05/10/2023
नहीं, यह पोस्ट मेरे या किसी चिकित्सक के बारे में नहीं है... यह पोस्ट उस खोखले समाज के बारे में है जो मानवतारहित मनुष्य के रूप में क्या बनता जा रहा हैं।
मैं लगभग पिछले 5 वर्षों से लेवल 3 एनआईसीयू चला रहा हूँ। और पिछले कुछ वर्षों में मैंने जो देखा या सीखा है वह वास्तव में हैरान करने वाला है।
पिछले 5 वर्षों में और विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद, एनआईसीयू में भर्ती होने वालों नवजात की कुल संख्या में भारी कमी आई है। गाँव के स्तर पर ही झोलाछापों द्वारा शर्तिया इलाज़ देने और लेने के बढ़ते चलन के कारण शहर तक पहुँच रहे ज़्यादातर मरीज शारीरिक रूप से अपूरणीय क्षति से ग्रसित हो चुके होते हैं।और ऐसे मरीज़ो के लिए अपेक्षित इलाज़ के बढ़ते स्तर के कारण अस्पताल के खर्च और एक आईसीयू चिकित्सक के मानसिक तनाव के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है। फिर भी एनआईसीयू दाखिले में भारी गिरावट के बावजूद आय निश्चित रूप से बढ़ी ही है।
और जो चीज़ हमारे तनाव या आय से अधिक बढ़ी है और वास्तविक में चिंता का विषय है... वह है हमारे जैसे एनआईसीयू में "बाहर से आने वाले मृत नवजात शिशुओं" की संख्या में भारी वृद्धि।
हालाँकि इन परिवर्तनों के पीछे मुख्य कारण, पिछले कुछ वर्षों, खासकर कोविड के बाद के युग में कैंसर की तरह फैल रहें अनियंत्रित रूप से पनप रही झोलाछापगिरी है... अन्य कारण जैसे अशिक्षा, गरीबी, उदासीनता, लालच, अमानवीयता सभी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
समाज में हर इन्सान "शॉर्ट-कट की होड़" में है।
युवाओं को पढ़ाई का शॉर्ट-कट चाहिए, पढ़ाई पूरी नहीं करनी लेकिन पैकेज करोड़ों में चाहिए।
बेरोजगार को नौकरी का शॉर्ट-कट चाहिए, मेहनत नहीं करनी लेकिन कमाई लाखों में चाहिए ।
बीमार को इलाज़ का शॉर्ट-कट चाहिए, गाँव के चौक पर बैठे बैठे इलाज़ अपोलो वाला चाहिए।
जनता को ईमानदारी का शॉर्ट-कट चाहिए, वोट अपने जात वाले जाहिल को करना है और सरकार स्वच्छ निष्पक्ष चाहिए।
सरकारें आयेगी और जायेगी लेकिन जिंदगी एक बार जाकर दोबारा नहीं आयेगी।
जागरुक रहें। स्वस्थ रहें। जय हिंद 🇮🇳
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