Yoga & Spirituality

Yoga & Spirituality Yoga is the noble art of living. It is a total package of health , happiness and beauty. It stretches the body as well as mind.

05/05/2025

Hi everyone

29/06/2023

👉 *दूसरों के दोष ही गिनने से क्या लाभ (अंतिम भाग)*

*अतएव हमें महात्मा कबीरदास की नम्रतापूर्ण उक्ति को सदा ध्यान में रखना चाहिए।*

*बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न दीखा कोय।*
*जो दिल खोजा आपना, मुझ सा बुरा न होय॥*

*दूसरों के व्यक्तिगत दोषों के प्रति हमारा क्या रुख होना चाहिए इसका विवेचन करते हुए महात्मा तुलसी दास लिखते हैं कि “साधुओं का चरित्र कपास जैसा निर्मल और शुभ्र होता है, उसका फल परम गुणमय होता है और वह स्वयं दुख सहकर दूसरों के पाप रूपी छिद्रों को ढकता है। इसी गुण के कारण वह संसार में वन्दनीय है। अतएव यदि हमें भी इस शुभ्र कपास जैसा वन्दनीय होना है तो हमें दूसरों की व्यक्तिगत भूलों के प्रति बड़ा सहृदय होना चाहिए। सहृदय होने पर ही, हम किसी व्यक्ति के हृदय में स्थान पा सकते हैं। तभी वह हमें अपना हितेच्छु जानकर हम पर अपने हृदय का भेद प्रकट कर सकता है और तभी हम उसके मन की गाँठें खोलने में उसकी सहायता कर उसका सच्चा सुधार कर सकते हैं।*

*हमें किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत दोषों के लिए जितना सहृदय होना है उतना ही हमें सामाजिक अपराध करने वालों के प्रति निर्मम होना पड़ेगा। सामाजिक अपराध करने वालों के उन अपराधों को हजार कान और आँखों से हमें सुनना और देखना पड़ेगा और उन्हें उनका दण्ड दिलवाना होगा।*

*.....समाप्त*
📖 *अखण्ड ज्योति-अप्रैल 1949 पृष्ठ 18*

https://youtu.be/_1wizTXB9QM
29/06/2023

https://youtu.be/_1wizTXB9QM

कौए की अनोखी अदाकारी ll Ramayana ll Pragya Vani ll Adipurush ...

https://youtu.be/ljByKCpLb3g
28/06/2023

https://youtu.be/ljByKCpLb3g

रामायण का निर्माण कैसे हुआ? ll Ramayana ll Pragya Vani ll Adipurush ...

24/06/2023

👉 *दूसरों के दोष ही गिनने से क्या लाभ (भाग 1)*

*अगर है मंजूर तुझको बेहतरी, न देख ऐब दूसरों का तु कभी।*
*कि बदबीनी आदत है शैतान की, इसी में बुराई की जड़ है छिपी।*

*महात्मा ईसा ने कहा है कि “दूसरों के दोष मत देखो जिससे कि मरने के उपरान्त तुम्हारे भी दोष न देखे जावें” और तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हारे अपराधों को क्षमा कर दें। यदि आप दूसरों के दोषों को क्षमा नहीं करते तो आप अपने दोषों के लिए क्षमा पाने की आशा क्यों करते हैं?*

*मनुष्य का पेट क्यों फूला-फूला सा रहता है और उसकी पीठ क्यों पिचकी रहती है इसका कारण तनिक विनोद पूर्ण ढंग से एक महाशय इस प्रकार बताते हैं कि इन्सान दूसरों के पाप देखा करता है इसलिए दूसरों की पाप रूपी गठरी उसके सामने बंधी रहती है पर उसे अपने ऐब नहीं दिखाई देते, वह उनकी और पीठ किए रहता है इसलिए उसकी पीठ चिपकी रहती है।*

*एक बार भगवान बुद्ध के पास दो व्यक्ति परस्पर लड़ते-झगड़ते हुए हुए आए। एक दूसरे के लिए कहता था कि महाराज इसके आचरण कुत्ते जैसे हैं इसलिए यह अगले जन्म में कुत्ता होगा। दूसरा पहले के लिए कहता है कि महाराज इसके आचरण बिल्ली जैसे हैं और यह अगले जन्म में बिल्ली होगा। भगवान बुद्ध ने बात समझ ली ओर पहले से कहा कि तेरा साथी तो नहीं पर तुझे ही अगले जन्म में कुत्ता होना पड़ेगा क्योंकि तेरे हृदय में कुत्ते के संस्कार जम रहे हैं कि कुत्ता इस प्रकार आचरण करता है। इसी तरह उन्होंने दूसरे से कहा कि वह खुद बिल्ली होगा।*
....*क्रमशः जारी*
📖 *अखण्ड ज्योति-अप्रैल 1949 पृष्ठ 17*

https://youtu.be/T11LE0ZiSuA
23/06/2023

https://youtu.be/T11LE0ZiSuA

्गनाथ मंदिर के अनसुलझे रहस्य ll Ansuljhe Rahasya ll Pragya Vani ll ...

18/06/2023

👉 *अच्छी आदतें कैसे डाली जायं? (भाग 2)*

*आदत डालने के लिए निष्ठा एवं दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। निष्ठा और दृढ़ संकल्प के लिए बुद्धि की तैयारी चाहिए। बुद्धि की मन पर अंकुश रखने की तैयारी हो तो संकल्प में भी दृढ़ता आती है और निष्ठा में भी। इसलिए ऐसे कार्यों को छोड़ने के लिए सतर्क रहना चाहिए जो बुद्धि को मन का दास बनाने वाले हों। बुद्धि का दासत्व स्थिरता का दुश्मन है, क्योंकि जब वह चंचल मन की आज्ञाकारिणी या वशवर्तिनि होगी तो निश्चित रूप से वह चंचल हो जायगी।*

*मन और बुद्धि पर अंकुश रखकर योग्य बनाने के लिए जीवन को प्रयोगावस्था में डालने की आवश्यकता है। इसके लिए मनुष्य को किसी भी निर्णित कार्यक्रम अनुसार चलने का निश्चय करना पड़ता है। कल जो करना है उसके लिए आज ही कार्यक्रम बना लेना चाहिए। साथ ही सोने के पूर्व उस कार्यक्रम पर दृढ़ रहने का निश्चय कर लेना चाहिए।*

*जो लोग रात को अधिक देर तक जागते रहते है उनके शरीर में आलस्य भरा रहता है इसलिए शरीर का यह आलसीपन कार्यक्रम को पूरा करने में सहायक नहीं होता बल्कि बाधक होता है। इसलिए शरीर का निरालस रहना भी कार्य साधन का एक अंग है। रात में जल्दी सोना और सवेरे जल्दी उठना आलस्य को जमने नहीं देता। साथ ही बुद्धि को सूक्ष्म आहिणी बनाता है जिस बुद्धि पर कि जीवन का सारा दारोमदार है।*
....*क्रमशः जारी*
✍🏻 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
📖 *अखण्ड ज्योति- सितम्बर 1948 पृष्ठ 17*

https://youtu.be/fLqU9oB4L04
18/06/2023

https://youtu.be/fLqU9oB4L04

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