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फैमिली काउंसलिंग सेंटर के पिछले सप्ताह के रविवार की बैठक में कई मामलों की सफाई हुई सनी 388 1c सेक्रेटरी पूर्णिमा सिंह जी...
21/07/2025

फैमिली काउंसलिंग सेंटर के पिछले सप्ताह के रविवार की बैठक में कई मामलों की सफाई हुई सनी 388 1c सेक्रेटरी पूर्णिमा सिंह जी के आवास पर हुआ

01/07/2024

प्रेस विज्ञप्ति 30 जून 2024

फैमिली काउंसलिंग सेंटर बोकारो के अध्यक्ष शीला प्रसाद एवं सचिव पूर्णिमा सिंह ने गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिखकर के 1 जुलाई से लागू हो रहे तीन कानून आपराधिक कानून भारतीय न्याय कानून 2023 , भारतीय नागरिक सुरक्षा कानून 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 तीनों कानून को नए रूप में देश के सामने प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद, लेकिन जिस तरह से सूचना का अधिकार के कानून के देश के नौकरशाही ने बेकार कर दिया l जिस प्रकार तीन तलाक का कानून मौलवियों ने निष्प्रभावी कर दिया इस तरह से तीनों कानून की जो अच्छाइयां है इसको हमारे सरकारी अधिकारी प्रभावित न करें इसका एक प्रावधान करना जरूरी है नया प्रावधान है कि पीड़ित व्यक्ति देश के किसी भी कोने में किसी भी थाने में अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है भले शिकायत किसी दूसरे राज्य का भी हो तो भी पहले भी इसका प्रावधान था किंतु पुलिस इसको बहाना बनाकर के लागू नहीं करती थी lकानून की मनसा के अनुरूप थाना कार्य करें इसके लिए व्यवस्था करने को कहा lकानून में कहा है कि दायर शिकायत की एक प्रति मिलनी चाहिए वह मिलेगी वास्तव में पुराने कानून के तहत हर प्रकार की प्रति शिकायतकर्ता को मिलनी है यहां तक की पुलिस द्वारा जांच का अंतिम प्रतिवेदन उसकी भी प्रति मिलनी है लेकिन फैमिली काउंसलिंग सेंटर ने कहा है कि पूरे देश में पुलिस अपने अनुसंधान रिपोर्ट में लिखती है की अंतिम प्रतिवेदन की एक प्रति शिकायतकर्ता को भेजी जा रही है लेकिन आज तक देश में किसी को मिला नहीं l नए कानून के तहत गिरफ्तारी के समय और गिरफ्तारी के बाद उसकी पूरी जानकारी उनके आसपास के लोगों को उनके परिवारजन को देना अनिवार्य है न्यायालय का निर्देश भी आया है कई बार लेकिन पुलिस उसका कभी भी पालन नहीं करती रही है l इस कानून के बाद भी पालन करेगी इसका भरोसा राज्य सरकार को दिलाना हैl अपराध स्थल का फॉरेंसिक करना, अपराध स्थल का वीडियो ग्राफी करना अब कानूनी बाध्यता कर दिया है तो फैमिली काउंसलिंग सेंटर को आशा है कि थाना द्वारा या पुलिस द्वारा जो मनमानी की जाती थी साक्ष से छेड़खानी किया जाता था वह कम होगा या समाप्त हो जाएगा l समन को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजने की कानूनी प्रावधान का फैमिली काउंसलिंग सेंटर ने प्रशंसा किया है l सरकार ने कानून बना दिया की अपराध के बाद महिलाओं और बच्चों को सभी अस्पताल में निशुल्क प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करेंगे फैमिली काउंसलिंग सेंटर मानती है कि यह सिर्फ कानून बना देने से संभव नहीं है इसके लिए प्रबंधकीय व्यवस्था राज्य सरकार को करनी है l छोटे-मोटे अपराधों को दंड की श्रेणी से हटा करके उसको अन्य प्रकार का शारीरिक श्रम में शामिल करना जैसे समाज सेवा तथा अन्य गतिविधि एक अच्छी शुरुआत है फैमिली काउंसलिंग सेंटर यह मानती है कि छोटे अपराधों में जो जेल जाता था उसमें से अधिकांश लोग बड़े अपराधी बनकर के बाहर निकलते थेl यह चलन हो गया था कि विदेश से अपराध का संचालन किया जा रहा है अतः विदेश में भी रहकर अगर कोई अपराध करता है स्त्री को तलाक देता है या कोई और अपराध करता है अपराध से संलग्न होता है तो उस पर भी भारत में मुकदमा दर्ज होगा l .मॉब लिंचिंग पहले ही अपराध के श्रेणी में था लेकिन सरकार ने एक नया कानून लाया फैमिली काउंसलिंग सेंटर मानती है कि इससे मोब लिंचिंग की घटना मैं कमी आएगी
फैमिली काउंसलिंग सेंटर के अनुसार नए कानून के तहत न्यायालय में जो वकील तारीख पर तारीख लेते जाता था उसको 2 तारीखों में बांध दिया है
फैमिली काउंसलिंग सेंटर इसकी प्रशंसा करती है
फैमिली काउंसलिंग सेंटर के अनुसार सरकार ने सबके लिए कानून बना दिया सबके भले के लिए बना दिया त्वरित न्याय के लिए बना दिया कानून से सबसे अधिक फायदा बच्चों का होगा जिनका जीवन बर्बाद हो रहा था सुधार गृह में परिवार का होगा जिनकी महिलाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा था महिलाओं को सम्मान मिलेगा महिलाओं की सुनी जाएगी और अंत में परिवार का भला होगा l
लेकिन इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि एक राज्य स्तरीय समिति बने जिसमें जन प्रतिनिधियों के अलावा अन्य लोग भी रहे और इसको हाई कोर्ट के तहत काम कराया जाए और यह हर 3 महीने में समीक्षा रिपोर्ट प्रकाशित करें और इसमें देखें की पुलिस और न्यायालय किस प्रकार ईमानदारी से नए कानून को लागू कर रही है

अध्यक्ष शीला प्रसाद अध्यक्ष फैमिली काउंसलिंग सेंटर पूर्णिमा सिंह सेक्रेटरी फैमिली काउंसलिंग सेंटर ,बोकारो
I C 388 ,Bokaro Steel City 827001

10/09/2023

SAHI BAT

अंतर्राष्ट्रीय सुसाइड दिवस के अवसर पर संजीवनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम
10/09/2023

अंतर्राष्ट्रीय सुसाइड दिवस के अवसर पर संजीवनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम

06/07/2023

6.7.23

सदस्य सचिव कानूनी कमिशन भारत सरकार
4th Floor ,LNB
नई दिल्ली 110003
महाशय,
आपने अखबारों द्वारा एवं दूरदर्शन द्वारा बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर नागरिकों के विचार जानना चाहती है l हमारे विचार निम्नलिखित हैl

1 विवाह के कानून सभी धर्मों के लिए एक होना चाहिए l सरकार द्वारा उसका निबंधन आवश्यक होना चाहिए l निबंधन की व्यवस्था ग्राम पंचायत भवन में होनी चाहिए lशादी किसी भी विधि विधान से हो निबंधन आवश्यक है ,जिससे कि शादी के बाद उस पर निबंधन के प्रावधान लागू होंगे जो तलाक या अन्य विवादों का आधार बनेगा
2 संपत्ति के बंटवारे के बारे में पूरे देश में एक कानून हो और संपत्ति का निबंधन एवं संपत्ति का अधिपत्य का अधिकार एकरूपता से सबको मिले लेकिन इसमें देखना होगा की परिवार की हित भी सुरक्षित रहेंl उत्तराधिकारी का कानून सभी धर्मों में एक हो उसके कुछ शर्ते होनी चाहिए और उसका अगर पालन होता है तो उस पर कोई विवाद किसी न्यायालय में नहीं होना चाहिएl
3 फ्रांस के तर्ज पर सभी नागरिकों को एकरूपता से रहना होगा जिसमें उनके धार्मिक पहचान उनके घरों के अंदर की बात होगी घर के बाहर स्त्री पुरुष अपने धार्मिक पहचान के साथ बाहर नहीं आएंगे
4 कोई भी स्त्री पुरुष किसी भी धर्म के स्त्री पुरुष के साथ वैवाहिक संबंध बना सकता है इस मामले में धार्मिक पंडित किसी भी धर्म के होंगे बीच में नहीं आएंगे 5 गोद लेने का अधिकार हर व्यक्ति को होना चाहिए वह किसी भी धर्म का हो l
6 किसी भी प्रकार का विवाद जो विवाह या संपत्ति के संबंधित है उसका निपटारा हेतु एक विशेष न्यायालय का गठन हो जो जिला स्तर पर प्रत्येक जिला में स्थापित हो यह न्यायालय विवाह का निबंधन या पारिवारिक विभाग दोनों से अलग सिर्फ समान नागरिक संहिता संबंधित मामलों को ही देखें और उसका निपटारा 3 महीने के अंदर करें आज के तारीख में वर्षों वर्ष मामले चलते रहते हैं और इस प्रकार समय निकल जाता है शादी संबंधित मामलों में उम्र निकल जाती है और संपत्ति के मामले में अधिकार का सेवन और उसके उपयोगिता का भी समय निकल जाता है आज के तारीख में कानून सबसे बड़ी समस्या है की विवाह निपटारा में समय बहुत लग रहा है अतः समान नागरिक संहिता का व्यवस्था में निश्चित समय में विवाद निपटाने की व्यवस्था हो जरूरत पड़ने पर समझौता न्यायालय की तरह इस न्यायालय को गतिशील किया जाए जिसका निर्णय अंतिम हो और इसका स्वरूप वर्तमान लोक अदालत से विभिन्न हो
7 5 वर्ष में इस कानून की समीक्षा की जाएगी और जरूरत के अनुसार इसमें फेरबदल किए जाएंगे
शीला प्रसाद पूर्णिमा सिंह, सचिव
अध्यक्ष
फैमिली काउंसलिंग सेंटर
161,Lohanchal ,Bokaro Steel City
827012

Address

Dr B R Ambedkar Path
Bokaro Steel City
827004

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