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�मेरा राम की कृपा स

Usage of Almonds control *obesity- diabetes* ----- A research by 'Frontiers in Nutrition'. Courtesy:  Daily Punjab Kesar...
17/02/2023

Usage of Almonds control *obesity- diabetes* ----- A research by 'Frontiers in Nutrition'.

Courtesy: Daily Punjab Kesari today dt. 17-2-2023

24/10/2022

*HAPPY DIWALI*

*आध्यात्मिक अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है उजालों का त्योहार दिवाली*

विश्व भर के लोगों को वर्षभर जिस दिन का इंतजार रहता हैै, आज वही दिवाली का त्यौहार गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। मान्यता है कि 14 साल का बनवास काट कर एवं इस दौरानलंका पर विजय हासिल कर जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। इस मुबारक मौके पर अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत घी के दीए जलाकर किया था जो आध्यात्मिक अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी थी। बुराई पर अच्छाई की जीत के महत्व को लेकर ठीक इसी दिन से दिवाली, दीपावली या प्रकाशोत्सव को त्योहार के रूप में मनाने का प्रचलन प्रारंभ हुआ था। यह
भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक हिंदू त्यौहार है। धनतेरस से प्रारंभ होकर यह त्योहार छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली, बलराज व भैया दूज सहित चार-पांच दिनों तक जारी रहता है।

दीवाली का त्यौहार केवल हिन्दुओं के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म में भी इसका महत्व है। हिन्दुओं के लिए, यह 14 साल के वनवास और राक्षस रावण पर विजय के बाद, अयोध्या में भगवान राम की वापसी से जुड़ा है। हिन्दु इस दिन प्रवेश द्वार पर रंगोली और पादुका लगाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करते है, जिससे देवी लक्ष्मी को किसी के घर आने और समृद्धि लाने का संकेत मिले ।हमारे जीवन में दिवाली का महत्व यह है कि यह हमें जीवन की एक नई दिशा की ओर ले जाती है। चूंकि यह प्रकाश का त्यौहार है, यह हमें बताता है कि हमारे जीवन में प्रकाश का क्या महत्व है। कुछ समुदायों विशेषकर व्यापारी वर्ग के लोगों में दिवाली को नए संवत के रूप में भी मनाए जाने की परंपरा है जिस दिन वह बही खातों की पूजा व मिलान कर उनका संचालन नए सिरे से करते हैं।

कुल मिलाकर दिवाली उत्सव लोगों के चेहरों पर खुशी और मुस्कान लाने का समय होता है। इस दिन पटाखों का चलन कब से प्रारंभ हुआ और इसका क्या महत्व है इस बारे कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलते। यूं तो क्रिसमिस डे, नव वर्ष एवं कुछ अन्य मौकों पर ईसाइयों में पटाखे फोड़ने की परंपरा है। तो भी इसको आधार मानकर हम दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने की परंपरा को उचित नहीं ठहरा सकते। पर्यावरण को प्रदूषित करके हमें इस मनमोहक पर्व का मजा खराब नही करना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे द्वारा किये जाने वाले यह छोटे-छोटे कार्य वैश्विक चिंता का कारण बन गये हैं। इनके द्वारा ग्लोबल वार्मिंग में भी काफी ज्यादा वृद्धि देखने को मिल रही है, जोकि आज के समय में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा चिंता का कारण है।

इसीलिए हमें स्वंय अपनी बुद्धिमता और विवेक का इस्तेमाल करते हुए पटाखों के उपयोग को अब्बल तो बंद कर देना चाहिए अथवा प्रतीकात्मक तौर पर वैध रूप से उपलब्ध हल्के-फुल्के पटाखे सावधानीपूर्वक फोड़कर सतुष्टि कर लेनी चाहिए। इस अवसर पर अक्सर आगजनी जैसी दुर्घटनाओं का जोखिम बना रहता है जो कभी कभार जानलेवा रूप धारण कर लेता है। ऐसे में पटाखे फोड़ते समय उचित सुरक्षा उपायों की पालना करना अनिवार्य है। दिवाली के पावन पवित्र मौके पर कुछ लोग जुआ खेलने की आदत को धार्मिक और सामाजिक परंपरा का हिस्सा मानते हैं
जो कि सर्वथा अनुचित है। जुआ खेलने की लत से कई घर बर्बाद हुए हैं और इसलिए यह कानूनन अपराध है।

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