31/08/2023
10 साल एक कमरे में गुजारे हैं मैंने ‼️
मुझ जैसे हिंदुस्तान में 8 लाख लोग हैं जिनकी जिंदगी शायद मेरे जैसे रही है ।।
17 साल का बच्चा था मैं , जब चेहरे पे ढंग से दाढ़ी भी नही आई थी ,, पर निकल गया घर से बहुत दूर , एक्टर या पैसे कमाने नही ,, बस आगे की पढ़ाई के लिए ,,कोटा ।
कोई बहुत खतरनाक नही था पढ़ाई में , हाँ 1st , 2nd ya 3rd पोजीशन आ जाती थी school की क्लास में ।।
कोटा में कोचिंग ले रहा था , एक कमरे में जिंदगी , ना खेलना , ना घूमना फिरना , बस किताब किताब और किताब ।।
साल में 4 दिन घर पे आया , दीवाली पे , पर वो भी किताबो का झोला भर के । वापिस जाके फिर से वापिस वही जिंदगी , रूखा सूखा mess का खाना , class , test और किताबो का रट्टा मारना ।
मेहनत और किस्मत से pmt पास किया ,, खुसी के आँशु आये और आ गए कॉलेज में ।। लगा थी जिंदगी बन गयी , mbbs life । पर यहाँ भी वही books और books , कॉलेज वैसा ही लगा जैसे school था , रोज जाना , इतने एग्जाम , इतने प्रैक्टिकल और mind पे उतना ही pressure जैसे हर दिन pmt के time था ।।
यू तो घर ज्यादा दूर नही था , पर फिर भी महीने में 1 या 2 दिन जाते थे । फिर से वही 1 कमरा । दोस्त और रिस्तेदार सोचते हम डॉ हैं , वो बीमार होते तो उनको दिखाने के लिए पाऊच जाते प्रोफेसर के सामने , कसम से इतने मरीज दिखाए 5 साल में , अगर हर मरीज की बीमारी साथ साथ पढ़ते तो अब तक पता ना कितने बड़े डॉ बन जाते ।।
वही दोस्त 5 साल से , अब तक तो ऐसा बन चुके थे कि बिना देखे यू बता दे कि दोस्त ने आज underwear कौन सा पहना होगा ।।
mbbs पास होते होते लगने लगा कि हट यार, pmt पास करने का घंटा फर्क ना पड़ा , अभी तो pg करनी पड़ेगी dr बनने के लिए ।।
मैं आज पढ़ाई या काम का बोझ नही लिखने आया , पर मेरा मन था बताने को की हमारी लाइफ कैसी हो गयी है ।
जाने कितने schoolmate और दोस्तो की गाली खाई है , उनकी शादी में ना जाके ।।
mbbs करते करते हमे ये पता ही नही लगा कि हम कब ऐसे हो गए कि मम्मी पापा की बीमारी में भी मुह से निकल जाता है कि कोई ना हो जावोगे ठीक , ये दवाई सही है । पता नही इतना प्रैक्टिकल कब बन गया कि जब दादी की death हुई तो आँशु तक ना आये , जैसे मैंने खुद को अब तक समझा दिया था कि मौत तो एक दिन सबकी आनी है , 80 साल की हो चुकी थी , इतना तो बहुत है , इससे आगे तो हर दिन परेशान होती ।। पता ही नही चला कि कैसे react करते हैं , एक डॉ की तरह या एक आम आदमी की तरह ।।
आज भी एक कमरे में रहता हूँ , होस्टल में ही और लगता है जैसे एक कमरा ही काफी है पूरी जिंदगी के नही ।।
घर मे कभी इतना रहा नही पिछले 10 साल से कि घर और एक कमरे में फर्क महसूस हो , कभी बाहर घूम ही नही पाया कि ये पता लगे कि ये कमरा 10 * 8 feet का छोटा है या बड़ा ।।
और शायद पूरी उम्र निकल जायेगी ऐसे ही किसी कमरे में मरीज की जांच या आपरेशन करने में ।।
आज fb पे देखा कि aiims की skin की dr ने सुसाइड कर लिया ।
क्या हमने इस डॉ फील्ड को अपनी जिंदगी मान लिया है ?
क्या इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नही ??
शायद नही दोस्तो ,,
हां हम डॉ हैं , पर मैं इसको अपनी जिंगदी नही मानता । अगर मैं इस बोझ से कभी हार गया तो मैं छोड़ दूंगा ये मेडिकल फील्ड , पर अपनी जिंदगी तो कभी नही ।।
हमे इस मानशिकता से बाहर निकलना होगा कि being dr is our life , this short room of 10 × 8 feet is our life ..
it's just a profession not life ..
if u want to , then quit this NOT ..