
05/06/2025
ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व
सूर्य, जिसे नवग्रहों का राजा कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह आत्मा, पिता, प्रतिष्ठा, नेतृत्व, सरकारी सेवाएँ और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। सूर्य की स्थिति किसी जातक की कुंडली में उसके व्यक्तित्व, आत्म-विश्वास और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को दर्शाती है।
🌞 सूर्य का ज्योतिषीय स्वरूप
सूर्य अग्नि तत्व का ग्रह है और इसका स्वामी सिंह (Leo) राशि है। यह दिन में केवल एक राशि में रहता है और लगभग 30 दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का उच्च स्थान मेष (Aries) राशि में और नीच स्थान तुला (Libra) राशि में होता है।
🌞 सूर्य से जुड़े मुख्य कारक
प्रतिनिधित्व
तत्व- अग्नि
वर्ण- क्षत्रिय
प्रकृति- क्रूर एवं पिंगल
दिशा- पूर्व
दिन- रविवार
रत्न- माणिक्य (Ruby)
धातु- तांबा
अंग- आँखें, आत्मा
देवता- भगवान विष्णु / सूर्यदेव
🌞 सूर्य की कुंडली में भूमिका
1. सकारात्मक सूर्य: यदि कुंडली में सूर्य शुभ भावों में स्थित हो, तो व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास, प्रशासनिक योग्यता, सरकारी क्षेत्र में सफलता, सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है। ऐसे लोग आमतौर पर आत्मनिर्भर होते हैं।
2. नकारात्मक सूर्य: यदि सूर्य नीच का हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो अहंकार, क्रोध, पिता से मतभेद, आँखों से जुड़ी समस्या, हृदय रोग आदि परेशानियाँ आ सकती हैं।