J K ASTRO

J K ASTRO DIVINE SCIENCE

02/01/2024

शनि की तीसरी दृष्टि🌹🌹🌹🌹
🙏🏻🌹🌹
1_ शनि की तीसरी दृष्टी में तीसरे भाव के फल एक्टिव हो जाते हैं।🌹

2_ इस पोस्ट में सिर्फ शनि की तीसरी दृष्टी पर विचार हो रहा हैं।

3_ शनि तीसरी दृष्टि से लग्न को देखे तो कहेगा आलस्य छोड़ने का प्रयत्न करो तभी सफलता देगा।

4_ शनि दूसरे भाव को देखे तो धन कमाने में बहुत अधिक संघर्ष देगा, धन अपव्यय होता हैं।

5_ शनि तीसरे भाव को देखे तो कहेगा आत्मनिर्भर बनो, और संघर्ष का मूल्य जानों।

6_ शनि चतुर्थ भाव को देखे घर, वाहन बनाने में संघर्ष करवाएगा, परिवार में स्टेबिलिटी कम करेगा।

7_ शनि पंचम को देखे बुद्धि स्थिर होने में प्रयत्नशील रहेगी, शिक्षा, संतान में स्ट्रगल करेगा।

8_ शनि षष्ठ भाव को देखे तो कई बारी सोच negative देगा, नौकरी स्टेबल करने में संघर्ष रहेंगे।

9_ शनि सप्तम भाव को देखें तो वैवाहिक जीवन में काफी एडजस्टमेंट करने पड़ेंगे ।🌹

10_ शनि अष्टम को देखे तो संपत्ति मिलने में संघर्ष करवाएगा, नौकरी करा सकता हैं।

11_ शनि नवम को देखे तो समृद्धि पाने के लिए स्ट्रगल करेगा, पिता के साथ अस्थिरता दे सकता हैं।

12_ शनि दशम को देखें तो कैरियर सेटलमेंट में संघर्ष देगा, अपने पराक्रम से उभरेगा ।🌹

13_ शनि एकादश भाव को देखें तो जीवन में लाभ कमाने के लिए चिंतित, प्रयत्नशील, स्कीलफुल होगा।

12_ शनि द्वादश को देखे तो धन खर्च अचानक से करवाए, खुद का गुरु बन जाए।

13_ शनि की दृष्टि स्वभावनुसार ली गईं हैं।🌹

14_ शनि की तीसरी दृष्टी अक्सर व्यक्ति को तपाती हैं जैसी लोहा तपता हैं।🌹🌹🌹🌹🌹

05/12/2023

9th भाव के गूढ़ रहश्य
🌹🌹🌹🌹

■प्रथम भाव से 8th भाव तक का ही जीवन है।【क्यों कि 1th भाव से जीवन मिलता है और 8th तक कि यात्रा तक जो समाप्त हो जाता है।】9th भाव प्रथम से आठवीं तक का हिसाब किताब होता है जिसे हम भाग्य स्थान भी कहते है। और 9th भाव 10 th भाव को push करता है action करने के लिये, क्यों कि जो भाग्य में लिखा होगा उतना ही कर्म हम करते है।
कालपुरुष की कुंडली देखे तो पता चलता है कि 9th भाव क्या है
■1th और 8th के स्वामी मंगल है जो 1+8=9 जो नववें भाव मे सब कुछ जोड़ देता है।
■2nd और 7th के स्वामी शुक्र है जो 2+7=9 जो नववें भाव मे सब कुछ जोड़ देता है।
■3rd और 6th के स्वामी बुध है जो 3+6=9 जो नववें भाव मे सब कुछ जोड़ देता है।
■4th और 5th के स्वामी सूर्य और चन्द्र है जो 4+5=9
जो नववें भाव मे सब कुछ जोड़ देता है।
ज्योतिष में इन्ही बातो का गहरा संबंध है जिसकी प्रसंसा गीता में भगवान कृष्ण ने किया है जिसे शांख्य दर्शन कहते है, जो बहुत गहरा ज्योतिष से सम्बन्ध है, इसमें प्रकृति और पुरुष की ब्याख्या किया गया है जहाँ पुरुष का अर्थ आत्मा से है।। 9+1 कर्म स्थान होता है
9+2 11 स्थान लाभ का होता है
9+3 =12 मोक्ष का स्थान है 🌹🌹🌹

13/10/2023
पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। भाद्रपद पूर्णिमा 29 सितंबर, 2023 को मनाई जाएगी। Bhad...
28/09/2023

पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। भाद्रपद पूर्णिमा 29 सितंबर, 2023 को मनाई जाएगी।

Bhadrapad Purnima 2023 Date: 29 सितंबर 2023 को भाद्रपद पूर्णिमा है. पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे खास मानी गई है. पूर्णिमा का चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है मान्यता है इस दिन चंद्र को अर्घ्य देने से समस्त मानसिक तनाव दूर होते हैं. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है.

Pitru Paksha 2023:- अपने पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है. तर्पण करना ही पिंडदान करना है. भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण की अमावस्या तक कुल 16 दिन तक श्राद्ध रहते हैं.

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन से ही पितृ पक्ष शुरू हो जाते हैं, हालांकि इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाता. इस साल भाद्रपद पूर्णिमा पर बहुत खास योग का संयोग बन रहा है, जिसमें सत्यनारायण की कथा करने से व्यक्ति को धन लाभ मिलेगा

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष जरुर शुरू हो जाते हैं लेकिन श्राद्ध नहीं किया जाता है. ऐसे में पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. मान्यता है पूर्णिमा के दिन पीपल में मां लक्ष्मी वास करती हैं.
पुराणों में कहा गया है कि इस भाद्रपद महीने की पूर्णिमा पर श्रद्धा अनुसार किए गए दान का पुण्य कभी खत्म नहीं होता. इससे इस लोक के साथ परलोक में भी सुख प्राप्ति होती है. इस दिन अन्न और जल दान से मानव, देवता, पितृ सभी को तृप्ति मिल जाती है.

22/08/2023

कर्ज :

जब हमारे (किसी के भी) पास कोई आदमी कर्ज/उधार मांगने आता है तो बहुत मीठा बोलता है वाणी बुध है और मीठा बोल यानि छलावा राहू है और इसी छलावे से वह उधार लेने में सफल हो जाता है इसमें खास बात ये है कि जिसको रुपया वापिस चाहिए उसे भी बुध राहू की मदद लेनी पड़ती है जैसे उत्तर की दिशा का स्वामी बुध है और नीला रंग राहू है तो इस दिशा में हल्का नीला रंग करें या पर्दे लगा कर उसी राहू बुध का दूसरी तरह से प्रयोग करें इसके अलावा अगर किसी दुकानदार या व्यापारी का रुपया भी डूबा हुआ है तो उपरोक्त उपाय के साथ साथ पश्चिम दिशा में उन लोगो के नाम के साथ लेने वाली रकम लिखकर पश्चिम दिशा में रख दें लाल रंग का बही खाता या एक कॉपी में उसकी लिस्ट लिख कर SE दिशा में रखें और एक लाल गुलाब का पौधा लगाएं
जय सिया राम जी

05/08/2023

!! मृत्यु के 14 प्रकार !!

राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा:- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा ?
रावण बोला:– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे ?
अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है।

तब अंगद ने मृत्यु के 14 प्रकार बताए !!

कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा।
अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।
सदारोगबस संतत क्रोधी।
विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।
तनुपोषक निंदक अघखानी।
जीवत शव सम चौदह प्रानी।।

1. कामवश:- जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।

2. वाममार्गी:- जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।

3. कंजूस:- अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।

4. अति दरिद्र:- गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।

5. विमूढ़:- अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो। ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।

6. अजसि:- जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।

7. सदा रोगवश:- जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।

8. अति बूढ़ा:- अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।

9. सतत क्रोधी:- 24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।

10. अघ खानी:- जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।

11. तनु पोषक:- ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।

12. निंदक:- अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं। जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है। ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।

13. परमात्म विमुख:- जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं, हम जो करते हैं वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।

14. श्रुति संत विरोधी:- जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।

अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान जीवित रहने से बचाना चाहिए।

12/06/2023

इस साल सावन एक नहीं बल्कि दो महिने तक चलेगा.

इस बार सावन एक नहीं बल्कि दो चरणों में मनाया जाएगा.

इस बार सावन पहले 13 दिन यानी 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा.

इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास मलमास रहेगा.

इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू हो जाएगा. यानी दो चरणों में सावन का महीना मनाया जाएगा.

शिव भक्तों को सावन के महीने का इंतजार रहता है। सावन में पूरे एक महीने भक्त महादेव की भक्ती में लीन रहते हैं। प्रसिद्ध शिव मंदिरों में इस पावन महीने में खास व्यवस्था और तैयारियां की जाती हैं,

जहां दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ को जल चढ़ाने पहुंचते हैं। इस बार भगवान नीलकंठ को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को दो महीने का समय मिलेगा।

दरअसल, इस साल सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीने तक का होगा। कहा जा रहा है कि ऐसा दुर्लभ संयोग करीब 19 साल बाद बना है, जब सावन 30 नहीं बल्कि 59 दिनों का होगा।

वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है।

वर्ष पंचांगों में एक चन्द्र मास की वृद्धि कर दी जाती है। लोकव्यवहार में इसी को 'अधिक मास' के अतिरिक्त 'अधि-मास', 'मलमास' तथा आध्यात्मिक विषयों में अत्यन्त पुण्यदायी होने के कारण 'पुरुषोत्तम मास' आदि नामों से भी विख्यात है।

एक सौरवर्ष का मान 365 दिन, 6 घण्टे एवं 11 सैकिण्ड के लगभग है, जबकि चान्द्र वर्ष 354 दिन, एवं लगभग 9 घण्टे का होता है।

दोनों वर्षमानों में प्रतिवर्ष 10 दिन, 21 घण्टे 9 मिन्ट का अन्तर अर्थात् लगभग 11 दिन का अन्तर पड़ श्रावण अधिक जाता है।

पुरुषोत्तम मास का माहात्म्य एवं कर्त्तव्य

इस मास की मलमास की दृष्टि से जैसे निन्दा है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से इसकी प्राकृतिक बड़ी महिमा है।

अधिमास ने तपस्या कर भगवान् विष्णु से उनका 'पुरुषोत्तमनाम' गोचरव‍ प्राप्त किया था।

भगवान् कृष्ण ने इसको अपना नाम देकर कहा-सद्गुणों, कीर्ति, प्रभाव, पराक्रम, भक्तों को वरदान देने आदि जितने भी गुण मुझमें हैं और उनसे जिस सभी यू प्रकार मैं विश्व में पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूँ,

उसी प्रकार यह मलमास भी भूतल रहेंगी। पर 'पुरुषोत्तम' नाम से प्रसिद्ध होगा-

अधिक मास के आने पर जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति पूर्वक व्रत उपवास श्री विष्णु पूजन पाठ दान आदि सुखराम करता है वह मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है

इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 8 सोमवार मिलेंगे।

सावन सोमवार का महत्व
कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए।

सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

सावन मास के प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और उन्हें धतूरा, बेलपत्र, अक्षत, चंदन, शहद इत्यादि जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

आरोग्यता और समृद्धि के लिए प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव को जल में तिल मिलाकर अर्पित करें। साथ ही दांपत्य जीवन में समृधि के लिए शिव जी और माता पार्वती को चावल की खीर का भोग लगाएं।🌹🌹🌹

07/05/2023

नारद मुनि का नाम सभी ने सुना है। हर साल ज्‍येष्‍ठ महीने की कृष्‍ण पक्ष द्व‍ितीया को नारद जयंती मनाई जाती है। हिन्‍दू शास्‍त्रों के अनुसार नारद को ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक माना गया है। प्रत्येक पुराणों में उनकी कहानियां आपको मिल जाएगी। आओ जानते हैं संक्षिप्त में कि आखिर क्या था उनकी शक्ति का राज और क्या है उनकी कहानी।


1.हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार नारद मुनि का जन्‍म सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी की गोद से हुआ था। ब्रह्मवैवर्तपुराण के मतानुसार ये ब्रह्मा के कंठ से उत्पन्न हुए थे।


2.देवर्षि नारद को महर्षि व्यास, महर्षि वाल्मीकि और महाज्ञानी शुकदेव का गुरु माना जाता है। कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के 10 हजार पुत्रों को नारदजी ने संसार से निवृत्ति की शिक्षा दी। देवताओं के ऋषि होने के कारण नारद मुनि को देवर्षि कहा जाता है। प्रसिद्ध मैत्रायणी संहिता में नारद को आचार्य के रूप में सम्मानित किया गया है। कुछ स्थानों पर नारद का वर्णन बृहस्पति के शिष्य के रूप में भी मिलता है। अथर्ववेद में भी अनेक बार नारद नाम के ऋषि का उल्लेख है। भगवान सत्यनारायण की कथा में भी उनका उल्लेख है।


नारद मुनि ने भृगु कन्या लक्ष्मी का विवाह विष्णु के साथ करवाया। इन्द्र को समझा बुझाकर उर्वशी का पुरुरवा के साथ परिणय सूत्र कराया। महादेव द्वारा जलंधर का विनाश करवाया। कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाया। वाल्मीकि को रामायण की रचना करने की प्रेरणा दी। व्यासजी से भागवत की रचना करवाई। इन्द्र, चन्द्र, विष्णु, शंकर, युधिष्ठिर, राम, कृष्ण आदि को उपदेश देकर कर्तव्याभिमुख किया।



3 -कहते हैं कि ब्रह्मा से ही इन्होंने संगीत की शिक्षा ली थी। भगवान विष्णु ने नारद को माया के विविध रूप समझाए थे। नारद अनेक कलाओं और विद्याओं में में निपुण हैं।
कई शास्त्र इन्हें विष्णु का अवतार भी मानते हैं और इस नाते नारदजी त्रिकालदर्शी हैं। ये वेदांतप्रिय, योगनिष्ठ, संगीत शास्त्री, औषधि ज्ञाता, शास्त्रों के आचार्य और भक्ति रस के प्रमुख माने जाते हैं। देवर्षि नारद को श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष और योग जैसे कई शास्‍त्रों का प्रकांड विद्वान माना जाता है।


4- नारद मुनि भागवत मार्ग प्रशस्त करने वाले देवर्षि हैं और 'पांचरात्र' इनके द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ है। वैसे 25 हजार श्लोकों वाला प्रसिद्ध नारद पुराण भी इन्हीं द्वारा रचा गया है। इसके अलावा 'नारद संहिता' संगीत का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है। 'नारद के भक्ति सूत्र' में वे भगवत भक्ति की महिमा का वर्णन करते हैं। इसके अलावा बृहन्नारदीय उपपुराण-संहिता- (स्मृतिग्रंथ), नारद-परिव्राज कोपनिषद और नारदीय-शिक्षा के साथ ही अनेक स्तोत्र भी उपलब्ध होते हैं।


5- नारद विष्णु के भक्त माने जाते हैं और इन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है। भगवान विष्णु की कृपा से ये सभी युगों और तीनों लोकों में कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। यह भी माना जाता है कि लघिमा शक्ति के बल पर वे आकाश में गमन किया करते थे। लघिमा अर्थात लघु और लघु अर्थात हलकी रुई जैसे पदार्थ की धारणा से आकाश में गमन करना। एक थ्योरी टाइम ट्रेवल की भी है। प्राचीनकाल में सनतकुमार, नारद, अश्‍विन कुमार आदि कई हिन्दू देवता टाइम ट्रैवल करते थे। वेद और पुराणों में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है।



6- देवर्षि नारद को दुनिया का प्रथम पत्रकार या पहले संवाददाता होने के गौरव प्राप्त हैं, क्योंकि देवर्षि नारद ने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान-प्रदान द्वारा पत्रकारिता का प्रारंभ किया था। इस प्रकार देवर्षि नारद पत्रकारिता के प्रथम पुरुष/पुरोधा पुरुष/पितृ पुरुष हैं। वे इधर से उधर भटकते या भ्रमण करते ही रहते हैं।

एक अन्य कथा के अनुसार दक्षपुत्रों को योग का उपदेश देकर संसार से विमुख करने पर दक्ष क्रुद्ध हो गए और उन्होंने नारद जी को शाप दिया दिया कि हे नारद तुम दो घड़ी से अधिक कहीं रुक नहीं पाएंगे। यही वजह है कि नारद अक्सर यात्रा करते रहते हैं।


7.कहते हैं कि भगवान विष्णु ने नारद को माया के विविध रूप समझाए थे। एक बार यात्रा के दौरान एक सरोवर में स्नान करने से नारद को स्त्रीत्व प्राप्त हो गया था। स्त्री रूप में नारद 12 वर्षों तक राजा तालजंघ की पत्नी के रूप में रहे। फिर विष्णु भगवान की कृपा से उन्हें पुनः सरोवर में स्नान का मौका मिला और वे पुनः नारद के स्वरूप को लौटे।


नारद हमेशा अपनी वीणा की मधुर तान से विष्‍णुजी का गुणगान करते रहते हैं। वे अपने मुख से हमेशा नारायण-नारायण का जप करते हुए विचरण करते रहते हैं। नारद हमेशा अपने आराध्‍य विष्‍णु के भक्‍तों की मदद भी करते हैं। मान्‍यता है कि नारद ने ही भक्त प्रह्लाद, भक्त अम्बरीष और ध्रुव जैसे भक्तों को उपदेश देकर भक्तिमार्ग में प्रवृत्त किया था।


8.कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के 10 हजार पुत्रों को नारदजी ने संसार से निवृत्ति की शिक्षा दी जबकि ब्रह्मा उन्हें सृष्टिमार्ग पर आरूढ़ करना चाहते थे। ब्रह्मा ने फिर उन्हें शाप दे दिया था। इस शाप से नारद गंधमादन पर्वत पर गंधर्व योनि में उत्पन्न हुए। इस योनि में नारदजी का नाम उपबर्हण था। यह भी मान्यता है कि पूर्वकल्प में नारदजी उपबर्हण नाम के गंधर्व थे। कहते हैं कि उनकी 60 पत्नियां थी और रूपवान होने की वजह से वे हमेशा सुंदर स्त्रियों से घिरे रहते थे। इसलिए ब्रह्मा ने इन्हें शूद्र योनि में पैदा होने का शाप दिया था।


इस शाप के बाद नारद का जन्म एक दासी के यहां हुआ। जन्म लेते ही पिता के देहान्त हो गया। एक दिन सांप के काटने से इनकी माताजी भी इस संसार से चल बसीं। अब नारद जी इस संसार में अकेले रह गए। उस समय इनकी अवस्था मात्र पांच वर्ष की थी। एक दिन चतुर्मास के समय संतजन उनके गांव में ठहरे। नारदजी ने संतों की खूब सेवा की। संतों की कृपा से उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। समय आने पर नारदजी का पांचभौतिक शरीर छूट गया और कल्प के अन्त में ब्रह्माजी के मानस पुत्र के रूप में अवतीर्ण हुए।

9. तुलसीदासजी के श्रीरामचरित मानस के बालकांड के अनुसार नारदजी को अहंकार आ गया कि उन्होंने काम पर विजय प्राप्त कर ली है। भगवान ने एक बार अपनी माया से एक नगर का निर्माण किया, जिसमें एक सुंदर राजकन्या का स्वयंवर चल रहा था। यह कथा में दी है। नारदजी ने भगवान के पास जाकर उनका सुंदर मुख मांगा ताकि राजकुमारी उन्हें पसंद कर ले। परंतु अपने भक्त की भलाई के लिए भगवान ने नारद को बंदर का मुंह दे दिया। स्वयंवर में राजकन्या (स्वयं लक्ष्मी) ने भगवान को वर लिया। जब नारदजी ने अपना मुंह जल में देखा तो उनका क्रोध भड़क उठा। नारदजी ने भगवान विष्णु को शाप दिया कि उन्हें भी पत्नी का बिछोह सहना पड़ेगा और वानर ही उनकी मदद करेंगे।


10. पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी ने नारद जी से सृष्टि के कामों में हिस्सा लेने और विवाह करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा की आज्ञा का पालन नहीं किया और वे विष्णु भक्ति में ही लगे रहे। तब क्रोध में आकर ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को आजीवन अविवाहित रहने का शाप दे दिया।

अंत में नारद जयंती के दिन भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी का पूजन करने के बाद ही नारद मुनि की पूजा की जाती है। इस दिन गीता और दुर्गासप्‍तशती का पाठ करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी भेट कर अन्‍न और वस्‍त्र का दान करना चाहिए।

माता पार्वती की हस्तरेखा हस्तरेखा देखकर तप द्वारा शिव प्राप्ति का मार्ग बताने वाले नारद जी ही थे ।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का मन्त्र प्रदान करके ध्रुव को भगवान नारायण का साक्षत्कार कराने वाले भी नारद जी ही थे ।ऐसे महान देवर्षि को बारम्बार वन्दन ।
ॐ श्री नारदाय नमः 🙏🌷

श्री नारद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

22/04/2023

🌹🌹🌹अक्षय तृतीया का महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी :---
आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।
-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
-कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
-ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
-बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते है।
इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
-अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है।इस दिन कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है ।
आप सब को शुभ अक्षय तृतीया एवं परशुरामजी की जयंती की शुभकामनाएँ।🌹🌹🌹🌹

BALANCE YOUR PLANETS- FOR BALANCED LIFE. (How to utilise energy of planets for postive results and balanced life)Everyth...
20/04/2023

BALANCE YOUR PLANETS- FOR BALANCED LIFE. (How to utilise energy of planets for postive results and balanced life)

Everything in life needs balancing to thrive and grow.
Where there is no balance - there is chaos.

For anything to be balanced there must exists equal and opposite thing, and that opposite factor helps in completing that thing, creating perfect balance.

like day is opposite of night and it completes it also, hense, creating perfect balance. Similarly male and female are opposite to each other and they complete each other also , creating a perfect balance or completeness.

Life & death
Sleeping & waking up
Light & darkness
Materialism & spirituality
Reality & illusion
RAHU- KETU
All are opposite to each other yet complete each other creating perfect balance.

Basically what i am trying to say is that, there are several combinations and conjunction in our chart which needs balancing by way of performing karma for a good balanced life.

Let me explain with an example

Conjunction of Mars & Rahu - this creates agression, possible violent nature, high ego etc.... In short this conjunction stores volatile energy in our body and mind.

This stored volatile energy of Rahu- Mars Conjunction in our chart needs balancing by countering it with action of release of energy by way of physical activity i.e physical excercise of any sort.

This stored volatile energy is released
From body and mind, by act of physical excercise completing it and creating perfect balance- calmness of mind.
Similarly

Saturn & Moon conjunction is mental energy ( continuous thinking energy ) which needs completeness by act of always occupying mind with work - any sort of mental work - which ultimately creates balance of this energy.
When one is always keeping his/her mind occupied - there is no time to overthink - perfect balance is achieved.

Jupiter & mercury conjunction- read, write, learn, gain knowledge, share knowledge to create balance.

Saturn & Rahu Conjunction - follow traditions , follow customs ( but don't be too hard) , use computer and internet to create balance in daily life.

Mars & moon conjunction - cook food, share food, don't do things just to get attention, do it for your growth and well being.

Rahu & venus Conjunction - get into something creative realted to cosmetics, chemicals, art, fashion.

Mars & mercury conjunction- solve puzzles, get involved into some kind technical work.

Etc...etc...

In short - there are several conjunctions and combination in chart and each are having influence upon your life .
One needs to complete energy of planets in our chart accordingly with our karma, actions so that a balance is maintained in our life.

There are certain things which are meant for us exclusively and something's which are not meant for us.
We need to be in sync with the energy of planets in our chart for a perfect balanced life.

Share your experience as how do you deal with different energies in your chart.

01/04/2023

सुगंध द्वारा ग्रह शांति:---

सुगंध द्वारा ग्रह शांति इस प्रकार हैं-

सूर्य: --------- केसर तथा गुलाब का इत्र या सुगंध का उपयोग करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं।

चंद्र: ---------- चमेली और रातरानी का इत्र या सुगंध चंद्रमा की पीड़ा को कम करते हैं।

मंगल: --------- लाल चंदन का इत्र, तेल अथवा सुगंध मंगल को प्रसन्न करते हैं।

बुध: ------------- इलायची तथा चंपा की सुगंध बुध को प्रिय होती है- चंपा का इत्र तथा तेल का प्रयोग बुध की दृष्टि से उत्तम है।

गुरू: ------------- पीले फूलों की सुगंध, केसर और केवड़े का इत्र गुरू की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है।

शुक्र: ------------ सफेद फूल, चंदन और कपूर की सुगंध लाभकारी होती है। चंपा, चमेली और गुलाब की तीक्ष्ण खुशबू से शुक्र नाराज हो जाते हैं।हल्की खुशबू के परफ्यूम ही काम में लेने चाहिए।

शनि: ------------कस्तुरी, लोबान तथा सौंफ की सुगंध शनि देव को पसंद है।

राहु और केतु: ----काली गाय का घी व कस्तुरी का इत्र इन्हें पसंद है।

28/02/2023

होली के पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है इन 8 दिनों को बहुत अशुभ माना जाता है इस समयावधि में किसी भी तरह के शुभ काम करने की मनाही होती है होलाष्टक खत्म होने के बाद 8 मार्च को होली मनाई जाती है
होलाष्टक में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए इस समय विवाह भूमि पूजन सगाई गोद भराई गृह प्रवेश 16 संस्कार यज्ञ हवन आदि करने से बचना चाहिए होलाष्टक में घर या वाहन नहीं खरीदना चाहिए साथ ही नया व्यापार नया निर्माण या निवेश करने से बचना चाहिए और यात्रा भी नहीं करनी चाहिए
राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहिन थी वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे
ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन से मौसम परिवर्तन होता है सूर्य का प्रकाश तेज हो जाता है और साथ ही हवाएं भी ठंडी रहती है ऐसे में व्यक्ति रोग की चपेट में आ सकता है और मन की स्थिति भी अवसाद ग्रस्त रहती है इसीलिए मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं हालांकि होलाष्टक के आठ दिनों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है

ज्योतिष मान्यता के अनुसार अष्टमी को चंद्रमा नवमी को सूर्य दशमी को शनि एकादशी को शुक्र द्वादशी को गुरु त्रयोदशी को बुध चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं

14/02/2023

🌹TOTAL PROFIT 🌹
मुनाफा ही सफल व्यवसाय की नीव है ।

मुनाफा नही मिलेगा तो काम नही करेगा - कुम्भ
वो मुनाफा के सिवा कोई और पाठ पढ़ना ही नहीं चाहता । बाकी का ज्ञान व्यर्थ है उसके लिए ।
कुम्भ एक जल से भरा हुआ मटका है । वो खाली रहना पसन्द नही करता है ।
जिस काम में ज्यादा रुपया मिले वही काम करते हैं - कुम्भ राशि के लोग
बेहतर salary आय के लिए यदि जॉब बदलनी भी पड़े तो डरता नही है कुम्भ ।
बेहतर मुनाफा के लिए यदि व्यवसाय ही बदलना पड़े तो व्यवसाय भी बदल देगा - कुम्भ

कुम्भ का ये मानना है कि काम तो हर जगह करना ही पडता है -
तो जहाँ हो ज्यादा मुनाफा वही काम करुँगा ।

कुम्भ राशि वायु तत्व राशि है । वायु तत्व के लोगों के पास किसी विषय पर चिंतन करने की शक्ति होती है । चिंतन करने की शक्ति सबके पास नहीं होती है यही कारण है कि अक्सर मजदूर जिंदगी भर मजदूर ही रह जाता है क्योंकि वो कुछ नया नहीं सोंच पाता है ।
लेकिन कुम्भ के पास है - चिंतन शक्ति ।

कुम्भ sexual pleasure काम त्रिकोण की तीसरी महत्वपूर्ण सकारात्मक राशि है । काम को ही अन्ग्रेजी में Desire कहा गया है ।

13 फरवरी को सुबह 09 बजकर 57 मिनट पर सूर्य देव नें किया कुंभ राशि में प्रवेश ।

आप भले ही कुम्भ राशि के ना हों लेकिन

आज से आप बार बार यही सोंचन्गे कि-

ऐसा क्या करें ? कि मुनाफा ज्यादा हो ।

फिलहाल आप जितना कमा रहे हैं - अचानक वो कम लगने लगेगा ।🌹🌹🌹

01/02/2023

गर्भवती महिलाओं के लिए ज्योतिषीय सुझाव:
किसी भी स्त्री के गर्भ का कार्यकाल नौ महीने का होता है और इन नौ महीनों में गर्भस्थ शिशु में पारिवारिक जीनों की प्राकृतिक विरासत के साथ-साथ अपनी मां से भावनात्मक और मानसिक तनाव या शांति को ग्रहण करने की शक्ति होती है-🌹

पहला महीना

प्यार का ग्रह शुक्र पहले महीने में सबसे अच्छे परिणाम देता है, इसलिए कमजोर शुक्र माता के साथ कुछ समस्याओं को शामिल करेगा। इसलिए पति-पत्नी दोनों को अपने घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए।

दूसरा महीना

मंगल गर्भावस्था के दूसरे महीने पर शासन करता है और हड्डियों और रक्त को नियंत्रित करता है, इसलिए एक स्वस्थ और मजबूत बच्चा तभी संभव है जब माता-पिता की कुंडली में मंगल मजबूत हो। इस महीने में मसालेदार भोजन से परहेज करें और दाहिने हाथ में तांबे का कड़ा पहनें।

तीसरा महीना

बृहस्पति का होता है और यदि माता का बृहस्पति मजबूत और अच्छी स्थिति में हो तो यह बच्चे को सुंदर त्वचा के साथ-साथ आध्यात्मिक प्रवृत्ति प्रदान करता है। तीसरे महीने में शैक्षिक साहित्य और विज्ञान पढ़ें और चर्चा करें।

चौथा महीना

गर्भावस्था का यह महीना सूर्य का होता है जो बच्चे के समग्र स्वस्थ विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। माता-पिता की कुंडली में मजबूत सूर्य संतान को व्यक्तिगत मानसिक क्षमता और बुद्धिमत्ता के साथ अपना निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करेगा। इस महीने में तांबे के लोटे में खूब पानी पिएं।🌹

पांचवा महीना

यह महीना चंद्रमा का होता है और अगर मां का चंद्रमा अच्छा और मजबूत है तो बच्चे का व्यवहार और भावनाएं संतुलित होंगी। संतान का चंद्रमा शुभ हो इसके लिए माता-पिता को ये उपाय जरूर करने चाहिए। चांदी के गिलास में पानी पिएं और इस महीने के दौरान आध्यात्मिक साहित्य और वैज्ञानिक विकास पर चर्चा करें परकृति से जुड़ा ना चाहिए सुबह शाम भ्रमण करना चाहिए 🌹

छठा महीना

यह शनि का महीना है और अच्छा शनि आपको एक मजबूत तंत्रिका तंत्र प्रदान करेगा। ऐसा खाना खाने से बचें जो आपके शरीर में गैस बनाता हो और ऐसा खाना खाएं जो आयरन से भरपूर हो। ठंडा पानी और खाना नही खाना चाहिए 🌹

सातवें महीने

का बुध आपके बच्चे को गर्भावस्था के सातवें महीने के दौरान मानसिक रूप से सक्रिय, बहुत बुद्धिमान और स्मार्ट बनाने के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए सातवें महीने में ढेर सारी हरी सब्जियां खाने से मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

आठवां महीना

आठवां महीना आपकी अपनी आस्था या इष्ट देवता का होता है, भले ही आपका धर्म कुछ भी हो। अपने बच्चे के आशीर्वाद के लिए अपने सर्वशक्तिमान में विश्वास के अपने मार्ग का अनुसरण करें।

9वां महीना

वह समय होता है जब बच्चे का जन्म होता है। यह महीना फिर से चंद्रमा का है - माँ का कारक इसलिए माँ और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ सरल नियमों का पालन करें। चांदी की अंगूठी या ब्रेसलेट के अलावा कोई अन्य धातु न पहनें। हल्के रंग के कपड़े ही पहनें जैसे सफेद, क्रीम या हल्का पीला।

मन सदा स्वस्थ और निर्मल रखना चाहिए
पति को भी अपनी पत्नी का पूरा ध्यान और साथ देना चाहिए वह एक नए समाज को पैदा कर रही है 🌹

जय सिया राम जी 🌹

16/01/2023

☆☆☆☆☆

- सूर्य, भगवान गणेश, शिव जी, भगवान विष्णु और आदिशक्ति मां दुर्गा को पंचदेव माना गया है हर शुभ कार्य में इनके पूजन का विधान है। सूर्य देव के पश्चात सबसे पहले भगवान गणेश तत्पश्चात शिव जी, मां दुर्गा और विष्णु जी का पूजन किया जाता है

- पंच देवों की पूजा का महत्व
सृष्टि के निर्माण में पांच तत्वों का बहुत महत्व हैं वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश। इन्हीं पंचतत्वों को आधार मानकर पंचदेव का पूजन किया जाता है।


1.) भगवान सूर्य नारायण
सूर्य से ही सारी सृष्टि पर प्रकाश है सूर्य ही एक ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। पंचतत्वो में सूर्य को आकाश का प्रतीक माना जाता है

2.) भगवान गणेश
गणेश जी सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं इन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए हर मांगलिक कार्य में सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है।

3,4.)भगवान शिव, मां दुर्गा
भगवान शिव और शक्ति स्वरुपा मां दुर्गा दोनों से ही सृष्टि का आरंभ है। यह समस्त जगत के माता-पिता हैं मां दुर्गा स्वयं प्रकृति हैं तो भगवान शिव देवों के भी देव हैं। जीवन और काल भी इन्हीं के अधीन है।

5.) श्री हरि विष्णु
भगवान श्री हरि विष्णु समस्त जगत के पालनकर्ता हैं। सृष्टि के संचालन का भार इन्हीं पर हैं। इसलिए हर शुभ कार्य में विष्णु जी की पूजा करने का प्रावधान है

25/12/2022

Tulsi Pujan Diwas December
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🌿 तुलसी पूजा का महत्व 🌿

हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का बहुत महत्व है. कोई भी शुभ कार्य बिना तुलसी पूजा के अधूरा माना जाता है. तुलसी भगवान विष्णु की अतिप्रिय हैं. इसलिए भगवान विष्णु को भोग लगाते समय तुलसी पत्ते का प्रयोग किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी का पौधा होता है, वहां कभी भी नकारात्मक ऊर्जा हावी नहीं होती है.

🌿 तुलसी पूजा विधि
तुलसी दिवस यानी 25 दिसंबर के दिन सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें, इसके बाद इन्हें नारंगी सिंदूर लगांए, चुनरी ओढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें. इस दिन शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और तुलसी की माला से जाप करें.

🌿 इस दिशा में लगाएं तुलसी का पौधा
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. तुलसी के पौधे की नियमित देखभाल करनी चाहिए. इस बात का विशेष ख्याल रखें की तुलसी का पौधा सुखे नहीं

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