Ayurprayogam Naturopathy & Yog : Purna Chikitsa

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Ayurprayogam Naturopathy & Yog : Purna Chikitsa a charitable trust for healthy life without medicine

16/07/2025

Power of Naturopathy treatment

05/05/2025
Diet Plan (मोटापा/ मधुमेह/ कॉलेस्ट्रॉल/ थायरॉइड के लिए)उठते ही जलपान:  3 गिलास गुनगुना जल कागासन में बैठकर पीना है।विधि:...
29/01/2025

Diet Plan (मोटापा/ मधुमेह/ कॉलेस्ट्रॉल/ थायरॉइड के लिए)

उठते ही जलपान: 3 गिलास गुनगुना जल कागासन में बैठकर पीना है।
विधि: सर्दी के मौसम में 1st गिलास + लहसुन--2nd गिलास + लहसुन--3rd गिलास
गर्मी के मौसम में केवल गुनगुना जल लें।
शुद्धि काढ़ा: (7-8 AM के बीच) सुबह में शौच क्रिया से निवृति के बाद शुद्धि काढ़ा पीयें।
शुद्धि काढ़ा बीमारी के आधार पर अलग अलग है। इसे आप हमारी संस्था से प्राप्त कर सकते हैं।
नाश्ता: (8-9 AM के बीच) वजन के अनुसार 4-5 तरह के मौसमी फल खाना है।
विधि: यदि आपका वजन 50 किलोग्राम है, फल की मात्रा = 50x10 ग्राम = 500 ग्राम
दोपहर का खाना: (1:00 से 2:00 PM तक) 2 प्लेट लें।
1st प्लेट में 4-5 प्रकार के कच्ची खाई जाने वाली सब्जियों का सलाद।
विधि: यदि आपका वजन 50 किलोग्राम है, सलाद की मात्रा= 50x5 ग्राम = 250 ग्राम
30 मिनट बाद 2nd प्लेट में घर का बना खाना पेटभर खाएं & खाने के बाद छाछ जरूर लें ।
भूख लगने पर 5:00 PM पानी में रातभर भिंगोये हुए ड्राई फ्रूट/ अंकुरित या भुने साबुत अनाज (चना, मूंग इत्यादि)
यदि चाय पीने की इच्छा करे, आयुर्प्रयोगम द्वारा निर्मित उत्तेजक चाय का इस्तेमाल करें।
रात का भोजन: (8:00 से 9:00 तक) घर का बना हल्का खाना है।
रात में निम्नलिखित भोजन पूर्णतः निषेध है:
 गैस बनाने वाले आहार जैसे चावल, दाल, कढ़ी, अरवी, भिंडी, राजमा, छोले, तले-भुने भोजन इत्यादि नहीं खाए।
 सलाद और फल खाने से बचें विशेष परिस्थिति में आप रात के समय सेब और पपीता खा सकते हैं।
 घी का इस्तेमाल नहीं करें।
 सामान्यतः दूध का सेवन नहीं करें। विशेष परिस्थिति में रात में दूध हमेंशा खाने के 2 घंटे बाद ही लें।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
 बहुत गर्म या बहुत ठंडा भोजन कदापि न खायें।
 यदि भोजन करते समय डकार आ जाए तो भोजन करना तत्काल बंद कर देना चाहिए।
 प्रातः फल का सेवन सोने जैसा, दिन को चाँदी जैसा और रात को तांबे जैसा होता है।
 खाने में हमेशा मौसमी फल और शाक-सब्जियों का सेवन करना उत्तम माना गया है।
 रस की अपेक्षा फल खाना अधिक लाभदायक है क्योंकि इसमें उपस्थित रेशे पेट को साफ रखता है।
 भोजन से ठीक पहले और तुरन्त बाद जल पीना विष के सामान है। भोजन से 30 मिनट पहले और भोजन के 1 घंटे बाद गुनगुने जल पीएं ।
 सुबह में कच्चा, हल्का और सुपाच्य आहार लेना श्रेष्ठ है। फल, सलाद, अंकुरित अनाज, फलों का रस इत्यादि एक आदर्श प्रातःकालीन नास्ता है । प्रातःकाल अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें, क्योंकि ये समय शरीर में जमा विष को बाहर निकालने का होता है । प्रातः काल में सप्राण आहार का प्रयोग करें क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की मात्रा बहुतायत होता है जो तरोताजा और ऊर्जावान रखता है ।
 1 सप्ताह तक आहार योजना पालन करने के बाद जाँच अवश्य करायें।

अंकुरित आहार:  एक सम्पूर्ण पौष्टिक और संतुलित आहार है और रक्त में क्षारीय तत्वों को बढ़ाने का सर्वोत्तम स्रोत भी है। अंक...
06/01/2025

अंकुरित आहार: एक सम्पूर्ण पौष्टिक और संतुलित आहार है और रक्त में क्षारीय तत्वों को बढ़ाने का सर्वोत्तम स्रोत भी है। अंकुरित आहार में अंकुरण के लिए निम्न बीजों का इस्तेमाल किया जाता है:
a. अनाज में गेहूं, जौ, जई, ज्वार, मक्का, बाजरा इत्यादि
b. दाल में मुंग, मसूर, मोथ, उरद, सोयाबीन, चना, मटर, मोठ, लोबिया इत्यादि
c. तिलहन में सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली, अलसी इत्यादि
d. अन्य बीजों में मेथी, सूखे मेबे, तरबूज, खरबूजा, चिरौंजी इत्यादि
Sprouted food is a complete nutritious and balanced diet and also the best source of increasing alkaline elements in the blood. The following seeds are used for germination in the sprouted food:
a. Grains include Wheat, Barley, Oat, Sorghumr, Millet etc.
b. Pulses include Moong, Masoor, Moth, Urad, Soybean, Gram, Peas, Moth, Cowpea etc.
c. Oil seeds include Mustard, Sunflower, Groundnut, Linseed etc.
d. Other seeds include Fenugreek, Dry fruits, Watermelon, Melon, Chironji etc.
अंकुरित आहार की विशेषताएं:
 अंकुरण से सुसुप्त बीज की जीवनी शक्ति सक्रिय हो जाती है।
 अंकुरित अवस्था में बीजों में एंजाइम की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है जो शारीरिक चयापचय क्रिया को सक्रिय कर रक्त संचार और पाचन तंत्र को विशेष शक्ति प्रदान करता है।
 अंकुरण से बीज में उपस्थित स्टार्च ग्लूकोस में, फ्रक्टोज माल्टोज में और प्रोटीन एमिनो एसिड में बदल जाता है जो स्वाद बढ़ाने के साथ साथ सुपाच्य भी होता है ।
 अंकुरित अन्न में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, एंजाइम, विटामिन, खनिज लवण, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, एंटिबैक्टेरियल इत्यादि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं ।
 अंकुरित आहार में प्रचुर मात्रा में उपस्थित रेशे पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं और भूख को लंबे समय तक रोकते हैं जिससे माटोपा तेजी से कम होता है।
 अंकुरित और कच्चे आहार अधिकांशतः कठोर होते हैं। इसलिए इन्हें दांत से खूब चबाये बिना निगला नहीं जा सकता है । इससे दांत का भरपूर व्यायाम होता है।
 अंकुरित आहार हमें पूर्णतः निरोगी काया प्रदान करता हैं। क्योंकि इनमें सभी प्रकार के रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक तत्व पाये जाते है।
Features of sprouted food:
 Germination activates the life force of dormant seeds.
 The amount of enzymes in the seeds increases significantly during the germinated stage which activates physical metabolism and provides special strength to the blood circulation and digestive system.
 Due to germination, the starch present in the seeds gets converted into glucose,
 Fructose into Maltose and Protein into Amino acid which not only enhances the taste but is also digestible.
 High quality proteins, carbohydrates, enzymes, vitamins, mineral salts, antioxidant, antiviral, antibacterial etc. are found in abundance in sprouted grains.
 The fibers present in the sprouted diet helps in cleansing the stomach and prevents hunger for a long time which reduces obesity rapidly.
 Sprouted and raw foods are mostly hard. Therefore, they cannot be swallowed without chewing thoroughly with teeth. This provides ample exercise to the teeth.
Sprouted food gives us a completely healthy body because they contain essential elements to fight from all types of diseases.

ईश्वरीय शक्ति समस्त मानवजाति को   नूतन वर्ष 2025 में खुशहाल, समृद्ध और रोग-मुक्त रखें..May the divine power keep all man...
01/01/2025

ईश्वरीय शक्ति समस्त मानवजाति को नूतन वर्ष 2025 में खुशहाल, समृद्ध और रोग-मुक्त रखें..
May the divine power keep all mankind happy, prosperous and disease-free in the new year 2025.
परमपूज्य गुरुदेव श्री करौली शंकर महादेवजी की दृष्टि में असाध्य रोग ...
कृपया इस वीडियो को ध्यानपूर्वक देखें....
Incurable disease in the views of Parampujya Gurudev Shri Karauli Shankar Mahadevji...
Please watch this video carefully....

Karauli sarkar -असाध्य रोगों का कारण क्या हैasadhya rog| karauli shankar liveasadhya rog kise kahate hainasadhya rog dur karne ke upay@karaulisarkarofficial ...

पूर्ण सत्य तथ्य:• सभी प्रकार के दर्द (जोड़ों का दर्द, माइग्रेन, सिरदर्द और अन्य), मोटापा, दुबलापन, उच्च या निम्न रक्तचाप...
30/12/2024

पूर्ण सत्य तथ्य:
• सभी प्रकार के दर्द (जोड़ों का दर्द, माइग्रेन, सिरदर्द और अन्य), मोटापा, दुबलापन, उच्च या निम्न रक्तचाप, थायराइड, कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह ये सभी बीमारियाँ नहीं बल्कि हमारे अव्यवस्थित खान-पान और जीवनशैली के दुष्प्रभाव हैं। इस परम सत्य को आज के एलोपैथिक चिकित्सक भी स्वीकार करने लगे हैं।
• जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए आजीवन दवाओं का सेवन अन्य खतरनाक बीमारियों को जन्म देता है। इसलिए भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अपनाएं और जीवनभर स्वस्थ जीवन जिएं।
• अव्यवस्थित जीवनशैली से होने वाली सभी बीमारियाँ बिल्कुल ठीक हो जाती हैं।
• हमारी चिकित्सा प्रणाली कभी भी मरीज को एलोपैथिक दवाएं अचानक छोड़ने का निर्देश नहीं देती है, बल्कि पैथोलॉजी प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर और जब मरीज स्वस्थ महसूस करने लगे तो धीरे-धीरे दवाएं छोड़ने की सलाह देती है।
• हमारी चिकित्सा प्रणाली में मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा आदि रोगों का दवा-मुक्त उपचार पूर्णतः सफल एवं प्रभावी है।
Absolute Truth Facts:
• All type of pain (joint pain, migraine, headache and others), obesity, thinness, high or low blood pressure, thyroid, cholesterol, diabetes all these are not diseases but the side effects of our disordered eating habits and lifestyle. Even today's allopathic doctors have started accepting this ultimate truth.
• Lifelong consumption of medicines for lifestyle diseases leads to other dangerous diseases. Therefore, adopt the ancient medical system of India and live a healthy life throughout your life.
• All diseases caused by unorganized lifestyle are absolutely curable.
• Our medical system never instructs the patient to give up allopathic medicines suddenly, but advises to leave the medicines gradually on the basis of pathology Lab. Test Reports and when the patient starts feeling healthy.
• In our medical system, drug-free treatment of diseases like diabetes, blood pressure, thyroid, obesity etc. is completely successful and effective.

आयुर्प्रयोगम प्राकृतिक चिकित्सा व योग के अनुसार, मालिश चिकित्सा शारीरिक व मानसिक विश्राम देने, मांसपेशियों व जोड़ों को म...
29/12/2024

आयुर्प्रयोगम प्राकृतिक चिकित्सा व योग के अनुसार, मालिश चिकित्सा शारीरिक व मानसिक विश्राम देने, मांसपेशियों व जोड़ों को मुलायम करने और रक्त वाहिकाओं में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बढ़ाने का सबसे अच्छा माध्यम है। अतः मालिश हमारी चिकित्सा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है जो सभी रोगियों को उनके विकारों के अनुसार दी जाती है।
According to Ayurpryogam Naturopathy and Yoga, massage therapy is the best means of providing physical and mental relaxation, softening muscles and joints and increasing the flow of oxygenated blood in the blood vessels. Therefore massage is an integral part of our medical system which is given to all the patients according to their disorders.
मालिश हाथों से हल्का या गहरा दबाव डालकर शरीर के सभी अंगों को रगड़ने, सहलाने, थपथपाने, गोलाकार या रैखिक घुमाने की प्रक्रिया है।
Massage is the process of rubbing, caressing, patting, circular or linear rotation of all body parts by applying light or deep pressure with hands.
मालिश के प्रमुख कार्य/ गुण हैं:
• मांसपेशियों को गतिमान रखना, उत्तेजित करना और मुलायम बनाना
• जोड़ों को लचीला बनाना और स्नायुबंधन को ढीला करना
• रोम छिन्द्रों को खोलना और त्वचा के एपिडर्मिस कोषों को उत्तेजित करना.
• रक्तवाहिनी नाड़ियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को निरंतर बनाये रखना
• लसीका प्रवाह को उत्तेजित करके प्रतिरक्षा को बढ़ाना
The main functions/propertiess of massage are:
• To mobilize, stimulate and soften the muscles.
• Making joints flexible and loosening ligaments
• Opening the pores and stimulating the epidermis cells of the skin.
• Maintaining a constant flow of oxygenated blood through blood vessel
• Boosting immunity by stimulating lymph flow

Continue on the website www.ayurpayogam.org

योगासन की रोगनिवारक भूमिका (Curative role of Yogasan): सकारात्मक उर्जा: योगासन मानव को हमेशा सकारात्मक उर्जा से भरपूर र...
29/12/2024

योगासन की रोगनिवारक भूमिका (Curative role of Yogasan):
 सकारात्मक उर्जा: योगासन मानव को हमेशा सकारात्मक उर्जा से भरपूर रखता है।
Positive Energy: Yogasana always keeps a person full of positive energy.
 यौवनावस्था: योगासन रीढ़ की हड्डी को लचीला और एकरैखिक रखता है और शरीर के ज्ञान तंतुओं को नियंत्रित रखता है। परिणामस्वरूप युवावस्था कायम रहता है।
Puberty/Adolescence: Yogasana keeps the spine flexible and aligned and controls the sensory fibers of the body. As a result youth remains intact.
 उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता: योगासन अंतःस्रावी ग्रंथियों को विजातीय द्रव्यों (विष) से पूर्णतः मुक्त रखता है। परिणामस्वरूप रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है और मानव शरीर सर्वदा निरोगी बना रहता है।
Higher immunity: Yogasana keeps the endocrine glands completely free from foreign substances (toxins). As a result, immunity increases and the human body always remain healthy.
 कुण्डलिनी जागरण: योगासन, प्राणायाम और ध्यान से मूलाधार चक्र में स्थित सुषुप्त/ निष्क्रिय कुण्डलिनी जागृत हो जाती है जिससे मस्तिष्क तरोताजा रहता है।
Kundalini Awakening: Through Yogasana, Pranayama and meditation, inactive Kundalini located in the Muladhar Chakra gets awakened due to which the brain remains fresh.
 पुष्ट पाचन तंत्र: योगासन से पेट मजबूत बनता है और उसकी सफाई होती है।
Strong digestive system: Yogasana strengthens the stomach and cleans it.
 रक्त का शुद्धीकरण: योगासन फेफड़ों को शक्ति देता है और उसे सक्रिय रखता है। स्वास्थ्य फेफड़े श्वसन क्रिया को नियमित रखता है। फलस्वरूप रक्त शुद्ध होता है.
Purification of blood: Yogasana gives strength to the lungs and keeps them active. Health Lungs keep the respiratory process regular. As a result the blood gets purified.
 लचीलापन: योगासन मांसपेशियां, तंतु, स्नायुबंधन etc. को लचीला और मजबूत बनाता है।
Flexibility: Yogasana makes the muscles, fibers, ligaments flexible and strong.
 पूर्ण स्वास्थ्य/ कायाकल्प: योगासन मानव को शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति में सहायता करता है व संकल्प शक्ति बढ़ाता है। मानव दिन-रात सकारात्मक स्मृति के साथ जीता है। यौगिक क्रियाओं के द्वारा मानव के महत्वपूर्ण अंगों जैसे: मस्तिष्क, हृदय & फेफड़े, अमाशय, यकृत, गुर्दे और बृहदान्त्र को स्वच्छ रखा जाता है। यही पूर्ण स्वस्थ्य या कायकल्प है.
Complete Health/ Rejuvenation: Yogasana helps humans in physical, intellectual, mental and spiritual progress and increases determination power. Human beings live day and night with positive memories. Through yogic activities, vital human organs like: brain, heart & lungs, stomach, liver, kidneys and colon are kept clean. This is Complete Health or Rejuvenation.

आयुर्प्रयोगम प्राकृतिक चिकित्सा व योग रोगियों को समग्र उपचार प्रदान करने के साथ-साथ दीर्घकालिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लि...
24/12/2024

आयुर्प्रयोगम प्राकृतिक चिकित्सा व योग रोगियों को समग्र उपचार प्रदान करने के साथ-साथ दीर्घकालिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए उनकी जीवनशैली पर विशेष ध्यान देती है। मानव की जीवनशैली प्रकृति के स्वास्थ्य संबंधी नियमों के अनुरूप होनी चाहिए, स्वास्थ्यवर्धक होनी चाहिए, सकारात्मकता प्रदान करने वाली होनी चाहिए और मानवीय मूल्यों को संरक्षित करने वाली होनी चाहिए। इस प्रकार, हमारा संगठन न केवल रोगियों के शारीरिक उपचार पर बल्कि उनके मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है, ताकि "स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत" के हमारे उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके। हमारी उपचार प्रणाली जीवनशैली के अंतर्गत निम्नलिखित विधियों का उपयोग करती है:
1. प्राकृतिक जीवन-यापन: प्रदूषित वातावरण और मिलावट के युग में शुद्धता की कल्पना बेमानी है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त वायु, जल, अग्नि (सूर्य प्रकाश के रूप में), जंगल, पर्वत और धरती को हमारी धनलोलुपता ने पूर्णरूप से दूषित कर दिया है। नतीजा यह है कि न तो हमें स्वच्छ हवा मिल पा रही है, न शुद्ध पानी, न चारों ओर हरियाली है और न ही धरती से उगने वाले अनाज शुद्ध हैं। इस विषम परिस्थिति में आम मानव क्या करे? इसका एक मात्र समाधान है किसी भी उपचार पद्धति द्वारा अपनी जीवन शक्ति को बढ़ाये.. अपने आस-पास के क्षेत्र की हरियाली और स्वच्छता बनाये रखें.. अपनी दिनचर्या में कृत्रिम साधनों के स्थान पर हाथ-पैरों का प्रयोग करें.. अपने जीवन के कुछ दिन प्रकृति के करीब रहें और उसके मौन संकेतों को समझने का प्रयास करें।
2. मानसिक संतुलन: हमारे परम गुरुदेव श्री करौली शंकर महादेवजी के शोध के अनुसार, नकारात्मक और रोगात्मक स्मृतियाँ मस्तिष्क की सूजन को बढ़ा देती हैं। यही सूजन रोग का मूल कारण है। आधुनिक शोध से भी पता चलता है कि विकृत एवं नकारात्मक मानसिकता रोगियों के स्वस्थ होने में सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए, हमारा संगठन योग, प्राणायाम, ध्यान-साधना, भजन-कीर्तन, जप-तप, मनोरंजक और रोचक साधनों जैसे गीत-संगीत, प्रेरणादायक कथावाचन, साधु-संतों का प्रवचन इत्यादि के माध्यम से मन और मस्तिष्क को शांत और संतुलित करता है।

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श्री मद्भगवत गीता के अनुसार योग:YOGA ACCORDING TO SHREE MADBHAGWAT GEETAयोगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गंत्यक्त्वा धनञ्जय | सिद...
23/12/2024

श्री मद्भगवत गीता के अनुसार योग:
YOGA ACCORDING TO SHREE MADBHAGWAT GEETA

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गंत्यक्त्वा धनञ्जय | सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वासमत्वं योग उच्यते ||2.48||
अर्थ: धनंजय! तुम्हें आसक्ति का त्याग करके सिद्धि और असिद्धि (लाभ और हानि, शत्रु और मित्र, सर्दी और गर्मी) में समभाव रखते हुए योग के आधार पर अपने कर्म करने चाहिए; क्योंकि समत्व भाव रखना ही योग है।
Dhananjay! You should give up attachment and perform your actions on the basis of Yoga, keeping equanimity between Siddhi and Asiddhi (profit and loss, enemy and friend, cold and heat); because having equanimity is yoga.

बुद्धियुक्तो जहातिहा उभे सुकृतदुष्कृते | तस्माद् योगया युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ||2.50||
अर्थ: बुद्धि से संपन्न व्यक्ति जीवित रहते ही पुण्य और पाप दोनों को त्याग देता है। इसलिए योग में लग जाओ, क्योंकि कर्मों में कुशलता ही योग है।
A person endowed with wisdom gives up both virtue and sin while alive. Therefore, engage yourself in yoga, because yoga is efficiency in actions.

तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा ।।6.23।।
अर्थ: जिसमें दुःखों के संयोग का ही वियोग है, उसी को 'योग' नामसे जानना चाहिये। उस ध्यानयोग का अभ्यास न उकताये हुए चित्तसे निश्चयपूर्वक करना चाहिये।
That which involves separation from the combination of sorrows should be known as 'Yoga'. The practice of that meditation should be done with determination and not with a fatigued mind.

आयुर्प्रयोगम प्राकृतिक चिकित्सा & योग के अनुसार:
योग जीवन जीने का श्रेष्ठ कला है जो व्यवहारिक रूप से शरीर, मन और भावना को संतुलित रखता है और आध्यत्मिक स्तर पर व्यक्तिगत चेतना को सारभौमिक चेतना से जोड़ता है |
Yoga is a great art of living which practically balances body, mind and emotions and connects individual consciousness to universal consciousness on a spiritual level.

योग में आसन की स्थितिशुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः। नात्युच्छृतं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तम ।।6.11।।तत्रैकाग्रं ...
20/12/2024

योग में आसन की स्थिति
शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः। नात्युच्छृतं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तम ।।6.11।।
तत्रैकाग्रं मन: कृत्वा यत्चित्तेन्द्रियक्रिय: | उपविषयासने युञ्ज्यौद्योगमात्मविशुद्धये ।।6.12।।
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिर: | सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोक्यन् ।।6.13।।
अर्थ : शुद्ध भूमि में कुशा, मृगछाल और कोमल बस्त्र (चटाई) आसन लगाएं जो न तो अति ऊँचा हो और न अति नीचा हो. ।।6.11।।
अर्थ : उस आसन पर स्थिरता से बैठकर और मन को एकाग्र करके चित्त व इन्द्रियों को वश में करके अंतःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करें ।।6.12।।
अर्थ : योगाभ्यास की विधि इस प्रकार है की शरीर, सर और गर्दन को एक सीध में रखकर अचल और दृढ़ होकर केवल अपनी नासिका के अग्रभाग को देखें ।।6.13।।

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