Yoga Reiki Healing Meditation Angel Therapy Kundalini Third eye

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27/08/2021

Need female staff in spritual orgnization near ramesh Nagar.
We need staff from near by ramedh Nagar moti Nagar kirti Nagar rajouri garden tagore garden

Our services
31/01/2020

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https://youtu.be/MXFZXbT-14c
20/01/2020

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Adhyatmik Vikas Mission (AVM) Welcomes you to the Top quality class Alternative Therapy service Centre, with the Mission of Awakening the deprived knowledge ...

Crystal Healing Products Adhyatmik Vikas Mission 9911814500
17/01/2020

Crystal Healing Products

Adhyatmik Vikas Mission

9911814500

06/01/2020
09/12/2019

आंतरिक बल 1074

-तीसरा नेत्र

-पीनियल ग्रंथी

-हम दो आंखो द्वारा बाहर की चीजो को देखते हैंं ।

-हम मन से कुछ न देखते रहते रहते हैंं, कभी पार्क जाते हैंं, बाजार जाते हैंं, कभी हिसार, कभी देहली, कभी पानीपत कभी भिवानी, कभी अमेरिका, कभी भूतकाल मेंं चले जाते हैंं, कभी भविष्य मेंं चले जाते हैंं । यही तीसरी आंख हैंं । यह आंख दिखती नहीं परंतु हरेक व्यक्ति मेंं होती है ।

-तीसरी आंख एक पीनियल नाम की ग्रंथी मेंं स्थित है ।

-पीनियल ग्रन्थि सारे शरीर की सरदार ग्रन्थि है ।

- इस में आत्मा निवास करती है ।

-आत्मा का रुप अति सूक्ष्म है ।

- आत्मा का बिंदू रूप हैंं जो आकाश में चमकते सितारे के समान सफेद है ।

-आत्मा सिर के बाल की नोक के दस हजारवे हिस्से के बराबर है । इसे स्थूल आंखो से नही देख सकते । ये पांच तत्वों की पकड़ में नहीं आती ।

-परंतु आत्मा के अन्दर एक विशाल समुन्द्र जितना फैलाव है ।

-जैसे दस क्विंटल रूई का विस्तार बहुत होता है परंतु विज्ञान की सहायता से उसका एक छोटा सा गठर बना दिया जाता है । ऐसे ही समुन्द्र जितनी विशाल आत्मा का ईश्वर ने किसी नियम के अन्तर्गत बहुत छोटा सा रुप बन दिया है ।

-मृत्यु के बाद मनुष्य का 11 ग्राम वजन कम हो जाता है ।

-आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है ।

-आत्म भी एक तत्व है जिसे नष्ट नही किया जा सकता ।

-आत्मा की शक्ति पदार्थ से अधिक है ।

-विश्व में यह एक ही तत्व है जो देखता है, अनुभव करता है, प्रेम करता है, विचार करता है । क्रिया और प्रति क्रिया. करता है ।

-आत्मा के मूल गुण शांति, प्रेम, सुख, आनंद एवं ज्ञान है ।

-परंतु शरीर में आने के कारण हाथ, पैर, नाक, कान, मुख आदि के द्वारा आत्मा का बल, संसार में फैलता रहता है । जिस से काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार में फंस जाती है तथा दुखी होती है ।

-अगर हम आत्मा का बल जो बाहर बह रहा है उसे वापिस पीनियल ग्रंथि में लें आये तो फ़िर से सुखी हो जायेगे ।

-जब आत्मा इस ग्रंथि में केंद्रित हो जाती है तो सभी दिव्य ज्ञान और रहस्य हल हो जाते है ।

-यहां पर मन एकाग्र करने से आत्मा परमात्म से जुड़ जाती है ।

- योग का मतलब और कुछ नही सिर्फ पीनियल ग्रंथी को अकटीवेट करना ही है ।

09/12/2019

*🌹फटी एड़ियों के घरेलु उपचार🌹*

🌹1.रात्रि सोने से पहले ग्लिसरीन, गुलाबजल और जैतून के तेल को समभाग एकसाथ मिला लें। फिर इस तेल से तलुवों तथा एड़ियों की मालिश करें। ऐसा प्रतिदिन करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

🏵️2. एड़ियों के ज्यादा फटने या उनमें खून निकलने की हालत में एड़ियों को रात को गर्म पानी से धोकर उनमें गर्म मोम लगाने से फटी एड़िया( Fati Ediyon) ठीक हो जाती हैं।

🌹3.त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां (Crack heel)दूर हो जाती हैं।

🏵️4.देसी घी में नमक मिलाकर फटी एड़ियों पर लगाने से एड़ियों की त्वचा मुलायम रहती है और हाथ-पैर फटते नहीं हैं।

🌹5.पैरों को गर्म पानी से धोकर उनमें एरण्ड का तेल लगाने से बिवाइयां (फटी एड़ियां) ठीक हो जाती हैं।

🏵️6.सरसों के तेल से एड़ियों पर लेप करने से एड़ियां फटती नहीं हैं।

Learn reiki
08/12/2019

Learn reiki

ॐ का रहस्य क्या है?मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मन्त्र विज्ञान का सबसे ज्याद...
25/11/2019

ॐ का रहस्य क्या है?

मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मन्त्र विज्ञान का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मन व तन पर पड़ता है। मन्त्र का जाप एक मानसिक क्रिया है। कहा जाता है कि जैसा रहेगा मन वैसा रहेगा तन। यानि यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य है तो हमारा शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा।

मन को स्वस्थ्य रखने के लिए मन्त्र का जाप करना आवश्यक है। ओम् तीन अक्षरों से बना है। अ, उ और म से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है। जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस देने वाले ओम् के उच्चारण करने मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं व व्याधियों का नाश होता है।

सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ओम और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। इसलिए ओम को सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है।

इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि, ओम शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग एवं तनाव से मुक्ति मिलती है।

इसलिए धर्म गुरू ओम का जप करने की सलाह देते हैं। जबकि वास्तुविदों का मानना है कि ओम के प्रयोग से घर में मौजूद वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है।
ओम मंत्र को ब्रह्माण्ड का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि ओम में त्रिदेवों का वास होता है इसलिए सभी मंत्रों से पहले इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है जैसे
ओम नमो भगवते वासुदेव, ओम नमः शिवाय।

आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि नियमित ओम मंत्र का जप किया जाए तो व्यक्ति का तन मन शुद्घ रहता है और मानसिक शांति मिलती है। ओम मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है और मुक्ति पाने का अधिकारी बन जाता है।

: वैदिक साहित्य इस बात पर एकमत है कि ओ३म् ईश्वर का मुख्य नाम है. योग दर्शन में यह स्पष्ट है. यह ओ३म् शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है- अ, उ, म. प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है. जैसे “अ” से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है. “उ” से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है।

“म” से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है. ये तो बहुत थोड़े से उदाहरण हैं जो ओ३म् के प्रत्येक अक्षर से समझे जा सकते हैं. वास्तव में अनंत ईश्वर के अनगिनत नाम केवल इस ओ३म् शब्द में ही आ सकते हैं, और किसी में नहीं.

१. अनेक बार ओ३म् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनावरहित हो जाता है।

२. अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ओ३म् के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं!

३. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

४. यह हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

५. इससे पाचन शक्ति तेज होती है।

६. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

७. थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

८. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है. रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।

९ कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मजबूती आती है.
इत्यादि!

ॐ के उच्चारण का रहस्य?

ॐ है एक मात्र मंत्र, यही है आत्मा का संगीत
ओम का यह चिन्ह 'ॐ' अद्भुत है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार, फैलाव और फैलना। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है।

ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। यही है √ मंत्र बाकी सभी × है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। अनाहत अर्थात किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है।

तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।

साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते रहना।

*त्रिदेव और त्रेलोक्य का प्रतीक :
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है।

*बीमारी दूर भगाएँ : तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं।

सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।

*उच्चारण की विधि : प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

*इसके लाभ : इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।

*शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव :
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में 'टॉक्सिक'पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरहआल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है।

कम से कम 108 बार ओम् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है। कुछ ही दिनों पश्चात शरीर में एक नई उर्जा का संचरण होने लगता है। । ओम् का उच्चारण करने से प्रकृति के साथ बेहतर तालमेल और नियन्त्रण स्थापित होता है। जिसके कारण हमें प्राकृतिक उर्जा मिलती रहती है। ओम् का उच्चारण करने से परिस्थितियों का पूर्वानुमान होने लगता है।

ओम् का उच्चारण करने से आपके व्यवहार में शालीनता आयेगी जिससे आपके शत्रु भी मित्र बन जाते है। ओम् का उच्चारण करने से आपके मन में निराशा के भाव उत्पन्न नहीं होते है।

आत्म हत्या जैसे विचार भी मन में नहीं आते है। जो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते है या फिर उनकी स्मरण शक्ति कमजोर है। उन्हें यदि नियमित ओम् का उच्चारण कराया जाये तो उनकी स्मरण शक्ति भी अच्छी हो जायेगी और पढ़ाई में मन भी लगने लगेगा।

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Reiki is a powerful spiritual practice which enhances positive energies in order to remove negativity around you. Reiki power releases healing energies to cure blocked and stagnant areas. After having this knowledge under proper guidance you will surely attain the ability to heal almost anything and...

25/11/2019

शरीर के 13 वेग
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मल, मुत्र, पाद, बूख, प्यास, ढकार, छींक, उबासी, नींद, आंसू, थकान से आये सांस, वीर्य और उल्टी।

हमारे शरीर में 13 वेग होते हैं अगर वो अपने समय पर आए तो उन्हें रोकना नही चाहिए।

और ना ही इन्हें जबरस्ती लाना चाहिए।

कई बार लोग जानबूझकर रोने की कोशिश करते हैं। हसने की कोशिश करते है जो अक्सर पार्को मैं देखा गया है जो बुजुर्ग लोग घेरा बना के बिना बात हस्ते हैं वो रोग का कारण बन जाता है।

वैसे तो हँसना सेहत के लिए अच्छा होता है लेकिन बिना बात नही। इसकी बजाय अगर वो कोई किस्सा या चुटकुला सुना मार laughing exercise करें तो ज्यादा बेहतर होता है।

कई बार जोर लगा लगा कर मल निकालते हैं जिसके कारण बवासीर या hernia की प्रॉब्लम हो जाती है।

आइये देखते हैं वेगो को रोकने से क्या रोग हो सकते हैं :

1👉 मल को रोकने से पेट में गुड़गुड़ाहट, गुदा में पीड़ा, कब्ज, बवासीर, भगन्दर और अन्य गुदा के रोग हो जाते हैं।

2👉 मुत्र को रोकने से मूत्राशय और लिंग में जलन व दर्द, मुत्र संबंधित सभी बीमारी, प्रमेह, किडनी की बीमारियां, पत्थरी, सिर में पीड़ा, पेशाब का बार बार आना या कम आना,पेशाब में जलन आदि।

3👉 पाद को रोकने अफारा, पेट दर्द, कब्ज, क्लांति, बुखार, पेट के बहुत से रोग हो जाते हैं।

4👉 उबासी को रोकने से cervical spondelitis, जबड़ा दुखना, गर्दन में दर्द, सिर में पीड़ा, सिर के बहुत से रोग, आँख, नाक, कान के बहुत से रोग और वात के रोग हो जाते हैं।

5👉 आंसू चाहे वो खुशी के हों या गम के उनको रोकने से सिर में भारीपन, आखों के बहुत से रोग, भयंकर जुखाम, नजला और नाक के रोग आदि रोग हो जाते हैं।

6👉 छींक को रोकने cervical spondelitis, सिर में दर्द, मुह का लकवा, पक्षाघात, इंद्रियों का काम करना बंद करना और भी अन्य वात के भयंकर रोग होते हैं।

7👉 डकार को रोकने से गला और मुख भरा रहता है मानो खाना गले में ही है, सम्पूर्ण शरीर में दर्द होना, आंतो में शब्द होना, अफारा बन जाना, पाद न निकलना और भी वात के रोग हो जाते हैं।

8👉 उल्टी को रोकने से खाज, खुजली, अरुचि, चहरे पे झाइयां पड़ना, edema, पिलिया, बुखार, सभी प्रकार के चर्म रोग, उभकाई और erysipelas रोग हो जाते हैं।

9👉 वीर्य को रोकने से मूत्राशय, गुदा, अंडकोष में दर्द और सूजन, वीर्य संबंधित सभी रोग, नपुंसकता, मुत्र में वीर्य निकलना, पत्थरी, अंडकोष में पथरी रोग हो जाते है।

10👉 भूख में खाना न खाने से आलस्य, शरीर का टूटना, अरुचि, आखों की दृश्टि में कमी, पेट का cancer और पेट के रोग हो जाते हैं।

11👉 प्यास में पानी न पीने से कंठ और मुख सूखता है, श्रवणशक्ति का अवरोध होता है, हृदय में पीड़ा होति है, शरीर टूट जाता है।

NOTE : अगर भूख लगे तो खाना ही खाना चाहिए। और प्यास लगे तो पानी ही पीना चाहिए। अगर बूख लगी हो और पानी पी लिया जाए तो जलोदर रोग हो जाता है। और प्यास लगी हो और खाना खा लिया जाए तो पेट का cancer हो जाता है।

12👉 थकान से आये सांस को रोकने से दिल के सभी रोग, मोह और stomach cancer हो जाता है।

13👉 नींद आने पर अगर सोएं नही तो उबासी, शरीर का टूटना, आखों के बहुत से रोग, सिर भारी होना और दर्द होना और आलस्य हो जाता है।

इसीलिए हमे शरीर के वेगो को ना तो रोकना चाहिए न जबरदस्ती लाना चाहिए।
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