17/06/2020
हर महिला मां बनने का सपना देखती है, लेकिन कुछ महिलाओं को चाहकर भी यह खुशी नहीं मिलती। ऐसे में उन्हें कृत्रिम प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ता है। इसमें आईवीएफ(IVF) और आईसीएसआई (ICSI) जैसी कई आधुनिक तकनीक हैं, जो गर्भावस्था का सुखद अहसास करा सकती हैं। ऐसी ही एक अन्य प्रक्रिया है, जिसे आईयूआई (IUI) यानी इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन कहते हैं। वैज्ञानिक तौर पर इस बात की पुष्टि की गई है कि आईयूआई अन्य उपचारों के मुकाबले काफी हद तक प्राकृतिक और सुरक्षित है। आज मैं आपको विस्तार से बताऊंगी कि आईयूआई क्या है और इसे कैसे किया जाता है। साथ ही इसमें बरती जाने वाली सावधानियों पर भी बात करेंगे I
आमतौर पर आईयूआई की जरूरत पुरुष बांझपन, अकेली महिला या फिर समलैंगिक जोड़ों के केस में पड़ती है। इस प्रक्रिया के तहत लैब में पुरुष के शुक्राणुओं को साफ किया जाता है। फिर महिला के ओव्यूलेशन के समय डॉक्टर प्लास्टिक की पतली कैथेटर ट्यूब के जरिए इन शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय में रख देते हैं। आईयूआई तकनीक के लिए महिला की फैलोपियन ट्यूब का सामान्य होना जरूरी है। आईयूआई में कितने चक्रों की जरूर पड़ेगी यह काफी हद तक आपकी उम्र पर निर्भर करता है। कुछ महिलाएं पहली बार में गर्भधारण कर लेती हैं, तो कुछ को समय लगता है। अगर आपकी उम्र 35 वर्ष से कम है, तो आईयूआई के तीन से चार चक्र की सलाह देते हैं। वहीं, अगर उम्र 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो आईयूआई के जरिए गर्भधारण करने की संभावना काफी कम हो जाती है
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