10/01/2025
🌹🌄जय मां श्री विद्या अवधूत वचन🌺🌹
रामानंद सरस्वती
🙏जय श्री सीताराम🙏
बिनु सतसंग विवेक न होई।।
लेकिन?
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।
शक्ति साधना के साथ ध्यान साधना, ध्यान योग अवश्य करें
अकेली शक्ति साधना अधूरी है। ध्यान साधना, ध्यान योग(शिव साधना) भी करते रहें जब आपके भीतर असली युद्ध होगा तब श्रीविद्या साधना काम आती है। कुण्डलिनी बार बार उठेगी गिरेगी तब श्रीविद्या साधना काम आती है।
श्री विद्या में शक्ति शिव विष्णु ब्रम्हा आदि सभी की साधना होती है श्रीविद्या केवल ललिताम्बा त्रिपुर सुंदरी की साधना नहीं है यह ब्रम्ह विद्या है शुरुवात मां जगदम्बे की शक्ति साधना है। बिना इसके प्रगति नहीं होगी। नवरात्रि शुरू होने को हैं। माँ जगदम्बे की शक्ति साधना करें। माँ की कृपा रही तो नवरात्रि में ही मां कुण्डलिनी जाग्रित हो जाएंगी। इस परिवर्तनशील संसार में शरीर काल का भोजन है। जो सदा एक सा रहता है उसकी खोज करें। साधनाएं अनंत हैं। परन्तु यह सर्वोत्तम साधना है पूरा का पूरा साधनपाद शक्ति साधना से ही पूर्ण हो जाता है। साधन पाद पतञ्जलि मुनि द्वारा वर्णित है जिसमें सभी योगासन, मुद्राएं, बन्ध, कुण्डलिनी जागरण, प्राणायाम, षट्कर्म आदि सभी आते हैं तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान ये तीनो मिलकर क्रिया योग कहे गए हैं सम्पूर्ण क्रिया योग शक्ति साधना से पूर्ण हो जाता है
समाधि पाद उनके लिए है जो क्रिया योग पूर्ण कर चुके होते हैं। क्रिया योग को ही गीता में कर्म योग भी कहते हैं समाधि पाद ध्यान धारणा समाधि है यह शिव साधना से पूरा होता है यह दोनों स्थिर हो जाएं इसके लिए श्री विद्या साधना है
सभी महापुरषों ने योग किया है। बुद्ध का पीछा करने वाले बुद्धू ये नहीं जानते कि बुद्ध ने केवल ध्यान ही नहीं किया बल्कि ध्यान के पहले क्रिया योग सीखा और किया क्रिया योग कोई अपने में योग नहीं है। बल्कि सभी प्रकार की शारीरिक क्रियाएँ जैसे जप, तप, प्राणायाम, आसन, यम, नियम को सम्मिलित रूप से क्रिया योग कहते हैं। क्रिया योग से मुख्य योग यानी धारणा, ध्यान, समाधि की पात्रता आती है
यह सम्पूर्ण क्रिया योग मात्र माँ जगदम्बे की साधना से पूर्ण हो जाता है सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। माँ कुण्डलिनी जाग्रित हो जाती हैंकुण्डलिनी जाग्रित होगी तभी ध्यान लगेगा नहीं तो ध्यान नहीं लगेगा सुन्न सुन्न लगेगा यह शक्ति सभी के अंदर है। किसी विशेष व्यक्ति के अंदर ही नहीं