
17/02/2023
कैंप में होने वाले अधिकतर मोतियाबिंद की सर्जरी "𝗦𝗜𝗖𝗦" होती है ! अत्याधुनिक टॉपिकल फेको विधि की सर्जरी से मरीजों को 𝟭𝟮 फायदे होते हैं ।
नेत्र विज्ञानं ने पिछले तीस सालों में काफी तरक्की की है और सफ़ेद मोतियाबिंद के आपरेशन में काफी बदलाव हुए हैं |
आजकल यह आपरेशन मुख्यतः दो तरह से होते हैं, छोटे चीरे द्वारा (SICS) और सूक्ष्म चीरे (फेको विधि) द्वारा (Phaco).
𝗠𝗮𝗻𝘂𝗮𝗹 𝗦𝗺𝗮𝗹𝗹 𝗜𝗻𝗰𝗶𝘀𝗶𝗼𝗻 𝗖𝗮𝘁𝗮𝗿𝗮𝗰𝘁 𝗦𝘂𝗿𝗴𝗲𝗿𝘆 - छोटे चीरे द्वारा सफेद मोतियाबिंद का ऑपरेशन
इस ऑपरेशन में सुन्न करने के लिए आंख में सुई लगानी पड़ती है । आपरेशन के बाद पट्टी बांधी जाती है जोकि अगले दिन खोली जाती है । एक महीने तक परहेज़ रखने पड़ते हैं - जैसे पढ़ना, टीवी देखना, आफिस जाना, खाना बनाना, इत्यादि । एक महीने के बाद चश्मे का नंबर दिया जाता है, जिसे लगा कर ही दूर और पास का साफ दिखता है ।
𝗣𝗵𝗮𝗰𝗼𝗲𝗺𝘂𝗹𝘀𝗶𝗳𝗶𝗰𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻 𝗖𝗮𝘁𝗮𝗿𝗮𝗰𝘁 𝗦𝘂𝗿𝗴𝗲𝗿𝘆 𝗼𝗿 𝗣𝗵𝗮𝗰𝗼 𝗦𝘂𝗿𝗴𝗲𝗿𝘆 - सूक्ष्म चीरे (फेको विधि) द्वारा सफेद मोतियाबिंद का ऑपरेशन
इस ऑपरेशन में कोई सुई नहीं लगती, कोई पट्टी नहीं बांधी जाती, आपरेशन के तुरंत बाद काला चश्मा लगा कर घर जा सकते हैं । पांचवे दिन से ही सिर से नहाना और अधिकतर काम शुरू कर सकते हैं - जैसे पढ़ना, टीवी देखना, आफिस जाना, खाना बनाना, इत्यादि ।
फेको विधि से मोतियाबिंद के आपरेशन के बारह फायदे !
१) सूक्ष्म चीरा (२.२ मिमी अथवा १.८ मिमी), सूक्ष्म चीरे की वजह से घाव जल्दी भर जाता है, रौशनी जल्दी आ जाती है, आँखों के आकर पर कम फर्क पड़ता है, जिससे बाद में देखने के लिए चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती |
२) आपरेशन के पहले सुन्न करने के लिए कोई सुई नहीं, सिर्फ ड्राप डाल कर आपरेशन हो जाता है | सुई की वजह से दर्द, आँखों के चारो तरफ काला पड़ना इत्यादि नहीं होता है |
३) कोई पट्टी नहीं, आपरेशन के तुरंत बाद काला चश्मा लगा कर घर जा सकते हैं | एक आँख वाले मरीजों के लिए उपयोगी, पट्टी की वजह से वो रात भर के लिए अंधे हो जायेंगे |
४) कोई टांका नहीं, टाँके की वजह से घाव के पकने का खतरा ज्यादा होता है, चुभन की शिकायत होती है और टाँके को महीने के बाद कटवाना भी पड़ता है |
५) दूर / पास देखने के लिए कोई चश्मा नहीं लगता है |
६) सूक्ष चीरे की वजह से आँखों में खडकन, खुजली, भारीपन और दर्द की शिकायत कम या नहीं होती है |
७) पांचवें दिन से सिर से नहा सकते हैं |
८) पांचवें दिन से खाना बना सकते हैं |
९) पांचवें दिन से टीवी देख सकते हैं |
१०) पांचवें दिन से ऑफिस जा सकते हैं |
११) पांचवें दिन से दूर - पास बिना चश्मे के दिखाई देने लगता है |
१२) तरह तरह के लेंसों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जिससे चश्में पर निर्भरता मन मुताबिक हो सके ।
नरेश चंदेल पीपाड़ बिलाड़ा ऑप्टोमेट्रिस्ट