किशोरी राधे

किशोरी राधे समस्या आपकी समाधान हमारा

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
29/09/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 29 सितम्बर 2024
🔅 दिन - रविवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कालयुक्त
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - आश्विन
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - द्वादशी
🔅 नक्षत्र - मघा
🔅 योग - साध्य
🔅 दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:29 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 18:25 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 28:12 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 16:49 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 17:00 - 18:30 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:03 -12:51 शुभ
🔅 तिथिविशेष - इन्दिरा एकादशी पारण , गण्डमूल योग , द्वादशी श्राद्ध , प्रदोष व्रत
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉पितरों को करना है प्रसन्न, तो करें इन मंत्रों का उच्चारण::-------*

*🌻शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ-*

*⚜️प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की कृष्ण अमावस्या अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक 16 पूरे 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष चलता है। जो इस बार 20 सितबंर से शुरू हो चुका है। जिसके साथ ही पितरों को प्रसन्न करने और उन्हें मुक्त करने का सिलसिला भी प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोग पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए विधि विधान से श्राद्ध तर्पण किया जाता है। आप में से लगभग लोगों को इस बारे में जानकारी है परंतु बहुत कम लोग है जो इस बात की जानकारी रखते हैं कि पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध तर्पण के अलावा अन्य कई कार्य करने शुभ होते हैं। ज्योतिष व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की मुक्ति के लिए जातक को पितृ गायत्री पाठ का उच्चारण करना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान पितृ गायत्री मंत्र का जप भी शुभ कार्य व पुण्य दाई माना जाता है।*

*🌻कहा जाता है कि पितृ गायत्री पाठ को पढ़ने से तथा पितृ गायत्री मंत्रों का उच्चारण करने से पितरों के साथ सदैव विश्वेदेवा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है पूर्णिया में खासतौर पर पुत्र गायत्री मंत्र तथा ब्रह्म गायत्री मंत्र इस दौरान जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करवाता है तथा जीवन की बाधाओं को दूर करने में सहायता करता है।*

*👉तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये मंत्र-*

*1 ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।*

*2. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।*

*3. ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।*
*नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।*

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*👉नोट~~~~ आज साध्य योग में सब्जियों का दान करना शुभफलदायी है।*
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*✍ पंचागकर्ता~~~इन्द्रकृष्ण भारद्वाज(बीकानेर)*

*मोबाइल नम्बर ---- +919314147672 9214247672*

*Email. --- Astroojhaji@gmail.com*
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*यह पंचांगबीकानेर की अक्षांश रेखांश परआधारित है।*
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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
18/08/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 19 अगस्त 2024
🔅 दिन - सोमवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कालयुक्त
🔅 अयन - दक्षिणायन
🔅 ऋतु - वर्षा
🔅 मास - श्रावण
🔅 पक्ष - शुक्लपक्ष
🔅 तिथि - पूर्णिमा
🔅 नक्षत्र - श्रवण
🔅 योग - शोभन
🔅 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:09 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:11 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 19:11 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 00:00 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 07:47 - 09:25 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:16 -13:10 शुभ
🔅 तिथिविशेष - सर्वार्थसिद्धि योग , रवियोग , रक्षाबंधन , गायत्री जयंती , संस्कृत दिवस , श्रावणी उपाक्रम
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉आइए जानते हैं रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त महत्व और कथा::-----*

*🌻रक्षाबंधन का त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं; इसलिए इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है। इस दिन बहनें भाइयों की समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियाँ बांधती हैं, वहीं भाई बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को राखरी भी कहते हैं। यह सबसे बड़े हिन्दू त्योहारों में से एक है।*

*👉रक्षाबंधन मुहूर्त:-*

*🌻राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 18 मिनट से रात्रि 08 बजकर 33 मिनट तक रहेगा..!!*

*🌻रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ रही हो। हालाँकि आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।*

*1. यदि पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा हो तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो पर्व के सारे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में करने चाहिए।*

*2. लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं।*

*🌻यद्यपि पंजाब आदि कुछ क्षेत्रों में अपराह्ण काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह निषेध है, चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो।*

*🌻ग्रहण सूतक या संक्रान्ति होने पर यह पर्व बिना किसी निषेध के मनाया जाता है।*

*👉राखी पूर्णिमा की पूजा-विधि:--*

*🌻रक्षा बंधन के दिन बहने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बांधती हैं। साथ ही वे भाईयों की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी आदि की कामना करती हैं।*

*💐रक्षा-सूत्र या राखी बांधते हुए निम्न मंत्र पढ़ा जाता है, जिसे पढ़कर पुरोहित भी यजमानों को रक्षा-सूत्र बांध सकते हैं.!*

*ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।*
*तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

*🌻इस मंत्र के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कथा है, जिसे प्रायः रक्षाबंधन की पूजा के समय पढ़ा जाता है। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ऐसी कथा को सुनने की इच्छा प्रकट की, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती हो। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने उन्हें यह कथा सुनायी–*

*💐प्राचीन काल में देवों और असुरों के बीच लगातार 12 वर्षों तक संग्राम हुआ। ऐसा मालूम हो रहा था कि युद्ध में असुरों की विजय होने को है। दानवों के राजा ने तीनों लोकों पर कब्ज़ा कर स्वयं को त्रिलोक का स्वामी घोषित कर लिया था। दैत्यों के सताए देवराज इन्द्र गुरु बृहस्पति की शरण में पहुँचे और रक्षा के लिए प्रार्थना की। श्रावण पूर्णिमा को प्रातःकाल रक्षा-विधान पूर्ण किया गया।*

*🌻इस विधान में गुरु बृहस्पति ने ऊपर उल्लिखित मंत्र का पाठ किया; साथ ही इन्द्र और उनकी पत्नी ने भी पीछे-पीछे इस मंत्र को दोहराया। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी ब्राह्मणों से रक्षा-सूत्र में शक्ति का संचार कराया और इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर उसे बांध दिया। इस सूत्र से प्राप्त बल के माध्यम से इन्द्र ने असुरों को हरा दिया और खोया हुआ शासन पुनः प्राप्त किया।*

*🌻रक्षा बंधन को मनाने की एक अन्य विधि भी प्रचलित है। महिलाएँ सुबह पूजा के लिए तैयार होकर घर की दीवारों पर स्वर्ण टांग देती हैं। उसके बाद वे उसकी पूजा सेवईं, खीर और मिठाईयों से करती हैं। फिर वे सोने पर राखी का धागा बांधती हैं। जो महिलाएँ नाग पंचमी पर गेंहूँ की बालियाँ लगाती हैं, वे पूजा के लिए उस पौधे को रखती हैं। अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने के बाद वे इन बालियों को भाईयों के कानों पर रखती हैं।*

*🌻कुछ लोग इस पर्व से एक दिन पहले उपवास करते हैं। फिर रक्षाबंधन वाले दिन, वे शास्त्रीय विधि-विधान से राखी बांधते हैं। साथ ही वे पितृ-तर्पण और ऋषि-पूजन या ऋषि तर्पण भी करते हैं।*

*💐कुछ क्षेत्रों में लोग इस दिन श्रवण पूजन भी करते हैं। वहाँ यह त्यौहार मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की याद में मनाया जाता है, जो भूल से राजा दशरथ के हाथों मारे गए थे।*

*इस दिन भाई अपनी बहनों तरह-तरह के उपहार भी देते हैं। यदि सगी बहन न हो, तो चचेरी-ममेरी बहन या जिसे भी आप बहन की तरह मानते हैं, उसके साथ यह पर्व मनाया जा सकता है।*

*👉रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएँ:-*

*💐राखी के पर्व से जुड़ी कुछ कथाएँ हम ऊपर बता चुके हैं। अब हम आपको कुछ अन्य ऐसी पौराणिक घटनाएँ बताते हैं, जो इस त्यौहार के साथ जुड़ी हुई हैं–*

*🌻मान्यताओं के अनुसार इस दिन द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लगने के बाद अपनी साड़ी से कुछ कपड़ा फाड़कर बांधा था। द्रौपदी की इस उदारता के लिए श्री कृष्ण ने उन्हें वचन दिया था कि वे द्रौपदी की हमेशा रक्षा करेंगे। इसीलिए दुःशासन द्वारा चीरहरण की कोशिश के समय भगवान कृष्ण ने आकर द्रौपदी की रक्षा की थी।*

*🌻एक अन्य ऐतिहासिक जनश्रुति के अनुसार मदद हासिल करने के लिए चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमाँयू को राखी भेजी थी। हुमाँयू ने राखी का सम्मान किया और अपनी बहन की रक्षा गुजरात के सम्राट से की थी।*

*🌻ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी ने सम्राट बाली की कलाई पर राखी बांधी थी।*

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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
09/05/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 09 मई 2024
🔅 दिन - गुरुवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कालयुक्त
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - वैशाख
🔅 पक्ष - शुक्लपक्ष
🔅 तिथि - प्रतिपदा , द्वितीया
🔅 नक्षत्र - कृतिका
🔅 योग - शोभन
🔅 दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 05:51 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:16 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 06:24 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 20:54 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 14:14 - 15:55 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:07 -13:00 शुभ
🔅 तिथिविशेष - चन्द्र दर्शन
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉शनि की साढ़ेसाती और उसका प्रभाव::-------------*

*🌻ज्‍योतिष की दुनिया में शनि की साढ़ेसाती कालसर्प के बाद सबसे ज्‍यादा डराने वाला बिंदू है। हर जातक जीवन में कम से कम तीन बार साढ़े साती की जद में आता है। जन्‍म कुण्‍डली के चंद्रमा पर शनि के प्रभाव को साढ़ेसाती के रूप में देखा जाता है। क्‍या प्रभाव होता है साढ़े साती का, किन जातकों पर साढ़ेसाती का अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, किन जातकों पर कम प्रभाव पड़ता है, कौनसे जातक साढ़ेसाती से अप्रभावित होते हैं। क्‍या साढ़े सात साल का पूरा समय एक जैसा खराब रहता है। अगर नहीं तो कौनसा समय अधिक कठिन होता है और कौनसा समय अपेक्षाकृत अनुकूल होता है। इन सभी विषयों पर हम इस लेख में चर्चा करेंगे।*

*👉क्‍या है साढे़ साती----*

*🌻पहले हम यह जान लें कि साढ़ेसाती होती क्‍या है। जातक की कुण्‍डली में चंद्रमा जिस राशि में जिस डिग्री पर बैठा है उससे 45 डिग्री की परास में जब गोचर का शनि आता है तो शनि की साढ़ेसाती शुरू होती है। यह 45 डिग्री के दायरे में आने के साथ शुरू होती है और चंद्रमा से आगे निकलकर 45 डिग्री दूर चली जाए, तब तक चलती है। यह समय कुल साढ़े सात साल का होता है, इसी कारण इसे साढ़ेसाती कहते हैं। एक राशि तीस डिग्री की होती है। शनि का एक राशि में भ्रमण ढाई साल का होता है। चंद्रमा के दोनों ओर डेढ़ डेढ़ राशि यानी 45 डिग्री तक इसका भ्रमण यह स्थिति पैदा करता है। यानि ढाई ढाई साल के तीन हिस्‍से किए जा सकते हैं।*

*👉शनि का चंद्रमा पर प्रभाव-----*

*🌻साढ़े साती हमें अधिक मेहनत करने के लिए विवश करती है। शनि न्‍याय का देवता है और चंद्रमा मन का। इसी मन पर शनि का क्रूर प्रभाव हम साढ़ेसाती में देखते हैं। जब हम समय के साथ दौड़ नहीं पाते तो अपनी स्‍वाभाविक लय को खो बैठते हैं। इसे ही खराब समय कहा जाता है। किसी व्‍यक्ति पर साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव है या नहीं यह जांचने के लिए एक बहुत आसान रास्‍ता है। जातक से पूछा जाए कि अभी क्‍या समय हुआ है। साढ़ेसाती से पीडि़त अधिकांशत: इसका गलत जवाब देंगे। अगर शनि खराब प्रभाव नहीं कर रहा है तो जवाब सही आएगा। इस फार्मूले को निकालने के पीछे ठोस कारण यह है कि खराब शनि हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्‍टम पर आक्रमण करता है और हमारे दैनिक कार्य करने में भी परेशानी आने लगती है। इसी से शुरू होती है टाइमिंग की समस्‍या। यानि गलत समय पर आप सही जगह पर पहुंचते हैं या सही समय पर गलत जगह पर। यह साढ़ेसाती का दूसरा बड़ा साइन है।*

*👉साढ़ेसाती का भय------*

*🌻यह तो मैंने बताया कि समस्‍या कहां दृष्टिगोचर होती है और कैसे होती है। अब सवाल कि इससे डरा क्‍यों जाए और डरा क्‍यों न जाए। पहले सवाल का जवाब है कि जब पता चल गया कि शनि की साढ़ेसाती टाइमिंग और टाइम सेंस को खराब करती है तो सबसे पहले इसी पर चेक लगाया जाए। यानि इसे दुरुस्‍त करने के जमीनी उपाय शुरू कर दिए जाएं। मसलन घड़ी पहनी जाए और दिनांक और समय के प्रति सचेत रहा जाए। प्‍लान बनाकर काम किए जाएं और जहां जाएं वहां समय नष्‍ट करने के बजाय पूर्व में पूरी जानकारी एवं समय लेकर पहुंचा जाए। इसी तरह के खुद के मैनेजमेंट के हजारों उपाय हैं। इससे साढ़ेसाती का असर नब्‍बे प्रतिशत तक कम हो जाएगा।*

*👉डरा क्‍यों न जाए-------*

*🌻वह इसलिए कि एक आदमी की औसत आयु सत्‍तर साल भी मान ली जाए तो उस व्‍यक्ति की जिंदगी में तीन बार साढ़ेसाती आएगी। यानि साढे़ 22 साल तक साढ़ेसाती का काल रहेगा। यही नहीं कुछ योग शनि के कंटक के भी बनेंगे। यानि उस दौरान भी साढ़ेसाती के कुछ असर रहेंगे। इस तरह तो पहले चालीस साल के सक्रिय जीवनकाल में ही पंद्रह साल ऐसे आ जाएंगे जब इस डर के साथ जीना पड़ेगा। अब यह बात कैसे मानी जा सकती है कि किसी व्‍यक्ति के चालीस में से पंद्रह साल तो खराब ही हो गए। नहीं ऐसा नहीं हो सकता।*

*🌻साढ़े साती पूरी तरह खराब भी नहीं होती। अपने तीन चरणों में वह सिर, पेट और पैर में या इससे ठीक उल्टे क्रम में रहती है। जब सिर में होगी तो सोचने के लिए मजबूर करेगी और जब पांव में होगी तो दौड़ने के लिए और जब पेट में होगी तो ढेर सारा धन दिलाएगी। यानि पेट भर देगी। अगर ऐसी है साढ़ेसाती तो डरने की नहीं बल्कि रोलर कोस्‍टर राइड करने का समय है। तो अब मैं सोच सकता हूं कि इस बार जब कोई आपको बताएगा कि आपकी साढ़ेसाती शुरू होती है अब… और आपको दिमाग में आएगा कि ठीक है चलो चलते हैं राइड पर।*

*👉साढ़े साती की कब चिंता करें--------*

*🌻जब आपके किसी वृद्ध परिजन को साढ़ेसाती लगे तो चिंता करनी चाहिए। आमतौर पर तीसरी साढ़ेसाती जीवन के साथ ही खत्‍म होती है और तीसरी किसी तरह निकल जाए तो चौथी आखिरी होती है। हर कोई जानता है कि वृद्ध लोग रोलरकोस्‍टर राइड नहीं कर पाते हैं। साढेसाती में यही होता है। इसी से बड़े बूढों को दिल और दिमाग की बीमारियां होती है। कुछ लोग शारीरिक रूप से थक कर हार जाते हैं तो कुछ मानसिक लड़ाई में टूटते हैं। लेकिन जवानों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता।*

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07/05/2024

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*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

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🔅 आज का दिनाँक 07 मई 2024
🔅 दिन - मंगलवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कालयुक्त
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - वैशाख
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - चतुर्दशी
🔅 नक्षत्र - अश्विनी
🔅 योग - आयुष्मान
🔅 दिशाशूल - उत्तर दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 05:52 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:15 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 29:40 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 18:35 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 15:54 - 17:34 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:19 -13:08 शुभ
🔅 तिथिविशेष - गण्डमूल योग , सर्वार्थसिद्धि योग , अमृतसिद्धि योग , रविन्द्र नाथ टैगोर जयन्ती
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉घर में क्यों लटकाया जाता है नींबू और मिर्च::------------*

*🌻हमें अक्सर घरों के बाहर दुकानों में या किसी व्यापारी के गोदाम के बाहर नींबू और हरी मिर्च टंगी हुई देखने को मिलती है। हमारे मन में कई बार यह सवाल उठता हैं कि आखिर नींबू और मिर्ची ही क्यों टांगी जाती है। अगर टोटकों की बात की जाए तो गांव के साथ-साथ शहरों मे भी इसकी खासी लोकप्रिय रही है ।क्योंकि यह बुरी नजर से बचाने का सबसे सरल, सस्ता और कारगर उपाय माना गया हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इसके प्रयोग से व्यापर में समृद्धि और परिवार का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। अब जहां तक बात करें कि इसके पीछे जो तर्क दिया जाता है वह इस प्रकार से है कि नींबू और मिर्ची का साथ में योग अर्थात खट्टे और तीखे का साथ में प्रयोग होने से कोई व्यक्ति एक जगह पर बहुत देर तक टिक कर चीजों को नहीं देख पाता जिससे कि ज्यादा देर तक उसकी नजर किसी एक स्थान पर टिकी नहीं रहती जिससे की हम बुरी नजरो का शिकार होने से बच जातें हैं। परंतु यह तो आमजन की धारणा है। इसके पीछे का जो धार्मिक और ज्योतिष महत्व है। इसके बारे में हम आपको विधि पूर्वक इस लेख में बताएंगे।*

*👉नींबू मिर्च के टोटके पर क्या है ज्योतिषी राय:-----*

*🌻अब जहाँ तक बात की जाएँ ज्योतिषी राय की तो नींबू-मिर्ची के टोटके को लेकर एक दिलचस्प धार्मिक तर्क है। धन की देवी माता लक्ष्मी की एक बड़ी बहन दरिद्रा हैं। इनके नाम से ही स्पष्ट है कि ये जहां वास करती हैं वहां दुख, क्लेश और विवाद होते हैं। दरअसल इनका अस्तित्व लक्ष्मी का अपमान और अनादर करने वालों को कष्ट देने के लिए है, इसलिए स्वभाविक है कि दरिद्रा के नाम से ही लोग डरने लगते हैं। इसी वजह से दरिद्रा लक्ष्मी के प्रकोप से बचने के लिए कई उपाय खोजे गए। उनमें से एक उपाय है नींबू-मिर्ची का टोटका। माना जाता है कि दरिद्रा को खट्टा और तीखा भोजन अत्यधिक पसंद है और इसकी तलाश में वे हर जगह विचरण करती हैं लेकिन मीठे व्यंजन से दरिद्रा दूर भागती हैं। इसलिए नींबू और मिर्ची घर या दुकान के बाहर टांगे जाते हैं ताकि दरिद्रा की इच्छा बाहर ही पूरी हो जाये और वे बाहर से वापस लौट जाये।*

*🌻तो कैसा लगा आपको ये लेख कमेंट करके हमें जरूर बताएं और ऐसे ही और आध्यात्म से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।*

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14/04/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 14 अप्रैल 2024
🔅 दिन - रविवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कलयुक्त
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - चैत्र
🔅 पक्ष - शुक्लपक्ष
🔅 तिथि - षष्ठी
🔅 नक्षत्र - आद्रा
🔅 योग - अतिगण्ड
🔅 दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:13 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:02 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 10:26 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 25:12 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 17:25 - 19:02 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:19 -13:08 शुभ
🔅 तिथिविशेष - छठा नवरात्रि माँ कात्यायनी पूजन , रवि योग , त्रिपुष्कर योग , यमुना छठ ,
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉क्या है हनुमानाष्टक पाठ के लाभ::------------------*

*🌻वैसे तो हनुमान जी को राम भक्त, बजरंगबली, संकट मोचन, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र आदि की संज्ञा दी गई है कहा जाता है कि इनकी आराधना से भक्तों के ऊपर से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं. जो कोई भी जातक हनुमान जी की पूजा मंगलवार के दिन करता है उसको इसके बहुत सारे अच्छे परिणाम जिंदगी में देखने को मिलते हैं. ऐसा माना जाता है कि दुनिया में जब तक श्री राम का नाम रहेगा तब तक हनुमान का नाम भी उतना ही सम्मान के साथ लिया जाएगा. ऐसा भी माना गया है कि मंगलवार के दिन यदि व्यक्ति हनुमानाष्टक पाठ करता है तो उसके जीवन से सभी प्रकार के दुःख -दर्द नष्ट हो जाते हैं. और बजरंगबली स्वयं उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं. पवन पुत्र हनुमान अपने भक्तों के ऊपर आने वाले सभी दुखों को हर लेते हैं. यदि आप कभी भी संकट की स्थिति में है तो हनुमानाष्टक पाठ का वाचन अवश्य करें.!!*

*🌻तो आइये जानते है आखिर हनुमानाष्टक पाठ हैं क्या ? और इसके लाभों के बारे में आपको अवगत कराते हैं. हनुमानाष्टक पाठ के चमत्कारिक लाभ जो व्यक्ति मुख्यरूप से मंगलवार के दिन हनुमाष्टक का पाठ करता है उसके समस्त दुःखो का नाश हो जाता है.!!*

*★हनुमानाष्टक पाठ का वाचन करने से व्यक्ति के शारीरिक बल में बढ़ोतरी होती है. इसके साथ ही व्यक्ति में शौर्य और तेज का इजाफा देखने को मिलता है.!!*

*★हनुमानाष्टक पाठ करने से व्यक्ति में बौद्धिक क्षमता अधिक विकसित होती हैं.!!*

*★हनुमानाष्टक पाठ करने वाले व्यक्ति को विद्या की प्राप्ति होती है।*

*★हनुमाष्टक का पाठ करने वाला व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है।*

*★पारिवारिक जीवन में सुख-शांति, प्रेम और एकता बनी रहती है।*

*★इसका पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।*

*★ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हनुमाष्टक का पाठ करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है।

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Website:https://astrologer-ojhaji.ueniweb.com/

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* *

* salahkar*

* sarswat Jyotish*

*👉नोट~~~~ आज अतिगण्ड योग में जल का दान करना शुभफलदायी है।*
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*✍ पंचागकर्ता~~~इन्द्रकृष्ण भारद्वाज(बीकानेर)*

*मोबाइल नम्बर ---- +919314147672 9214247672*

*Email. --- Astroojhaji@gmail.com*
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*यह पंचांगबीकानेर की अक्षांश रेखांश परआधारित है।*
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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
13/04/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 13 अप्रैल 2024
🔅 दिन - शनिवार
🔅 विक्रम संवत - 2081
🔅 शाकः संवत - 1946
🔅 संवत्सर नाम - कलयुक्त
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - चैत्र
🔅 पक्ष - शुक्लपक्ष
🔅 तिथि - पञ्चमी
🔅 नक्षत्र - मृगशिरा
🔅 योग - सोभन
🔅 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:14 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 19:01 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 09:29 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 24:17 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 09:26 - 11:01 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:19 -13:08 शुभ
🔅 तिथिविशेष - पांचवा नवरात्रि मां स्कंदमाता पूजन , रवि योग , मेष संक्रांति , स्कंद षष्ठी
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉पितृ दोष को दूर करने के उपाय::----------------*

*🌻वैदिक ज्योतिष की धारणा के अनुसार यदि जातक ने अपने पिछले जन्मों में अपने बुजुर्गो या फिर माता-पिता की अवहेलना की हो तो फिर उसे अपने इस जीवन में पितृ दोष का सामना करना पड़ता है l पितृ दोष और पितृ ऋण लगभग एक ही है l अगर आपने पूर्व जन्म में अपने दायित्वों का ठीक तरीके से पालन न किया हो, अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरूपयोग किया हो, तो इन सभी घटनाक्रम का असर आपके आने वाले जीवन पर पड़ता है। अर्थात काल का चक्र पुनः घूम कर दोषो के रूप में आपकी कुंडली में आकर बैठ जाता है। तो आइए जानते है आखिर किन ग्रहो की युति से जन्म लेते है ऐसे दोष।*

*👉कौन कौन से ग्रह कुंडली मे पितृ दोष के संकेत देते हैं::------*

*🌻हमारी जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों के योग के कारण पितृ दोष का निर्माण होता है जैसे किसी जातक की जन्म कुंडली के नवम भाव पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष होता है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।*

*🌻ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को बहुत ही अशुभ और दुर्भाग्य का प्रबल कारक माना गया है l कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या शनि में कोई दो एक ही घर में मौजूद हो। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष बनता है उन्हें तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। पितृदोष होने पर उस व्यक्ति के जीवन में उसे कई तरह के संकेत मिलते हैं। कुंडली में पितृ दोष होने पर जातक को संतान का सुख़ नहीं मिल पाता है, हमेशा घर परिवार मे धन की कमी बनी रहती है, घर में कोई न कोई सदस्य बीमारी का शिकार बना रहता है l*

*👉पितृ दोष के लक्षण कौन कौन से है::--------*

*🌻यदि किसी जातक की कुंडली मे पितृदोष है तो उसे जीवन मे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिसमे से कुछ लक्षण इस प्रकार से है। गर्भधारण में समस्या, गर्भपात, मानसिक व शारीरिक दृष्टि से विकलांग बच्चा , बच्चों की अकाल मृत्यु, विवाह में बाधा, वैवाहिक जीवन में क्लेश , बुरी आदत, नौकरी में कठिनाई, क़र्ज इत्यादि।*

*👉पितृ दोष को खत्म करने उपाय::----------*

*🌻ज्योतिष शास्त्र सिर्फ कारणों को नही बताता बल्कि इसका उद्देश्य कारणों को जान उसका निवारण करना है। तो आइए जानते है कैसे दूर होगा कुंडली का पितृदोष।*

*★शनिवार को भोर के समय कच्चा दूध व काले तिल पीपल के वृक्ष पर चढ़ाएँ.!*

*★सोमवार को आक के 21 पुष्प महादेव को अर्पित करे.!*

*★अपने पूर्वजों की निशानी जैसे सोना चांदी इत्यादि को लेकर इसे नदी में प्रवाहित करे.!*

*★अपने से बड़ों का आदर करें.!*

*★घर में स्त्रियों और अपनी माता का सम्मान करें.!*

*★पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में इमली का बांदा लाकर घर में अपने इष्टदेव की नियमित रूप से पूजा-पाठ करे.!*

*★विद्वान ब्राह्मण द्वारा अपने घर में सवा लाख पितृगायत्री का जाप करावे.!*

*🌻इनके अतिरिक्त इस दोष को कम करने के लिए आप अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं, खीर जरूर खिलाएं और मछलियों को आटा खिलाएँ l अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है और उसे अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करना चाहिए। वे भले ही अपने जीवन में कितना ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन उसे अश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। अगर आप भी ऐसी किसी भी परिस्थिति का सामना या फिर किसी समस्या से परेशान है, आप पण्डित इन्द्रकृष्ण भारद्वाज को अपनी कुंडली दिखाकर जान सकते है, कि आपकी कुंडली में पितृ दोष है या नहीं l*

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*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®**👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण ...
05/04/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 05 अप्रैल 2024
🔅 दिन - शुक्रवार
🔅 विक्रम संवत - 2080
🔅 शाकः संवत - 1945
🔅 संवत्सर नाम - पिंगल
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - चैत्र
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - एकादशी
🔅 नक्षत्र - घनिष्ठा
🔅 योग - साध्य
🔅 दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:22 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 18:57 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 28:45 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 15:17 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 11:05 - 12:39 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:19 -13:08 शुभ
🔅 तिथिविशेष - पंचक , पापमोचनी एकादशी ,
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉जानें क्या है हमारे जीवन में रत्नों का महत्व::------*

*🌻हम जिंदगी में सफल होने के लिए, अच्छा स्वास्थ्य रखने के लिए, सुख शांति समृद्धि की इच्छा रखते हुए, बहुत से प्रयत्न करते हैं। ईश्वर पर विश्वास रखते हुए भिन्न-भिन्न तरह से पूजा अर्चना करते हैं। ईश्वर और अध्यात्म से जुड़ कर अपनी मंगल कामनाओं को विश्वास देते हैं। मनुष्य अपने जीवन में अपनी इच्छा पूर्ति के लिए बहुत से प्रयत्न करता है। जिसके लिए मनुष्य कठिन परिश्रम, ईश्वर पर आस्था और श्रद्धा भाव रखता है। यदि यथार्थ पर बात की जाए तो यह अटल सत्य है, कि मनुष्य के जीवन पर ग्रह नक्षत्रों का बहुत असर पड़ता है। अपने-अपने ग्रह नक्षत्र के अनुसार व्यक्ति ग्रह शांति पूजा, ग्रह नक्षत्र को प्रसन्न करने की पूजा आदि करता है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए मनुष्य रत्नों को धारण करते हुए ग्रहों को प्रसन्न करने की कोशिश करता है। और सब अच्छा होगा इस विश्वास को लेकर निश्चिंत हो जाता है।*

*👉क्या आपको चाहिए अनुभवी एक्सपर्ट की सलाह:---*

*◆रत्नों के फायदे व नुकसान:-*

*🌻रत्न प्रकृति को परमात्मा से और ग्रह नक्षत्रों को भाग्य से जोड़ते हैं। कुछ लोग इस पर अंध विश्वास करते हैं कुछ लोग इस पर पूर्ण विश्वास करते हैं। इसी विश्वास और अंधविश्वास का परिणाम हमारे जीवन में फायदे और नुकसान का होता है। सही राशिफल के अनुसार, सही पूजा विधि कर धारण किया हुआ रत्न आकाश की ऊंचाइयों तक ले जाता है वहीं गलत रत्न गलत राशि के अनुसार संपूर्ण विधि संघ धारणा करने पर भारी नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।*

*👉राशिफल अनुसार ही पहने रत्न:-*

*🌻प्रत्येक मनुष्य जन्म कुंडली के अनुसार भिन्न-भिन्न राशियों से जुड़ जाता है। मनुष्य के हाव, भाव, व्यवहार, सुख, शांति, समृद्धि सब कुछ कुंडली और राशिफल पर निर्भर करता है। भाग्य, किस्मत और ग्रह नक्षत्र को अपने जीवन में सकारात्मक पथ पर ले चलने के लिए मनुष्य अपने जीवन काल में अनेकों पूजा पाठ करता है। रत्न धारण भी जीवन सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। लेकिन ध्यान रखें रत्न धारण करते वक्त रत्न सही राशिफल और सही तौर तरीकों से ही धारण करना चाहिए। जानें सही राशिफल और सही रत्न कौन-कौन से होते हैं:--*

*◆मंगल रत्न [मूंगा]*

*◆शुक्र रत्न [हीरा]*

*◆सूर्य रत्न [माणिक्य]*

*◆चंद्रमा रत्न [मोती]*

*◆बुध रत्न [पन्ना]*

*◆बृहस्पति रत्न [पीला पुखराज]*

*◆शनि रत्न [नीलम]*

*◆राहु रत्न [गोमेद]*

*◆केतु रत्न [लहसुनिया]

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29/03/2024

*श्रीसारस्वत पञ्चाङ्ग™----------®*

*👉पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। पंचांग को नित्य पढ़ने और सुनने से देवताओं की कृपा, कुंडली के ग्रहो के शुभ फल मिलते है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना और पढ़ना चाहिए।*

*🐚🌺📜आज का पञ्चाङ्ग📜🌺🐚*

🔅 आज का दिनाँक 29 मार्च 2024
🔅 दिन - शुक्रवार
🔅 विक्रम संवत - 2080
🔅 शाकः संवत - 1945
🔅 संवत्सर नाम - पिंगल
🔅 अयन - उत्तरायण
🔅 ऋतु - बसन्त
🔅 मास - चैत्र
🔅 पक्ष - कृष्णपक्ष
🔅 तिथि - चतुर्थी
🔅 नक्षत्र - विशाखा
🔅 योग - वज्र
🔅 दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
🔅 सूर्योदय - 06:30 मिनट पर
🔅 सूर्यास्त - 18:53 मिनट पर
🔅 चंद्रोदय - 22:42 मिनट पर
🔅 चंद्रास्त - 08:33 मिनट पर
🔅 राहुकाल - 10:09 - 12:42 अशुभ
🔅 अभिजित - 12:19 -13:08 शुभ
🔅 तिथिविशेष - सर्वार्थसिद्धि योग
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*🔱⚜ भाग्योदय के लिए क्या करें⚜🔱*

*👉हथेली पर मौजूद रेखाओं से जुड़े रहस्य::--------*

*🌻हाथ पर बहुत सारी रेखाएं बनी होती है परंतु लोगो को उसके सही अर्थ और महत्व के बारे में जानकारी नहीं होती है। हस्तरेखा शास्त्र में इन्हीं रेखाओं के बारे में पढ़ा जाता है। व्यक्ति के हाथ पर बनी लकीरें उसके भाग्य में जो लिखा होता है उस ओर इशारा करती है। जिनमें से कुछ रेखाएँ सकारात्मक रूप मे प्रभावित करती है तो वहीं कुछ रेखाएँ नकारात्मक रूप से भी प्रभावित करती है। हाथ पर मौजूद कुछ रेखाओं के बारे में जानते हैं.!*

*🌻सबसे पहले बात जीवन हस्तरेखा की करते है, क्योंकि यह रेखा काफी जरूरी होती है। इसका सीधा संबंध जीवन से होता है। यह जिंदगी में होने वाली मुख्य घटनाओं के बारे में बताती है। जिस व्यक्ति के हाथ में ये रेखा गहरी और लंबी होती है उसकी सेहत अच्छी रहती है वहीं जिनके हाथ में यह रेखा पतली या छोटी होती है ऐसे लोगों को शारीरिक परेशानियों का उम्र भर सामना करना पड़ता है।*

*🌻हृदय हस्तरेखा व्यक्ति के प्यार और रिश्तों के बारे में बताती है। यदि किसी व्यक्ति के बारे में जानना हो कि वह कितना भावुक है तो हृदय रेखा देखकर इस बारे में पता लगाया जा सकता है। इस रेखा का संबंध प्रेम जीवन से होता है। हृदय हस्तरेखा सीधी और छोटी होती है तो उसका अर्थ होता है कि व्यक्ति खुद से ज्यादा अपने काम से प्यार करेंगे वहीं जिनकी हाथ में ये रेखा मुड़ी हुई होती है ऐसे लोगों की प्रेम इच्छा बहुत प्रबल होती है।*

*🌻ज्ञान और विवेक की जानकारी देने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं। यह रेखा व्यक्ति के मनोविज्ञान से जुड़े रहस्य खोलती हैं। जो लोग बड़ी आसानी से फैसले ले लेते हैं उन लोगों के हाथ में यह रेखा छोटी होती है। जिन लोगों के हाथ में यह रेखा लंबी होती है वह लोग कोई भी निर्णय गहराई से सोच कर उसके बारे में जानकर जब लेते हैं। यदि किसी के हाथ में यह रेखा लंबी और मुड़ी हुई होती है तो ऐसे लोग काफी रचनात्मक सोच के होते हैं।*

*🌻अक्सर लोग कहते हैं कि यह सब खेल भाग्य का है तो ऐसे में आप अपने भाग्य से जुड़ी रेखा अपने हाथ में ही देख सकते हैं। यदि आपके हाथ में यह रेखा टूटी और हल्की है तो इसका अर्थ है कि आपका भाग्य अच्छा नहीं है और आपको जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। वही यदि यह रेखा जातक के अंगूठे से लगती हुई जीवन रेखा को छूती है तो ऐसे लोगों को परिवार और दोस्तों को सुख जीवन भर मिलता है। इस रेखा से व्यक्ति का भाग्य प्रभावित होता है और जीवन में दुख और सुख आते हैं।*

*🌻यह रेखा सभी लोगों के हाथ में नहीं होती कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके हाथ में इस रेखा का अभाव होता है। हम बात कर रहे हैं सूर्य रेखा की यह रेखा जातक की हथेली पर लम्बवत होती है। यदि किसी व्यक्ति की आत्मविश्वास और योग्यता का आकलन करना है तो इस रेखा से मालूम किया जा सकता है। इस रेखा को उम्र की रेखा भी कहते हैं क्योंकि जिस भी व्यक्ति के हाथ में यह रेखा होती है वह काफी लंबा जीवन व्यतीत करता है।*

*🌻कई बार हथेली पर छोटी छोटी और पतली रेखाएं मौजूद होती है तो जिन लोगों की हथेली पर ऐसी रेखाएं मौजूद होती है वह संवेदनशील होते हैं। यह लोग सही और गलत के बीच अंतर करने में काफी दुविधा महसूस करते हैं जिसके चलते यह लोग कई बार परेशानियों का समाधान भी नहीं निकाल पाते हैं।*

*🌻कुछ लोगों की हथेली पर बहुत कम रेखाएं होती है ऐसे लोग अपनी लगन के पक्के होते हैं और काफी जिद्दी स्वभाव के भी होते हैं। ऐसे लोगों से बात करना मुश्किल होता है क्योंकि यह लोग एक बार जिस काम का मन बना लें उसे पूरा करते हैं। किसी के कहने पर यह खुद को नहीं बदलते हैं।*

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Bikaner
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