27/08/2025
विज्ञान कहता है कि एक वयस्क स्वस्थ पुरुष एक बार संभोग के बाद जो वीर्य स्खलित करता है, उसमें 400 मिलियन शुक्राणु होते हैं......
ये 40 करोड़ शुक्राणु मां के गर्भाशय की ओर पागलों की तरह दौड़ते हैं, केवल 300-500 शुक्राणु ही जीवित बचते हैं। और बाकी? वे रास्ते में थक जाते हैं या मर जाते हैं। इन 300-500 शुक्राणुओं में से जो अंडे तक पहुँचने में कामयाब हो जाते हैं, केवल एक अत्यंत शक्तिशाली शुक्राणु ही अंडे को निषेचित करता है या अंडे में बस जाता है। वह भाग्यशाली शुक्राणु आप हैं, मैं हूँ या हम सभी हैं। क्या आपने कभी इस महायुद्ध के बारे में सोचा है?
❒ आप भागे थे - जब आपकी आँखें, हाथ, पैर, सिर नहीं थे, फिर भी आप जीत गए...
❒ आप भागे थे - आपके पास कोई प्रमाणपत्र नहीं था, कोई दिमाग नहीं था, फिर भी आप जीत गए....
❒ आप भागे थे - आपके पास कोई शिक्षा नहीं थी, किसी ने आपकी मदद नहीं की, फिर भी आप जीत गए....
❒ जब आप दौड़े थे - आपके पास एक मंज़िल थी और आपने उस मंज़िल की ओर अपना लक्ष्य निर्धारित किया और अंत तक दौड़े और आप जीत गए....
❒ कई बच्चे अपनी मां के गर्भ में ही मर जाते हैं, लेकिन आप नहीं मरे, आप पूरे 9 महीने जीवित रहे ....
❒ कई बच्चे प्रसव के दौरान मर जाते हैं, लेकिन आप बच गए....
❒ कई बच्चे जन्म के पहले 5 सालों में ही मर जाते हैं, लेकिन आप फिर भी जीवित हैं...
❒ कई बच्चे कुपोषण से मर जाते हैं, लेकिन आपको कुछ नहीं हुआ....
❒ कई लोग वयस्कता की राह पर इस दुनिया को छोड़ गए, लेकिन आप अब भी यहां हैं....
और आज जब भी कुछ होता है, तो आप डर जाते हैं, निराश हो जाते हैं, लेकिन क्यों? आपको ऐसा क्यों लगता है कि आप हार गए हैं? आपका आत्मविश्वास क्यों खो जाता है?
हालांकि अब आपके पास दोस्त हैं, भाई-बहन हैं, सर्टिफिकेट हैं, शिक्षा है....सब कुछ है। आपके पास हाथ-पैर हैं, योजना बनाने के लिए दिमाग है, मदद करने वाले लोग हैं, फिर भी आप उम्मीद खो देते हैं। जब आपने अपने जीवन के पहले दिन हार नहीं मानी थी। आपने 40 करोड़ शुक्राणुओं के साथ मौत से जंग लड़ी और बिना किसी की मदद के अकेले ही प्रतियोगिता जीत ली। फिर निराशा क्यों?
आप शुरुआत में जीते, आप अंत में जीते, आप बीच में भी जीतेंगे। खुद को समय दें, अपने मन से पूछें - आपके पास जो स्किल है, उसे सजाएं संवारे..इनोवेटिव ideas पैदा करें? हुनर सीखें.. स्ट्रगल करें... लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें....रस्ते के बाधाओं से लड़ते रहें, आप खुद ही जीत जाएंगे...
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