
28/06/2025
Upper Cross Syndrome (अपर क्रॉस सिंड्रोम)
Upper Cross Syndrome में गर्दन, कंधे और ऊपरी पीठ की कुछ मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और कुछ जरूरत से ज्यादा टाइट हो जाती हैं, जिससे गलत मुद्रा, गर्दन/कंधे में दर्द और अकड़न जैसी समस्याएँ होती हैं।
इलाज के मुख्य तरीके
• स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज:
टाइट (कसी हुई) मांसपेशियों को स्ट्रेच करना और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करना सबसे जरूरी है।
• टाइट मांसपेशियाँ: पेक्टोरलिस (छाती), अपर ट्रैपेज़ियस, लेवेटर स्कैपुला
• कमजोर मांसपेशियाँ: डीप नेक फ्लेक्सर्स, लोअर और मिडिल ट्रैपेज़ियस, सेराटस एंटीरियर, रॉम्बॉइड्स
• पोश्चर करेक्शन (मुद्रा सुधारना):
अपनी बैठने, खड़े होने और काम करने की मुद्रा पर ध्यान दें। सिर और कंधे को सीधा रखें, झुककर या आगे की ओर गर्दन न रखें.
• फिजियोथेरेपी और मैन्युअल थेरेपी:
अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा मैन्युअल थेरेपी, मसल एनर्जी टेक्निक, मायोफेशियल रिलीज आदि तकनीकें अपनाई जाती हैं, जो दर्द और जकड़न कम करने में मदद करती हैं.
होम एक्सरसाइज:
• चिन टक (Chin Tuck)
• ट्रैपेज़ियस स्ट्रेच
• थोरासिक ट्विस्ट
इन एक्सरसाइज को रोजाना 2-3 बार दोहराएं, हर स्ट्रेच को 20-30 सेकंड तक रोकें.
लाइफस्टाइल में बदलाव:
• लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठें, हर 20-30 मिनट में ब्रेक लें
• मोबाइल या लैपटॉप को आंखों की सीध में रखें
• रोजाना 30 मिनट हल्की एक्सरसाइज (जैसे वॉकिंग, स्विमिंग) करें.
इलाज का उद्देश्य
• मांसपेशियों में संतुलन लाना (टाइट मांसपेशियों को ढीला और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करना)
• दर्द और अकड़न में राहत देना
• सही पोश्चर को फिर से स्थापित करना
• भविष्य में दोबारा समस्या न हो, इसके लिए उचित व्यायाम और मुद्रा बनाए रखना.
कब डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से मिलें?
• अगर दर्द लगातार बना रहे या बढ़ रहा हो
• हाथ-पैर में कमजोरी, झनझनाहट या सुन्नपन महसूस हो
• घरेलू उपायों से आराम न मिले
नोट: इलाज की अवधि और एक्सरसाइज की मात्रा आपकी समस्या की गंभीरता और रिकवरी के अनुसार फिजियोथेरेपिस्ट तय करेंगे।