Astrologer Sidharth

Astrologer Sidharth Astrologer Sidharth Jagannath Joshi is One of the best astrologer having good practice in India.

On Call ज्‍योतिष परामर्श लेने के लिए किसी भी कार्यदिवस पर सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे के बीच संपर्क किया जा सकता है। कॉल करने से पूर्व यूपीआई नम्‍बर 9413156400 पर 2100 रुपए फीस जमा करवाकर उसका स्‍क्रीनशॉट और अपना जन्‍म विवरण इसी नम्‍बर पर भेजें। He mastered in traditional Parashar paddathi, Lal Kitab, Krishnamurti Paddhati and Vastu Shastra. With his accurate horoscope prediction and effective remedies, he got attention from Indians who are spread all over the globe. His premier customer is from USA, Australia, England, Europe, Middle East, China as well as all over India..

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देश के कुछ सर्वश्रेष्‍ठ ज्‍योतिषियों में से एक नाम है ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी (Astrologer Sidharth Jagannath Joshi)। परम्‍परागत वैदिक ज्‍योतिष के साथ ही लाल किताब, कृष्‍णामूर्ति पद्धति और वास्‍तु शास्‍त्र में श्री जोशी की शानदार पकड़ है। शुरूआती दौर में ही अपने सटीक फलादेशों के चलते ज्‍योतिषी सिद्धार्थ ने देश के प्रमुख ज्‍यो‍तिषियों के साथ आम जातकों का ध्‍यान भी खींचा है।

उनसे सलाह लेकर बेहतर भविष्‍य बना रहे जातकों में केवल भारत में रहने वाले भारतीय ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फैले हजारों भारतीय लाभान्वित हुए हैं। ज्‍योतिषी सिद्धार्थ ने अमरीका, ऑस्‍ट्रेलिया, इंग्‍लैंड, यूरोप के कई देशों, मध्‍य एशिया, चीन और दुनिया के कई दूसरे हिस्‍सों में रह रहे भारतीयों को सेवाएं दी हैं और न केवल उन्‍हें जातक के रूप में बल्कि एक स्‍थाई मित्र के रूप में पाया है।

आगामी 7 सितम्‍बर को श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है जो 21 सितम्‍बर तक चलेगा। इसी एक पक्ष के दौरान दो बार ग्रहण लगेगा। सात सि...
05/09/2025

आगामी 7 सितम्‍बर को श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है जो 21 सितम्‍बर तक चलेगा। इसी एक पक्ष के दौरान दो बार ग्रहण लगेगा। सात सितम्‍बर को चंद्र ग्रहण होगा और 21‍ सितम्‍बर को सूर्य ग्रहण होगा। इन दोनों ग्रहण के दौरान मोटे तौर पर भोजन करने से बचना चाहिए और देव प्रतिमाओं को नहीं छूना चाहिए। इसके अलावा सोशल मीडिया और छोटे वीडियोज में जो भी ग्रहण को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, उनसे बचना चाहिए।

कुछेक ज्‍योतिष रील्‍स बनाने वाले मूर्ख लोगों ने ऐसी रील्‍स बनाई हैं जिसमें कहा गया है कि ग्रहण के दौरान पूजा पाठ न करें। यह पूर्णतया गलत है। ग्रहण के दौरान आवश्‍यक रूप से पूजा पाठ करनी चाहिए। जैसा कि ऊपर लिख चुका हूं केवल ग्रहण काल के दौरान देवविग्रह को छूना निषेध किया गया है, बाकी सूतक काल में भी रूद्राभिषेक जैसे पूजन किए जा सकते हैं। इसके अलावा अपने ईष्‍ट के मंत्र का जाप, गुरूकृपा से मिले मंत्र का जाप और अपने नियमित पूजा क्रम के जप अनुष्‍ठान अवश्‍य करने चाहिए।

ऐसा माना गया है कि होली की रात्रि, दीपावली की रात्रि, नवरात्र की दोनों अष्‍टमी, जन्‍माष्‍टमी और महाशिवरात्रि के अलावा ग्रहण ही ऐसा समय है कि जब पूजा, पाठ और जप का फल सामान्‍य दिनों की तुलना में कहीं अधिक होता है। ग्रहण काल के दौरान किए गए जप का फल को तो सौ गुना तक बताया गया है। पिछले दो दिनों में कई जातकों ने कॉल करके मुझसे इस बारे में पूछ चुके हैं, इस कारण यह पोस्‍ट लिख रहा हूं।

किसी भी प्रकार की भ्रांति न पालें, शंका होने पर सक्षम गुरु अथवा सक्षम साधक से पूछें, सोशल मीडिया की पोस्‍टों और रील्‍स के भरोसे अपनी साधना को प्रभावित न होने दें।

सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी
बीकानेर

#सूर्य_ग्रहण #चंद्र_ग्रहण

आदि शक्ति की गोद में विराजमान गजानन्‍द महादेव और आदिशक्ति के सर्व भूतों के अधिपति होकर गणपति हैं। प्रथम पूज्‍य गणेश के प...
27/08/2025

आदि शक्ति की गोद में विराजमान गजानन्‍द महादेव और आदिशक्ति के सर्व भूतों के अधिपति होकर गणपति हैं। प्रथम पूज्‍य गणेश के पास वे सभी शक्तियां हैं, जो वैदिक युग में इंद्र के पास थी। अपने गोल मटोल शरीर और मोहक मुख से भले ही गणाधीश सौम्‍य दिखाई देते हों, लेकिन वास्‍तव में आप हैं वार लॉर्ड, तभी तो गणपति हुए। भले ही महादेव को सृष्टि में किसी से लड़ने के लिए किसी सेना की आवश्‍यकता नहीं, लेकिन जब भी गणों की सेना कूच करती है या करेगी, तब उसके प्रमुख गणपति ही रहेंगे। रिद्धि सिद्धि तो उनकी गोद में है ही। कष्‍टभंजक की कोई फ्रेंचाइजी नहीं है, अगर कष्‍टों का निवारण चाहिए तो गणेशजी की शरण में जाएं, कष्‍ट हरेंगे, बल भी देंगे और बुद्धि भी। भगवती की गोद से उतरकर अपने मूषक पर सवार हो दस दिन आप हमारे बीच आए हैं, तो दसों दिन हर पथ, वीथिका और आंगन में उत्‍सव रहेगा।

गजानन्‍द भगवान की जय।

#गणेश #चतुर्थी #शुभकामनाएं

रसो वै स:इस सूत्र का अर्थ है परमात्‍मा रस स्‍वरूप है और यह रस आनन्‍ददायक है। दरअसल मानव शरीर भी रसों से ही बना है और जब ...
24/08/2025

रसो वै स:

इस सूत्र का अर्थ है परमात्‍मा रस स्‍वरूप है और यह रस आनन्‍ददायक है। दरअसल मानव शरीर भी रसों से ही बना है और जब तक इन रसों का संतुलित प्रवाह बना रहता है मानव जीवन भी आनन्‍ददायक रहता है। अगर रस में थोड़ा भेद हो जाए तो या तो जीव कष्‍ट में रहेगा या प्रयाण होगा। अनुकूल रस हमें स्‍वस्‍थ और सौभाग्‍यदायक जीवन देता है। आयुर्वेद के अनुसार भोजन के रस छह प्रकार के हैं। मधुर यानी मीठा, अम्‍ल यानी खट्टा, लवण यानी नमकीन, कटु यानी तीखा या चरपरा, तिक्‍त यानी कड़वा और कषाय यानी कसैला। ज्‍योतिष में इन सभी रसों का प्रतिनिधित्‍व करने वाले ग्रह हैं और इसी से ज्‍योतिषीय उपचार भी संभव होते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार सूर्य कड़वा, चंद्रमा नमकीन, मंगल तीखा, गुरु मीठा, शुक्र खट्टा, शनि कसैला और बुध मिश्रित रस वाला ग्रह है। मोटे तौर पर यह जानने के बाद हम इनके कारकत्‍वों के आधार पर सभी खाद्य पदार्थों के रसों और उनके आधिपत्‍य ग्रहों का निर्धारण कर सकते हैं। ये कुछ इस प्रकार होंगे...

गेहूं और जौ पर सूर्य का अधिकार है, ज्‍वार पर बुध, चने पर गुरू, बाजरा पर शनि एवं राहु, चावल पर चंद्र और शुक्र, मसूर दाल पर मंगल, मूंग दाल पर बुध, हवेजी पर गुरु, राजमा पर राहु, दानामेथी पर शनि, सांगरी पर शनि, हल्‍दी पर गुरू, धनिया पर बुध, लौंग पर मंगल, इलायची पर बुध, जायफल पर केतु तथा कड़ी पत्‍ता पर मंगल का अधिकार है। रसोई के ही अन्‍य सामान पर देखें तो सौंफ पर बुध, मक्‍की पर गुरू, अमचूर पर शुक्र, जीरे पर सूर्य, राई पर शनि और राहु, हींग पर राहु, नमक पर चंद्रमा, कलौंजी और सेंधा नमक पर शनि का अधिकार है। ड्राई फ्रूट्स पर सामान्‍य तौर पर शनि का अधिकार होता है, क्‍योंकि इन्‍हें सामान्‍य तौर पर सुखाकर बनाया जाता है। सभी ड्राई फ्रूट्स फल ही नहीं होते, कुछ बीज होते हैं और कुछ फल होते हैं। बादाम, काजू, अखरोट, नेजा और पिस्‍ता जहां बीज हैं वहीं खुमानी, किशमिश, खजूर, अंजीर आदि फल हैं। इसके अलावा केसर पुंकेसर है और गूंद एल्‍केलायड्स हैं। इनमें से बादाम पर राहु का अधिकार है, काजू पर शनि, अखरोट पर बुध और अंजीर पर शुक्र का अधिकार होता है।

इनके वर्गीकरण का मुख्‍य आधार रस होता है, इसके साथ ही फल की प्रकृति, उसके रंग, स्‍वरूप और उत्‍पादन की विधियों के आधार पर भी ग्रहों को उनका कारकत्‍व दिया जाता है। जब ज्‍योतिषीय उपचारों की बात आती है, तब यही रस प्रधान तत्‍व हमें शक्तिशाली ज्‍योतिषीय उपचार देते हैं। मसलन राहु जो कि सबसे ज्‍यादा मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है, उसके उपचार के लिए बादाम का प्रयोग किया जाता है। मंगल के उपचार के लिए मसूर की दाल के जरिए उपचार करवाया जाता है। हटड़ी के मसालों पर संयुक्‍त रूप से सूर्य का अधिकार बताया जाता है, क्‍योंकि यह भोजन में औषधि की भूमिका का निर्वहन करते हैं।

Astrologer Sidharth

भोजन में रस पर चर्चा, शीघ्र इस पर पोस्ट डालूँगा।
23/08/2025

भोजन में रस पर चर्चा, शीघ्र इस पर पोस्ट डालूँगा।

23/08/2025

ज्योतिष शोध संस्थान के तत्वावधान में अक्टूबर २०२४ से चल रही कक्षा और गोष्ठी का स्थान बदल चुका है, यह गोष्ठी अब नत्थूसर गेट के बाहर स्थित राज राजेश्वरी माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर के सभागार में प्रत्येक शनिवार शाम साढ़े छह बजे से साढ़े आठ बजे तक चल रही है।

सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी
अध्यक्ष
ज्योतिष शोध संस्थान, बीकानेर।

95 साल से चल रहा फर्जीवाड़ा...सामान्‍य तौर पर कहा जाता है कि झूठ के पांव नहीं होते, इसका अर्थ होता है कि अगर कोई झूठी बा...
20/08/2025

95 साल से चल रहा फर्जीवाड़ा...

सामान्‍य तौर पर कहा जाता है कि झूठ के पांव नहीं होते, इसका अर्थ होता है कि अगर कोई झूठी बात प्रसारित की गई है तो शीघ्र ही उसका पर्दाफाश हो जाएगा। लेकिन एक झूठ ऐसा है कि आज 95 साल से न केवल चल रहा है, बल्कि बहुत अच्‍छा फल फूल रहा है। जैसे जैसे प्रचार तंत्र अधिक सशक्‍त होते जा रहे हैं, यह झूठ भी अधिक तेजी से अपनी पकड़ बनाता जा रहा है। मैं बात कर रहा हूं दैनिक फलादेशों की...

दरअसल यह बात केवल दैनिक फलादेश ही नहीं बल्कि साप्‍ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक और सामूहिक वार्षिक फलादेशों पर भी लागू होती है। कभी गौर किया है कि ये फलादेश कभी 21 दिन या 40 दिन के क्‍यों नहीं होते? कभी गौर किया है 8 अरब लोगों के भविष्‍य को क्‍या 12 स्‍पष्‍ट भागों में बांटा जा सकता है? ज्‍योतिष की किस शाखा में दैनिक फलादेश निकालने की विधि दी गई है? जब इस प्रकार के फलादेशों की उत्‍पत्ति के बारे में जानेंगे तो हमें पता चलेगा कि क्‍यों यह पद्धति इसी प्रकार से है।

कहानी शुरू होती है 1930 के ग्रेट डिप्रेशन से। अमरीका मंदी की महामारी को झेल रहा था। हालात इतने बुरे थे कि लोग आटे की थैली के बचे हुए कपड़ों से बच्‍चों के वस्‍त्र सिला करते थे। हर बात में मायूसी थी और कहीं आगे बढ़ने का रास्‍ता नहीं मिल रहा था। ऐसे में सुदूर पूर्व यानी भारत से वहां पहुंची एक प्राचीन विधा का दोहन करने का निश्‍चय दो समाचारपत्रों ने किया। पहले का नाम था वाशिंगटन पोस्‍ट और दूसरे का नाम था न्‍यूयार्क टाइम्‍स। इन दोनों अखबारों ने जनता का मोरल बूस्‍ट करने के कई प्रयोग किए, उनमें से सबसे शक्तिशाली प्रयोग सिद्ध हुआ दैनिक फलादेश। यह परफेक्‍ट रेसिपी थी। अव्‍वल तो वहां कोई नहीं जानता था कि दैनिक फलादेश कैसे निकाले जाते हैं। दूसरा भारत को पूरी दुनिया ज्ञान के खजाने के रूप में जानती थी, सो भारत से गई विधा पर लोगों ने आंख मूंदकर भरोसा किया। तीसरे यह विधा पूरी जनता को एक साथ प्रभावित करती थी। चौथा चूंकि लिखने के लिए किसी प्रकार का आधार नहीं था, तो लिखने की पाबंदी भी नहीं थी, सो ऐसे फलादेश लिखे जाते थे, जिससे जनता का मोरल बूस्‍ट किया जा सके।

वास्‍तव में यह ट्रिक काम भी कर गई। सड़कों और रेल लाइन पर काम करने वालों से लेकर वॉल स्‍ट्रीट के ब्रोकर तक सुबह उठने पर सबसे पहले दूसरे पेज पर छपा अपना राशिफल पढ़ते और पूरी ताकत से अपने काम में जुट जाते। इस काम के लिए दोनों समाचारपत्रों ने किसी भी ज्‍योतिषी की सेवा नहीं ली, बल्कि ऐसे लोगों को लिखने के काम में लगाया गया जो गोलमाल भाषा में लिखे। जिसे जो समझना हो समझे, लेकिन अंतत: मोरल बूस्‍ट होना चाहिए। एक तरफ लोगों का खोया आत्‍मविश्‍वास लौट रहा था, दूसरी तरफ समाचारपत्रों की बिक्री में इससे जबरदस्‍त इजाफा हुआ।

कालांतर में अमरीका में मंदी का दौर बीत गया। बीस या तीस साल तक लगातार छपा दैनिक फलादेश का कॉलम अब समाचारपत्रों के लिए गले की हड्डी बन चुका था। दोनों समाचारपत्रों ने कई बार प्रयास किया कि कॉलम को कालांतर में बंद कर दिया जाए, लेकिन पाठक वर्ग इसका आदी हो चुका था। परिणाम यह हुआ कि दोनों अखबार चाहकर भी इसे बंद नहीं कर पाए। समाचारपत्रों का यह स्‍थाई कॉलम बन गया। कई बार विज्ञान को आधार बनाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी किया गया। कार्ल सीगन जैसे विज्ञानवादी कट्टरपंथी को इस काम में झोंका गया। उन्‍होंने ज्‍योतिष के खिलाफ लंबे समय तक मुहिम चलाए रखी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला, लोग पहले की तरह ही अपने दैनिक फलादेश पढ़ते रहे, जो एक झूठ की बुनियाद पर रखे गए थे।

दोनों ही प्रमुख अखबार थे, सो दूसरे अन्‍य अखबारों ने भी इसी सिलसिले को शुरू कर‍ दिया। जिस प्रकार आजकल सूडोकू कॉलम स्‍थाई कॉलम है, इसी प्रकार दैनिक फलादेश का भी स्‍थाई कॉलम बना रहा। कालांतर में साप्‍ताहिक, पाक्षिक और मासिक मैग्‍जींस ने भी इसी प्रकार यह कॉलम शुरू कर दिया। यह माने जाने लगा कि ज्‍योतिष कॉलम बिक्री बढ़ाने में मददगार है। वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद जो समाचारपत्र चार पेज से अधिक बड़े थे, उन्‍होंने भी विदेशी अखबारों की तर्ज पर ज्‍योतिष का कॉलम देना शुरू कर दिया। अंतर बस इतना था कि भारतीय समाचारपत्रों और मैग्‍जींस ने इस काम के लिए ज्‍योतिषी नामधारी व्‍यक्तियों को लेखक के रूप में प्रस्‍तुत किया, ताकि आम जनता का विश्‍वास बनाया जा सके। शुरूआती दौर में परंपरागत ज्‍योतिषियों को यह समझ में भी नहीं आया कि ताजिक नीलकंठी के जरिए मुंथा के जो व्‍यक्तिगत वार्षिक फलादेश निकाले जाते हैं, उसे किस प्रकार दैनिक फलादेश तक लाया जाए। अगर नक्षत्रों के आधार पर भी संपत और विपत के लक्षणों के आधार पर फलादेश किए जाएं तो दैनिक का कोण नहीं बन सकता था।

प्रत्‍येक ज्‍योतिषी ने अपने तरीके से दैनिक फलादेश निकालने की रीति बनाई। अगर गोचर का भी सहारा लिया जाए तो प्रत्‍येक नक्षत्र करीब चौबीस घंटे का होता है, लेकिन यह चौबीस घंटे आज के सूर्योदय से कल के सूर्योदय तक नहीं होते। कभी नक्षत्र बीच दिन में बदल सकता है और कभी पूरे दिन चल सकता है। ऐसे में गोचर की सबसे छोटी इकाई नक्षत्र इस्‍तेमाल नहीं की जा सकती थी। अगर बात करें चंद्रमा के राशि परिवर्तन की, तो इसमें कम से कम सवा दो दिन का समय लगता है, ऐसे में इसे भी इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता। अगर सबसे तेज चलने वाला ग्रह चंद्रमा भी चौबीस घंटे के गोचर में फलादेश उपलब्‍ध नहीं करवा सकता था, तो उससे बड़े ग्रहों से तो उम्‍मीद नहीं ही की जा सकती है। सूर्य, बुध और शुक्र करीब महीने भर में, मंगल डेढ़ महीने में, गुरु एक साल में और शनि तो ढाई साल में राशि गोचर करता है। ऐसे में गोचर के आधार पर दैनिक फलादेश किसी भी सूरत में नहीं बनाए जा सकते।

अपने प्रिंट पत्रकारिता के अनुभव के आधार पर बता सकता हूं कि समाचारपत्र में छपने वाले फलादेश आगामी करीब एक महीने तक पहले ही लिख दिए जाते हैं। मुख्‍यालय से एक फाइल सभी केन्‍द्रों तक जाती हैं, वहां इन फलादेशों को ज्‍यों का त्‍यों चिपका दिया जाता था। अब कभी कभार यह समस्‍या आती कि किसी तकनीकी कारण से फलादेश की फाइल नहीं आती, तो पेज मेकर अपनी इच्‍छा से दो चार महीने पहले के किसी दैनिक फलादेश की फाइल उठाकर ज्‍यों की त्‍यों चिपका देता। किसी को पता भी नहीं चलता था।

जो लोग ज्‍योतिष विषय का मजाक बनाते हैं, उनमें से अधिकांश इन्‍हीं दैनिक फलादेशों का हवाला देते नजर आते हैं, जबकि परंपरागत भारतीय ज्‍योतिष के किसी भी शास्‍त्र में दैनिक फलादेश निकालने की रीति नहीं दी गई है। न पाराशर ने, न वराहमिहीर ने, न गर्ग ने और न किसी अन्‍य प्रमुख ज्‍योतिषी ने दैनिक फलादेश का नाम भी लिया है। अमरीकी मंदी की मार से बचाने के लिए ज्‍योतिष के नाम पर शुरू हुआ फर्जीवाड़ा आज लगभग सौ साल बाद भी चल रहा है। आज यूट्यूब शॉर्ट्स, इंस्‍टाग्राम और फेसबुक तक पर यह बकायदा जारी है। मेरे पुराने जातक जानते हैं कि मैं न तो दैनिक फलादेश की बात करता हूं और न ही इसका समर्थन करता हूं। हां, वार्षिक फलादेश निकालकर देता हूं, यह व्‍यक्तिगत कुण्‍डली पर आधारित होता है। इसमें भी मेरा मुख्‍य प्रयास तात्‍कालिक दशा, अंतरदशा और प्रत्‍यंतर पर आधारित होता है। इसमें न केवल अधिक सटीकता होती है, बल्कि जातक की सही सहायता भी हो पाती है। इसका अंतराल एक वर्ष हो जरूरी नहीं, यह फलादेश 11 महीने के कभी हो सकते हैं और सवा साल के भी।

ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी
बीकानेर

**भावात भाव सिद्धांत**ज्‍योतिष में इस सिद्धांत को सबसे गलत तरीके से समझा गया है। हर नया सीखने वाला ज्‍योतिषी भावात भाव क...
12/08/2025

**भावात भाव सिद्धांत**

ज्‍योतिष में इस सिद्धांत को सबसे गलत तरीके से समझा गया है। हर नया सीखने वाला ज्‍योतिषी भावात भाव को लेकर शुरूआती दौर में ही ढेर सारी गलतियां करता है। पहले समझते हैं कि भावात भाव सिद्धांत क्‍या है।

हम कालपुरुष की कुण्‍डली में मेष लग्‍न को मानते हैं, दूसरा भाव धन का और तीसरा भाव मित्र का होता है। यही तीसरा भाव एग्रीमेंट का भी होता है। अब अगर यह देखा जाए कि यह एग्रीमेंट आगे जाकर बांड में कन्‍वर्ट होगा या नहीं तो इसके लिए पंचम भाव देखा जाएगा, क्‍योंकि पंचम भाव तीसरे से तीसरा भाव है। फुलफिलमेंट ऑफ एग्रीमेंट। दूसरे शब्‍दों में कन्‍या को देखने के लिए गए तो तीसरा भाव ऑपरेट हुआ और सगाई हो गई या बात पक्‍की हो गई तो पंचम भाव ऑपरेट हुआ। यह बांड वास्‍तव में मैटीरियलाइज होगा या नहीं, यानी विवाह होगा या नहीं, इसके लिए सप्‍तम भाव देखा जाएगा जो कि पंचम का तृतीय है। यानी लग्‍न से तीसरे भाव में एग्रीमेंट हुआ, पंचम भाव से सगाई हुई और सप्‍तम भाव से विवाह हुआ। दूसरी पत्‍नी या दोबारा विवाह का अवसर देखना हो तो उसके लिए नवम भाव देखना होगा। सप्‍तम भाव पत्‍नी का होता है और पत्‍नी के बाद दूसरी पत्‍नी नवम भाव से देखेंगे। तीसरा ही भाव छोटे भाई बहिन का भी होता है सो इसी भाव से पत्‍नी के छोटे भाई बहिन भी देखे जाएंगे। इस प्रकार भावात भाव सिद्धांत लागू किया जाता है।

अब गड़बड़ यह होती है‍ कि अधिकांश नए ज्‍योतिषियों को अव्‍वल तो भावात भाव का मूल भाव ही पता नहीं होता, दूसरे कारकत्‍व पर उनकी पकड़ नहीं होती, इसका परिणाम यह होता हैं कि आंय बांय शांय फलादेश चिपका देते हैं। उदाहरण के तौर पर चतुर्थ भाव माता का होता है, इस गरज से चतुर्थ का चतुर्थ भाव माता की माता का होना चाहिए, यानी नानी को सप्‍तम भाव से देख रहे हैं, यह गलत है, क्‍योंकि नाना नानी का कारकत्‍व केतु से देखा जाता है, न कि सप्‍तम भाव से। हम भावात भाव सिद्धांत से एक ही जातक के लगभग सभी रिश्‍तेदारों के बारे में देख सकते हैं। खासतौर पर प्रश्‍न कुण्‍डली में, लग्‍न में यह कुछ मुश्किल होता है, उसके कारण अलग हैं।


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ग्रहों की अवस्‍थाएं और बल... सोशल मीडिया और शॉर्ट्स में इन दिनों काफी देख रहा हूं कि किसी एक ग्रह की एक स्थिति को लेकर ऐ...
11/08/2025

ग्रहों की अवस्‍थाएं और बल...

सोशल मीडिया और शॉर्ट्स में इन दिनों काफी देख रहा हूं कि किसी एक ग्रह की एक स्थिति को लेकर ऐसे फलादेश किए जाते हैं कि अगर उन्‍हें स्‍वयं पाराशर ऋषि सुन ले तो जार जार रोने लगें।

मसलन एक ज्‍योतिषी आएगा और कहेगा कि लग्‍न में सूर्य होने पर जातक प्रभावशाली होता है। अथवा दूसरा ज्‍योतिषी कहेगा कि बारहवें भाव का शुक्र आपको करोड़पति बन जाएगा अथवा चतुर्थ का मंगल होने पर जातक की माता को कष्‍ट रहेगा। मोटे तौर पर इस प्रकार के फलादेश समझे जा सकते हैं, लेकिन वास्‍तव में ज्‍योतिषीय फलित इतना भोथरा नहीं होता। ज्‍योतिषीत फलित सूत्रों की बात तो बहुत दूर की कौड़ी है, केवल एकल ग्रहों की अवस्‍थाएं और बल की बात की जाए तो कम से कम सोलह तरीके के फलादेश होते हैं।

उदाहरण के तौर पर लग्‍न में सूर्य है तो इस सूर्य की दस अवस्‍थाएं और छह प्रकार के बल होंगे। इनमें से जो अवस्‍था और बल होगा, वैसा ही सूर्य से मिलने वाला परिणाम होगा। ग्रहों की दस अवस्‍थाओं में दीप्‍त, स्‍वस्‍थ, मुदित, शांत, शक्‍त, प्रपीडि़त, दीन, खल, विकल और भीत शामिल हैं। ग्रह के उच्‍च, स्‍वग्रही, मूलत्रिकोण, शुभ ग्रहों के वर्ग में, अशुभ ग्रहों के वर्ग में, शत्रु क्षेत्री, नीच, अस्‍त आदि के अनुसार फल में न्‍यून या अधिकता आती है।

इसी प्रकार छह प्रकार के बल होते हैं, इनमें स्‍थानबल, दिग्‍बल, कालबल, चेष्‍टाबल, नैसर्गिक बल और दृग्‍बल शामिल हैं। हर प्रकार के बल में परिणाम अलग अलग होंगे। तो आगे से आप किसी वीडियो में किसी ग्रह के किसी एक भाव या राशि में होने पर कोई एकल फलादेश देखें तो आप उसे सिरे से खारिज कर सकते हैं। क्‍योंकि केवल एक ग्रह के लिए ज्‍योतिषी को सोलह प्रकार के फलादेश कम से कम बताने होंगे और आपको देखना होगा कि उनमें से किस प्रकार की अवस्‍था और किस प्रकार का बल है। उसी के अनुसार फलादेश होगा।

ऐसा नहीं है कि मुझे हर बार इन सोलह अवस्‍थाओं की पृथक गणना करनी पड़ती है। आज दस हजार से अधिक जन्‍मपत्रिकाओं का विश्‍लेषण कर लेने के बाद पत्रिका सामने आते ही ग्रह की स्थिति एक ही नजर में स्‍पष्‍ट हो जाती है। इसके लिए पिछले 27 वर्ष का अनुभव भी काम आता है। लेकिन अगर आप ज्‍योतिष नहीं जानते या नए विद्यार्थी हैं तो ऐसे भोथरे एक मिनट के वीडियो आपको भ्रमित कर सकते हैं।

**us

राज ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशीअगर मेरा आधिकारिक परिचय पूछा जाए तो मैं बीकानेर राजवंश के पहले राज ज्‍योतिषी टीकूजी...
06/08/2025

राज ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी

अगर मेरा आधिकारिक परिचय पूछा जाए तो मैं बीकानेर राजवंश के पहले राज ज्‍योतिषी टीकूजी जोशी के वंश परंपरा में होने के कारण राज ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी कहलाऊंगा। करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व बीकानेर के राज परिवार ने टीकूजी जोशी को राज ज्‍योतिषी के रूप में बीकानेर आमंत्रित किया था। आज उस परिवार के करीब एक हजार सदस्‍य हैं। भाट जाति के जो लोग राजाओं और राजदरबारियों की वंशावली रखते हैं, मेरे ताऊजी ने उनमें से एक भाट से टीकूजी जोशी की वंशावली निकाली तो हमें अपने पुरखों के बारे में पता चला। मैं टीकूजी जोशी की बारहवीं पीढ़ी का वंशज हूं।

बीकानेर का राजपरिवार जूनागढ़ में ही निवास करता था। अब राजपरिवार जहां रहेगा, उनके दरबारी भी वहीं रहेंगे, सो टीकूजी जोशी के वशंज करीब सौ वर्ष पहले तक जूनागढ़ में ही निवास करते थे। हालांकि परिवार बढ़ने के कारण कुछ परिवार गढ़ में रहते और कुछ परिवार बीकानेर शहर में आकर रहने लगे। आज राजतंत्र समाप्‍त हो चुका है, उसके बाद भी आज भी जूनागढ़ में हमारे परिवार के कमरों के अवशेष बने हुए हैं। हमारे कुल देवी, कुल देवता, गणेश और भैरव भी जूनागढ़ में ही है। बीकानेर का प्रसिद्ध जूनागढ़ का गढगणेश मंदिर भी हमारे ईष्‍टदेव लीलरिया गणेशजी ही हैं।

ज्‍योतिषी परिवार होने के कारण मेरे पिता चिकित्‍सक होने के बावजूद ज्‍योतिष में अच्‍छी दखल रखते थे। हालांकि मैंने अपने पिता को बहुत छोटी उम्र में खो दिया था, लेकिन ज्‍योतिष विषय के प्रति मेरा रुझान पारिवारिक माहौल से अधिक नैसर्गिक ही रहा। जिस परिवार में मैं रहा, वहां कभी ज्‍योतिष का नाम भी नहीं लिया जाता था। बीस वर्ष की उम्र में पहली बार ज्‍योतिष विषय से संपर्क हुआ और तब से आज तक सीखने का सिलसिला जारी है। इन वर्षों में बीकानेर के लगभग सभी प्रख्‍यात ज्‍योतिषियों के संपर्क में रहा और सभी वरिष्‍ठजनों से प्रेम से पास बैठाकर बहुत कुछ सिखाया। मैं उन सभी प्रबुद्ध ज्‍योतिषियों के प्रति श्रद्धावनत हूं।

हालांकि अब राजतंत्र नहीं है, फिर भी अपनी ब्‍लडलाइन के कारण वंशानुगत विशेषता और कर्म के प्रभाव से मैं पुन: ज्‍योतिषी हो चुका हूं और गर्व की बात है कि मैं बीकानेर राजवंश के राज ज्‍योतिषियों की साढ़े तीन सौ वर्ष पुरानी परंपरा का वाहक हूं।



सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी
बीकानेर
9413156400

11/07/2025

जिस तरह बस स्‍टैण्‍ड पर बिकने वाली पुस्‍तक "तीस दिन में स्‍वयं चिकित्‍सक बनें", पढ़कर आप डॉक्‍टर नहीं बन सकते, उसी तरह यूट्यूब और सोशल मीडिया पर रीलें देखकर आप ज्‍योतिषी नहीं बन सकते।

अगर कोई अपने भविष्‍य को लेकर गंभीर हो तो उसे निश्चित तौर पर दक्ष ज्‍योतिषी से जन्‍मपत्रिका का विश्‍लेषण करवाना चाहिए। ज्‍योतिष सेल्‍फ हैल्‍प का विषय नहीं है, यह एक प्रकार की बाहरी सहायता है जो विशेषज्ञ ही सही प्रकार दे सकते हैं।

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25/04/2025

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31/03/2025

हालांकि मैं व्‍हाट्सप कम्‍युनिटी के लिए नया हूं, लेकिन प्रयास कर रहा हूं, वहां पर नियमित रूप से ज्‍योतिष संबंधी अपडेट देने का प्रयास करूंगा। हालांकि पहले ग्रुप भी बनाया, वहां भी बहुत अधिक सक्रिय नहीं रहा, लेकिन इस बार कम्‍युनिटी पर सक्रिय रहने का प्रयास रहेगा। अगर आप मेरे ज्‍योतिष अपडेट्स के प्रति रुचि रखते हैं, तो इस लिंक के जरिए जुड़ सकते हैं।
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Astrologer Sidharth Jagannath Joshi is One of the best astrologer having good practice in India. He mastered in traditional Parashar paddathi, Lal Kitab, Krishnamurti Paddhati and Vastu Shastra. With his accurate horoscope prediction and effective remedies, he got attention from Indians who are spread all over the globe. His premier customer is from USA, Australia, England, Europe, Middle East, China as well as all over India. He practices astrology since 1999. Short after his learning course began in 1997; It was not professional till 2003. First he started his office in Bikaner and got the attention of senior astrologers. In 2007, Astrologer Sidharth came in touch with blogging and got national level readership through his blog called “Jyotish Darshan.” With his six years of experience in print media, he wrote enormous out of the box articles in his blog in the Hindi language. Now he successfully runs Parashara ASTRO CONSULTANCY as a CEO. You can find his astrology articles on this website. As he studied in traditional PARASHAR Paddhati, he practices it with his main subject. Other than you will find excellent articles about Traditional Vedic Astrology, Lal Kitab, Krishnamurthi Paddhati(KP), Samudrik Shastra, Prashna Vigyan, Natal Horoscope, Horoscope compatibility and many more. You can find him online on the social network. On Facebook with more than 4 thousand listeners, he communicates live with his clients. On Google+ he has more than 4500 Connections. On Twitter, he has more than thousand followers. The social platform makes him available for your astrological guidance on a daily basis. After a long journey through print media articles, Astrologer Sidharth came back to blogging and wrote almost 200 articles on various issues regarding Astrology and Vastu Shastra. You can find it all right here on this website. If you have Exact birth data, then you can get our all premium services. If you don’t have exact birth data, then you should ask for our “PRASHNA KUNDALI SERVICE.” You will get perfect answer possible. For the record Astrologer Sidharth graduate with Science Biology and Post Graduate with Philosophy. With his Six years of experience in Print media as Sub Editor, he can write deep Astrology subject in a very characteristic and unusual way. देश के कुछ सर्वश्रेष्‍ठ ज्‍योतिषियों में से एक नाम है ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी (Astrologer Sidharth Jagannath Joshi)। परम्‍परागत वैदिक ज्‍योतिष के साथ ही लाल किताब, कृष्‍णामूर्ति पद्धति और वास्‍तु शास्‍त्र में श्री जोशी की शानदार पकड़ है। शुरूआती दौर में ही अपने सटीक फलादेशों के चलते ज्‍योतिषी सिद्धार्थ ने देश के प्रमुख ज्‍यो‍तिषियों के साथ आम जातकों का ध्‍यान भी खींचा है। उनसे सलाह लेकर बेहतर भविष्‍य बना रहे जातकों में केवल भारत में रहने वाले भारतीय ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फैले हजारों भारतीय लाभान्वित हुए हैं। ज्‍योतिषी सिद्धार्थ ने अमरीका, ऑस्‍ट्रेलिया, इंग्‍लैंड, यूरोप के कई देशों, मध्‍य एशिया, चीन और दुनिया के कई दूसरे हिस्‍सों में रह रहे भारतीयों को सेवाएं दी हैं और न केवल उन्‍हें जातक के रूप में बल्कि एक स्‍थाई मित्र के रूप में पाया है। ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी ने वर्ष 1999 में फलादेश देने शुरू कर दिए थे, जबकि इससे महज दो साल पहले 1997 में ही उन्‍होंने सीखने की विधिवत शुरूआत की थी। लेकिन 2003 से पहले तक कभी व्‍यावसायिक उपयोग नहीं किया गया। इसके बाद बीकानेर में ही एक ऑफिस खोलकर ज्‍योतिष को पेशेवर तरीके से अपनाकर उन्‍होंने सेवाएं देनी शुरू की और इसी के साथ श्री जोशी ने वरिष्‍ठ ज्‍योतिषियों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा। वर्ष 2007 में श्री सिद्धार्थ हिंदी ब्‍लॉगिंग से जुड़े। यहीं से उन्‍हें राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पाठक मिलने शुरू हुए। अपने ज्‍योतिष दर्शन नाम से चल रहे ब्‍लॉग में उन्‍होंने करीब दो सौ लेख लिखे हैं। छह साल के पत्रकारित के अनुभव ने उन्‍हें सिखाया कि कैसे ज्‍योतिष जैसे गूढ़ और क्लिष्‍ट विषय को आम बोलचाल की भाषा में पेश किया जाए। इससे पाठकों को भी इस विषय में नित नई जानकारियां मिली। संप्रति ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी पाराशर एस्‍ट्रो कंसल्‍टेंसी के प्रमुख हैं। परम्‍परागत पाराशर ज्‍योतिष को मुख्‍य विषय के रूप में अपनाने के साथ आपने लाल किताब, केपी एस्‍ट्रोलॉजी, सामुद्रिक शास्‍त्र, प्रश्‍न विज्ञान, जातक कुण्‍डली और कुण्‍डली मिलान के साथ कई विषयों पर शोधपरक अध्‍ययन किया है। आप उन्‍हें सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आसानी से खोज सकते हैं। फेसबुक पर चार हजार से अधिक श्रोताओं, गूगल प्‍लस पर साढ़े चार हजार से अधिक मित्रों और ट्विटर पर एक हजार से अधिक फॉलोअर्स के साथ वे लाइव मौजूद रहते हैं। इसके साथ ही ब्‍लॉग पर लिखे 200 से अधिक लेखों को आप इसी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं। ज्‍योतिष विषय संबंधी किसी भी प्रकार की जिज्ञासा का समाधान करने के लिए वे सदैव तत्‍पर हैं। निजी कुण्‍डली विश्‍लेषण के अतिरिक्‍त सभी प्रकार की जिज्ञासाओं का वे नि:शुल्‍क समाधान पेश करते हैं। पाराशर एस्‍ट्रो कंसल्‍टेंसी समूह के प्रमुख ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जोशी के साथ समूह की कोर टीम में श्रीराम बिस्‍सा और प्रीति राजगोर हैं। अगर आपके पास अपने जन्‍म संबंधी सटीक विवरण है। यानी जन्‍म स्‍थान, जन्‍म तिथि और जन्‍म समय, तो आप संस्‍थान की सभी सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। अगर आपके पास सटीक जन्‍म विवरण नहीं है तो इसके लिए संस्‍थान में प्रश्‍न ज्‍योतिष के जरिए आपकी जिज्ञासाओं का समाधान किया जा सकता है। ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी ने जीवविज्ञान में प्रथम श्रेणी से स्‍नातक स्‍तर का अध्‍ययन करने के बाद दर्शनशास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर अध्‍ययन किया और इसके बाद छह साल तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। वर्ष 2011 में पत्रकारिता को अलविदा कहने के बाद वे पूरी तरह से ज्‍योतिष विषय से जुड़ गए हैं।