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हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी हरी मिर्च को यदि तर...
25/12/2013

हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए यानी की उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे

गर्मी के दिनों में यदि हम खाने के साथ हरी मिर्च खाए और फिर घर से बाहरजाए तो कभी भी लू नहीं लग सकती !
खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा

मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है

मिर्च के सेवन से भूखं कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।

लाल मिर्च में भी औषधीय गुण होते है किन्तु हरी मिर्च सेहत के लिए अधिक लाभकारी है

खाने के साथ,चटनी में या हरी मिर्च का अचार बना कर हम इस का उपयोग कर सकते है

मिर्च का अचार तो लगभग सब ने ही खाया होगा किन्तु मिर्च के रायता के बारे में कम ही लोग जानते होगे आइये बनाते है मिर्च का रायता


सामग्री :
200 ग्राम दही, 8-10 हरी मिर्च, नमक( स्वाद अनुसार ),
1 छोटा चम्मच राई (पिसी हुई)
विधि :
हरी मिर्चों को उबालकर पानी से निकालकर पेस्ट बना लें। दही में आधा टी स्पून नमक डालकर अच्छी तरह फेंट लें।
फेंटी हुई दही में हरी मिर्च का पेस्ट और राई पाउडर को अच्छी तरह मिलाकर सर्व करें।
(दही में मिर्च का तीखापन कम हो जाता है और औषधीय गुण बरकरार रहते है)

21/12/2013

नींबू और शहद पीने के हैं कई लाजवाब फायदे
मोटापा कम करना हो तो रोज सुबह नींबू और शहद मिला कर गरम पानी पीना चाहिये, ये तो हम सब को मालूम है। लेकिन क्या आप नींबू और शहद पीने के बारे में और लाभ जानते हैं? आप को यह जानकर हैरानी होगी कि इन्हें एक साथ पीने से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं, चलिये जानते हैं इसके और लाभों के बारे में। शहद और नींबू पानी पीने के फायदे
1. मोटापा कम करें: यदि आप रोज सुबह खाली पेट गरम पानी में नींबू और शहद की दो बूंद डाल कर पिये तो आपका वजन कम होगा। साथ में एनर्जी भी आएगी और चेहरा भी ग्लो करेगा।
2. पाचन क्रिया सही करे: यह नींबू के रस का ही फायदा है जो कि पाचन क्रिया को सही रखता है। यदि आपको एसीडिटी या गैस्ट्रिक प्रॉब्लम है तो नींबू और शहद पीजिये।
3. शरीर की सफाई करे: दोनों के मिश्रण से शरीर के अंदर की गंदगी और विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यदि आपको कब्ज की भी समस्या है तो आप गरम पानी में नींबू और शहद मिला कर जरुर पिये।
4. किडनी स्टोन से मुक्ती: आम दिनों में किडनी स्टोन की समस्या बहुत फैल रही है। किडनी स्टोन कुछ नहीं बल्कि जमा हुआ कैल्शियम होता है जिसे यह नींबू और शहद पानी जमने से रोकता है।
5. गले की खराश दूर करे: क्या आपको कफ और खराश की समस्या है? तो आपको नींबू और शहद पानी पीना चाहिये। शहद में एंटी बैक्टीरियल तत्व पाये जाते हैं जो बैक्टीरिया और जर्म्स को साफ करता है। साथ ही गरम पानी भी गले में से कफ को एकदम साफ कर देता है।
6. पेट के कैंसर से लडे़: शहद में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ट्यूमर बनने से रोकते हैं। तभी नियमित रूप से शहद खाने से पेट का कैंसर कभी नहीं होता

नींबू और शहद पीने के हैं कई लाजवाब फायदेमोटापा कम करना हो तो रोज सुबह नींबू और शहद मिला कर गरम पानी पीना चाहिये, ये तो ह...
21/12/2013

नींबू और शहद पीने के हैं कई लाजवाब फायदे
मोटापा कम करना हो तो रोज सुबह नींबू और शहद मिला कर गरम पानी पीना चाहिये, ये तो हम सब को मालूम है। लेकिन क्या आप नींबू और शहद पीने के बारे में और लाभ जानते हैं? आप को यह जानकर हैरानी होगी कि इन्हें एक साथ पीने से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं, चलिये जानते हैं इसके और लाभों के बारे में। शहद और नींबू पानी पीने के फायदे
1. मोटापा कम करें: यदि आप रोज सुबह खाली पेट गरम पानी में नींबू और शहद की दो बूंद डाल कर पिये तो आपका वजन कम होगा। साथ में एनर्जी भी आएगी और चेहरा भी ग्लो करेगा।
2. पाचन क्रिया सही करे: यह नींबू के रस का ही फायदा है जो कि पाचन क्रिया को सही रखता है। यदि आपको एसीडिटी या गैस्ट्रिक प्रॉब्लम है तो नींबू और शहद पीजिये।
3. शरीर की सफाई करे: दोनों के मिश्रण से शरीर के अंदर की गंदगी और विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यदि आपको कब्ज की भी समस्या है तो आप गरम पानी में नींबू और शहद मिला कर जरुर पिये।
4. किडनी स्टोन से मुक्ती: आम दिनों में किडनी स्टोन की समस्या बहुत फैल रही है। किडनी स्टोन कुछ नहीं बल्कि जमा हुआ कैल्शियम होता है जिसे यह नींबू और शहद पानी जमने से रोकता है।
5. गले की खराश दूर करे: क्या आपको कफ और खराश की समस्या है? तो आपको नींबू और शहद पानी पीना चाहिये। शहद में एंटी बैक्टीरियल तत्व पाये जाते हैं जो बैक्टीरिया और जर्म्स को साफ करता है। साथ ही गरम पानी भी गले में से कफ को एकदम साफ कर देता है।
6. पेट के कैंसर से लडे़: शहद में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ट्यूमर बनने से रोकते हैं। तभी नियमित रूप से शहद खाने से पेट का कैंसर कभी नहीं होता

20/12/2013

कोई भी किसी भी समस्या से परेसान है तो मेसज कर सकता है , हम आपकी सेवा मे तत्पर तैयार है

लहसुन एक चमत्कारिक औषधिएंटी- बैक्टीरियल और एंटीवायरल एंटी- बैक्टीरियल और एंटीवायरल के लाभ के लिए लहसुन को विशेष रूप से ज...
20/12/2013

लहसुन एक चमत्कारिक औषधि
एंटी- बैक्टीरियल और एंटीवायरल एंटी- बैक्टीरियल और एंटीवायरल के लाभ के लिए लहसुन को विशेष रूप से जाना जाता है। इसकी मदद से बैक्टीरियल संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है, इसके सेवन से वायरल, फंगल, यीस्ट और वॉर्म संक्रमण भी नहीं होता है। ताजे लहसुन के सेवन से फूड पॉयजिनिंग होने का खतरा नहीं रहता है क्योंकि यह ई. क्वॉयल, सालमोनेला, एंटररिटडिस आदि को मार देता है।

स्कीन इंफ्केशन को खत्म करता है लहसुन के नियमित सेवन से स्कीन में हुए संक्रमण भी समाप्त हो जाते है जैसे - रिंगवॉर्म या एथलीट फुट आदि।

खून को पतला करता है लहसुन में एंटी - क्लाटिंग गुण होते है जो खून को पतला करने में सहायक होते है और शरीर में खून के थक्के बनने से रोकते है। अत: इससे चोट लगने के बाद, खून बहने का ड़र भी नहीं रहता है।

ब्लड़ - प्रेशर को कम करता है मंतज एंगीओटेंसीन 2 एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो हमारी रक्त वाहिकाओं को कंट्रोल करता है, लहसुन में एलीसिन होता है जो एंगीओटेंसीन की हर प्रतिक्रिया को रोक देता है और इससे ब्लड़ प्रेशर कंट्रोल में आ जाता है। लहसुन में पॉलीसल्फाइड भी होता है जो हाइड्रोजन सल्फाइड में बदल जाता है जिसे रेड ब्लड़ सेल्स बदलती है। हाइड्रोजन सल्फाइड, हमारी ब्लड़ वेसेल्स को फैला देती है और ब्लड़ प्रेशर को कंट्रोल में करती है।
दिल को सुरक्षित रखता है लहसुन हमारे दिल को सुरक्षित बनाएं रखने में मदद करता है और हार्ट - अटैक और एथ्रेरोस्लेरोसिस से होने वाली दिक्कतों से बचाता है। इसमें दिल को सुरक्षित रखने वाले तत्व होते है जिनके सेवन से दिल को आसानी से स्वस्थ बनाया जा सकता है। उम्र के साथ, धमनियां खिंचाव करने की क्षमता खो देती है। लहसुन, इसे कम कर देता है और दिल को ऑक्सीजन रेडीकल्स के प्रभाव से बचाता है ताकि हार्ट को कोई नुकसान न पहुंचे। इसके सल्फर युक्त यौगिक हमारी रक्त वाहिकाओं को अवरूद्ध होने से बचाता है जिसकी वजह से एथ्रेरोस्लेरोसिस की दिक्कत खत्म हो जाती है। लहसुन की एंटी - क्लॉटिंग प्रॉपर्टी, रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनाने से रोकती

कोलेस्ट्रॉल को कम करता है लहसुन में कोलेस्ट्रॉल को कम करने का गुण होता है। यह हमारे शरीर में खून में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा को मेंटेन करता है, इससे कोलेस्ट्रॉल अपने आप कम हो जाता है।

एलर्जी को दूर भगाता है लहसुन में एंटी - इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टी होती है जिसकी मदद से एलर्जी को दूर भगाया जा सकता है। लहसुन की एंटी - आर्थीटिक प्रॉपर्टी की सहायता से डायली सल्फाइड और थियासेरेमोनोने भी मेंटेन रहते है। इसमें एलर्जी से लड़ने वाले कई तत्व होते है। अगर लहसुन के जूस को पिया जाएं तो रैसज या चकत्ते पड़ने की समस्या भी दूर हो जाती है।

सांस की समस्या का निदान लहसुन के नियमित सेवन से सांस की समस्या में आराम मिलता है, इससे सर्दी - जुकाम में राहत मिलती है। इसके एंटी - बैक्टीरियल तत्व, गले में होने वाले संक्रमण को भी दूर भगाता है। श्वास सम्बंधी कई समस्याएं जैसे - अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ आदि के लिए लहसुन रामबाण दवा है। इसके सेवन से कई गंभीर समस्याओं का समाधान भी हो जाता है।

डायबटीज लहसुन, शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ा देती है जिससे डायबटीज की बीमारी में राहत मिलती है क्योंकि इससे ब्लड़ सुगर लेवल सही बना रहता है।

कैंसर की रोकथाम लहसुन का नियमित सेवन करने से कैंसर होने का खतरा काफी कम रहता है। लहसुन में एंटी - कैंसर प्रॉपर्टी पाई जाती है जिसे एली - सल्फाइड होती है। इसमें एक तत्व होता है पिल्प, जो एक प्रकार का हेट्रोसाइक्लिक एमीन होता है जिसकी सहायता से कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि कम होती है। महिलाओं में लहसुन के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर होने के चांस काफी कम हो जाते है।

दांतों के दर्द में आराम दिलाता है लहसुन के सेवन से दांतों के दर्द में आराम मिलता है। दांतों में दर्द होने पर लहसुन को कच्चा पीसकर दांतों पर रख लें, इससे तुंरत आराम मिलेगी क्योंकि लहसुन में एंटी - बैक्टीरियल तत्व होते है जो दांत पर सीधा प्रभाव डालते है।

वजन को घटाता है कई शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह निष्कर्ष निकाला है कि लहसुन के सेवन से वजन को घटाया जा सकता है, क्योंकि इसमें हमारे शरीर में बनने वाली वसा कोशिकाओं को विनियमित करने की क्षमता है जिससे वजन आसानी से घट जाता है। इसमें प्री - एडीपोसाइट्स होते है जो वसा कोशिकाओं को घटा देते है। लहसुन में 1,2 - डीटी ( 1,2 विनयालिडीन ) भी पाया जाता है जो वजन को कम करता है।

पैशन को बनाएं रखता है लहसुन के सेवन से हमेशा कामोत्तेजना बनी रहती है क्योकि यह बॉडी में अच्छी तरह से परिसंचरण को बढाता है।

पुनर्नवा = फिर से नया करने के लिए = पुनर्जीवित करने के लिए इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी भारत भर में पाया जाता है. यह एक मोटा ...
19/12/2013

पुनर्नवा = फिर से नया करने के लिए = पुनर्जीवित करने के लिए
इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी भारत भर में पाया जाता है. यह एक मोटा रूट स्टॉक और कई सीधा या फैल शाखाओं के साथ, एक जीव और फैल बारहमासी जड़ीबूटी है. यह लंबाई में 2 मीटर तक बढ़ता है. पौधे की पत्तियां, सरल व्यापक, कुछ हद तक किसी न किसी मोटी और भंगुर होते हैं. फूल गुलाबी या लाल रंग में हैं. फल आकार में अंडाकार हैं, रंग में और जीरा सेम के आकार के बारे में सुस्त हरी या भूरा.
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों दो प्रकार, सफेद और लाल के रूप में Punarnava वर्णन. उन दोनों को समान औषधीय मूल्य है.
पुनर्नवा स्वाद में थोड़ा कड़वा है और गर्म, प्रकाश माना जाता है और प्रभाव में सूखी. यह शरीर के सभी दोषों (वात, पित्त और कफ) संतुलन. पोटेशियम नाइट्रेट के अलावा, यह punarnavine के रूप में जाना जाता है जो एक alkaloid, शामिल हैं. प्रायोगिक अध्ययन Punarnava की मूत्रवर्धक गुणों की पुष्टि की है. यह मोटापा, एनीमिया के मामलों, भूख न लगना, पीलिया और क्रोनिक लेकिन गैर विशिष्ट ज्वर की स्थिति में उपयोगी है. यह भी विरोधी भड़काऊ हल्का रेचक और यह भी एक दिल टॉनिक है. पुनर्नवा भी त्वचा और कोमल ऊतकों में संक्रमण का इलाज करने के लिए गुणों के अधिकारी के लिए जाना जाता है.
जलोदर:
पुनर्नवा मूत्र का स्राव और निर्वहन बढ़ जाती है. यह जलोदर, ऊतकों और cavities या शरीर की प्राकृतिक Hollows में एक पानी द्रव का एक अत्यधिक संग्रह द्वारा चिह्नित रोग के उपचार में कारगर है. ताजा उबला हुआ जड़ी बूटी इस रोग के उपचार में दी जानी चाहिए. ताजा या सूखे पौधे का एक तरल निकालने में भी 4 से 6 ग्राम की मात्रा में दिया जा सकता है.
Ascities:
जड़ी बूटी ascities का इलाज, पेट की peritoneal गुहा के अंदर तरल पदार्थ का संचय की विशेषता बीमारी में उपयोगी है. अधिक शक्तिशाली होने के कारण जिगर और पुरानी पेरिटोनिटिस की सिरोसिस के कारण होता है कि ascities के कुछ प्रकार पर प्रभाव.
पेट संबंधी विकार:
जड़ी बूटी पेट को मजबूत बनाने और अपनी कार्रवाई को बढ़ावा देने में उपयोगी है. यह कई पेट संबंधी विकार, विशेष रूप से आंत्र पेट का दर्द के उपचार में लाभदायक है. जड़ का एक पाउडर एक दिन में तीन बार 5 ग्राम की मात्रा में दिया जाता है. यह भी पेट के कीड़े को मारने या खदेड़ने में उपयोगी है.
अस्थमा:
पुनर्नवा ब्रोन्कियल नलियों से प्रतिश्यायी बात और कफ को हटाने को बढ़ावा देता है. यह इसलिए, अस्थमा के उपचार में लाभदायक है. जड़ का एक पाउडर छोटी मात्रा में दिन में तीन बार लिया जा सकता है.
बुखार:
पुनर्नवा बुखार के उपचार में लाभदायक है. यह प्रचुर पसीना उत्प्रेरण से तापमान नीचे लाता है.
त्वचा रोगों
पौधे की जड़ कई त्वचा रोगों के लिए एक कारगर उपाय है. जड़ का पेस्ट oedematous सूजन के लिए एक ड्रेसिंग रूप में लाभदायक लागू किया जा सकता है. रूट की एक गर्म प्रलेप अल्सर, फोड़े और इसी तरह के त्वचा रोगों के लिए संतुष्टिदायक परिणामों के साथ लागू किया जा सकता है.
अन्य रोगों:
विशेष रूप से गुर्दे और दिल के साथ ही सूजाक की - पौधे की जड़ में कई रोगों के उपचार में उपयोगी है. यह भी शोफ में, एनीमिया, खांसी, pluerisy, तंत्रिका कमजोरी, कब्ज और पक्षाघात मूल्यवान है.

चिक्तिसा परामर्श हेतु हमसे संपर्क करने वालो में सर्वाधिक संख्या उन रोगियों की होती है जो उदर रोगों से पीड़ित होते है – जै...
18/12/2013

चिक्तिसा परामर्श हेतु हमसे संपर्क करने वालो में सर्वाधिक संख्या उन रोगियों की होती है जो उदर रोगों से पीड़ित होते है – जैसे अपच,भूख न लगना, गैस, एसिडिटी और सबसे मुख्य रोग कब्ज़ | अनियमित दिनचर्या और अनुचित आहार-विहार के अलावा मानसिक तनाव, नाना प्रकार के कारणवश होने वाली चिंता का सीधा प्रभाव नींद और पाचन संस्थान पर पड़ता है और व्यक्ति अनिद्रा तथा अपच का शिकार हो जाता है और इस स्थिति का निश्चित परिणाम होता है कब्ज़ होना | कब्ज़ कई व्याधियों की जड़ होती है जिसमे बवासीर, वात प्रकोप, एसिडिटी, गैस और जोड़ों का दर्द आदि व्याधियां कब्ज़ के ही देन होती है |
तो आज मैं चर्चा करने जा रहे है जिसमे सारे रोगों को दूर करने की शक्ति है,जो की ठंढी प्रकृति का है तथा इसकी विशेषता यह है की सूखने पर भी इसके गुण नष्ट नहीं होते | इसे आप हरा या सुखा किसी भी रूप में खाकर इसके सामान गुण का लाभ उठा सकते है | जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ आयुर्वेद में मशहूर बनौषधि जिसका नाम है ” आँवला”
संस्कृत में आँवले को अमरफल, आदिफल, आमलकी , धात्री फल आदि नामों से पहचाना जाता है | लेतीं नाम :- एम्ब्लिका ओफिसिनेलिस( Emblica officinalis )
आँवला सर्दी की ऋतू में ताजा मिलता है | नवम्बर से मार्च तक अवाला ताजा मिलता रहता है | जनवरी-फ़रवरी में आवला अपने पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है |
जो आंवला आकर में बड़ा होता हो, गुदे में रेशा नहीं हो, बेदाग और हलकी-सी लाली लिए हुए हो, वह आँवला सबसे उत्तम होता है | वैसे सर्दियों में ही इसका मुरब्बा, अचार, जैम आदि बनाए |
आँवले में विटामिन- सी ( “C”) पाया जाता है | एक आँवले में विटामिन- सी की मात्रा चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है | इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्वपूर्ण है | विटामिन-सी की गोलियों की अपेक्षा आँवले का विटामिन-सी सरलता से पच जाता है |
आँवले में पाए जाने वाले कार्बोहायड्रेटस में मुख्य है रेशेदार ‘पेक्टिन’ | यह रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम है | यह फल मधुरता और शीतलता के कारण पित को शान्त करता है |यह फल पितनाश्क होने के कारण पित-प्रधान रोगों की प्रधान औषधि है |
आँवले में ५८ मि .ग्रा. कैलोरी, ०.५ मि .ग्रा. प्रोटीन, ५० मि .ग्रा. कैल्सियम, १.२ मि .ग्रा. लोहा, ९ मि .ग्रा. विटामिन , ०.०३ मि .ग्रा. थायोमिन, ०.०१ मि .ग्रा. रिबोफ्लोविन, ०.२ मि .ग्रा. नियासिन, ६०० मि .ग्रा. विटामिन-सी |
आँवले के गुद्दे में जल ८१.२ प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट १४.१ प्रतिश, खनिज लवण ०.7 प्रतिशत, रेशा ३.४ प्रतिशत, वसा ०.१ प्रतिशत और फास्फोरस ०.०२ प्रतिशत होता है | आँवले में कई विटामिन होते है , जिनमे प्रमुख है – विटामिन -सी, यानि स्कार्बिक एसिड | आँवले में गेलिक एसिड, टैनिन और आल्ब्युमिन भी मौजूद होते है |
कब्ज़ में आँवला रात को एक चम्मच पिसा हुआ पानी या दूध के साथ लेने से सुबह शौच साफ़ आता है , कब्ज़ नहीं रहती | इससे आंते और पेट हलकी और साफ़ रहता है |
आंतरिक शक्ति बढ़ने वाली औषधियों का प्रधान घटक आँवला ही है | आँवले में एक रसायन होता है, जिसका नाम सकसीनिक अम्ल है | सकसीनिक अम्ल बुढ़ापे को रोकता है और इसमें पुनः यौवन प्रदान करने की शक्ति भी होती है | इसमें विद्यमान विभिन्न रसायन बीमार और जीर्ण कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में अपना अच्छा योगदान देते है |
आँवले के नियमित सेवन से नेत्रज्योति और स्मरणशक्ति बढती है | यह गर्भवती महिला के लिए हितकर है
| इससे ह्रदय की बेचैनी, धड़कन, मेदा, रक्तचाप,दाद आदि में लाभदायक है |
मधुमेह के रोगीओं के लिए :- सूखे आँवले और जामुन की गुठली समान मात्रा में पिस ले | इसकी दो चम्मच नित्य प्रातः भूखे पेट पानी के साथ फंकी लें | मधुमेह में निश्चित तौर पर फायद होगा | मधुमेह रोगीओं के लिए आँवले का ताजा रस लाभप्रद होता है | इसके सेवन से रक्त में शक्कर बनाना कम हो जाता है | आँवला पाउडर १ चम्मच दो बार पानी या दूध के साथ लेने से मधुमेह में लाभ होता है |



वैसे तो आंवले शरीर के सम्बंधित अधिकांश रोगों से लड़ने में कारगर है , परन्तु मैं यहाँ कुछ रोग जो वर्तमान में ज्यादा लोग ग्रसित है उसके बारे में बताते है :-
उच्च रक्तचाप :- आँवले में सोडियम को कम करने की क्षमता होती है | इसलिए रक्तचाप के रोगी के लिए आँवले का उपयोग लाभदायक है | यह रक्त बढाने और साफ़ करने में सहायक है तथा इससे शरीर को आवश्यक रेशा मिलता है |
ह्रदय एवं मस्तिस्क की निर्बलता :- आधा भोजन करने के पश्चात् हरे आंवलों का रस ३५ ग्राम पानी में मिलकर पी लें, फिर आधा भ्जोजन करें | इस पारकर २१ दिन सेवन करने से ह्रदय एवं मस्तिस्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है | स्मरण-शक्ति बढती है |
कोलेस्ट्रोल , ह्रदय रोग से बचाव :- एक चम्मच आँवले की फंकी नित्य लेने से ह्रदय रोग होने से बचाव होता है | कच्चे हरे आँवले का रस चौथाई कप, अध कप पानी, स्वादानुसार मिश्री मिलकर पीते रहने से कोलेस्ट्रोल कम होकर सामान्य हो जाता है , जिससे ह्रदय रोग से बचाव होता है |
सुन्दर संतान :- नित्य एक आँवले का मुरब्बा गर्भावस्था में सेवन करते रहने से मान स्वस्थ्य रहती हुई सुन्दर, गौरवर्ण संतान को जन्म देगी |
नेत्र-ज्योतिवर्धक :- एक कांच का गिलास पानी से भरकर नित्य रात को उसमे एक चम्मच पिसा हुआ आँवला दल दें | प्रातः बिना हिलाए आधा पानी छानकर उससे नेत्रों को धोये तथा बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें | इस तरह लगातार चार महीने सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ जाएगी |
हस्त-मैथुन :- हस्त-मैथुन से धातु पतली हो गई हो तो , सबसे पहले मेरा युवकों को सलाह है की हस्त-मैथुन की आदते छोड़ दें | इस तरह से लोग अक्सरहा शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार की दुर्बलता का शिकार हो जाते है फिर निम् हाकिम के चक्कर में फंसते जाते है | इसलिए ऐसी कोई परेशानी हो तो आप सही चिकित्सक के पास जाए और उचित परामर्श लें | यहाँ आप आँवले तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर , घी डालकर सकें और भुने | सिकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पीसी हुई मिश्री मिला ले | एक चाय की चम्मच भरकर सुबह-शाम गर्म दूध से फंकी ले तो धातु दुर्बलता दूर होगा |

हल्दी के गुण अनंत हैं। हल्दी पर रोज नए शोध हो रहे हैं। भारतीय आहार शैली में यह आदिकाल से शामिल रही है। किसी समय इसे रंग ...
16/12/2013

हल्दी के गुण अनंत हैं। हल्दी पर रोज नए शोध हो रहे हैं। भारतीय आहार शैली में यह आदिकाल से शामिल रही है। किसी समय इसे रंग के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता था। यह एक सर्वगुण संपन्ना एंटीबायोटिक्स तो है ही, प्राकृतिक चमत्कार के रूप में भी इसकी ख्याति है। यह कैंसर से लेकर अल्झाइमर्स तक कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। २० कारणों की वजह से हल्दी को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिएः
1. यह एक प्राकृतिक एंटिसेप्टिक एवं एंटिबैक्टेरियल एजेन्ट है। हल्दी का पावडर जले और कटे अंग पर लगाने से संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है।
2. हल्दी को फूलगोभी के साथ मिलाकर खाने से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका जाती रहती है। इसके अलावा अगर प्रोस्टेट कैंसर हो तो उसका बढ़ना रुक जाता है।
3. चूहों पर हुए प्रयोग से पता चला है कि हल्दी स्तन कैंसर को फेफड़ों में जाने से रोक देती है।
4. हल्दी से मेलानोमा यानी काले तिल उभरना रुक सकता है। इसके अलावा मौजूद मेलानोमा सेल्स आत्महत्या कर लेते हैं। हल्दी त्वचा का रूप निखारने के लिए सदियों से भारत में इस्तेमाल की जाती रही है।
5. बचपन में होने वाले ल्यूकेमिया यानी रक्तकैंसर का जोखिम कम हो जाता है। 6. लिवर शुद्धि के लिए यह एक प्राकृतिक छन्नी है।
7. हल्दी मस्तिष्क में बनने वाले एम्लोयड प्लॉक की वृद्धि एवं निर्माण रोककर एल्जाइमर्स की बढ़त पर रोकथाम कर लेती है।
8. यह कई प्रकार के कैंसर की वृद्धि पर रोकथाम लगाती है।
9. यह दाह और जलन को दूर करने का एक प्राकृतिक पदार्थ है। यह कई एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्रस से बेहतर काम करती है और इसके कोई साइड-इफेक्ट्स भी नहीं होते।
10. यह प्राकृतिक दर्द-निवारक है।
11. चूहों पर हुए प्रयोग में पाया गया है कि हल्दी मल्टीपल स्क्लेरोसिसस की रोकथाम करने में समर्थ है।
12. यह वजन कम करने के साथ फैट मेटाबोलिज्म में मदद करती है।
13. अर्से से इसे अवसाद दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
14. हल्दी आर्थ्राइटिस और रिह्यूमेटाइड ऑर्थ्राइटिस का प्राकृतिक निरोधक है।
15. हल्दी कीमोथैरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवा पैक्लिटेक्सेल के प्रभाव को बढ़ा देती है और इसके साइड-इफेक्ट्स को कम कर देती है।।
16. पैंक्रियाज ग्रंथि के कैंसर पर हल्दी के प्रयोग पर हुए शोधों के नतीज़े सकारात्मक आ रहे हैं।
17. किसी भी ग्रंथि में नई रक्त नलिकाओं के निर्माण को हल्दी सफलतापूर्वक रोक देती है।
18. घाव को जल्दी भरने के साथ-साथ यह क्षतिग्रस्त त्वचा को भी ठीक करती है।
19. सोरायसिस सहित त्वचा की कई बीमारियों के इलाज़ में हल्दी से मदद मिलती है।
20. कच्ची हल्दी पर हुए प्रयोगों से पता चलता है कि इससे शराबखोरी के कारण क्षतिग्रस्त हुए लिवर को ठीक करने में मदद मिलती है।
हल्दी कच्ची और सुखाकर बनाए गए पाउडर बाज़ार में मौजूद हैं। इसके अलावा,250-300 मिलीग्राम शक्ति के हल्दी के कैप्सूल बाज़ार में मिलते हैं।
सावधानियाँ...
पित्ताशय की पथरी एवं पित्त की रुकावट के मरीजों को हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाएँ हल्दी का खूब उपयोग करती हैं लेकिन इससे गर्भाशय की प्रक्रिया भी तेज होने लगती है इसलिए किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह से इसे इस्तेमाल करना चाहिए.

16/12/2013

The tulsi or is an important symbol in the Hindu religious tradition and is worshiped in the morning and evening by Hindus at large. The holy basil is also a herbal remedy for a lot of common ailments. Here're top fifteen medicinal uses of tulsi.
1. Healing Power: The tulsi plant has many medicinal properties. The leaves are a nerve tonic and also sharpen memory. They promote the removal of the catarrhal matter and phlegm from the bronchial tube. The leaves strengthen the stomach and induce copious perspiration. The seed of the plant are mucilaginous.
2. Fever & Common Cold: The leaves of basil are specific for many fevers. During the rainy season, when malaria and dengue fever are widely prevalent, tender leaves, boiled with tea, act as preventive against these diseases. In case of acute fevers, a decoction of the leaves boiled with powdered cardamom in half a liter of water and mixed with sugar and milk brings down the temperature. The juice of tulsi leaves can be used to bring down fever. Extract of tulsi leaves in fresh water should be given every 2 to 3 hours. In between one can keep giving sips of cold water. In children, it is every effective in bringing down the temperature.
3. Coughs: Tulsi is an important constituent of many Ayurvedic cough syrups and expectorants. It helps to mobilize mucus in bronchitis and asthma. Chewing tulsi leaves relieves cold and flu.
Sore Throat: Water boiled with basil leaves can be taken as drink in case of sore throat. This water can also be used as a gargle.
5. Respiratory Disorder: The herb is useful in the treatment of respiratory system disorder. A decoction of the leaves, with honey and ginger is an effective remedy for bronchitis, asthma, influenza, cough and cold. A decoction of the leaves, cloves and common salt also gives immediate relief in case of influenza. They should be boiled in half a liter of water till only half the water is left and add then taken.
6. Kidney Stone: Basil has strengthening effect on the kidney. In case of renal stone the juice of basil leaves and honey, if taken regularly for 6 months it will expel them via the urinary tract.
7. Heart Disorder: Basil has a beneficial effect in cardiac disease and the weakness resulting from them. It reduces the level of blood cholesterol.
8. Children's Ailments: Common pediatric problems like cough cold, fever, diarrhea and vomiting respond favorably to the juice of basil leaves. If pustules of chicken pox delay their appearance, basil leaves taken with saffron will hasten them.
DISCLAIMER: These are only general guidelines as a first aid. It is always better to see a doctor depending upon the intensity of the case. The views expressed above are entirely those of the author.

The tulsi or  is an important symbol in the Hindu religious tradition and is worshiped in the morning and evening by Hin...
16/12/2013

The tulsi or is an important symbol in the Hindu religious tradition and is worshiped in the morning and evening by Hindus at large. The holy basil is also a herbal remedy for a lot of common ailments. Here're top fifteen medicinal uses of tulsi.
1. Healing Power: The tulsi plant has many medicinal properties. The leaves are a nerve tonic and also sharpen memory. They promote the removal of the catarrhal matter and phlegm from the bronchial tube. The leaves strengthen the stomach and induce copious perspiration. The seed of the plant are mucilaginous.
2. Fever & Common Cold: The leaves of basil are specific for many fevers. During the rainy season, when malaria and dengue fever are widely prevalent, tender leaves, boiled with tea, act as preventive against these diseases. In case of acute fevers, a decoction of the leaves boiled with powdered cardamom in half a liter of water and mixed with sugar and milk brings down the temperature. The juice of tulsi leaves can be used to bring down fever. Extract of tulsi leaves in fresh water should be given every 2 to 3 hours. In between one can keep giving sips of cold water. In children, it is every effective in bringing down the temperature.
3. Coughs: Tulsi is an important constituent of many Ayurvedic cough syrups and expectorants. It helps to mobilize mucus in bronchitis and asthma. Chewing tulsi leaves relieves cold and flu.
Sore Throat: Water boiled with basil leaves can be taken as drink in case of sore throat. This water can also be used as a gargle.
5. Respiratory Disorder: The herb is useful in the treatment of respiratory system disorder. A decoction of the leaves, with honey and ginger is an effective remedy for bronchitis, asthma, influenza, cough and cold. A decoction of the leaves, cloves and common salt also gives immediate relief in case of influenza. They should be boiled in half a liter of water till only half the water is left and add then taken.
6. Kidney Stone: Basil has strengthening effect on the kidney. In case of renal stone the juice of basil leaves and honey, if taken regularly for 6 months it will expel them via the urinary tract.
7. Heart Disorder: Basil has a beneficial effect in cardiac disease and the weakness resulting from them. It reduces the level of blood cholesterol.
8. Children's Ailments: Common pediatric problems like cough cold, fever, diarrhea and vomiting respond favorably to the juice of basil leaves. If pustules of chicken pox delay their appearance, basil leaves taken with saffron will hasten them.
DISCLAIMER: These are only general guidelines as a first aid. It is always better to see a doctor depending upon the intensity of the case. The views expressed above are entirely those of the author.

16/03/2012

नकसीर (नाक से खून बहना)
परिचय:
नाक में से खून बहने के रोग को नकसीर कहा जाता है। कभी-कभी नकसीर होने से पहले चेहरा लाल हो जाता है और सिर में दर्द भी होता है। यह नकसीर (नाक से खून बहने) के बाद ठीक हो जाता है। यह रोग सर्दियों से ज्यादा गर्मी के मौसम में होता है।
कारण:
नकसीर (नाक से खून बहना) रोग ज्यादा समय तक धूप में रहने से हो जाता है। बच्चों के ज्यादा खेलने के कारण या ज्यादा दौड़ने के कारण दिमाग में गर्मी चढ़ जाती है जिसकी वजह से नाक से खून बहने लगता है। नाक पर चोट लग जाने की वजह से नाक के अन्दर की श्लैष्मिक कला (झिल्ली) फट जाती है और नाक से खून बहता रहता है। कुछ लोग ज्यादा गर्म चीजों का सेवन करते है जिसकी वजह से नाक से खून निकल सकता है। कई लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्त चाप) हो जाता है जिसकी वजह से भी नाक से खून आ जाता है। कई बार लडकियों में मासिक धर्म बंद होने पर भी नाक से खून जाता है।
लक्षण:
नकसीर के रोग मे अचानक पहले सिर में दर्द होता है और चक्कर आने लगते है इसके बाद नाक से खून आने लगता है। कभी तो नाक के एक छेद से खून बहता है और कभी नाक के दूसरे छेद से फिर दोनो तरफ से बहने लगता है। कभी तो खून आवाज की नली में पहुंच जाता है जिसकी वजह से खांसी उठने लगती है। रोगी को बैचेनी सी महसूस होती है।
भोजन और परहेज:
नकसीर (नाक से खून बहने) के रोग में रोगी को ज्यादा समय तक धूप मे नहीं घूमना चाहिए और आग के पास भी नहीं बैठना चाहिए।
भोजन में ठंडे चीजों को ज्यादा खाना चाहिए और ठण्डी जगह में रहना चाहिए।
भोजन में गर्म पदार्थ और तेज मिर्च-मसाले नहीं खाने चाहिए।
इस रोग में गर्मी को दूर करने वाले सारे उपाय करने चाहिए।

14/03/2012
14/03/2012

एलोवेरा एक औषधीय पौधा है और यह भारत में प्राचीनकाल से ग्वारपाठा या धृतकुमारी नाम से जाना जाता है। यह कांटेदार पत्तियों वाला पौधा है जिसमें रोग निवारण के गुण भरे हैं। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसे साइलेंट हीलर तथा चमत्कारी औषधि भी कहा जाता है। इसकी 200 से ज्यादा प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से 5 प्रजातियां हीं हमारे स्वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी हैं। रामायण, बाइबिल और वेदों में भी इस पौधे के गुणों की चर्चा की गई है। एलोवेरा का जूस पीने से कई वीमारियों का निदान हो जाता है। आयुर्वेदिक पद्धति के मु‍ताबिक इसके सेवन से वायुजनित रोग, पेट के रोग, जोडों के दर्द, अल्सर, अम्‍लपित्‍त आदि बीमारियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा एलोवेरा को रक्त शोधक, पाचन क्रिया के लिए काफी गुणकारी माना जाता है।

एलोवेरा जूस के फायदे

एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।
एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।
एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।
एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्‍थ्‍य होते हैं।
एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।
एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्‍वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।
एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।
शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।
एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्‍वस्‍थ्‍य दिखती है। यह स्किन के कोलाजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।
एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।
एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।

13/03/2012
13/03/2012

अश्वगंधा, जिसे कि विन्टर चेरी भी कहा जाता है, एक अत्यन्त लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि है। वनस्पति शास्त्र में इसे “withania somnifera” के नाम से जाना जाता है। अश्वगंधा का प्रयोग तनाव मुक्ति के लिये किया जाता है। अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि अश्वगंधा में “एन्टी इंफ्लेमेटरी”, “एंट ट्यूमर”, “एंटी स्ट्रेस” तथा “एंटीआक्सीडेंट” गुण पाये जाते हैं।

आयुर्वेद में अश्वगंधा को एक ऐसा रसायन माना जाता है जो कि स्वास्थ्य तथा आयु में वृद्धिकारक है।
अश्वगंधा मनोवैज्ञानिक क्रियाओं को सामान्य बनाये रखता है।
अश्वगंधा के जड़ तथा फलियों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
भारत में अश्वगंधा का प्रयोग प्रायः मानसिक कमियों को दूर करने के लिये किया जाता है।

12/03/2012

आयुर्वेद एक संस्कृत शब्द है, दो जड़ों से प्राप्त होता है: 'आयुष' है, जो जीवन का अर्थ है 'और' वेद, जो ज्ञान मतलब है. आयुर्वेद जीवन का "जीवन का विज्ञान" या "ज्ञान प्रकृति के साथ सौदों और जीवन के सभी पहलुओं को शामिल है. यह एक स्पष्ट, संक्षिप्त, जोड़नेवाला मदद करने के लिए लोगों को अपने मन और शरीर में एक प्राकृतिक तरीके से संतुलन और स्वास्थ्य को बहाल regimen प्रदान करता है. आयुर्वेद का मुख्य सिद्धांतों हैं:

जीवन को लम्बा खींच और उत्तम स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए.
पूरी तरह से रोग और शरीर के रोग उन्मूलन के लिए.

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