Jinnat se Nijaat

Jinnat se Nijaat जिन्नात और जादू से निजात

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About Ramzan
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About Ramzan

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इब्लीस की रूह

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जिन की ताक़त

09/12/2020

सदक़ा (page frome Jinnat se Nijaat)

30/11/2020

जिन्नात कितने तरह के होते हैँ ।

30/11/2020

#क्या_वाकई_दुनिया_में_जिन्नात_हैं?

कु़रआन व हदीस की रोशनी में पूरी उम्मते मुस्लिमा का इत्तेफाक़ है कि इन्सानों की तरह जिन्नात भी अल्लाह तआला की एक मख़लूक़ है। उमूमी तौर पर शैतान जिन्नात की नस्ल से होते हैं इसलिए मुतअद्दद जगहों पर शैतान का लफ़्ज़ इस्तेमाल होता है और वहां जिन्नात मुराद होते हैं। क़ुरआन करीम में 20 से ज़्यादा मक़ामात पर जिन्नात का तज़किरा आया है। एक सूरह “अलजिन’’ के नाम से भी क़ुरआन करीम में मौजूद है। इस मुख़्तसर मज़मून में जिन्नात से मुताअल्लिक़ तमाम आयात का ज़िक्र करना मेरे लिए मुमकिन नहीं है, लेकिन कुछ आयात पेश ख़िदमत हैं: (ऐ पैग़म्बर!) याद करो जब हमने जिन्नात में से एक गिरोह को तुम्हारी तरफ़ मुतवज्जह किया कि वह क़ुरआन सुनें। (सूरह अल अहक़ाफ 29) ऐ जिन्नात और इन्सानों के गिरोह! क्या तुम्हारे पास तुम ही में पैग़म्बर नहीं आये जो मेरी आयतें तुम को पढ़कर सुनाते थे और तुम को उसी दिन का सामना करने से ख़बरदार करते थे जो आज तुम्हारे सामने है। (सूरह अल अनआम 130) ऐ पैग़म्बर कह दो! मेरे पास वही आयी है कि जिन्नात की एक जमाअत ने (मुझ से क़ुरआने करीम) ग़ौर से सुनाऔर (अपनी क़ौम से जाकर) कहा कि हमने एक अजीब क़ुरआन सुना। (सूरह अल जिन 1) और यह कि इन्सानों में से कुछ लोग जिन्नात के कुछ लोगों की पनाह लिया करते थे, इस तरह उन लोगों ने जिन्नात को और सर पर चढ़ा दिया था। (सूरह अल जिन 6)

तमाम इन्सानों व जिनों के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी अपनी तालीमात में अल्लाह की मख़लूक़ “जिन’’ का कई बार ज़िक्र फ़रमाया है, कुछ हदीसें पेश हैं: सहाबी रसूल हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक रात रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हम से अचानक ग़ायब हो गये, चुनांचे हम उन्हें वादियों और घाटियों में तलाश करने लगेऔर आपस में हमने कहा कि शायद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अग़वा कर लिया गया है या क़त्ल कर दिया गया है। हमारी वह रात इन्तहाई परेशानी के आलम में गुज़री, सुबह हुई तो हमने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ग़ारे हिरा की जानिब से आते हुए देखा। हमने आपको बताया कि रात आप अचानक हम से ग़ायब हो गये थे, हम ने आप को बहुत तलाश किया लेकिन आप के ना मिलने पर रात भर परेशान रहे, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया “मेरे पास जिन्नात का एक नुमाइन्दा आया था, मैं उसके साथ चल पड़ाऔर जाकर उन्हें क़ुरआने मजीद पढ़कर सुनाया’’......फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमें लेकर उस जगह पर गये और हमें उनके निशानात और उनकी आतशीं अलामात दिखायीं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह भी बताया कि जिन्नात ने आप से कुछ मांगा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः “हर ऐसी हड्डी तुम्हारी ग़िज़ा है जिस पर बिस्मिल्लाह को पढ़ा गया होऔर हर गोबर तुम्हारे जानवरों का खाना है’’। सहाबी-ए-रसूल कहते हैं कि फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हम से कहने लगे “लिहाज़ा तुम हड्डी और गोबर से इस्तिन्जा मत किया करो, क्योंकि वह तुम्हारे जिन भाईयों का खाना है।’’ (मुस्लिम)

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने कुछ साथियो को लेकर निकले और उनका इरादा उकाज़ के बाज़ार जाने का था। इधर शैतान और आसमान से आने वाली ख़बरों के दरमियान रुकावटें पैदा कर दी गयी थी और इन (शैतानों) पर सितारे टूटने लगे थे, चुनांचे वह जब अपनी क़ौम के पास ख़ाली वापिस आये तो उसे आकर बताते कि हमें कई रुकावटों का सामना है और हम पर शहाब साक़िब (सितारा) की मार पड़ने लगी है। वह आपस में कहते कि ऐसा किसी बड़े वाक़िए की वजह से हो रहा है, लिहाज़ा मशरिक व मग़रिब में जाओ और देखो कि यह रुकावटें क्यों पैदा हो रही हैं? चुनांचे तिहामा का रुख़ करने वाले शैतान (जिन्नात) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ आ निकले, आप उस वक्त नख़ला में थे और उकाज़ में जाने का इरादा फ़रमा रहे थे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़ज्र की नमाज़़ पढ़ाई, उन जिन्नात के कानों में क़ुरआन की आवाज़ पड़ी तो वह उसे ग़ौर से सुनने लगे और कहने लगे: अल्लाह की क़सम! यही वह चीज़ है जो हमें आसमान की ख़बरें सुनने से रोक रही है, सो यह अपनी क़ौम के पास वापिस गये और उनसे कहने लगे: हमने अज़ीब व ग़रीब क़ुरआन सुना है, जो कि भलाई का रास्ता दिखाता है, सो हम तो इस पर ईमान ले आये हैं और अपने परवरदिगार के साथ कभी किसी को शरीक नहीं करेंगे। उसके बाद अल्लाह तआला ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सूरह अल जिन नाज़िल फ़रमाई। (बुख़ारी व मुस्लिम) हज़रत आयशा रज़िअल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि फरिश्तों को नूर से, जिनों को आग के शोलों से और आदम को उस चीज से पैदा किया गया जो तुम्हारे लिये बयान कर दी गयी है। (मुस्लिम)

ग़र्ज़ कि जिन्नात के मुताअल्लिक़ आयाते कुरआनिया और अहादीस नबविया काफ़ी तादाद में मौजूद हैं, तलब हक़ के लिए यही काफ़ी हैं जो ज़िक्र की गयी हैं। इनसे रोज़े रोशन की तरह बात वाज़ेह हो जाती है कि जिन्नात कोई वहम व ख़्याल नहीं है जैसा कि कुछ मुलहिदीन (जिन का कोई मज़हब न हो) समझते हैं, बल्कि हक़ीकत में अल्लाह तआला की यह मख़लूक़ बड़ी तादाद में मौजूद है और यह भी शरीयत के मुकल्लफ़ और अम्र व नही के पाबंद हैं, यानि इन्सानों की तरह उन्हें भी दुनियावी फ़ानी ज़िन्दगी के एक एक लम्हे का हिसाब देना होगा, आमाले सालेहा करने पर जन्नत अता की जायेगी और अल्लाह की नाफरमानी पर जहन्नम में डाला जायेगा, जैसा कि फ़रमाने इलाही है: मैंने जिन्नात ओर इन्सानों को इसके सिवा किसी और काम के लिये पैदा नहीं किया कि वह मेरी इबादत करें। (सूरह अज़्ज़रियात 56) जिन्नात के वजूद को तसलीम करने की एक दलील यह भी कि अंबियाए किराम से जिन्नात के मुतावातिर वाक़ियात मन्कूल हैं। क़ुरआन व हदीस में वज़ाहत की वजह से आज तक किसी भी मुस्लिम जमाअत ने जिन्नात के वजूद से इन्कार नहीं किया है। यहूद व नसारा भी जिन्नात के मुताअल्लिक़ वैसा ही अक़ीदा रखते हैं जिस तरह क़ुरआन व हदीस की रोशनी में मुसलमानों का अक़ीदा है कि जिन्नात ज़िन्दा और अक़्ल व फ़हम रखने वाली मख़लूक़ है, वह जो भी काम करती है अपने इरादे से करती है। जिन इन्सानों की तरह खाते पीते हैं, अलबत्ता उनके खाने पीने की चीज़ें मुख़्तलिफ़ हैं, शादियाँ भी करते हैं और उनकी औलाद भी पैदा होती है। इन्सानों की तरह उनमें भी अच्छे और बुरे लोग होते हैं, अलबत्ता उनकी उमर इन्सानों से बहुत ज़्यादा होती हैं। हरचंद जिन्नात हमें नज़र नहीं आते लेकिन हमारे नबी के फ़रमान के मुताबिक कुछ जानवरों को नज़र भी आते हैं। (अबू दाऊद, मसनद अहमद)

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिन्नात से मुलाक़ातें:

मोहसिने इन्सानियत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क़यामत तक आने वाले तमाम इन्सानों व जिनों के नबी व रसूल बनाकर भेजे गये हैंजैसा कि क़ुरआन व हदीस की रोशनी में पूरी उम्मते मुस्लिमा का इत्तेफाक़ है। मुतअद्दद मर्तबा आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुलाक़ातें जिन्नात के वुफ़ूद के साथ हुई हैं। एक वाक़िया सबसे ज़्यादा मशहूर है, क़बीलए सक़ीफ़ से मायूस होकर ताइफ से मक्का मुकर्रमा लौटते वक़्त जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मक़ाम नख़ला पर क़याम फ़रमाया तो जिन्नात के एक वफ़्द ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़बाने मुबारक से नमाज़ की हालत में क़ुरआने करीम सुना तो फ़ौरन ईमान ले आयेऔर अपनी क़ौम के पास जाकर वाक़िए का ज़िक्र करके उन्हें भी इस्लाम की दावत दी। हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेसत से क़ब्ल शैतान का आसमानी ख़बरें सुनकर काहिनों तक पहुंचाने का सिलसिला जारी था। मगर हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेसत के वक़्त आसमानी वही की हिफ़ाज़त के लिए इस सिलसिले को इस तरह बंद कर दिया गया कि जब कोई शैतान आसमानी खबरें सुनने के लिए ऊपर आता तो उसकी तरफ शहाबे साक़िब (सितारा) का अंगारा फेंककर उसको दूर कर दिया ज़ाता, जैसा कि सूरह अल जिन में अल्लाह तआला ने ज़िक्र किया है।

जिन्नात को किस चीज़ से पैदा किया गया है?:

अल्लाह तआला क़ुरआने करीम में इरशाद फ़रमाता है: और इससे पहले जिनों को हम आग की लपट से पैदा कर चुके हैं। (सूरह अल हजर 27) इसी तरह फ़रमाने इलाही हैः और जिन को आग की लपट से पैदा किया। (सूरह अर्रहमान 15) जब इबलीस शैतान को अल्लाह तआला ने हुक्म दिया कि सजदा करो तो उसने सजदा करने से इनकार कर दिया। अल्लाह तआला ने उससे कहा कि किस चीज़ ने तुझे सजदा करने से रोका, तो उसने कहा कि तुमने मुझे आग से जबकि आदम को मिट्टी से पैदा किया है। (सूरह अल अअराफ़ 12) हज़रत आयशा रज़िअल्लाहु अन्हा वाली हदीस में हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फ़रमान गुज़रा कि जिनों को आग के शोलों से पैदा किया गया। ग़र्ज़ कि क़ुरआन व हदीस की रोशनी में यह बात वाज़ेह है कि अल्लाह तआला ने जिन्नात को आग के उन्सुर से पैदा किया है।

जिन्नात की तख़लीक़ कब हुई:

जैसा कि सूरह अल हजर आयात नम्बर 27 में गुज़रा : हमने इंसान को सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया और जिन्नात को इस से पहले ही हमने आग से पैदा किया था.... इस आयत में सराहत मौजूद है कि जिन्नात की तख़लीक़ इन्सान की तख़लीक़ से क़ब्ल हुई थी।

जिन्नात कहां रहते हैं?:

अहादीस में मज़कूर है कि इन्सान की तख़लीक़ से क़ब्ल जिन्नात पूरी ज़मीन पर छाये हुए थे, लेकिन इन्सान की तख़लीक़ के बाद जिनों ने वीरानों, चटियल मैदानों, जंगलों, पहाड़ों और गंदी जगहों मसलन बैतुलख़ला, कूड़ा ख़ाना और कब्रिस्तान वगैरह पर अपने ठिकाने बना लिए। जिन्नात की तादाद इन्सानों की तादाद से बहुत ज़्यादा है।

जिन्नात की क़िस्में:

शक़्ल व सूरत और उनकी चाल व ढ़ाल के ऐतबार से जिन्नात की तीन क़िस्में हैं जैसा कि नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज़िक्र फ़रमाया है। एक क़िस्म वह है जो हवा में उड़ती है। दूसरी क़िस्म वह है जो सांप और कुत्तों की शक़्ल में होती है। और तीसरी क़िस्म वह है जो सफ़र और क़याम करती है। (इसको तबरानी, हाकिम और बैहक़ी ने सही सनद के साथ ज़िक्र किया है)

जिन्नात की ग़िजा:

सही बुख़ारी में हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनको इस्तिंजे के लिए मिट्टी का ढेला लाने का हुक्म दिया और कहा कि हड्डी और गोबर ना लाना। उसके बाद जब हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु ने आपसे हड्डी और गोबर ना लाने का राज़ मालूम किया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि यह दोनों चीज़ें जिनों की ग़िजा हैं। मेरे पास नसीबैन का एक वफ़्द जो जिन्नात पर मुश्तमल थाआया और मुझसे खाने के लिए तोशा तलब किया, मैंने उनके लिए अल्लाह तआला से दुआ की जिस हडडी और गोबर से भी उनका गुज़र हो उस पर उनकी ग़िज़ा मौजूद हो। नीज़ सही मुस्लिम की रिवायत में है कि हड्डियों पर जिन्नात की ग़िजा है जबकि गोबर जिन्नात के जानवरों के लिए चारा है।

जिन्नात की ताक़त:

अल्लाह तआला ने जिनों को ऐसी सलाहियतें और ताक़तें अता की हैं जो इन्सानों को नहीं दीं। अल्लाह तआला ने उनकी कुछ ताक़तों का तज़किरा भी किया है, जिन में से एक ताक़त यह है कि वह सिकंडों में एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। हज़रत सुलेमान अलैहिस्लाम के जिनों में से इफ़रीत ने कहा कि वह मुल्के यमन की मलका का तख़्त बैतुल मुकद्दस में सिर्फ इतनी देर में ला सकता है कि एक बैठा हुआ इंसान खड़ा हो जाये, वहीं दूसरा जिसके पास किताब का इल्म था बोल पड़ा कि मैं आपके पलक झपकने से पहले उसे लाये देता हूँ, जैसा कि अल्लाह तआला ने सूरह अन्नमल आयत 39 व 40 में ज़िक्र किया है। यकीनन अल्लाह तआला ने जिन्नात को ख़ुसूसी ताक़त दी है लेकिन उसके बावजूद इन्सान ही जिन्नात पर हावी हैं। चुनांचे सूरह अन्नास में अगरचे शैतान के वस्वसा डालने का ज़िक्र आया है, लेकिन अल्लाह तआला की पनाह मांगने की तलक़ीन करके यह भी वाज़ेह फ़रमा दिया गया है कि अल्लाह तआला की पनाह मांगने और उसका ज़िक्र करने से वह पीछे हट जाता है। नीज़ सूरह अन्निसा 76 में फ़रमाया गया है कि उसकी चालें कमज़ोर हैं, और उसमें इतनी ताक़त नहीं है कि वह इंसान को गुनाह पर मजबूर कर सके। सूरह इब्राहीम आयत 22 में ख़ुद शैतान का यह एतराफ अल्लाह तआला ने नक़्ल फ़रमाया है कि मुझे इन्सानों पर कोई इक़तेदार हासिल नहीं। यह तो इन्सान की एक आज़माइश है कि वह इन्सान को बहकाने की कोशिश करता है, लेकिन जो बंदा उसके बहकावे में आने से इन्कार करे, अल्लाह तआला की पनाह मांग ले तो शैतान उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है।

क्या शैतान कोई मुस्तिक़ल मख़लूक़ है?

इन्सान, जिन्नात और फ़रिश्तों की तरह शैतान कोई मुस्तिक़ल मख़लूक़ नहीं है बल्कि शैतान इंसानों और जिन्नात में से अल्लाह के नाफ़रमान बंदे होते हैं, जो ख़ुद गुमराह होने के साथ दूसरों को भी गुमराह करते हैं। शैतानों का सरदार “इबलीस’’ जिनों से है, जैसाकि फ़रमाने इलाही है: इल्ला इबलीस काना मिनल जिन्न (सूरह अल कहफ़ 50)। अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है: और (जिस तरह यह लोग हमारे नबी से दुश्मनी कर रहे हैं) इसी तरह हम ने हर (पिछले) नबी के लिये कोई ना कोई दुश्मन पैदा किया था, यानि इंसानों और जिन्नात में से शैतान क़िस्म के लोगजो धोका देने की ख़ातिर एक दूसरे को बड़ी चिकनी चुपड़ी बातें सिखाते रहते थे और अगर अल्लाह तआला चाहता तो वह ऐसा ना कर सकते। लिहाज़ा उनको अपनी इफ़तरा परदाज़ियों में पड़ा रहने दो। (सूरह अन्आम 112) शैतान जो जिन्नात में से होते हैंवह नज़र नहीं आते और दिलों में वस्वसा डालते हैं, लेकिन इंसानों में से जो शैतान होते हैं वह नज़र आते हैंऔर उनकी बातें ऐसी होती हैं कि उन्हें सुन कर इन्सान के दिल में तरह तरह के बुरे ख़्यालात और वस्वसे आ जाते हैं। इसलिए सूरतुन्नासअ में दोनों क़िस्म के वस्वसा डालने वालों से पनाह मांगी गई है।

क्या जिन्नात इन्सान के जिस्म में दाख़िल हो जाते हैं?

क़ुरआन व हदीस की रोशनी में उम्मते मुस्लिमा का इत्तेफाक़ है कि अल्लाह तआला ने इस दुनियावी निज़ाम को चलाने के लिए जिन्नात से इंसानों की हिफ़ाजत का इंतेजाम कर रखा हैऔर इंसान के अशरफुल मख़लूक़ात होने की वजह से मजमूई तौर पर इंसान ही जिन्नात पर फ़ौक़ियत रखते हैं, मसलन शेर और सांप जैसे जानवरों से इंसान बहुत ज़्यादा डरता है और ख़तरनाक जानवर इंसान को खा भी जाते हैं लेकिन मजमूई तौर इंसान ही तमाम जानवरों हत्ता कि शेर और सांप जैसे ख़तरनाक जानवरों पर हावी है। लेकिन कभी कभी जिन इन्सानों के जिस्म में दाख़िल हो जाता है, अगरचे ऐसे वाक़ियात बहुत कम होते हैं। इस ज़माने में कुछ लोगों ने जिन्नात को उतारने और जादू के तोड़ के लिए अपनी अपनी दुकानें खोल रखी हैं, इनमें से बेशतर लोग ढोंगी होते हैं। ना वह जिन्नात उतारना जानते हैं और ना ही उनके कब्जे में कोई जिन होता है। यह लोग अवाम ख़ासकर ख़्वातीन को बेवकूफ़ बनाकर पैसा ठगते हैं।

क्या जिन्नात से हिफ़ाज़त मुमकिन है?

जिस दरवाजे को बिस्मिल्लाह कहकर बंद किया गया हो उसको जिन्नात नहीं खोल सकते, हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: दरवाजे बंद करो और बंद करते वक़्त अल्लाह का नाम लो। शैतान ऐसा दरवाज़ा नहीं खोल सकता जो अल्लाह के नाम पर बंद कर दिया गया हो। (अबू दाऊद, मुसनद अहमद)

बैतुलख़ला में दाख़िल होने से पहले दुआ पढ़ने से जिन्नात से हिफ़ाज़त होती है:

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि यह क़जाए हाजत की जगहें (बैतुलख़ला) ऐसी हैं जिनमें शैतान हाज़िर होते हैं। सो तुम में से कोई शख़्स क़जाए हाजत की जगह (बैतुलख़ला) दाख़िल होने लगे तो यह पढ़ ले: अल्हुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिनल ख़ुबुसि वलख़बाइस)। (अबू दाऊद मुसनद अहमद)

जमायी के वक़्त मुंह पर हाथ रखने से जिन्नात से हिफ़ाजत होती है:

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: अल्लाह तआला छींक को पसंद करता है और जमाई को ना पसंद करता है। तुम में से जो कोई छींक कर अल्हम्दु लिल्लाह कहे तो सुनने वाले पर हक़ है यूं कहे “यरहमुकल्लाह’’ अल्लाह तआला तुम पर रहम फ़रमाये। जमायी शैतान की तरफ़ से है, तुम में से जब कोई जमाई ले तो हत्तलइम्कान उसे रोके, क्योंकि तुम में कोई (जमाई के वक़्त मुंह खोल कर) कहता है “हा’’ तो उससे शैतान ख़ुश होता है। जब तुम में से कोई जमाई ले तो अपना हाथ मुंह पर रख लिया करे, क्योंकि शैतान जमाई के साथ अन्दर घुस जाता है। (मशहूर व मारूफ़ कुतुबे हदीस)

तअव्वुज़ पढ़ने से जिन्नात से हिफ़ाजत होती है:

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: जो शख़्स रोज़ाना दस मर्तबा “अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शईतानिर्रजीम’’ पढ़ लिया करेअल्लाह तआला उस पर एक फरिश्ता मुक़र्रर फ़रमा देता हैजो शैतान से उसकी हिफ़ाजत करता है। (मजमउज़्ज़वाइद व ममबउल फ़वाइद किताबुल अज़कार)

सूरह बक़रा पढ़ने से जिन्नात से हिफाज़त होती है:

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: अपने घरों को क़बरें ना बनाओ, जिस घर में सूरह बक़रा पढ़ी ज़ाती है वहाँ शैतान दाख़िल नहीं होता है। (तिर्मिज़ी)

आयतुल कुरसी पढ़ने से जिन्नात से हिफ़ाजत होती है:

हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि मैं रमज़ान में वसूल की गयी ज़कात के माल पर पहरा दे रहा था, एक आने वाला आया और समेटकर अपनी चादर में जमा करने लगा। हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहुअन्हु ने उसको ऐसा करने से बार बार मना फ़रमाया। उस आने वाले ने कहा कि मुझे यह करने दो, मैं तुझे ऐसे कलमात सिखाऊंगा कि अगर तू रात को बिस्तर में जाकर उनको पढ़ लेगा तो अल्लाह तआला की तरफ़ से तुझ पर हाफ़िज़ मुकर्रर होगा और सुबह तक शैतान तेरे क़रीब भी ना आ सकेगा और वह आयतुल कुरसी है। जब हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहुअन्हु ने हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह वाक़िया सुनाया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि उसने सच कहा मगर वह ख़ुद झूठा है और वह शैतान है। (बुख़ारी) इसी तरह का वाक़िया हज़रत अबू अय्यूब अंसारी रज़िअल्लाहु अन्हु और हज़रत उबई बिन कैअब रज़िअल्लाहु अन्हु का भी अहादीस की किताबों में ज़िक्र है। ग़र्ज़ आयतुल कुरसी के ज़रिए जिन्नात व शयातीन से हिफ़ाजत के मुतअद्दद वाक़ियात सहाबा के दरमियान पेश आये।

मुअव्वज़तैन (सूरह फ़लक और सूरह अन्नास) के पढ़ने से जिन्नात से हिफ़ाजत होती है:

हज़रत आयशा रज़िअल्लाहुअन्हा फ़रमाती हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर रात जब बिस्तर पर आराम के लिए लेटते तो अपनी दोनों हथेलियों को एक साथ करके “कु़लहु अल्लाहु अहद’’, “कुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक’’ और “कुल अऊज़ु बिरब्बिन्नास’’ पढ़कर उन पर फूंकते थे और फिर दोनों हथेलियों को जहां तक मुमकिन होता अपने जिस्म पर फेरते थे। सर, चेहरा और जिस्म के आगे के हिस्से से शुरू करते। यह अमल आप तीन मर्तबा करते थे। (बुख़ारी-बाबु फ़ज़लिल मुअव्वज़ात) हज़रत अब्दुल्लाह बिन ख़ुबैब रज़िअल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि एक रात में बारिश और सख़्त अंधेरा था, हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तलाश करने के लिए निकले, जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पा लिया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि कहो, मैंने अर्ज़ किया कि क्या कहूं, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, कुलहु अल्लाहु अहद और मुअव्वज़तैन पढ़ो जब सुबह और शाम हो, तीन मर्तबा यह पढ़ना तुम्हारे लिये हर तकलीफ़ से अमान होगा। (अबू दाऊद, तिर्मिज़ी, नसई) हज़रत उक़बा बिन आमिर रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें हुक्म किया कि हर नमाज़़ के बाद मुअव्वज़तैन पढ़ा करो। यानि “कुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक’’ और “कुल अऊज़ु बिरब्बिन्नास’’। कुछ अहादीस से मालूम होता है कि सूरह इख़लास भी मुअव्वज़ात में शामिल है।

ग़ुरूबे आफ़ताब के वक़्त छोटे बच्चों को बाहर निकालने से गुरेज करें:

हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया” जब ग़ुरूबे आफ़ताब क़रीब हो जाये तो अपने बच्चों को बाहर निकलने से रोको, क्योंकि उस वक़्त शैतान फैल जाते हैं। जब रात का कुछ हिस्सा गुज़र जाये तो बाहर जाने दिया जाये। (सही बुख़ारी, किताबु बदइल अख़लाक़ बाबु सफ़क़ति इबलीस व जुनूदिह)

क़ुरआने करीम की तिलावत का ऐहतमाम करें:

फ़रमाने इलाही है: और हम वह क़ुरआन नाज़िल कर रहे हैं जो मोमिनों के लिए शिफ़ा और रहमत का सामान है। (सूरतुल इसरा 82) अल्लाह तआला ने जिस्मानी व रूहानी बीमारियों का इलाज तिलावते क़ुरआन में रखा है।

ख़ुलासाए कलाम यह है कि तअव्वुज़ (अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शइतानिर्रजीम), सूरह अलफातिहा, आयतुल कुरसी, सूरह अल बक़रा ख़ासकर आखिरी तीन आयात, सूरतुस्साफ़्फ़ात की इब्तदाई दस आयात और चारों क़ुल पढ़ने से जिन्नात से हिफ़ाज़त होती है। बुरे कामों से बचकर फराइज़ (नमाज़, रोज़ा और ज़कात वग़ैरह) के एहतमाम के ज़रिए भी शयातीन से हिफ़ाज़त होती है। इन दिनों नमाज़़ पढ़ने वाले हज़रात भी नमाज़़े फ़ज्र में सोते रहते हैं हालांकि मोहसिने इन्सानियत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस शख़्स के मुताअल्लिक़ जो नमाज़े़ फ़ज्र के वक़्त सोता रहे फ़रमाया: यह वह शख़्स है जिसके कान में शैतान पेशाब कर देता है। (सही बुख़ारी व सही मुस्लिम) अगर हम वाक़ई शैतान के शर से महफूज़ रहना चाहते हैं तो दीगर नमाज़़ों के साथ नमाज़़े फ़ज्र का भी ऐहतमाम करें।

28/11/2020

खुतबा हज्जतुल विदा (Conclusion of Islam) page Jinnat se Nijaat

24/11/2020

जिन कब निकलते हैँ?
आदम अ. से 60000 साल पहले जिनो का दिन और रात दोनों उनके लिए थी लेकिन जब आदम अ. को इस दुनिया मे भेजा तो जिनो से दिन छीन लिया गया और दिन इंसान को दे दिया गया और रात इंसान के आराम के लिए बना दी और वहीँ दिन जिनो से छीन कर दिन उनके आराम के लिए बना दी और रात उनके काम के लिए।
(अहले किताब के नज़दीक नज़रया)

आप स.अ. ने फ़रमाया हैँ जिसका मफहूम हैँ कि शाम के वक़्त अपने बच्चे, जानवर, और खुद को घर मे कर लो और दरवाजे बंद कर लो क्योंकि इस वक़्त अल्लाह कि दूसरी मखलूक निकलती हैँ ।

24/11/2020

जिन कहाँ रहते हैँ?
जिन तीसरी ज़मीन के नीचे और चोथी ज़मीन के ऊपर रहते हैँ लेकिन इनका आना जाना पहली ज़मीन पर लगा रहता हैँ।

24/11/2020

बिल्ली को क्यों नहीं मारना या पीटना चाहिए?
पहली बात तो अल्लाह के नबी स. अ. ने मना फ़रमाया है, लेकिन अगर अहले किताब (ईसाइयो) के नज़दीक देखें तो बिल्ली जिन्नो का पालतू जानवर है और क़दीम वक़्त मे (आदम अ. से 60000 साल पहले) जब इंसानो का वजूद नहीं था तब अगर को जिन किसी दुसरे जिन कि बिल्ली को मार देता था तो इस हरकत पर जिनो मे जंग हो जाया करती थी।
तो यह जानवर आज भी जिनो का पालतू जानवर है और बिल्ली को मारने या पीटने से बचना चाहिए ।

23/11/2020

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22/11/2020

जिन्नात का मुकम्मल इतिहास ।

22/11/2020
22/11/2020

अक़ीदा :- ये आग से पैदा किये गए है इनमे भी बाज़ को ये ताक़त दी गई है के जो शक्ल चाहे बन जाये उनकी उम्रे बहुत तवील (लम्बा) होती है उनके शरीरो को शैतान कहते है ये सब इंसान की तरह ज़ीअक़्ल और अरवाह व अजसाम वाले है उनमे तावलीदो तनासुल होता है खाते पीते जीते मरते है

अक़ीदा :- उनमे मुसलमान भी है काफिर भी है मगर उनके कुफ्फार इंसान की बनिस्बत बहुत ज़्यादा है और उनमे के मुसलमान नेक भी है और फ़ासिक़ भी सुन्नी भी है बदमज़हब भी और उनमे फासिको की तादाद बनिस्बत इंसान के ज़ाइद है

अक़ीदा :- इनके बुजूद का इंकार या बदी की क़ुव्वत का नाम जिन या शैतान रखना कुफ्र है
(बहारे शरीयत, क़ानूने शरीयत)

सवाल :- जिन्नात किस दिन पैदा किये गए ?
जवाब :- हज़रत अबुल आलिया फरमाते है जिन्नात को जुमेरात के दिन पैदा किया गया

सवाल :- जिन्नात ज़मीन पर कब आबाद हुए ?
जवाब :- अल्लाह जल्ला शानहु ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 60000 साल पहले जिन्नात को ज़मीन में बसाया था (तफ़्सीर नईमी)

सवाल :- जिन्नात ज़मीन पर कितने सालो तक आबाद रहे?
जवाब :- जिन्नात ज़मीन पर सात हज़ार साल तक आबाद रहे

सवाल :- जिन्नात को ज़मीन से क्यों भगाया गया और किसने भगाया ?
जवाब :- जिन्नात जब ज़मीन पर आबाद हुए तो उनका आपस में हसद व हक़द शुरू हुआ उन्होंने ज़मीन पर फसाद किया खून बहाया क़त्लो गारत किया इब्लीस जो उस वक़्त तक बहुत मक़बूल बारगाहे इलाही था उसे हुक्म हुआ के अपने साथ फ़रिश्तो की एक जमात ले जा और जिन्नात को ज़मीन से निकाल कर पहाड़ो और जज़ीरो की तरफ धकेल दे चुनाचे इब्लीस ने ऐसा ही किया उसने अपने साथियो के साथ जिन्नात को मार मार कर पहाड़ो और जज़ीरो में भगा दिया

सवाल :- जिन्नात को ज़मीन से भागने का वाक़िया हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से कितने साल क़ब्ल का है ?
जवाब :- ये वाक़िया हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 2000 साल पहले का है ऊपर तफ़्सीरे नईमी का जो कॉल गुज़रा के जिन्नात ज़मीन पर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 60000 हज़ार साल क़ब्ल बसाये गए और सात हज़ार साल तक ज़मीन पर आबाद रहे इससे मालूम हुआ के जिन्नात को ज़मीन से निकालने का वाक़िया विलादते आदम अलैहिस्सलाम से 53000 हज़ार साल पहले पेश आया

सवाल :- जिन्नात की कितनी किस्मे है ?
जवाब :- 1. वो, जिन के पर होते है और वो हवा में उड़ते है 2. वो, जो सापों की शक्ल में रहते है 3. वो, जो इंसानों की तरह है

सवाल :- किस किस्म के जिन्नात से हिसाब व किताब होगा ?
जवाब :- तीसरी किस्म के जिन्नात से यानी जो इंसानो की तरह है

सवाल :- जो जिन्नात हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाएं थे उनकी तादाद कितनी है?
जवाब :- जिन्नात की इस जमाअत की तादाद में इख्तिलाफ है | हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते है की सात जिन थे | हज़रत इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हुमा ने फ़रमाया के नो जिन थे बाज़ हज़रात से मरवी है की ये पंद्रह थे | एक रिवायत में है की साठ ऊंटों पर आये थे एक रिवायत में ये है की तिनसों थे एक रिवायत में छः हज़ार की तादाद है और ये भी मरवी है की बारह हज़ार थे इन सब में ततबीक़ ये है की क्योकि कई वफ्द (Team) आये थे मुमकिन है कि किसी में सात हो, नो ही हो किसी में ज़्यादा और किसी में उससे भी ज़्यादा

सवाल :- जो जिन्नात इस्लाम से मुशर्रफ हुए थे उनके नाम क्या है ?
जवाब :- उनके नाम ये है

हस्सी
हस्सा
मनसी
सासिर
नासिर
अलादर
बयान अलाहम
इबने मसऊद रदिअल्लहुअन्हु फरमाते है की ये नौ थे एक का नाम रदिया था बाज़ ने कहा है उन के सरदार का नाम वरदान था

सवाल:– हुज़ूर सल्लल्लाहुआलेहिवसल्लम पर जो जिन्नात ईमान लाये वो कहा के रहने वाले थे ?
जवाब :- हज़रत मुजाहिद रहमातुल्लाअलेह कहते है ये जिन्नात नसीबैन के रहने वाले थे हज़रत इबने मसऊद फरमाते है की ये असल नखला से आये थे अबू हमजा शिमाल का कहना है बून शीसान के थे हज़रत अकर्मा का क़ौल है के ये जज़ीराये मूसल से आये थे

सवाल:– मुसलमान जिन्नो ने जब हुज़ूर सल्लल्लाहुवसल्लम से ज़ाद व तोशा तलब किया तो आप ने उन के लिए क्या ज़ाद व तोशा मुक़र्रर फ़रमाया ?
जवाब :- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के जब उन्हों ने ज़ाद व तोशा तलब तो हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हड्डियां उनके लिए तोशा और गोबर उनका चारा मकर्रर फ़रमाया और फ़रमाया : हर हड्डी उनके हाथ लगते ही ऐसी होजायेगी जैसी उस वक़्त थी जब खायी गयी थी | यानी गोश्त वाली होकर उन्हें मिलेगी और गोबर में भी वही दाने पायेंगें जो उस रोज़ थे जब वो दाने खाये गए थे पसकोई शख्स भी हड्डी और गोबर से इस्तिंजा न करे

सवाल :- जबले अबू क़ैस पर खड़े होकर जिस जिन्न ने बुतों की हिमायत की थी और हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुश्मनी पर काफिरों और मुशरिकों को जोश दिलाया था उसका नाम क्या है ?
जवाब :- उस जिन का नाम मुसअरथा

सवाल :- कुफ्फार व मुशरिकीन को जोश दिलाने वाले उस जिन्न का किस जिन्न ने क़त्ल किया ?जवाब :- उसका नाम समह या मसमह था नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसका नाम बदल कर अब्दुल्लाह रखा |

सवाल :- उस जिन्न का क्या नाम है जो हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम तक हर नबी की खिदमत में हाज़िर होता रहा ?
जवाब :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं की हम रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर थे | एक बूढ़ा आदमी लकड़ी हाथ में लिए हुए आया | उसने आपको सलाम किया | हुज़ूर ने सलाम का जवाब दिया और फ़रमाया यह जिन्न की आवाज़ है | फिर फ़रमाया तू कौन है उसने कहा में हामा बिन अलीम बिन क़ैस बिन इब्लीस हूँ | मेने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से भी मुलाक़ात की है और उनके बाद हर नबी से मिलता रहा हूँ अब आपकी खिदमत में हाज़िर हूँ

सवाल :- इब्लीस के बाप और माँ का नाम क्या है ?
जवाब :- उसके बाप का नाम खिबलीस था जिसकी शक्ल शेर या सांप की मानिंद थी और माँ का नाम नबलीस जिसकी शक्ल भेड़िये की मानिंद थी

सवाल :- इब्लीस का नाम इब्लीस क्यों हुआ?
जवाब :- खुदाए पाक की सरीह नाफरमानी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से बुग्ज़ व ईनाद की वजह से वो खुदाए करीम की हर नेमतों रहमतों से मायूस कर दिया गया | या वो नेकी व बदी को बन्दगाने खुदा के लिए खलत मलत कर देता है इसलिए इब्लीस नाम से मशहूर हो गया

सवाल :- इब्लीस आसमान से दुनिया में किस दिन उतारा गया?
जवाब :- मंगल के दिन

सवाल :- शयातीन की हकीकत क्या है?
जवाब :- वो आग से पैदा किये गए हैं उनको अल्लाह ताला ने ये क़ुदरत दी है की जो शक्ल चाहें इख़्तियार करलें शरीर जिन्नो को शयातीन कहते हैं

सवाल :- क्या इब्लीस क़ौमे जिन्न में से है ?
जवाब :- हाँ यही मशहुर और हक़ है

सवाल :- इब्लीस जन्नत में खजांची कितने साल रहा?
जवाब :- चालीस हज़ार साल

सवाल :- इब्लीस ने अर्शे आज़म का तवाफ़ कितने साल तक क्या ?
जवाब :- चौदह हज़ार साल तक क्या

सवाल :- इब्लीस फरिश्तों के साथ कितने दिनों तक रहा ?
जवाब :- अस्सी हज़ार साल और बीस हज़ार साल तक मलाइका को वाइज़ व नसीहत करता रहा और तीस हज़ार साल तक मलाइका कर्रबीन का सरदार रहा और एक हज़ार साल तक मलाइका रोहानीन का सरदार रहा

सवाल :- फिर इब्लीस मरदूद बार गाह क्यों हुआ जबकि वो मुअल्लिमूलमलाकूत था ?
जवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सजदा न करने की वजह से

सवाल :- इब्लीस ने मरदूद बारगाह होने से क़ब्ल कितने दिनों तक अल्लाह ताला की इबादत व रियाज़त की
जवाब :- पचास हज़ार साल तक _यहां तक की अगर उसके सजदों को फ़ैलादिया जाये तो ज़मीनो आसमानों में कोई जगह बाक़ी न रहे

22/11/2020

क्या जिन, शैतान, से डरना चाहिए? या लड़ना चाहिए? या इनसे भागना चाहिए?

नहीं इन मे से कुछ नहीं करना चाहिए बल्कि आप इस कहानी से सबक लें।

जब कोई कुत्ता परेशान करता है तो वो बार बार आप पर हमला करेगा, तो इस सूरत मैं क्या करना चाहिए?
कुत्ते से डरना चाहिए? या लड़ना चाहिए? या इस से भागना चाहिए?

नहीं इन मे से कुछ नहीं करना चाहिए बल्कि आपको इस कुत्ते के मालिक को पुकारना चाहिए और उससे कहना चाहिए के आप अपने कुत्ते को काबू करें ।

ठीक इसी तरह से जिन, शैतान अल्लाह के कुत्ते हैँ और अल्लाह से दुआ करनी चाहिए के के अल्लाह अपने इन कुत्तो को काबू कर और हमें इनसे महफूज कर ।

21/11/2020

दीनी मालूमात पर मुशतमिल 250 सवालात व जवाबात

1) खाने से पहले क्या कहना चाहिए?
जवाब: बिस्मिल्लह..............

2) खाने के बाद क्या कहना चाहिए?
जवाब: अलहमदु लिल्लाह.........

3) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने या सुनने पर हमें क्या कहना चाहिए?
जवाब: सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

4) नबी या रसूल का नाम लिखने या सुनने पर हमें क्या कहना चाहिए?
जवाब: अलैहिस सलाम

5) किसी सहाबी का नाम लिखने या पढ़ने या सुनने पर हमें क्या कहना चाहिए?
जवाब: रज़ियल्लाहु अन्हु

6) दुनिया के सबसे आखरी नबी और रसूल का नाम क्या है?
जवाब: हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

7) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वालिद का नाम क्या है?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वालिद का नाम अब्दुल्लाह है।

8) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वालिदा का नाम क्या है?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वालिदा का नाम आमिना है।

9) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दादा का नाम क्या है?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दादा का नाम अब्दुल मुत्तलिब है।

10) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहां पैदा हुए?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मक्का में पैदा हुए।

11) जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वालिदा का इंतिकाल हुआ तो आप की उम्र कितनी थी?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 6 साल की थी।

12) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहां मदफून हैं?
जवाब: मदीना में।
13) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर पहली वही कहां नाज़िल हुई?
जवाब: गारे हिरा में।

14) जब पहली मरतबा वही नाज़िल हुई तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र कितनी थी?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 40 साल थी।

15) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचा का नाम बताइये जो आपके रिज़ाई भाई भी थे?
जवाब: हज़रत हमज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु।

16) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दो चचा का नाम बताइये जो इस्लाम लाए थे?
जवाब: हज़रत हमज़ा और हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा।

17) हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा से शादी के वक़्त आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र कितनी थी?
जवाब: 25 साल।

18) शादी के वक़्त हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हु हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कितने साल बड़ी थीं?
जवाब: हज़रत खदीजा हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से 15 साल बड़ी थीं।

19) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पहली बीवी का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा।

20) बीबी हलीमा सादिया कौन थीं?
जवाब: हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को दूध पिलाने वाली दाया।

21) हिजरत के मौक़े पर हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किस गार में पनाह ली?
जवाब: गारे सौर में।

22) सूरज, चांद, सितारे और ज़मीन व आसमान किसने बनाए?
जवाब: अल्लाह तआला ने।

23) रमज़ान में अज़ाने फजर से पहले जो खाते पीते हैं उसे क्या कहते हैं?
जवाब: सेहरी।

24) रमज़ान में गुरूबे आफताब के बाद जो खाते पीते हैं उसे क्या कहते हैं?
जवाब: इफतार।

25) तुलूए फजर से गुरूबे आफताब तक खाने, पीने वगैरह से रूकने को क्या कहते हैं?
जवाब: रोज़ा।

26) जो क़ुरान करीम को मुकम्मल हिफ्ज़ कर लेता है उसे क्या कहते हें?
जवाब: हाफिजे क़ुरान।

27) कौन से महीने में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश हुई?
जवाब: रबीउल अव्वल के महीने में।

28) कौन से महीने में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात हुई?
जवाब: रबीउल अव्वल के महीने में।

29) हमारे नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सबसे बड़ा मोजज़ा क्या है?
जवाब: क़ुरान करीम।

30) जन्नत के कितने दरवाजे हैं?
जवाब: आठ।

31) जहन्नम के कितने दरवाजे हैं?
जवाब: सात।

32) जन्नत के दारोगा का नाम क्या है?
जवाब: रिज़वान।
33) जहन्नम के दारोगा का नाम क्या है?
जवाब: मालिक।

34) क़ुरान करीम में सबसे ज़्यादा किस हुकुम की ताकीद आई है?
जवाब: नमाज़।

35) गारे हिरा और गारे सौर कहां वाक़े हैं?
जवाब: मक्का में।

36) किस सूरत को सबए मसानी भी कहा जाता है?
जवाब: सूरह फातिहा।

37) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश किस सन ईसवी में हुई थी?
जवाब: आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश 571 ईसवी में हुई थी।

38) मुहरे नुबूवत हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिस्म के किस हिस्से में थी?
जवाब: दो कंधों के दरमियान।

39) अगर कोई हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को न माने तो वह कैसा है?
जवाब: जो हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को न माने वह काफिर है।

40) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अम्बिया की इमामत कहां की थी?
जवाब: बैतुल मुक़द्दस (मस्जिदे अक़्सा में)।

41) हज़रत आदम अलैहिस सलाम को अल्लाह तआला ने किस चीज़ से पैदा किया?
जवाब: मिट्टी से।

42) इस दुनिया और सारी कायनात का खालिक़ और मालिक कौन है?
जवाब: अल्लाह तआला।
43) बड़े (मर्दों) में से सबसे पहले इस्लाम क़बूल करने वाले का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत अबू बकर रज़ियल्लाहु अन्हु।

44) बच्चों में सबसे पहले इस्लाम क़बूल करने वाले का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु।

45) औरतों में सबसे पहले इस्लाम क़बूल करनी वाली औरत का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा।

46) हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा की वफात के वक़्त हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र कितनी थी?
जवाब: 50 साल।

47) खाना किस हाथ से खाना चाहिए?
जवाब: दायें हाथ से।

48) किस माह के रोज़े रखना फर्ज़ है?
जवाब: माहे रमज़ान के।

49) ईदुल फितर की नमाज़ किस तारीख को पढ़ी जाती है?
जवाब: एक शौव्वाल को।

50) ईदुल अज़हा की नमाज़ किस तारीख को पढ़ी जाती है?
जवाब: दस ज़िलहिज्जा को।

51) अरफात के मैदान में हाजी कब जमा होते हैं?
जवाब 9 ज़िलहिज्जा को।

52) जानवरों की क़ुर्बानी कब की जाती है, ईदुल फितर या ईदुल अज़हा के मौक़े पर?
जवाब: ईदुल अज़हा के मौक़े पर।

53) हफ्ता के किन दिनों नफली रोज़े रखने की खुसूसी फज़ीलत है?
जवाब: सोमवार और जुमेरात।

54) शव्वाल के महीने में कितने रोज़े रखने की खुसूसी फज़ीलत है?
जवाब: 6 रोज़े।

55) इस्लाम की सबसे पहली मस्जिद का नाम बताइये?
जवाब: मस्जिदे कुबा।

56) दुनिया की सबसे पहली मस्जिद का नाम बताइये?
जवाब: मस्जिदे हराम।

57) मस्जिदे हराम में नमाज़ पढ़ने का सवाब कितनी नमाजों का है?
जवाब: एक लाख।

58) दुनिया की दूसरी मस्जिद का नाम बताइये?
जवाब: मस्जिदे अक़्सा (कबिला अव्वल)
59) मुंकर नकीर कौन हैं?
जवाब: मुर्दों से कब्र में सवाल करने वाले फरिश्ते।

60) हज़रत जिबरईल अलैहिस सलाम की ज़िम्मेदारी बयान कीजिए?
जवाब: अल्लाह तआला के हुकुम से वही नाज़िल करना।

61) हज़रत इसराफील अलैहिस सलाम की क्या ज़िम्मेदारी है?
जवाब: सूर फूंकना (क़यामत के दिन सूर फूकेंगे)।

62) हज़रत इज़राइल अलैहिस सलाम की क्या ज़िम्मेदारी है?
जवाब: रूह कब्ज़ करना (मौत के वक़्त रूह कब्ज़ करते हैं)।

63) रूहुल्लाह किस नबी को कहा जाता है?
जवाब: हज़रत ईसा अलैहिस सलाम को।

64) कलीमुल्लाह किस नबी को कहा जाता है?
जवाब: हज़रत मूसा अलैहिस सलाम को।
65) ज़बीहुल्लाह किस नबी को कहा जाता है?
जवाब: हज़रत इसमाईल अलैहिस सलाम को।

66) खलीलुल्लह किस नबी को कहा जाता है?
जवाब: हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम को।

67) रूहुल अमीन कौन हैं?
जवाब: हज़रत जिबरईल अलैहिस सलाम।

68) मदीना का पुराना नाम क्या है?
जवाब: यसरिब।

69) मस्जिदे अक़्सा कहां वाक़े है?
जवाब: बैतुल मुक़द्दस में।

70) मुसलमानों का क़िबला कहां है?
जवाब: मक्का में।

71) मुसलमानों का क़िबला अव्वल किसके कब्ज़े में है?
जवाब: यहूदियों के कब्जा में है (मस्जिदे अक़्सा)।

72) अबू जहल को किसने क़त्ल किया था?
जवाब: मआज़ और मुऔव्वज़ (दो नौ उम्र लड़कों) ने।

73) तुम्हारे मज़हब का क्या नाम है?
जवाब: इस्लाम।

74) क़ुरान करीम का दिल किस सूरह को कहा जाता है?
जवाब: सूरह यासीन को।

75) दिन रात में कितने वक़्त की नमाज़ फर्ज़ है?
जवाब: पांच वक़्त की।
76) पांच फर्ज़ नमाज़ों के नाम बताइये?
जवाब: फजर, जुहर, असर, मगरिब और इशा।

77) पांच फर्ज़ नमाज़ों में फर्ज़ रिकातों की कुल तादाद कितनी है?
जवाब: 17 रिकात।

78) नमाज़े फजर में कितनी रिकात फर्ज़ हैं?
जवाब: 2 रिकात।

79) नमाज़े जुहर में कितनी रिकात फर्ज़ हैं?
जवाब: 4 रिकात।

80) नमाज़े असर में कितनी रिकात फर्ज़ हैं?
जवाब: 4 रिकात।

81) नमाज़े मगरिब में कितनी रिकात फर्ज़ हैं?
जवाब: 3 रिकात।
82) नमाज़े इशा में कितनी रिकात फर्ज़ हैं?
जवाब: 4 रिकात।

83) दिन रात में कितनी रिकात सुन्नते मुअक्कदा हैं?
जवाब: 12 रिकात।
84) उस नबी का नाम बताइये जिन्हें मछली ने निगल लिया था?
जवाब: हज़रत यूनुस अलैहिस सलाम।

85) उस सहाबी का नाम बताइये जिनका नाम क़ुरान करीम में आया है?
जवाब: हज़रत जैद रज़ियल्लाहु अन्हु।

86) तुम्हें किस ने पैदा किया?
जवाब: हमें अल्लाह तआला ने पैदा किया।

87) जो लोग खुदा को नहीं मानते उन्हें क्या कहते हैं?
जवाब: उन्हें काफिर कहते हैं।

88) हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कौन थे?
जवाब: अल्लाह तआला के बन्दे और उसके रसूल थे।

89) 12 रिकात सुन्नते मुअक्कदा की तफसील बयान कीजिए?
जवाब: 2 फजर से पहले, 4 ज़ुहर से पहले, 2 ज़ुहर के बाद, 2 मगरिब के बाद और 2 इशा के बाद।

90) हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तमाम उम्र कहां रहे?
जवाब: तक़रीबन 53 साल की उम्र तक अपने शहर मक्का में और तक़रीबन 10 साल मदीना में रहे।

91) कितने दिनों में पूरा क़ुरान नाज़िल हुआ?
जवाब 23 साल में।

92) जो शख्स अज़ान देता है उसे क्या कहते हैं?
जवाब उसे मुअज़्ज़िन कहते हैं।

93) जो शख्स मस्जिद में नमाज़ पढ़ाता है उसे क्या कहते हैं?
जवाब: उसे इमाम कहते हैं।

94) इस्लाम की बुनिया कितनी चीजों पर है?
जवाब: इस्लाम की बुनियाद पांच चीजों पर है।

95) इस्लाम के अरकान के नाम बताइये?
जवाब: ईमान, नमाज़, रोजा, ज़कात और हज।

96) नमाज़ कब फर्ज़ हुई?
जवाब: वाक़्या मेराज के मौका पर मक्की ज़िन्दगी में।

97) रोज़ा कब फर्ज़ हुआ?
जवाब: सन 2 हिजरी में।

98) जकात कब फर्ज़ हुई?
जवाब: सन 3 हिजरी में।

99) हज किस सन में फर्ज़ हुआ?
जवाब: सन 9 हिजरी में।

100) शराब पीना कब हराम हुआ?
जवाब: सन 4 हिजरी में।

101) औरतों के लिए परदा करने का हुकुम कब हुआ?
जवाब: सन 5 हिजरी में।

102) सुलह हुदैबिया कब हुई?
जवाब: सन 6 हिजरी में।

103) मक्का कब फतह हुआ?
जवाब: सन 8 हिजरी में।

104) शैतान किस मख्लूक में से है? फरिशता या इंसान या जिन्नात?
जवाब: जिन्नात में से।

105) जिस ऊंटनी पर सवार हो कर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हिजरत फरमाई उसका नाम बताइये?
जवाब: उसका क़ुसवा था।

106) किरामन कातेबीन कौन हैं और उनकी क्या ज़िम्मेदारी है?
जवाब: फरिशते हैं जो इंसान के आमाल लिखते रहते हैं।

107) सबसे पहले अमिरूल मोमेनीन का खिताब किस खलीफा को दिया गया?
जवाब: हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु को।

108) इस्लाम में सबसे पहली शहीदा का नाम क्या है?
जवाब: हज़रत सुमैय्या रज़ियल्लाहु अन्हा।

109) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासों के नाम बताओ जिनसे आप बहुत मोहब्बत करते थे?
जवाब: हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हुमा।

110) हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हुमा की वालिदा का नाम क्या है?
जवाब: हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा।

111) अल्लाह तआला को सबसे ज़्यादा नागवार चीज़ जो कि हलाल है, क्या है?
जवाब: तलाक़।

112) क़ुरान की सबसे पहली नाज़िल होने वाली वही किस सूरह में है?
जवाब: सूरह अलक़ में।

113) उस सूरह का नाम बतायें जिसमें अबू लहब और उसकी बीवी की बुराई बयान की गई है?
जवाब: सूरह तब्बत।

114) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज (हज्जतुल विदा) कब किया?
जवाब: सन 10 हिजरी में।

115) इस्लाम की पहली अहम जंग (जंगे बदर) कब हुई?
जवाब: सन 2 हिजरी में।

116) इस्लाम की दूसरी अहम जंग (जंगे उहद) कब हुई?
जवाब: सन 3 हिजरी में।

117) क़ुरान करीम में कितनी सूरतें हैं?
जवाब: 114

118) क़ुरान करीम में कितने पारे में हैं?
जवाब: 30
119) क़ुरान करीम में “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम” कितनी बार आई है?
जवाब: 114
120) क़ुरान करीम में कितनी सूरतें “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम” से शुरू हुई हैं?
जवाब: 113

121) कौन सी सूरह “बिस्मिल्लाह” से शुरू नहीं होती है?
जवाब: सूरह तौबा।

122) कौन सी सूरह में बिस्मिल्लाह दोबार आती है?
जवाब: सूरह नमल।

123) क़ुरान करीम में कितने बार लफ्ज़े क़ुरान दुहराया गया है?
जवाब: 70

124) क़ुरान करीम की सबसे बड़ी सूरह कौन सी है?
जवाब: सूरह बक़रह।

125) क़ुरान करीम की सबसे बड़ी आयत कौन सी सूरह में मौजूद है?
जवाब: सूरह बक़रह (आयत 282)।

126) क़ुरान करीम में सबसे अफज़ल रात कौन सी बताई गई है?
जवाब: शबे क़दर।

127) क़ुरान करीम किस माह में नाज़िल हुआ?
जवाब: रमज़ान।

128) माहे रमज़ान किस माह के बाद आता है?
जवाब: शाबान।
129) कितनी सूरतें “अलहमदु लिल्लाह” से शुरू होती हैं?
जवाब: सूरह फातिहा, सूरह ईनाम, सूरह कहफ, सूरह फातिर और सूरह सबा।

130) कितनी सूरतों के नाम एक हर्फ से हैं?
जवाब: 3, “साद” “क़ाफ” “नून”।
131) कितनी सूरतें “इन्ना” से शुरू होती है?
जवाब: सूरह फतह, सूरह नूह, सूरह क़दर और सूरह कौसर।
132) कौन सी सूरह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के क़बीले के नाम से है?
जवाब: सुरह कुरैश।

133) कौन सी सूरह को क़ुरान शरीफ का दिल भी कहते हैं?
जवाब: सूरह यासीन।

134) कौन सी सूरह का नाम जंग के नाम पर है?
जवाब: सूरह अहज़ाब।

135) कौन सी सूरह का नाम धात के नाम पर है?
जवाब: सूरह हदीद।

136) कौन सी सूरह को उरूसुल क़ुरान कहते हैं?
जवाब: सूरह रहमान।

137) कौन सी सूरह “एक तिहाई” क़ुरान के बराबर है?
जवाब: सूरह तौहीद (इखलास)

138) कितनी सूरतें “हुरूफे मुक़त्तआत” से शुरू होती हैं?
जवाब: 29 सूरतें।

139) कौन सी सूरतों को मुऔव्वज़तैन कहते हैं?
जवाब: सूरह फलक़, सूरह नास।

140) कौन सी सूरतें “तबारकल लज़ी” से शुरू होती हैं?
जवाब: सूरह मुल्क और सूरह फुरक़ान।

141) मक्की सूरतों का दौर कितने साल का था?
जवाब: तक़रीबन 13 साल।

142) मदनी सूरतों का दौर कितने साल का था?
जवाब: तक़रीबन 10 साल।

143) क़ुरान मजीद नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर एक मरतबा उतरा या थोड़ा थोड़ा?
जवाब: थोड़ा थोड़ा नाज़िल हुआ, कभी एक आयत और दो या 4 आयतें, कभी एक सूरह जैसी ज़रूरीयात होती गई उतरता गया।

144) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का आम लिबास क्या होता था?
जवाब: लुंगी, क़मीस, अमामा, टोपी और चादर।

145) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अमामा का रंग आम तौर पर क्या होता था?
जवाब: काला या सफेद।

146) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कितने हज और उमरह किए?
जवाब: एक हज और एक चार उमरह।

147) ज़िन्दगी में एक बार हज फर्ज़ है या हर साल?
जवाब: ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार।

148) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात के बाद मुसलमानों का खलीफा कौन बना?
जवाब: हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु।

149) हज के आमाल का किन नबियों की क़ुर्बानियों से खुसूसी तअल्लुक़ है?
जवाब: हज़रत इब्राहीम और हज़रत इसमाईल अलैहिस सलाम।

150) नबियों की तक़रीबन कुल तादाद कितनी थी?
जवाब: तक़रीबन एक लाख चैबीस हज़ार।

151) सहाबा की तक़रीबन कुल तादाद कितनी थी?
जवाब: तक़रीबन एक लाख चैबीस हज़ार।

152) क़ुरान करीम में कितने अम्बिया का तज़केरा आया है?
जवाब: 25

153) पांच अम्बिया व रुसुल के नाम बताइये?
जवाब: हज़रत मूसा, हज़रत ईसा, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इसमाईल और हज़रत यूसुफ अलैहिमुस सलाम।

154) क़ुरान करीम में सबसे ज़्यादा किस नबी का नाम आया है?
जवाब: हज़रत मूसा अलैहिस सलाम।

155) अशहुरे हुरुम की तादाद कितनी है?
जवाब: 4 (ज़िलक़ादा, ज़िलहिलहिज्जा, मुहर्रम और रजब)।

156) जंगों की तारीख के एतेबार से सही तरतीब दीजिए, जंगे उहद, बदर, हुनैन और खंदक?
जवाब: बदर, उहद, खंदक़ और हुनैन।

157) अम्बिया के ज़माना के एतेबार से सही तरतीब दीजिए, नूह, ईसा, मूसा और इब्राहीम अलैहिमुस सलाम?
जवाब: नूह, इब्राहीम, मूसा और ईसा अलैहिमुस सलाम।

158) इन उलमा में से सबसे पहले कौन थे? (इब्ने क़य्यिम, इब्ने तैमिया, इब्ने हमबल और अबू हनीफा)
जवाब: इमाम अबू हनीफा।

159) हज़रत इमाम अबू हनीफा का क्या नाम है?
जवाब: नोमान बिन साबित।

160) उस सहाबी का नाम बताइये जिनके मौत की वजह से अर्श हिल गया था।
जवाब: हज़रत साद बिन मुआज़ रज़ियल्लाहु अन्हु।
161) उस सहाबी का नाम बताइये जिन्हें फरिश्तों ने गुस्ल दिया था?
जवाब: हज़रत हंज़ला रज़ियल्लाहु अन्हु।

162) हदीस की मशहूर किताब रियाज़ुस सालिहीन के मुअल्लिफ का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत इमाम नववी।

163) मक्का में सबसे पहले बुलंद आवाज़ के साथ क़ुरान करीम की तिलावत करने वाले कौन हैं?
जवाब: हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु।
164) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की साहबज़ादियों के नाम क्या हैं?
जवाब: हज़रत ज़ैनब, रुक़य्या, उम्मे कुलसूम और फातिमा।

165) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सबसे छोटी साहबज़ादी का नाम क्या है?
जवाब: हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा।

166) हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा की शादी किस के साथ हुई थी?
जवाब: हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु के साथ।

167) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तीन दामाद कौन कौन थे?
जवाब: हज़रत अबुल आस, हज़रत उस्मान और हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हुम।

168) किस जंग में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दंदाने मुबारक शहीद हुए थे?
जवाब: जंगे उहद में।

169) इस्लाम की पहली अहम जंग का नाम क्या है?
जवाब: जंगे बदर।

170) नमाज़े जुमा के लिए हाज़िरी का रजिस्टर फरिश्ते किस वक़्त बंद करते हैं?
जवाब: इमाम के खुतबा के लिए मिम्बर पर पहुंचने के वक़्त।

171) नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लिबास कहां तक रहता था?
जवाब: आधी पिंडली तक।

172) नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कौन सा रंग ज़्यादा पसंद था?
जवाब: सफेद।

173) फर्ज़ नमाजों के अलावा कौन सी नमाज़ का ज़िक्र क़ुरान करीम आया है?
जवाब: नमाज़े तहज्जुद।

174) सूरह कहफ पढ़ने की कौन से दिन खास फज़ीलत अहादीस में आई है?
जवाब: जुमा के दिन।

175) दरूद शरीफ पढ़ने की कौन से दिन खास फज़ीलत अहादीस में आई है?
जवाब: जुमा के दिन।

176) कौन से दिन के नाम पर क़ुरान करीम में एक सूरह है?
जवाब: जुमा।

177) जुमा के दिन पहली अज़ान की इब्तिदा कब से हुई?
जवाब: हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु के अहदे खिलाफत से।

178) किस नबी को आसमानों पर उठा लिया गया?
जवाब: हज़रत ईसा अलैहिस सलाम को।

179) मेराज का वाक़्या नींद की हालत में हुआ या जागने की हालत में?
जवाब: जागने की हालत में।

180) इंसानी तारीख का सबसे लम्बा सफर कौन सा है?
जवाब: सफर मेराज व इसरा।

181) क़यामत के दिन सबसे पहले किस चीज़ का हिसाब लिया जाएगा?
जवाब: नमाज़।

182) वह कौन सी दो नमाजें हैं जिनके खास एहतिमाम की हुज़ूर ने ताकीद फरमाई?
जवाब: फजर और असर।

183) नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में अशआर कहने वाले 3 शोरा के नाम क्या हैं?
जवाब: हज़रत हस्सान बिन साबित, काब बन मालिक और हज़रत अब्दुल्लाह बिन रवाहा रज़ियल्लाहु अन्हुम।

184) जंगे बदर में मुसलमानों के लश्कर की तादाद क्या थी?
जवाब: 313

185) हदीस की चंद मशहूर किताबों के मुख्तसर नाम बतायें?
जवाब: बुखारी, मुस्लिम, तिर्मिज़ी, इब्ने माजा, नसई और अबू दाऊद।

186) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िन्दगी में सिर्फ एक शख्स की नमाज़े जनाज़ा गाईबाना पढ़ाई है, बताइये?
जवाब: मुल्क हबशा का बादशाह नज्जाशी।

187) जज़ीरए अरब से बाहर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सिर्फ एक मुल्क का सफर किया था नाम बताइये?
जवाब: मुल्के शाम।

188) हज़रत ईसा अलैहिस सलाम का नुज़ूल कहां होगा?
जवाब: दिमश्क़।

189) हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम के दो बेटों के नाम बताइये?
जवाब: हज़रत इसमाईल और हज़रत इसहाक़ अलैहिमस सलाम ।

190) हज़रत याकूब अलैहिस सलाम के एक बेटे का नाम बताइये?
जवाब: हज़रत यूसुफ अलैहिस सलाम।

191) बनी इसराइल किस नबी की औलाद हैं?
जवाब: हज़रत याक़ूब अलैहिस सलाम।

192) हज़रत यूसुफ अलैहिस सलाम का तज़केरा तफसील के साथ क़ुरान की किस सूरह में आया है?
जवाब: सूरह यूसुफ।

193) इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना कौन सा है?
जवाब: मुहर्रमुल हराम।

194) हजर हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत कौन से महीने में हुई थी?
जवाब: मुहर्रमुल हराम।

195) उन शहीद का नाम बताइये जिनको हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सय्यदुश शुहदा का लक़ब दिया?
जवाब: हज़रत हमज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु।

196) हिजरी कैलेंडर का सिलसिला कब से शुरू हुआ?
जवाब: हज़रत उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के अहदे खिलाफत से।

197) इस्लामी कैलेंडर के चार माह के नाम बताइये?
जवाब: शाबान, रमज़ान, ज़िलक़ादा और ज़िलहिज्जा।

198) सही तरतीब से लिखिए रमज़ान, शाबान, ज़िलहिज्जा और ज़िल क़ादा।
जवाब: शाबान, रमज़ान, ज़िलक़ादा और ज़िलहिज्जा।

199) बड़े गुनाहों में से छः बड़े गुनाह कौन से हैं?
जवाब: शिर्क करना, किसी को नाहक़ क़त्ल करना, सूद खाना, नमाज़ न पढ़ना, शराब पीना और झूठ बोलना।

200) क़ाफला हिजरते मोहम्मदिया कितने लोगों पर मुशतमिल था?
जवाब: 4 अफराद (हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, हज़रत अबू बकर सिद्दीक़, हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ के गुलाम आमिर बिन फुहैरा और अब्दुल्लाह बिन अरीक़त रास्ता दिखाने वाले।

201) हम्द किसे कहते हैं?
जवाब: वह अशआर जो अल्लाह तआला की तरीफ में लिखे गए हों।

202) नात किसे कहते हैं?
जवाब: वह अशआर जो हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तारीफ व मंक़बत में लिखे जाते हैं।

203) उम्महातुल मोमेनीन किन को कहा जाता है?
जवाब: हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अज़वाजे मुतहहरात को उम्महातुल मामेनीन कहा जाता है।

204) हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम किस मुल्क से मुल्के शाम हिजरत फरमा गए?
जवाब मुल्के इराक़ से।

205) वह कौन सी दुआ है जिसको पढ़ने के बाद अल्लाह के हुकुम से मछली ने हज़रत यूनूस अलैहिस सलाम को अपने पेट से बाहर फेंक दिया था?
जवाब: लाइलाह इल्ला अन्त सुबहानक इन्नी कुन्तु मिनज़ ज़ालिमीन।

206) हज़रत यूसुफ अलैहिस सलाम ने किस मुल्क में हुकूमत की?
जवाब: मिस्र

207) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मदीना हिजरत करने के बाद किसके मकान में क़याम फरमाया था?
जवाब: हज़रत अबू अय्यूब अंसारी रज़ियल्लाहु अन्हु।

208) सुन्नत एतिकाफ कब होता है?
जवाब: रमज़ान के आखरी अशरे में।

209) हिन्दुस्तान के उस मशहूर मुहद्दिस का नाम लिखिये जिसने बुखारी की अहम शरह लिखी है?
जवाब: मौलाना अनवर शाह कश्मीरी

210) मौलाना अनवर शाह कश्मीरी की शरह का नाम क्या है?
जवाब: फैज़ुल बारी।

211) असरे हाज़िर के बर्रे सगीर के किसी एक मुहद्दिस का नाम लिखिये?
जवाब: मुहद्दिस मौलाना हबीबुर रहमान आज़मी।

212) असरे हाज़िर के बर्रे सगीर के दो उलमा का लिखिये जिन्होंने जदीद मसाइल पर बहुत काम किया है?
जवाब: मुफ्ती तक़ी उसमानी और मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी।

213) असरे हाज़िर के मुआशरे की तीन अहम बुराइयां बताइये?
जवाब: सूद खाना, झुठ बोलना और रिशवत लेना।

214) दारुल उलूम देवबन्द की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1866 ईसवी।

215) मदरसा मज़ाहिरुल उलूम सहारनपुर की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1866 ईसवी।

216) नदवतुल उलमा लखनऊ की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1894 ईसवी।

217) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1875 ईसवी।

218) जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1920 ईसवी।

219) उस्मानिया यूनिवर्सिटी की बुनियाद कब रखी गई?
जवाब: 1908 ईसवी।

220) वह कौन सी पहाड़ी है जिस पर नूह अलैहिस सलाम की कशती ठहरी थी?
जवाब: जूदी पहाड़ी जो तुर्की में है।
221) उस खलीफा का नाम बताइये जिन्होंने अहादीस को जमा करने का खास एहतिमाम किया गया?
जवाब: हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़।

222) उस तहरीक का नाम बताइये जिसमें आज़ादी के लिए रेशमी कपड़ों पर खुतूत लिखे गए?
जवाब: तहरीके रेशमी रूमाल।

223) तहरीके रेशमी रूमाल के रूहे रवां कौन थे?
जवाब: शैखुल हिन्द मौलाना महमूदुल हसन।

224) जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद किस ने रखी थी?
जवाब: शैखुल हिन्द मौलाना महमूदुल हसन।

225) दारुल उलूम देवबन्द के पहले तालिब इल्म का नाम क्या है?
जवाब: शैखुल हिन्द मौलाना महमूदुल हसन।

226) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तीन मोजज़ों को बताइयें?
जवाब: क़ुरान, मेराज, शक्कुल क़मर (चांद के टुकड़े होना)।

227) हज़रत ईसा अलैहिस सलाम के तीन मोजज़ों को बताइये?
जवाब: अल्लाह के हुकुम से मुर्दों को ज़िन्दा करना, मादरज़ाद अंधों को बीनाई देना और अल्लाह के हुकुम से कोढ़ियों को अच्छा करना।

228) सबसे ज़्यादा अहादीस किस सहाबी से मरवी हैं?
जवाब: हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से।

229) सबसे ज़्यादा अहादीस किस सहाबिया से मरवी हैं?
जवाब: हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से।

230) हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में अशआर कहने वाले मशहूर सहाबी का नाम क्या हैं?
जवाब: हज़रत हस्सान बिन साबित रज़ियल्लाहु अन्हु।

231) कौन से सहाबी को सय्यदुल क़ुर्रा कहा जाता है?
जवाब: हज़रत ओबय बिन काब रज़ियल्लाहु अन्हु।

232) क़ादसिया की जंग में मुसलमानों के सिपहसालार कौन थे?
जवाब: हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास रज़ियल्लाहु अन्हु।

233) दौरे नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में मदीना के इर्द गिर्द दो यहूदी क़बाइल के नाम बताइये?
जवाब: बनू क़ुरैज़ा और बनू नज़ीर।

234) हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु को किस सहाबी ने खरीद कर आजाद किया था?
जवाब: हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु।

235) नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखिरी वसीयत में पांच अरकान में से किस रुक्न के एहतिमाम को कहा?
जवाब: नमाज़।

236) अल्लाह का वह कौन सा हुकुम है जिसके अदा न करने पर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बच्चे की पिटाई का हुकुम दिया?
जवाब: नमाज़।

237) क़ुरान करीम की तीन अरबी ज़बान में मशहूर तफासीर के नाम बताइये?
जवाब: तफसीर इब्ने कसीर, तफसीर इब्ने जरीर तबरी और तफसीर जलालैन।

238) क़ुरान करीम की तीन उर्दू ज़बान में तफासीर के नाम बताइये?
जवाब: मआरिफुल क़ुरान, तफहीमुल क़ुरान और तदब्बरुल क़ुरान।

239) क़ुरान करीम की सबसे बड़ी सूरत में कितनी आयात हैं?
जवाब: 286 आयात हैं।

240) क़ुरान करीम की सबसे बड़ी आयत में किस मसअले को ज़िक्र किया गया है?
जवाब: क़र्ज़ की अदाएगी का वक़्त और रक़म तहरीर कर ली जाए।

241) क़ुरान में बहुत सी जगह हिजाब यानी परदा का हुकुम है, कोई एक आयत नम्बर बतायें?
जवाब: सूरह नूर 31, सूरह नूर 60 और सूरह अहज़ाब 59।

242) क़ुरान करीम की उस सूरत का नाम बताइये जिसमें ज़कात के 8 मुस्तहिक़्क़ीन का ज़िक्र है?
जवाब: सूरह तौबा आयत 60।

243) क़ुरान करीम में “अस सलातुल वुस्ता” से क्या मुराद है?
जवाब: असर की नमाज़।

244) क़ुरान की उस आयत और सूरत का नाम बताइये जिसमें वुज़ू के 4 फरायज़ बयान किए गए हैं?
जवाब: सूरह माइदा आयत 6।

245) क़ुरान की उस आयत और सूरत का नाम बताइये जिसमें अल्लाह ने क़ुरान की हिफाज़त का ज़िम्मा खुद लिया है?
जवाब: सूरह हिज्र आयत 9।

246) क़ुरान की उस सूरत का नाम बताइये जिसमें मसाइले मीरास को तफसील से ज़िक्र किया है?
जवाब: सूरह निसा।

247) क़ुरान की उस सूरत का नाम बताइये जिसमें हज को तफसील से ज़िक्र किया है?
जवाब: सूरह बक़रह।

248) क़ुरान करीम में किस हकीम की बाज़ हिकमतों को ज़िक्र किया गया है?
जवाब: हकीम लुक़्मान।

249) क़ुरान करीम की वह कौन सी आयत है जिसमें सूद न छोड़ने वालों से कहा गया है कि अल्लाह और उसके रसूल से लड़ने के लिए तैयार हो जाओ?
जवाब: सूरह बक़रह आयत 278 और 279

250) क़ुरान करीम की कौन सी आयत में दाढ़ी का ज़िक्र आया है?
जवाब: सूरह ताहा आयत 94

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