Vaidya Aashish Pal

Vaidya Aashish Pal मन,वचन और कर्म से आयुर्वेदप्रेमी ,रसवै

Blessed
22/10/2023

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◆◆पंचकर्म और औषध निर्माण का सापेक्षता सिद्धांत◆◆क्या आप बिना पुर्व कर्म और पश्चात कर्म के पंचकर्म की सिद्धि मान सकते है....
16/09/2022

◆◆पंचकर्म और औषध निर्माण का सापेक्षता सिद्धांत◆◆

क्या आप बिना पुर्व कर्म और पश्चात कर्म के पंचकर्म की सिद्धि मान सकते है...???

जैसा की हम सभी जानते है,कि पंचकर्म की प्रक्रिया में सबसे पहले योग्य-अयोग्य का विचार होता है फिर पूर्वकर्म किया जाता है उसके बाद मुख्य कर्म किया जाता है और फिर पश्चात कर्म किया जाता है वैसे ही कल्पों के निर्माण में भी हमे इन्ही प्रक्रियाओं का विचार करना होता है

सबसे पहले योग्य-अयोग्य विचार ( ग्राहय द्रव्यों का चयन)
पूर्वकर्म : शोधन,मूर्छन भावना आदि।
मुख़्य कर्म : भस्मीकरण,मारण,संधान,चूर्ण करना आदि।
पश्चात कर्म : प्रक्षेप,संग्रह,अनुपान आदि।

विचारणीय है की जिस तरफ पंचकर्म से रोगमुक्ति की कल्पना तभी की जा सकती है जब पूर्वकर्म,मुख़्यकर्म,पश्चात कर्म सभी अनिवार्य रूप से किये जाएं। औषधि निर्माण में भी यह लागू होता है।

औषद्य निर्माण में आजकल के निर्माताओ द्वारा इन सब प्रक्रियाओं का पालन नही किया जाता जिसके कई कारण है। अर्पण आयुर्वेद रसशाला में हमारा यही प्रयास है की सभी शास्त्रोक्त कल्प अनिवार्य रूप से शास्त्र का पूर्ण अनुसरण करके पूरी की जाएं ताकि कल्पों को लेने वाले वैद्य और रोगी दोनो को लाभ हो...😊

∆ आशीष पाल रसवैद्य

14/09/2022
यह सामान्य सा सूत्र आपकी रोजमर्रा की प्रैक्टिस में चार चाँद लगा सकता हैंइस पृथ्वी के समस्त जीवों का शरीर और निजीर्व सभी ...
13/09/2022

यह सामान्य सा सूत्र आपकी रोजमर्रा की प्रैक्टिस में चार चाँद लगा सकता हैं

इस पृथ्वी के समस्त जीवों का शरीर और निजीर्व सभी पदार्थ पंच महाभूतों द्वारा निर्मित हैं ।
''सवर्द्रव्यं पाञ्चभौतिकमस्मिन्नथेर्''(च०सू० ३६)

अर्थात् संसार के समस्त द्रव्य पञ्चभौतिक है । आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन रोग प्रशमन और रोगी के स्वास्थ्य की रक्षा करना है; परन्तु जिस पुरुष के स्वास्थ्य की रक्षा की जाती है, वह पंचभौतिक होता है । उसका आरोग्य-अनारोग्य पञ्चमहाभूत से है, तथा उसके विकारग्रस्त होने पर जो द्रव्य चिकित्सा हेतु प्रयुक्त किये जाते हैं, वे भी पञ्चभौतिक होते हैं । शरीर को धारण करने वाले दोष धातु और मलों की उत्पत्ति भी पञ्चमहाभूतों से ही होती है । नित्य प्रतिदिन आने वाले भिन्न भिन्न रोगियों की चिकित्सा के लिए नित्य नय कल्पो की आवश्यकता नही होगी यदि द्रव्यों (औषध द्रव्यों) की पंचभौतिक सत्ता को समझ लिया जाएं।

🔷 आशीष पाल "रसवैद्य"

व्याग्रनखी...😇
08/09/2022

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Be your own Rainbow...😊
29/08/2022

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पंचांगुल...😊
29/08/2022

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