17/02/2024
हेलो दोस्तों कैसे हो आप लोग उम्मीद करता हूं आप सब सही होंगे आज हम जानेंगे पैरालिसिस (paralysis)क्यों होता है
पैरालिसिस होने के 10 मुख्य कारण
(1) स्ट्रोक: यह एक अच्छे संवेदनशीलता का अचानक हानि होता है, जिससे आयरा के खून का प्रवाह रुक जाता है, जिससे न्यूरॉन्स की क्षति होती है और पैरालिसिस हो सकता है।
(2) स्पाइनल कॉर्ड इंजरी: पीठ के इंजरी या घाव से पैरालिसिस हो सकता है।
(3) ट्रैमा: एक्सीडेंट या घाव से भी पैरालिसिस हो सकता है।
(4) गंभीर ब्रेन इंफेक्शन: कई गंभीर इंफेक्शन, जैसे कि इंसेफालाइटिस, भी पैरालिसिस का कारण बन सकते हैं।
(5) डायबिटीज: लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा स्तर बना रहने से न्यूरॉन्स को क्षति हो सकती है जो पैरालिसिस का कारण बन सकती है।
(6) कैंसर: कुछ कैंसर रोगों या उनके इलाज के दौरान उपयुक्त इलाज के दौरान पैरालिसिस हो सकता है।
(7) न्यूरोलॉजिकल विकार: कुछ गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार भी पैरालिसिस का कारण बन सकते हैं, जैसे कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस या अल्जाइमर की बीमारी।
(8) ब्रेन ट्यूमर: अगर किसी के ब्रेन में ट्यूमर हो, तो वह पैरालिसिस का कारण बन सकता है।
(9) एमीट्रोफी: कुछ न्यूरोमस्क्यूलर विकार जैसे कि एमीट्रोफी, जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और क्षय होता है, पैरालिसिस का कारण बन सकते हैं।
(10) न्यूरोडेगेनरेटिव विकार: कुछ गंभीर न्यूरोडेगेनरेटिव विकार भी पैरालिसिस का कारण बन सकते हैं, जैसे कि पार्किंसन की बीमारी या हंटिंगटन का कोरिया।
(पैरालिसिस होने की 10 मुख्य लक्षण)
(1) पूर्ण या आंशिक असमर्थता: पैरों की मोशन का पूर्ण या आंशिक असमर्थता।
(2) संवेदनशीलता का अभाव: पैरों में कोई संवेदनशीलता का अभाव या कमी।
(3) मांसपेशियों में कमजोरी: पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी या संयुक्त संयोजन में कमी।
(4) नियंत्रण के लिए असमर्थता: पैरों के नियंत्रण की कमी, जिससे व्यक्ति चलने या खड़े रहने में मुश्किल महसूस करता है।
(5) निर्देशांकन की कमी: पैरों की जानकारी या निर्देशांकन में कमी, जिससे व्यक्ति सही दिशा या स्थिति में नहीं रह पाता है।
(6) संवेदनशीलता में बदलाव: पैरों में अचानक संवेदनशीलता में बदलाव या नुमा पन का अनुभव करना।
(7) स्वतंत्र गतिविधियों में समस्या: पैरों की स्वतंत्र गतिविधियों में समस्या, जैसे कि चलने, धावन, या लटकाने में मुश्किलता।
(8) बाहरी प्रेरणाधारित अस्थिति की कमी: पैरों को बाहरी प्रेरणाधारित स्थितियों का समर्थन नहीं कर पाना, जैसे कि ठंड, गरमी, या छूने का अनुभव करना।
(9) कार्यों के प्रभाव से असन्तुलितता: पैरों के कार्यों के प्रभाव में असंतुलितता, जैसे कि खासकर चलने या भागने में।
(10) आंतरिक या बाह्य दर्द: अंग की कोई नुकसान या दर्द के अभाव के साथ-साथ, आंतरिक या बाह्य दर्द का अनुभव करना।
यदि किसी व्यक्ति को इन लक्षणों में से कुछ होते हैं, तो उन्हें चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
(पैरालिसिस के लिए कुछ घरेलू उपचार )
(1) नारियल का तेल मालिश: पैरों की मालिश करने के लिए नारियल का तेल उपयोग करें, जो मांसपेशियों को संबंधित ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
(2) अदरक और लहसुन का सेवन: अदरक और लहसुन के सेवन से पैरों की क्रियाशीलता में सुधार हो सकता है।
(3) योग और प्राणायाम: नियमित योग और प्राणायाम प्रैक्टिस करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
(4) आंवला का सेवन: आंवला में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है जो मस्तिष्क की सेहत के लिए लाभकारी होती है।
(5) अश्वगंधा: अश्वगंधा का सेवन पैरालिसिस के इलाज में मदद कर सकता है और मांसपेशियों को मजबूती देने में मदद कर सकता है।
(6) जैतून का तेल: जैतून का तेल मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है और मांसपेशियों को संबंधित ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
(7) गुड़हल: गुड़हल के पेड़ के पत्तों को गरम पानी में भिगोकर लिपटाएं और इसे पैरों पर मालिश करें, यह मांसपेशियों को सुधारने में मदद कर सकता है।
(8) सरसों का तेल: सरसों का तेल में लिपिड और विटामिन E होता है जो मांसपेशियों के लिए लाभकारी होता है।
(9) हल्दी और दूध: हल्दी को गरम दूध में मिलाकर पीने से मांसपेशियों में सुधार हो सकती है।
(10) जायफल का पाउडर: जायफल का पाउडर और शहद मिलाकर सेवन करने से मांसपेशियों की कमजोरी में लाभ हो सकता है।