Head & Neck Surgery Bikaner

Head & Neck Surgery Bikaner हेड एंड नैक कैंसर सर्जरी के लिए उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम एवं सेंटर

"गर्दन के लिम्फ नोड्स की सूजन – इन्फेक्शन या कैंसर?""हर सूजन कैंसर नहीं होती — लेकिन जांच ज़रूरी होती है।"गर्दन में सूजन...
19/07/2025

"गर्दन के लिम्फ नोड्स की सूजन – इन्फेक्शन या कैंसर?"
"हर सूजन कैंसर नहीं होती — लेकिन जांच ज़रूरी होती है।"

गर्दन में सूजन आना एक आम समस्या है — लेकिन इसका मतलब हर बार कैंसर नहीं होता।
लिम्फ नोड्स हमारे शरीर की इम्यून डिफेंस लाइन हैं, जो संक्रमण से लड़ते हैं। जब कोई बीमारी या संक्रमण होता है, तो ये लिम्फ नोड्स सक्रिय होकर सूज जाते हैं।

तो कब ये सामान्य सूजन होती है और कब किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा करती है?

🔍 लिम्फ नोड्स की सूजन के 3 मुख्य कारण:
1️⃣ वायरल/बैक्टीरियल इन्फेक्शन:
– सर्दी, गले में खराश, या मुँह के इंफेक्शन के चलते लिम्फ नोड्स अस्थायी रूप से सूज सकते हैं।
– दर्द होता है, दबाने पर नर्म महसूस होते हैं।
– 1–2 हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं।

2️⃣ टीबी लिम्फेडेनाइटिस (गाँठ वाली टीबी):
– लिम्फ नोड्स धीमे-धीमे बढ़ते हैं, बग़ैर दर्द के।
– बुखार, रात को पसीना और वजन घटना जैसे लक्षण साथ हो सकते हैं।
– जांच से पुष्टि ज़रूरी।

3️⃣ हेड एंड नैक कैंसर या लिम्फोमा:
– लिम्फ नोड्स सख्त, दर्दरहित, और लगातार बढ़ने वाले होते हैं।
– साथ में आवाज़ में बदलाव, निगलने में तकलीफ, या थकान हो सकती है।
– FNAC या बायोप्सी से निदान ज़रूरी होता है।

🏥 कब डॉक्टर से मिलें?
🔸 सूजन 2 हफ्ते से ज़्यादा बनी रहे
🔸 लगातार बढ़ रही हो या सख्त महसूस हो
🔸 बुखार, वज़न घटना, रात में पसीना आना जैसे लक्षण दिखें
🔸 एक से अधिक लिम्फ नोड्स एक साथ सूजे हों

जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के हेड एंड नैक सर्जरी विभाग में डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा के नेतृत्व में लिम्फ नोड्स से जुड़ी हर जटिल स्थिति की FNAC, अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी और आवश्यक सर्जरी जैसी उन्नत जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

⚠️ निष्कर्ष:
हर गांठ कैंसर नहीं —
पर हर गांठ की जाँच ज़रूर होनी चाहिए।

"नए जमाने की तकनीकें – अब हेड एंड नैक सर्जरी आसान और सुरक्षित""कम चीरा, कम दर्द — अब सर्जरी भी स्मार्ट हो चुकी है!"पहले ...
17/07/2025

"नए जमाने की तकनीकें – अब हेड एंड नैक सर्जरी आसान और सुरक्षित"
"कम चीरा, कम दर्द — अब सर्जरी भी स्मार्ट हो चुकी है!"

पहले जहां हेड एंड नैक की सर्जरी का मतलब था बड़ा चीरा, लंबा हॉस्पिटल स्टे और महीनों की रिकवरी — वहीं आज आधुनिक तकनीकों ने इस पूरी प्रक्रिया को तेज़, सुरक्षित और कम दर्दभरा बना दिया है।

जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के हेड एंड नैक सर्जरी विभाग में अब मरीजों को उपलब्ध हैं —

⚙️ 3 प्रमुख अत्याधुनिक तकनीकें:
1️⃣ मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive):
छोटे चीरे से सर्जरी की जाती है, जिससे कम खून बहता है, कम दर्द होता है और मरीज जल्दी स्वस्थ होता है।

2️⃣ माइक्रोस्कोपिक सर्जरी (Microscopic):
आधुनिक ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप्स से बेहद सटीकता के साथ सर्जरी की जाती है – खासकर वोकल कॉर्ड, सैलिवरी ग्लैंड्स और थायरॉयड जैसे नाजुक हिस्सों के लिए।

3️⃣ लेज़र तकनीक:
कैंसर ग्रस्त ऊतक को हटाने के लिए लेज़र बीम का प्रयोग होता है, जिससे टिशू को कम नुकसान होता है और रिकवरी तेज होती है।

डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के अनुभवी हेड एंड नैक सर्जन, मरीजों को सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि आधुनिक और दर्द-मुक्त अनुभव भी देते हैं।
इनकी देखरेख में सैकड़ों मरीजों ने बिना बड़े चीरे के सफल इलाज प्राप्त किया है।

💡 फायदे जो फर्क लाते हैं:
✅ कम हॉस्पिटल में रहना
✅ जल्दी घर वापसी
✅ कम दर्द और सूजन
✅ बेहतर कॉस्मेटिक रिजल्ट
✅ कम संक्रमण का खतरा

"कैंसर के बाद कैसे लौटे आत्मविश्वास?" – एक मनोवैज्ञानिक यात्रा"ज़ख्म केवल शरीर पर नहीं होते — मन पर भी होते हैं। लेकिन ह...
15/07/2025

"कैंसर के बाद कैसे लौटे आत्मविश्वास?" – एक मनोवैज्ञानिक यात्रा
"ज़ख्म केवल शरीर पर नहीं होते — मन पर भी होते हैं। लेकिन हर जख्म भरता है, अगर हम उसकी मरहम बनें।"

कैंसर से लड़ाई सिर्फ शरीर की नहीं होती, यह मन और आत्मा की परीक्षा भी होती है।
हेड एंड नैक कैंसर सर्जरी के बाद — जब चेहरा, आवाज़ या दिनचर्या बदलती है — तब मरीज का आत्मविश्वास सबसे पहले डगमगाता है।

लेकिन यही वह क्षण होता है जहाँ से "मनोवैज्ञानिक रिकवरी" की यात्रा शुरू होती है।

🧠 आत्मविश्वास वापसी के 3 अहम स्तंभ:
1️⃣ आत्म-संवाद (Self-Talk):
हर सुबह खुद से कहिए — "मैं जीवित हूँ, मैंने जीवन को फिर चुना है।"
आत्म-प्रेरणा की ताकत दवाइयों से कम नहीं होती।

2️⃣ परिवार और सामाजिक सहयोग:
आपका सबसे बड़ा सहारा वही होते हैं जो बिना पूछे हाथ थाम लें।
आपका आत्मविश्वास उनके भरोसे से ही खिलता है।

3️⃣ पेशेवर काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप्स:
मनोवैज्ञानिक परामर्श से आप अपने डर, चिंता और आत्म-संदेह से मुक्त हो सकते हैं। साथ ही, उन्हीं जैसे लोगों की कहानियाँ सुनना आपको नई ऊर्जा दे सकता है।

जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के हेड एंड नैक सर्जरी विभाग में डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा न केवल चिकित्सकीय इलाज में माहिर हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहयोग को भी उतना ही ज़रूरी मानते हैं।
यहाँ मरीजों को सिर्फ शरीर ही नहीं, मन को भी स्वस्थ रखने के लिए थैरेपी और काउंसलिंग की सुविधा दी जाती है।

📝 याद रखें:
💡 "कैंसर ने आपको छुआ — लेकिन हराया नहीं।
आपका आत्मविश्वास ही आपकी असली ताक़त है।"

"जब आवाज़ आपकी पहचान हो — तो उसका बदलना एक चेतावनी भी हो सकता है।"अगर आपकी आवाज़ लगातार भारी, बैठी हुई या थकी हुई लगती ह...
13/07/2025

"जब आवाज़ आपकी पहचान हो — तो उसका बदलना एक चेतावनी भी हो सकता है।"
अगर आपकी आवाज़ लगातार भारी, बैठी हुई या थकी हुई लगती है — तो इसे अनदेखा न करें।

क्या आपने हाल ही में महसूस किया है कि:

🔸 आपकी आवाज़ पहले जैसी नहीं रही?
🔸 बोलते समय गला जल्दी थक जाता है?
🔸 लगातार गले में घरघराहट या खराश रहती है?
🔸 या फिर लोग कहते हैं कि आपकी आवाज़ भारी या रुकी-रुकी सी लगती है?

अगर हाँ, तो यह केवल वायरल इन्फेक्शन या खाँसी नहीं — वोकल कॉर्ड पर तनाव, नोड्यूल्स, पॉलिप्स या प्रारंभिक स्वरयंत्र (laryngeal) कैंसर का संकेत भी हो सकता है।

2 हफ्तों से ज़्यादा चलने वाला कोई भी आवाज़ में बदलाव,
✅ विशेष रूप से बिना खांसी-बुखार के
✅ या बोलने में असहजता के साथ —
तो तुरंत हेड एंड नैक सर्जन से संपर्क करें।

जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर में, हेड एंड नैक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ
डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा
ऐसे मामलों की गहन जाँच (लारिंगोस्कोपी, FNAC, एंडोस्कोपी) करके सही निदान और उपचार करते हैं।
यहाँ पर मरीजों को आवाज संरक्षण तकनीकों और रिकवरी-सहायक थैरेपी भी प्रदान की जाती है।

📢 याद रखें:
👉 “आवाज़ बदलना” कभी-कभी अंदरूनी बीमारी का पहला संकेत होता है।
👉 जितनी जल्दी जांच कराएँगे, उतना ही सफल इलाज संभव है।

श्वास नली में फंसी थी सेफ्टी पिन, ऑपरेशन कर निकाली, बच्चे को मिली नई ज़िन्दगी - जीवन रक्षा में 6 साल के बच्चे को मिला नया...
06/07/2025

श्वास नली में फंसी थी सेफ्टी पिन, ऑपरेशन कर निकाली, बच्चे को मिली नई ज़िन्दगी - जीवन रक्षा में 6 साल के बच्चे को मिला नया जीवन

मृत्यु के जबड़े से छीनकर, 6 महीने के एक मासूम बच्चे को जीवन का वरदान मिला, जब बीकानेर के जीवन रक्षा अस्पताल के देवदूत रूपी ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण छींपा और डॉ. नितिन गुप्ता ने एक अत्यंत जटिल और जानलेवा मामले में अद्भुत कौशल का प्रदर्शन किया। यह केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि नियति को चुनौती देने वाली एक गाथा है, जिसमें डॉक्टर्स की निपुणता ने एक परिवार के टूटते सपनों को फिर से जोड़ दिया।

मामला एक 6 महीने के उस अबोध शिशु का था, जिसने अनजाने में एक सेफ्टी पिन निगल ली थी। यह छोटी सी धातु की वस्तु, साक्षात यमदूत बनकर, बच्चे की श्वास नली में ऐसे फंसी थी कि मानो काल ने अपना पाश कस लिया हो। बच्चे के जीवन पर 'अंतिम जोखिम' मंडरा रहा था। डूंगरगढ़ के रहने वाले इस बच्चे के माता-पिता, अपनी आँखों में अनगिनत आँसू और दिल में अथाह वेदना लिए, अनेक अस्पतालों और चिकित्सकों के द्वार खटखटा चुके थे। लेकिन, यह मामला इतना जोखिम भरा था कि किसी भी जगह उन्हें उपचार की किरण नहीं दिख रही थी। हर जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी, मानो स्वयं भाग्य भी उनके विरुद्ध खड़ा हो।

जब हर आशा की लौ बुझने लगी, तब बच्चे के परिजन, किसी रिश्तेदार के मार्गदर्शन में, बीकानेर के जीवन रक्षा अस्पताल पहुँचे। यहाँ उनकी भेंट हुई उस चिकित्सा युगल से, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है – डॉ. प्रवीण छींपा और डॉ. नितिन गुप्ता। इन दोनों चिकित्सकों की जोड़ी ने, जैसे ही मामले की गंभीरता को समझा, अपनी सारी विशेषज्ञता और अनुभव को दाँव पर लगा दिया। यह कोई साधारण ऑपरेशन नहीं था, बल्कि कला और विज्ञान का एक ऐसा संगम था जहाँ त्रुटि की कोई गुंजाइश नहीं थी।

डॉ. छींपा और डॉ. गुप्ता ने, अपनी अद्वितीय सूझबूझ और स्थिर हाथों से, 'ब्रोंकोस्कोपी' नामक उस जादुई प्रक्रिया को अंजाम दिया। यह प्रक्रिया इतनी नाजुक थी कि थोड़ी सी भी चूक, बच्चे के लिए प्राणघातक हो सकती थी। लेकिन, इन दोनों 'जीवन रक्षकों' ने, अपने अदम्य साहस और बेजोड़ दक्षता से, बच्चे की श्वास नली में फंसी उस घातक सेफ्टी पिन को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया। जिस पल वह पिन बाहर आई, उस पल अस्पताल में उपस्थित हर व्यक्ति ने राहत की साँस ली, मानो स्वयं ईश्वर ने हस्तक्षेप किया हो।

यह केवल एक चिकित्सा सफलता नहीं है, बल्कि मानव जीवन के प्रति समर्पण और अदम्य इच्छाशक्ति का एक ज्वलंत उदाहरण है। बच्चे के परिजन, जो कुछ पल पहले तक मृत्यु के भय से काँप रहे थे, अब कृतज्ञता से भर उठे हैं। उनकी आँखों में अब आँसू नहीं, बल्कि आनंद और कृतज्ञता की चमक है। उन्होंने डॉ. प्रवीण छींपा और डॉ. नितिन गुप्ता के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया है, उन्हें 'भगवान का दूसरा रूप' बता रहे हैं। यह घटना बीकानेर के चिकित्सा जगत में एक मील का पत्थर बन गई है, जो यह साबित करती है कि सही हाथों में, जीवन की डोर कितनी सुरक्षित होती है। डॉ. छींपा और डॉ. गुप्ता ने न केवल एक बच्चे का जीवन बचाया है, बल्कि अनगिनत लोगों के लिए आशा का एक नया अध्याय भी लिखा है।

Early Signs of Head & Neck Cancer in Women” – महिलाओं में हेड एंड नैक कैंसर के शुरुआती लक्षणहर थकान सिर्फ थकान नहीं होती...
28/06/2025

Early Signs of Head & Neck Cancer in Women” – महिलाओं में हेड एंड नैक कैंसर के शुरुआती लक्षण
हर थकान सिर्फ थकान नहीं होती – जानिए वो संकेत जो महिलाओं को नज़रअंदाज़ नहीं करने चाहिए।

महिलाओं की जिम्मेदारियाँ अक्सर उन्हें अपनी सेहत के प्रति लापरवाह बना देती हैं। लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं जिन्हें अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है — ये हेड एंड नैक कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं:

🚩 महिलाओं में देखे जाने वाले 5 आम लक्षण:
आवाज़ में बदलाव या भारीपन: यदि यह 2 हफ्तों से ज़्यादा समय तक बना रहे।

मुँह में बार-बार छाले या सफेद/लाल चकत्ते: जो ठीक न हो रहे हों।

एक तरफ़ के कान में लगातार दर्द: बिना किसी संक्रमण के।

गर्दन में गांठ या सूजन: जो धीरे-धीरे बढ़ रही हो।

बिना कारण वजन घटना और थकान: शरीर की अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकता है।

🛑 महिलाएं अक्सर क्यों चूक जाती हैं?
🔹 “गला बैठ गया है, आराम से ठीक हो जाएगा।”
🔹 “घर के काम से थक गई हूँ।”
🔹 “किसी को बताऊंगी तो समाज क्या सोचेगा?”

यही सोच बीमारी को बढ़ने देती है।

🏥 विशेषज्ञों की राय:
जीवन रक्षा अस्पताल बीकानेर के हेड एंड नैक सर्जन
डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा बताते हैं:

“महिलाओं में हेड एंड नैक कैंसर की पहचान अक्सर देर से होती है क्योंकि लक्षणों को नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। हमारी सलाह है — किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज़ न करें।”

💡 संदेश:
👩‍⚕️ खामोश दर्द, सबसे बड़ा खतरा होता है।
⏳ समय पर की गई जांच और इलाज, जीवन बचा सकता है।
🙋‍♀️ स्वास्थ्य सबसे पहले — आप पहले।

📍 संपर्क करें:
जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर
हेड एंड नैक सर्जरी विभाग
डॉ. नितिन गुप्ता | डॉ. प्रवीण छींपा

कैंसर से जुड़ी शर्म और डर – कब और क्यों बोलना ज़रूरी है?"बीमारी बताने में शर्म कैसी? इलाज ना लेने में खतरा ज़्यादा है।"भ...
26/06/2025

कैंसर से जुड़ी शर्म और डर – कब और क्यों बोलना ज़रूरी है?
"बीमारी बताने में शर्म कैसी? इलाज ना लेने में खतरा ज़्यादा है।"

भारत के कई हिस्सों में, ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, गले की गांठ, मुंह का छाला, या लगातार बैठी आवाज़ जैसे लक्षणों को छुपा लिया जाता है।
"लोग क्या कहेंगे?"
"ये मुँह कैंसर जैसी बीमारी कैसे हो सकती है?"
"बोलने की दिक्कत है, लेकिन इलाज कराने में डर लगता है।"

यही चुप्पी, कई बार ज़िंदगी को जोखिम में डाल देती है।

👩‍⚕️ विशेष रूप से महिलाओं के लिए संदेश:
महिलाएं अक्सर परिवार की जिम्मेदारियों में खुद की सेहत को टाल देती हैं। लेकिन गले या मुँह में कोई भी बदलाव हो — जैसे:
🔹 बोलने में परेशानी
🔹 आवाज़ में भारीपन
🔹 मुँह न खुल पाना या जलन
🔹 गर्दन में गांठ
तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ये लक्षण शुरुआती हेड एंड नैक कैंसर के संकेत हो सकते हैं।

🏥 विशेषज्ञों की सलाह:
डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा, हेड एंड नैक सर्जन, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर कहते हैं:
"कई बार सिर्फ समय पर बोला गया एक वाक्य — 'डॉक्टर से मिलना है' — ज़िंदगी बचा सकता है।"

हम चाहते हैं कि हर मरीज बिना किसी डर, शर्म या सामाजिक संकोच के इलाज के लिए आगे आए। आपकी आवाज़, आपकी पहचान है — उसे सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है।

📢 यह याद रखें:
🙋‍♀️ बीमारी को छुपाने से नहीं, समझने और बोलने से समाधान मिलता है।
💬 कैंसर पर चुप्पी नहीं — संवाद ज़रूरी है।
👨‍⚕️ जितनी जल्दी पहचान, उतना सफल इलाज।

🏥 Presented by:
हेड एंड नैक सर्जरी विभाग, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर
Dr. Nitin Gupta | Dr. Praveen Chhimpa

"Patient Journey in 5 Steps – एक सुरक्षित इलाज की पूरी प्रक्रिया""इलाज की प्रक्रिया को समझें – डर कम होगा, भरोसा बढ़ेगा!...
23/06/2025

"Patient Journey in 5 Steps – एक सुरक्षित इलाज की पूरी प्रक्रिया"
"इलाज की प्रक्रिया को समझें – डर कम होगा, भरोसा बढ़ेगा!"

🧭 मरीज की यात्रा – 5 आसान लेकिन अहम कदम:
🔹 1. लक्षण दिखाई देना
गले में गांठ, आवाज़ में बदलाव, निगलने में कठिनाई, या लगातार गले की खराश – ये सभी हेड एंड नैक कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

🔹 2. जीवन रक्षा अस्पताल में जांच
हमारे अनुभवी विशेषज्ञों डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा द्वारा की जाती है पूरी क्लिनिकल जांच, जिसमें शामिल होती है FNAC, स्कैन और एंडोस्कोपी जैसी तकनीकें।

🔹 3. निदान (Diagnosis)
सभी रिपोर्ट्स के आधार पर स्पष्ट रूप से तय किया जाता है कि समस्या क्या है – कैंसर है या नहीं, और यदि है तो किस स्टेज पर है।

🔹 4. सर्जरी / इलाज
यदि ज़रूरत हो तो उन्नत तकनीकों द्वारा सर्जरी की जाती है। अन्यथा, दवा या कीमो/रेडिएशन से इलाज होता है — पूरी प्रक्रिया को मरीज और परिवार की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर संचालित किया जाता है।

🔹 5. रिकवरी व फॉलोअप
सर्जरी के बाद की थैरेपी, नियमित फॉलोअप जांच, और मानसिक परामर्श — ताकि मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सके और दोबारा सामान्य जीवन जी सके।

💬 डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के वरिष्ठ हेड एंड नैक सर्जन, कहते हैं:
"हर मरीज की यात्रा अलग होती है, लेकिन सही समय पर इलाज शुरू करके हम उसका जीवन बचा सकते हैं।"

📌 उद्देश्य:
यह पोस्ट मरीजों और उनके परिजनों को इलाज की प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक समझाने और निर्णय में साहस देने के लिए बनाई गई है।

"योग: शरीर ही नहीं, श्वास और स्वर का भी रक्षक""स्वस्थ गला, संतुलित श्वास, और सकारात्मक मन – योग से मिलती है इन सबको शक्त...
20/06/2025

"योग: शरीर ही नहीं, श्वास और स्वर का भी रक्षक"
"स्वस्थ गला, संतुलित श्वास, और सकारात्मक मन – योग से मिलती है इन सबको शक्ति।"

🌿 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर का हेड एंड नैक सर्जरी विभाग यह संदेश देता है कि योग केवल शरीर को लचीला बनाने का माध्यम नहीं है — यह आपके गले, सांस और बोलने की क्षमता को भी गहराई से प्रभावित करता है।

विशेष रूप से ये 3 योग अभ्यास हेड एंड नैक हेल्थ के लिए उपयोगी हैं:

प्राणायाम (Anulom Vilom, Bhramari):
वोकल कॉर्ड और श्वास तंत्र को मज़बूत बनाते हैं।

सिंहासन (Simhasana):
गले की मांसपेशियों को सक्रिय कर वाणी में स्पष्टता लाता है।

शवासन और ध्यान:
मानसिक तनाव को कम करके कैंसर रिकवरी में सहायता करते हैं।

🩺 विशेषज्ञ संदेश:
डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा, वरिष्ठ हेड एंड नैक सर्जन, कहते हैं:
"सर्जरी के बाद मानसिक संतुलन और श्वास पर नियंत्रण – दोनों में योग का अद्वितीय योगदान होता है।"

🧘 इस योग दिवस पर संकल्प लें:
– हर दिन 15 मिनट योग को दें
– अपनी सांसों और आवाज़ का सम्मान करें
– शरीर, मन और आत्मा को जोड़ें — योग के माध्यम से

🏥 Presented by:
हेड एंड नैक सर्जरी विभाग, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर
Dr. Nitin Gupta | Dr. Praveen Chhimpa

“What is FNAC? – सर्जरी से पहले की सबसे ज़रूरी जांच”FNAC (Fine Needle Aspiration Cytology) एक सरल, सुरक्षित और लगभग दर्द...
18/06/2025

“What is FNAC? – सर्जरी से पहले की सबसे ज़रूरी जांच”
FNAC (Fine Needle Aspiration Cytology) एक सरल, सुरक्षित और लगभग दर्दरहित जांच प्रक्रिया है। इसमें एक बेहद बारीक सुई के माध्यम से गांठ या सूजन वाले हिस्से से कुछ कोशिकाएँ निकाली जाती हैं और माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

❓ ये जांच क्यों ज़रूरी है?
गांठ का कारण पता करने के लिए:
यह जांच बताती है कि गांठ कैंसरजन्य है या सिर्फ इंफेक्शन या सामान्य सूजन।

बिना सर्जरी निदान:
इससे बड़ी बायोप्सी या सर्जरी से पहले ही ज़रूरी जानकारी मिल जाती है।

सही और सटीक इलाज की योजना:
FNAC के परिणाम से डॉक्टर तय कर सकते हैं कि क्या सर्जरी ज़रूरी है, या केवल दवा से इलाज हो सकता है।

🧾 FNAC का परिणाम क्या दर्शाता है?
FNAC रिपोर्ट में कोशिकाओं की प्रकृति का उल्लेख होता है:

🔹 Benign (सौम्य): कैंसर नहीं है
🔹 Malignant (कैंसरजन्य): कैंसर की पुष्टि
🔹 Inflammatory: सिर्फ संक्रमण या सूजन
🔹 Suspicious: और गहन जांच की आवश्यकता

📍 FNAC कहाँ कराएं?
जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर में अनुभवी सर्जन
डॉ. नितिन गुप्ता एवं डॉ. प्रवीण छींपा के नेतृत्व में FNAC की सुविधा विशेषज्ञ पैथोलॉजिस्ट की देखरेख में उपलब्ध है — जिससे रिपोर्ट सटीक और समय पर मिलती है।

💡 नोट:
हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन उसे अनदेखा करना समझदारी नहीं है। FNAC जांच से शुरुआत करें – जानिए, समझिए और सुरक्षित रहें।

"गले में खराश कब बनती है खतरे का संकेत?""हर बार की खराश सिर्फ वायरल नहीं होती – कुछ संकेतों को हल्के में न लें!"⚠️ कब हो...
15/06/2025

"गले में खराश कब बनती है खतरे का संकेत?"
"हर बार की खराश सिर्फ वायरल नहीं होती – कुछ संकेतों को हल्के में न लें!"

⚠️ कब होती है सामान्य खराश?
गले की खराश अधिकतर मामलों में सामान्य होती है जब:

🔸 मौसम बदल रहा हो
🔸 वायरल इंफेक्शन या सर्दी-जुकाम हो
🔸 बहुत ज़्यादा बोलने या गाने से गला बैठ गया हो
🔸 प्रदूषण या धूल से हल्की जलन हो

👉 ऐसे मामलों में 3–5 दिन में आराम मिल जाता है।

🚨 लेकिन सावधान रहें अगर…
अगर नीचे दिए गए लक्षण 15 दिनों से ज़्यादा समय तक बने रहें:

🔹 आवाज़ में लगातार भारीपन या बदलाव
🔹 निगलने में दिक्कत या दर्द
🔹 गले में गांठ या सूजन महसूस होना
🔹 बिना खांसी के लगातार गला बैठना
🔹 कान में दर्द जो गले से जुड़ा हो

❗ यह लक्षण लैरिंक्स (स्वरयंत्र), वोकल कॉर्ड, या हेड एंड नैक कैंसर से जुड़े हो सकते हैं।

🩺 क्या करें?
👉 लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें।
👉 तुरंत हेड एंड नैक सर्जरी विशेषज्ञ से परामर्श लें।

जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर में उपलब्ध हैं अनुभवी सर्जन
डॉ. नितिन गुप्ता एवं डॉ. प्रवीण छींपा, जो गले की हर जटिल स्थिति की सटीक जांच और उन्नत उपचार में माहिर हैं।

✅ नोट:
जल्दी की गई जांच से बीमारी की सही पहचान और इलाज संभव है। जागरूक रहें — यह आपके जीवन को बचा सकता है।

"Cancer Myths vs Facts – कैंसर से जुड़ी गलतफहमियों को तोड़ें"📍"कैंसर के बारे में फैली कुछ आम लेकिन खतरनाक गलतफहमियाँ, जि...
10/06/2025

"Cancer Myths vs Facts – कैंसर से जुड़ी गलतफहमियों को तोड़ें"
📍"कैंसर के बारे में फैली कुछ आम लेकिन खतरनाक गलतफहमियाँ, जिनसे आपको अब सचेत रहने की ज़रूरत है।
डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा, जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर के वरिष्ठ हेड एंड नैक सर्जन, इन मिथकों को तोड़ते हैं ताकि आप समय रहते सही कदम उठा सकें।"

❌ Myth 1:
ओरल कैंसर सिर्फ बुज़ुर्गों को होता है।
✅ Fact:
अब यह कैंसर 30–40 की उम्र वालों में भी देखा जा रहा है, खासकर जो तंबाकू या गुटखा का सेवन करते हैं।

❌ Myth 2:
अगर कोई गांठ दर्द नहीं कर रही तो वह खतरनाक नहीं है।
✅ Fact:
कैंसर की गांठें अक्सर painless होती हैं। दर्द ना होना इसका मतलब नहीं कि यह सामान्य है।

❌ Myth 3:
ओरल या थायरॉयड कैंसर केवल पुरुषों को होता है।
✅ Fact:
यह भ्रम है। महिलाएं भी इन कैंसर से प्रभावित हो सकती हैं, खासकर हार्मोनल असंतुलन या लाइफस्टाइल के कारण।

❌ Myth 4:
गले की खराश या आवाज़ में बदलाव सर्दी-जुकाम के कारण ही होता है।
✅ Fact:
अगर आवाज़ 2 हफ्तों से ज़्यादा भारी है, तो यह वोकल कॉर्ड या लारिंक्स कैंसर का लक्षण हो सकता है।

❌ Myth 5:
अगर परिवार में कैंसर का इतिहास नहीं है तो मुझे नहीं हो सकता।
✅ Fact:
90% हेड एंड नैक कैंसर के मामले बिना पारिवारिक इतिहास के होते हैं। आपके lifestyle और पर्यावरणीय कारण ज्यादा जिम्मेदार होते हैं।

📍 नोट:
अगर आपको ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण से मेल खाता अनुभव हो, तो जीवन रक्षा अस्पताल, बीकानेर में डॉ. नितिन गुप्ता और डॉ. प्रवीण छींपा से संपर्क करें।

🩺 आपकी जागरूकता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।

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