अतः राम नाम का स्मरण भी राहु के संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।*

*🌻हनुमान और सरस्वती की पूजा करें।*

*🌻किसी हनुमान मंदिर में तिल और जौ का दान करें।*

*🌻बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।*

*🌻भगवान भैरव के मंदिर में शनिवार को तेल का दीपक जलाएं।*

*🌻हर सोमवार शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।*

*🌻ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें।*

*👉लाल किताब के उपाय-*

*★चाँदी का सिक्का सदैव अपने पास रखें|*

*★चलते दरिया (बहते हुए पानी) में राहु की वस्तुओं को बहाएँ|*

*★सात प्रकार के अनाज, खुशबू वाला तेल, नीला कपड़ा शनिवार के दिन किसी शनि मंदिर या फिर किसी गरीब को दान करें।*

*★किसी जरुरतमंद व्यक्ति को धारीदार कंबल और साबुत उड़त भी दान कर सकते है।*

*★गंगा स्नान करें|*

*★काले कुत्ते को खाना खिलाएँ|*

*★भ्रष्टाचार से सदैव दूर रहें|*

*★मांस-मछली एवं शराब इत्यादि मादक पदार्थों का सेवन न करें|*

*★अंधे लोगों का सहारा बनें|*

*★लोहे का छल्ला अथवा कड़ा पहनना लाभदायक रहेगा।*

*★निर्धन व्यक्ति की आर्थिक रूप से सहायता करें|*

*★जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं।*

*You can contact us onWebsite*

Website:https://astrologer-ojhaji.ueniweb.com/

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*👉नोट~~~~ आज व्याघात योग में चमड़े के जूतों का दान करना शुभफलदायी है।*
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*✍ पंचागकर्ता~~~इन्द्रकृष्ण भारद्वाज(बीकानेर)*

*मोबाइल नम्बर ---- +919314147672 9214247672*j

*Email. --- Astroojhaji@gmail.com*
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*यह पंचांगबीकानेर की अक्षांश रेखांश परआधारित है।*
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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
16/08/2025

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 16 अगस्त 2025
🔅 दिन - शनिवार
🔅 विक्रम संवत - 2082
🔅 शाकः संवत - 1947
🔅 संवत्सर नाम - सिद्धार्थी
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - भाद्रपद
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - अष्टमी
🔅 नक्षत्र - कृतिका
🔅 योग - वृद्धि
🔅 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:07 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:14 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 23:49 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 13:17 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 09:24 - 11:02 अशुभ
🔅 अभिजित -12:16 -13:04 शुभ
🔅 तिथिविशेष - स्वार्थसिद्धि योग , अमृतसिद्धि योग , ज्वालामुखी योग , जन्माष्टमी व्रत वैष्णव (इस्कॉन) , दही हांडी , कालाष्टमी
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*
*सिद्धिदात्री_दुर्गा_बीज_मंत्र_साधना :-*

*🌻इस साधना को किसी भी माह की पंचमी तिथि से शुरू करके नवमी तिथि तक किया जा सकता है, या फिर अमावस्या से प्रारम्भ करके दशमी तिथि तक किया जा सकता है !*

*🌻तंत्र जगत में बहुत सारे लोग सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए आते हैं ! यद्यि कि उनके जीवन में किसी प्रकार की समस्या नहीं रहती है, फिर भी वह सिर्फ सिद्धि प्राप्ति के लिए वह साधना करना चाहते हैं, सिद्धि का दो अर्थ होता है पहला किसी कार्य को संपन्न कर लेना और दूसरा चमत्कारी शक्तियां प्राप्त कर लेना !*

*💐सिद्धि दो प्रकार से प्राप्त की जा सकती है - पहला अपनी कुंडलिनी चक्र को जागृत करके उनसे सम्बंधित शक्तियों को प्राप्त करके सिद्धियां प्राप्त किया जा सकता है ! इन्हें योगिक शक्तियां या सिद्धियां कहा जाता है ! इसके अलावा व्यक्ति चाहे तो अपने शरीर के बाहर स्थित शक्तियों को अपने वश में करके उनसे उचित कार्य करवा सकता है ! जब तक वह शक्ति उस व्यक्ति के नियंत्रण में रहती है, वह कार्य करने लगती है जब नियंत्रण खो देती है तब वह शक्ति काम नहीं करती है !*

*योगिक साधना में व्यक्ति अपने सातों चक्र को जागृत करता है और इनसे सम्बंधित शक्तियों को सिद्ध करके अपनी मनचाही कार्य को सम्पन्न करता है !*

*1 - #मूलाधार_चक्र :-*

*💐इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम डाकिनी है और इनकी सिद्धि से पृथ्वी तत्व की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के ऊपर नियंत्रण पाया जा सकता है, व्यक्ति हवा में उड़ सकता है और कोई भी वस्तु कहीं से भी मंगवा सकता है ! इस चक्र का रंग लाल होता है और देवता गणेशजी हैं !*

*2 - #स्वाधिष्ठान_चक्र :-*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम राकिनी है और इनकी सिद्धि से जल तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! व्यक्ति जल के ऊपर बिना डूबे तैर सकता है, चल सकता है ! इस चक्र का रंग नारंगी होता है !*

*3 - #मणिपुर_चक्र :-*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम लाकिनी है इनकी सिद्धि से अग्नि तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! व्यक्ति कहीं पर भी आग लगा सकता है और आग को बुझा भी सकता है ! आग के भीतर से चलकर जा सकता है ! आग उसे कभी जलाती नहीं है इस चक्र का रंग पीला होता है !*

*4 - #अनाहत_चक्र :*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम काकिनी है इनकी सिद्धि से वायु तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! व्यक्ति वायु गमन सिद्धि प्राप्त कर सकता है ! इस चक्र का रंग हरा होता है !*

*5 - #विशुद्धि_चक्र :*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम है, शाकिनी इनकी सिद्धि से आकाश तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! इस चक्र का भी प्रयोग वायु गमन सिद्धि में प्रयोग होता है इस चक्र का रंग नीला होता है !*

*6 - #आज्ञा_चक्र :*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम हाकिनी है ! इनकी सिद्धि से मन तत्व और प्रकाश तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! व्यक्ति किसी के भी मन में चल रही बातों को जान सकता है और अपने मन की कल्पना के अनुसार कुछ भी निर्माण कर सकता है ! प्रकाश की गति से चल सकता है ! इस चक्र का रंग इंडिगो या गहरा नीला रंग होता है !*

*7 - #सहस्त्रार_चक्र :*

*इस चक्र से सम्बंधित शक्ति का नाम है, पराशक्ति ! इनकी सिद्धि से ब्रह्म तत्व एवं ब्रह्मांड तत्व के ऊपर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है ! इनके बारे में जानकारी ली जा सकती है ! सहस्रार चक्र एक ट्रांसमीटर और ट्रांसरिसीवर की तरह काम करता है ! व्यक्ति देव तुल्य हो जाता है और व्यक्ति किसी भी शक्ति से संपर्क कर सकता है ! उनकी तरंगों को समझ सकता है ! व्यक्ति स्वयं अपना मंत्र तंत्र और यंत्र का निर्माण करता है ! वह ब्रह्माण्ड का एक हिस्सा बन जाता है, इस चक्र का रंग बैंगनी होता है !*

*योगिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चक्र से सम्बंधित देवियों की साधना द्वारा चक्र जागृत करके अपनी मनचाही सिद्धि प्राप्त कर सकता है या फिर योगिक साधना करके उस चक्र को जागृत कर सकता है, यहां पर इन चक्र से सम्बंधित देवियों के बारे में मैंने इसलिए उदाहरण दिया ताकि आप समझ सकते हैं कि अगर आप देवियों की साधना करेंगे तब यदि यह बाहरी शक्ति है तो भी वह आपके चक्र को जागृत करेंगे और इनके बिना भी योगिक क्रिया द्वारा आप स्वयं के चक्र जागृत कर सकते हैं और वह आप की अंदरूनी शक्ति बनेगी !*

*सारी सिद्धियाँ हमारे अंदर ही मौजूद है बस हमें उसका बोध नहीं होता है ! यदि हमें यह पता चल जाए कि क्या करने से हमें क्या सिद्धि मिल जाएगी तब हम भी सिद्ध पुरुष बन सकते हैं, देवी सिद्धिदात्री हर सिद्धियों को देने वाली और उनकी जानकारी प्रदान करने वाली प्रधान देवी है ! नवरात्रि काल में यदि सिद्धिदात्री देवी की साधना, सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाए तब सिद्धि और उससे सम्बंधित ज्ञान हमें प्राप्त हो सकता है, कोई भी सिद्धि प्राप्त करना किसी आम व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं होता है ! इसके लिए व्यक्ति को साधना परजी विश्वास होना जरूरी है और धैर्यवान होना भी आवश्यक है ! हर व्यक्ति एक समान नहीं होता है ! किसी को सिद्धि जल्दी मिल जाती है और किसी को कुछ समय के बाद, इसीलिए व्यक्ति को लगातार प्रयत्न करते रहना चाहिए जब तक उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए !*

* #सिद्धिदात्री_बीज_मंत्र_साधना_विधान -*

*साधना रात के 8:00 बजने के बाद ही शुरू करना चाहिए ! वैसे आप अपनी इच्छा अनुसार किसी भी समय यह साधना कर सकते हैं !*

*उत्तर दिशा ज्ञान की दिशा है इसलिए व्यक्ति को इस साधना के लिए उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए !*

*पूरी साधना काल में व्यक्ति को ज्ञान मुद्रा धारण करते हुए मंत्र जाप करना चाहिए और अपना ध्यान आज्ञा चक्र में रखना चाहिए !*

*शक्ति का मूल रंग लाल होता है और व्यक्ति को लाल रंग का वस्त्र चाहे धोती हो कुर्ता हो शर्ट हो टी-शर्ट हो पहनना आवश्यक होता है ! इसके अलावा आसन भी लाल रंग का ही होना अनिवार्य है !*

*साधक को जिस प्रकार की सिद्धि की कामना हो उससे सम्बंधित संकल्प लेकर इस साधना को प्रारम्भ करना चाहिए !*

*संकल्प कैसे लेना चाहिए यह पुराने साधनाओं में मैंने लिखकर बहुत बार बताया है वहां से देख कर अपना संकल्प लेकर साधना प्रारम्भ करें !*

*साधना से पूर्व एक माला गणेश बीज मंत्र का जाप करें !*

* #गणेश_बीज_मंत्र : "ॐ गं गणपतये नमः" !*

*जो व्यक्ति दीक्षित हैं या दीक्षा के लिए गुरुमुख हो चुके हैं ! एक माला नवार्ण मंत्र का जाप करें दूसरे व्यक्ति अपने गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं या फिर 'नमः शिवाय मंत्र' का जाप कर सकते हैं !*

* #नवार्ण_मंत्र :*

*" #ऐं_ह्रीं_क्लीं_चामुंडायै_विच्चै :" 9 अक्षरों वाले इस 'नवार्ण मंत्र' में 9 ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति होती है !*

*दुर्गा पूजा शक्ति उपासना का पर्व है ! शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण यह है कि इस अवधि में ब्रह्माण्ड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है ! ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा उपासना की जाती है !*

*दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी हैं ! इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था एवं श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नवों शक्तियां जागृत होकर नौ ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं ! फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता !*

*दुर्गा की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है ! नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है ! अतः नवार्ण 9 अक्षरों वाला वही मंत्र है !*

*नवार्ण मंत्र — ''ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै'' है !*

*नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का सम्बंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का सम्बंध एक-एक ग्रह से है !*

*नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है ! ऐं का सम्बंध दुर्गा की पहली शक्ति शैल पुत्री से है, जिसकी उपासना 'प्रथम नवरात्रि' को की जाती है !*

*दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है ! इसका सम्बंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है ! तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है ! जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है !*

*इन अक्षरों से सम्बंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री हैं, जिनकी आराधना क्रमश : तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है !*

*इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं ! दुर्गा की यह 9 शक्तियां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं !*

*नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए ! यद्यपि नवार्ण मंत्र नौ अक्षरों का ही है, परंतु विजयादशमी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, इस मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर इसे दशाक्षर मंत्र —*

*"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे:" का रूप दुर्गा सप्तशती में दे दिया गया है, लेकिन इस एक अक्षर के जुड़ने से मंत्र के प्रभाव पर कोई असर नहीं पड़ता है ! वह नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है ! अतः कोई चाहे, तो दशाक्षर मंत्र का जाप भी निष्ठा और श्रद्धापूर्वक कर सकता है !*

* #सिद्धिदात्री_बीज_मंत्र - स्रीं*

*मंत्र संख्या एक लाख का होना चाहिए क्योंकि आप माला से जाप नहीं करोगे तब आप इसका एक अनुमान ही लगा सकते हैं कि आपसे कितना जाप हुआ है, मंत्र का मानसिक जाप करना है !*

*इस साधना के दौरान आपको क्या अनुभूति होगी -*

*मंत्र जाप एक संख्या में पहुंचने के बाद आपके आज्ञा चक्र में दर्द होने लगेगा बहुत अधिक सर दर्द हो सकता है ! कुछ समय बाद ऐसा लगेगा कि वहां पर कुछ घूम रहा है या फिर कुछ चल रहा है ! किसी भी अवस्था में आपको अपना ध्यान नहीं खोना है और लगातार मंत्र जाप करते रहना है ! यदि आप ऐसा करते जाएंगे तब जिस सिद्धि की कामना से आपने यह साधना किया है आपको अपने आज्ञा चक्र में दिख जाएंगे !*

*साधना से सम्बंधित अनुभव और ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद इसके बारे में आप किसी को नहीं बतायेंगे और मुझे भी नहीं बतायेंगे ! जो भी आप को ज्ञान प्राप्त होता है वह आपके और देवी के बीच ही रहना चाहिए ! कोई कितना भी पूछे कभी इसके बारे में किसी को कुछ मत बताइए !*

*साधना समाप्ति के बाद क्षमा प्रार्थना करें और जिस प्रकार दूसरे साधना में अपना जाप समर्पण और जाप का उर्जा समर्पण बताया गया है उसी प्रकार यहाँ भी करें !*

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