Dr. Vikas sharma

Dr. Vikas sharma Doctor of naturopathy

09/08/2022

वायरल फीवर क्या है (What is Viral Fever)

वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है। आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।

और पढ़ें : बच्चों को होने वाले बुखार के लिए घरेलू इलाज

वायरल बुखार होने के कारण (Causes of Viral Fever in Hindi)

आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके सिवा और भी कारण होते है जिनके कारण बुखार आता है।

दूषित जल एवं भोजन का सेवन

प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना

रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी

वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना

वायरल फीवर होने के लक्षण (Symptoms of Viral Fever in Hindi)

वायरल फीवर के लक्षण सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही लेकिन इसको नजरअन्दाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है। यह हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, यह बरसात के मौसम में ज्यादा होता है।

वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है। मौसम में बदलाव आने के कारण बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती। ऐसे में बच्चों में थकावट, खाँसी, जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।

इसके अलावा और भी कुछ आम लक्षण होते हैं-

थकान

पूरे शरीर में दर्द होना

शरीर का तापमान बढ़ना

खाँसी

जोड़ो में दर्द

दस्त

त्वचा के ऊपर रैशेज होना

सर्दी लगना

गले में दर्द

सिर दर्द

आँखों में लाली तथा जलन रहना।

उल्टी और दस्त का होना।

वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है। शुरूआती दिनों में गले में दर्द, थकान, खाँसी जैसी समस्या होती है।

Dr . Vikas sharma

09/08/2022

वायरल बुखार के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज : Symptoms, Causes and Home remedies for Viral fever

किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है। यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है, जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षी तंत्री कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है।



इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है।

09/08/2022

मेथी का पानी
रसोई में उपलब्ध मेथी के बीज में डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण शामिल हंै। वायरल बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर इस पेय को पिएं। मेथी के बीज, नींबू और शहद का मिश्रण तैयार कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है। मेथी के बीजों का प्रयोग अन्य बहुत सी बीमारियों के इलाज में किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए बेहतर औषधि है।

नींबू और शहद
नीबू का रस और शहद वायरल फीवर को कम करते हैं। शहद और नीबू के रस का सेवन भी कर सकते हैं।

सावधानियां
0 मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें। पट्टियां तब तक रखें, जब तक शरीर का तापमान कम न हो जाए।
0 मरीज को हर छह घंटे में पैरासिटामोल की एक गोली दे सकते हैं। दूसरी कोई गोली डॉक्टर से पूछे बिना न दें।
0 दो दिन तक बुखार ठीक न हो तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।
0 रोगी को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट का सेवन करना चाहिए।

ताकि वायरल फीवर से बच सकें आप

तुलसी है रामबाण
यदि आपको वायरल बुखार से बचना है तो तुलसी का सेवन पूरे मानसून करना चाहिए। सुबह के समय एक कप चाय में तुलसी डालकर पीना चाहिए। इतना ही नहीं, तुलसी की पत्तियों को पानी में डालकर पीना भी फायदेमंद होता है।

अदरक की चाय
ब्लैक टी में अदरक का रस मिलाएं और एक चम्मच शहद डालें। हल्के गर्म पानी के साथ भी अदरक का रस ले सकते हैं। इससे गले को भी आराम मिलेगा और वायरल फीवर नहीं होगा। अगर वायरल फीवर दोबारा हुआ भी तो उससे जल्दी मुक्ति मिलेगी।

संतरे का करें इस्तेमाल
वायरल बुखार से बचने के लिए उस दौरान संतरे का जूस बहुत फायदा करता है। शरीर को मजबूती देने में संतरे का जूस बहुत फायदेमंद है। इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए घर में ताजा संतरे का जूस निकालकर पिएं। इससे शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।

लहसुन, पुदीना और सब्जियां
लहसुन को डाइट में शामिल करने से संक्रमण को जल्दी खत्म किया जा सकता है। पुदीने के सेवन से भी इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बुखार में भी आराम मिलता है। इससे भी प्राकृतिक तरीके से संक्रमण के असर को खत्म किया जा सकता है। सब्जियों का सूप पीने या फिर प्रोटीन और विटामिनयुक्त फल खाने से भी बुखार को आसानी से दूर किया जा सकता है। इसका कोई नुकसान भी नहीं होता।

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09/08/2022

अदरक, हल्दी और शहद
वायरल बुखार से पीड़ित लोगों को परेशानी दूर करने के लिए शहद के साथ सूखे अदरक और हल्दी का उपयोग करना चाहिए। अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के गुण होते हैं। पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा-थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।

धनिये की चाय
धनिये के बीज शरीर को विटामिन देते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिये में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं। इसके लिए पानी में एक बड़ा चम्मच धनिये के बीज डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

चावल का माढ़
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से लोकप्रिय घरेलू उपाय है चावल स्टार्च या माढ़। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर गर्म-गर्म ही पिएं।

09/08/2022

नेचुरोपैथी है बेहतर
वैदिक ग्राम नोएडा के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एन. राघवन कहते हैं कि वायरल के दौरान सही खानपान से आप न सिर्फ अपना इम्यून सिस्टम मजबूत कर सकते हैं, बल्कि वायरल फीवर को भी दूर कर सकते हैं। अगर बुखार 102 या इससे कम हो तो डॉक्टर के पास जाने से पहले कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी बुखार को कम किया या इससे पूरी तरह आराम पाया जा सकता है। ध्यान रहे यह नेचुरोपैथी के उपचार हैं और इन्हें डॉक्टरी सलाह के स्थान पर प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपका बुखार नहीं उतर रहा है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

इन्हें अपनाएं

तुलसी का काढ़ा
वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है तुलसी के पत्ते। एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें। बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं।

अदरक, हल्दी और शहद
वायरल बुखार से पीड़ित लोगों को परेशानी दूर करने के लिए शहद के साथ सूखे अदरक और हल्दी का उपयोग करना चाहिए। अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के गुण होते हैं। पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा-थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।

धनिये की चाय
धनिये के बीज शरीर को विटामिन देते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिये में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं। इसके लिए पानी में एक बड़ा चम्मच धनिये के बीज डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

चावल का माढ़
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से लोकप्रिय घरेलू उपाय है चावल स्टार्च या माढ़। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर गर्म-गर्म

09/08/2022

मानसून में तापमान में अचानक परिवर्तन होने या संक्रमण का दौर होने पर अधिकतर लोग बुखार से पीड़ित होते हैं। ऐसा ही एक मौसमी संक्रमण वाला बुखार होता है वायरल बुखार। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. अभिषेक शुक्ला की मानें तो इस बुखार से निबटने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाओं या कुछ ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) का सहारा लिया जाता है। वायरल का फीवर हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से शरीर में संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ता है। वायरल का संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाता है।

क्या है वायरल
मानसून में लोगों को सबसे ज्यादा वायरल बुखार परेशान करता है। वायरल कई तरह के संक्रमण के कारण होता है। यहां तक कि कई वायरस भी वायरल का कारण बनते हैं। वायरल के दौरान आमतौर पर चक्कर आना, कफ-कोल्ड होना और गले में खराश जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। जब आप किसी वायरस से प्रभावित होते हैं तो सबसे अच्छा तरीका होता है उसे जड़ से खत्म कर देना। वायरल होने से शरीर में कुछ खास लक्षण दिखते हैं, जैसे गले में दर्द, खांसी, सिर दर्द, थकान, जोड़ों में दर्द के साथ ही उल्टी और दस्त होना, आंखों का लाल होना और माथे का बहुत तेज गर्म होना आदि। बड़ों के साथ यह फीवर बच्चों में भी तेजी से फैलता है।

09/08/2022

नेचुरोपैथी के अनुसार शरीर का निर्माण पंच महाभूत यानी क्षति, जल, पावक, गगन, समीरा को मनाया गया है। इन पांचों तत्त्वों के असंतुलन से ही शरीर में व्याधियां होती हैं। इलाज भी इनसे ही किया जाता है। जानते हैं कि मोटापे को करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय-
गर्मी बढ़ाना जरूरी क्यों
शरीर में अग्नि तत्त्व बढ़ाने का अर्थ अंदर की गर्मी को बढ़ाना है। यह कई तरह से संभव है जैसे व्यायाम और कुछ प्राकृतिक उपाय भी हैं। गर्मी बढऩे से शरीर का मेटाबॉलिक रेट भी बढ़ता है। इससे शरीर में जमी चर्बी पिघलने लगती है और मोटापा कम होने लगता है।
सप्ताह में दो दिन 10-10 मिनट लें सूर्य चिकित्सा
इसमें सुबह करीब 10 बजे के आसपास पूरे शरीर में सरसों, तिल या नारियल का तेल लगाएं। फिर गर्दन से नीचे वाले हिस्से को अच्छे से प्लास्टिक लपेट दें ताकि बाहर से हवा अंदर नहीं जाए। अब धूप में 10-12 मिनट तक पेट के बल लेटें। कोई दिक्कत है तो पीठ के बल लेटे या बैठ जाएं। इससे तेजी से वजन कम होता है। इससे पहले पेट भर पानी पीएं और सिर पर गीला कपड़ा रखें। यह क्रिया खाली पेट ही करें।
गर्म पाद स्नान
एक बाल्टी में सहन करने योग्य गर्म पानी भरें। फिर गर्दन से नीचे के शरीर को कंबल से ढक ेदें। बाल्टी में 30-35 मिनट तक पैरों को डालकर बैठें। इस प्रक्रिया से पहले पेटभर पानी पीएं। सिर पर गीला कपड़ा रख लें। पानी ठंडा होने लगे तो उसमें थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी मिलाएं। इससे शरीर की गर्मी बढ़ती है। वजन कम होता है। सिरदर्द, बीपी और बुखार कम करने में भी उपयोगी है। इसको कोई भी आसानी से घर पर कर सकता है। सप्ताह में 3-4 बार इसे किया जा सकता है।
सर्वांग गीली चादर विधि
इस विधि में सबसे पहले पूरे शरीर पर कोई तेल लगा लेते हैं। फिर सूती चादर को गीली कर गर्दन से नीचे हिस्से पर लपेट लेते हैं। इसके बाद सूखी चादर और इसके बाद कंबल ओढ़ लेते हैं। सिर पर गिला कपड़ा रखें। इलाज से पहले भरपेट पानी पीएं। 30-35 मिनट तक प्रयोग करें। सप्ताह में 2-3 बार कर सकते हैं।
सावधानियां
इनको खाली पेट ही सुबह करें। सिर पर गीला कपड़ा इसलिए रखते हैं कि शरीर में गर्मी बढऩे पर सिर की गर्मी न बढ़े। इससे सिरदर्द, बेहोशी, घबराहट, बेचैनी, चक्कर आना आदि समस्या हो सकती है।

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