Dr. Indu Sharma Ayurveda

Dr. Indu Sharma Ayurveda She has been treating all kind of patients in Gynae and obstetrics problems, joints pain.

Dr.Indu Sharma B.A.M.S (bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) from Shri Krishna Ayurvedic College, Kurukshetra (Haryana) has been practicing for last 20 yrs.

RIGVEDA SAYS..इन्द्रियाँ जगत को दिखाती हैं इंद्रियों को nerves ,,,, और brain को कौन enable करता है ???? देखने , सुनने के...
23/08/2025

RIGVEDA SAYS..इन्द्रियाँ जगत को दिखाती हैं इंद्रियों को nerves ,,,, और brain को कौन enable करता है ???? देखने , सुनने के लिए
coma पेशेंट में brain तो होता है,, फिर क्या होता है कॉमा से बाहर आकर ??
कौन है वो जो हममे है?
“परमात्मा “
उसे ही जाना जाए, समझ कर महसूस किया जाए तो जीवन सफल हो पाएगा ।
SELF REALISATION IS THE KEY .🕉🙏👍

Ayurveda teaches us to treat hyperacidity by minor changes in taking food habbits…धनिया पाउडर एक चम्मच + सौंठ पाउडर १/२ ...
22/08/2025

Ayurveda teaches us to treat hyperacidity by minor changes in taking food habbits…
धनिया पाउडर एक चम्मच + सौंठ पाउडर १/२ चम्मच with tolrable hot वाटर — एक खीरा या केला या दोनों खाने के बाद लें ।

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष……साधन चतुर्थ सत्य मिलने में वैराग्य और विवेक आवश्यक हैं। कितने जन्म लेने होंगे, कितनी शीघ्रता से ...
20/08/2025

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष……साधन चतुर्थ सत्य मिलने में वैराग्य और विवेक आवश्यक हैं। कितने जन्म लेने होंगे, कितनी शीघ्रता से प्राप्त करना है, वर्तमान कर्मों को सुनियोजित करना होगा। यही जीवन का उद्देश्य है, ज्ञान और भक्ति मार्ग से प्राप्त किया जा सकता है।

आज़ादी के मायने .!!!हमसब भारत देश वासियों को आज़ादी के दिन पर अनंत शुभकामनाएं ,क्यों हुए , कैसे हुए हम पराधीन से स्वाधीन...
14/08/2025

आज़ादी के मायने .!!!

हमसब भारत देश वासियों को आज़ादी के दिन पर अनंत शुभकामनाएं ,
क्यों हुए , कैसे हुए हम पराधीन से स्वाधीन , बस यही किस्से बार-२ ना दोहरायें ।

🌺आज़ाद होकर भी हम क्यूँ नयी-२ बेड़ियों में यूँ ही बंधते जा रहें हैं ,
स्वरूप ही बदला है ग़ुलामी का , पर शिकंजे
तो हम पर कसते जा रहें हैं ।

🌺संस्कारों की , विचारों की, उल्टी गंगा ही बहने लगी है ,
मेरी लाइफ - मेरी लाइफ कह -२ कर जिंदगी हर तरफ़ बँटने लगी है ।

🌺ना मन की बातें कहना और सुनना , सभ्यता और संस्कृति को भाषण कहना ,
सही उम्र बीतने पर भी शादी ना करना ,
संतति पोषण को बोझ मानना ,
सोशल मीडिया पर हर पल active रहना ,
मोबाइल और इंटरनेट को भगवान समझना

🌺धूल और धुएँ के ग़ुबार में ,प्रदूषण की मार से , कुड़े ,प्लास्टिक कचरे के पहाड़ देखना ,
अपार जनसंख्या का मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना ,
ग़रीब का और ग़रीब , अमीर का और अमीर बन जाना ,,,,,

🌺ग़र यही आज़ादी के मायने हैं तो …..
आओ सोचें, जाने , माने और तोड़ ही डालें,
इन नयी गुलामी की जंजीरों को ,
हम सब कर सकतें हैं , कर ही लेंगे ,
कर्तव्य बोध कर , लक्ष्य मान कर ,
एक बार फिर सोने की चिड़िया बनने का प्रण ,,—-दृढ़ इच्छा से बार- बार दोहरायें

हम सब भारत देशवासियों को आज़ादी के दिन की अनंत शुभकामनाएँ -२।
क्यों हुए , कैसे हुए हम पराधीन से स्वाधीन
बस यही किस्से बार-२ ना दोहरायें ।
जय हिन्द ।( Dr. Indu Sharma Ayu.)

हम सब कितने आज़ाद हैं ?? मोबाइल , इंटरनेट , सोशल मीडिया ,पोल्यूशन , धुआँ, कचरे के ढेर se , संस्कारों से , सभ्यता से , सव...
07/08/2025

हम सब कितने आज़ाद हैं ??
मोबाइल , इंटरनेट , सोशल मीडिया ,पोल्यूशन , धुआँ, कचरे के ढेर se , संस्कारों से , सभ्यता से , सवधर्म पालन करने में …..?????

हम कौन , हैं , क्या हैं, कहाँ से ,क्या करने आयें हैं , कहाँ फिर लौट कर जाना है ???बस यही जानना ही लक्ष्य है जीवन का ….अब...
21/07/2025

हम कौन , हैं , क्या हैं, कहाँ से ,क्या करने आयें हैं , कहाँ फिर लौट कर जाना है ???
बस यही जानना ही लक्ष्य है जीवन का ….
अब कौन कितने जन्म लेता है ये ही कर्म योग है चरेवैती- २!!!!!!!

15/07/2025
लक्ष्य होना , ना होना , आना और जाना ,खोना , पाना और पाकर भी खो देना ।ये संसार है एक मृगमरीचिका,ना कुछ लेकर आना  ना कुछ ल...
09/05/2025

लक्ष्य
होना , ना होना , आना और जाना ,
खोना , पाना और पाकर भी खो देना ।
ये संसार है एक मृगमरीचिका,
ना कुछ लेकर आना ना कुछ लेकर जाना ।

उर्ध्वमूलम सा एक बिल्कुल उल्टा पेड़ है ये जगत ,
जड़ें है आसमान में ये रहा हवा में लटक ।
जो दिखता है ,वो नहीं है होता या फिर हो जाता नष्ट
चाहे कितने जतन ही कर लो भी कर लो या पैर लो कितने पटक।
बस ये हो जाये, बस वो मिल जाये ,
अंतहीन इच्छाओं का स्वाभाविक है मन में होना ।
अनुराग में करो वैराग्य बंधन में नहीं है बंधना ।—१

मुक्ति और मृत्यु भी कामनाओं के होने और ना होने का खेल है ,
आने - जाने के भंवर में डाल कर रखती ये नकेल हैं ।
पत्थर से पेड़ , पेड़ से भेड़ और उससे फिर इंसान बनने की देर है ।
चेतनता की चरम है सीमा आत्मा का जीव में होना ,
सफ़र यंही से फिर शुरू है होता , जंहा से आये वंही को जाना ।-२

समदर्शी होकर , सबमें उस एक ब्रह्मण को देख कर ,
तत्त्व ज्ञान को जानकर , षडविकार को त्याग कर ,
कर्म में अकर्म कर ,भक्ति से वैराग्य पा , उपासना से होकर समर्पित ,
पुरुषार्थ है उसी में एकाकार हो जाना ,—३

होना ना होना, आना और जाना
खोना पाना और पाकर भी खो देना ,
ये संसार है एक मृग मरीचिका ,
ना कुछ लेकर आना ,ना कुछ लेकर जाना।

*स्त्री रोग संक्षिप्त विवरण, निदान  व उपचार*“ विंशतिव्यारपदों  योनो निर्दिष्टा रोगसंग्रहे ।मिथ्याचारेण ता: स्त्रीना प्रद...
10/04/2025

*स्त्री रोग संक्षिप्त विवरण, निदान व उपचार*
“ विंशतिव्यारपदों योनो निर्दिष्टा रोगसंग्रहे ।
मिथ्याचारेण ता: स्त्रीना प्रदुष्टेनार्त वेन च ।
जायेंते बीजदोषाच्च दैवाच्च ऋणु ता: पृथक ।

रोग संग्रह चरक के अष्टोदरीय नामक सूत्रस्थान के १९ वे अध्याय में योनि के २० प्रकार के रोग बताए गए है ।
वे स्त्रियों के मिथ्या आहार - विहार , आर्त्तव की दुष्टता, बीजदोष तथा दैव के प्रभाव से उत्पन्न होते है । योनि शब्द का प्रजनन संस्थान के अर्थ में प्रयुक्त है। इसे गर्भाशय योनि ( va**na & v***a) आदि सभी प्रजनन अंगों का बॉथम
बोधक है
स्त्री की शरीर रचना में गर्भाशय व स्तन दुग्ध ग्रंथिया पुरुष शरीर रचना से भिन्न होती है । औसतन १३-१४ वर्ष की आयु में बालिकाए रजस्वला होने लगती है । यौन विकास पूर्ण होने पर इसे मासिक धर्म नियमित रूप से होने लगता है । अगर मासिक धर्म की अवधि कम , अधिक , मासिक स्राव भी कम या ज़्यादा होने लगे तो और लंबे समय की अवधि के लिए हो तो इसे अनियमितता की परिभाषा के अंतर्गत लिया जाता है । दाह , वेदना या रक्त का गाठो के रूप आना विकार जान कर चिकित्सा के योग्य होता हैं । सामान्य लक्षणों की उपस्थिति कम या अधिक लक्षणों ( ऊपर लिखित ) सहित प्रायः हर बालिका , युवती और स्त्री में पाई जाती है ।प्रथम दृष्टि के उपचार हेतु योग्य महिला चिकित्सक से मिलकर उचित निदाननुसार चिकित्सा आसानी से हो जाती है ।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अल्ट्रासाउंड तथा हार्मोन्स की जाँच ( रक्त में ) निदान तक पहुँचने का सबसे लघु तरीका है । व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी प्राथमिक चिकित्सा में लाभ पहुचा सकती है ।
हमारे देश की विशाल जनसंख्या और साधनों की उपलब्धता प्रायः योनि रोगों का आर्थिक रूप से कमजोर स्त्रीवर्ग निरन्तर झेलता आया है । मासिक धर्म की अन्य गड़बड़िओ का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अत्यंत सुलभ व सस्ता उपचार प्रदान करवाता है ।
आयुर्वेद में दाव्यार्दी काढ़ा , पुष्यानुग चूर्ण , रज प्रवर्तनी वटी , अशोक घृत , दशमूलारिष्ठ आदि औषधियो के योग रोग के लक्षणानुसार दिये जाते है । शरीर में रक्ताल्पता के लक्षण भी मासिक धर्म की कमी का कारण बन जाते है । ऐसी स्थिति में नवायस लौह या नवयास मंडूर प्रतिदिन ६ ग्राम देने से लाभ होता है । कष्टार्त्व में अशोक की छाल का काढ़ा रोगानुसार उपयोग किया जाता है ।
गर्भावस्था स्त्री जीवन का सबसे विषमकाल है । गर्भ का संबंध केवल माता से होता है । अतैव गर्भस्थ शिशु का उत्तम निर्माण गर्भिणी के स्वास्थ्य की उत्तम स्थिति पर निर्भर करता है ।
गर्भस्थ बालक का संपूर्ण निर्माण स्त्री की रस धातुओ से होता है । इसलिए सबसे आवश्यक बात यह है कि गर्भिणी स्त्री को विशेष रूप से पोष्टिक एवं सुपाच्य आहार मिलना चाहिए ।
जल्दी जल्दी या अधिक संतान होने से स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है । अशिक्षित समाज के भाग में परिवार नियोजन संबंधी जानकारी वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का अभिन्न अंग है । दूसरी और आधुनिक की भेड़ चाल में उपयुक्त समय पर संतान ना करना या देरी से विवाह करना एक फैशन सा हो गया है । शरीर की कोशिकाएं , अन्तश्रावी ग्रंथियों का विकास आयु बीतने के साथ अनियमित होने से स्त्री या पुरुष में बंध्यत्व भी प्राय देखा जाता है ।
गर्भावस्था सबसे ज़्यादा व प्रारंभिक लक्षण अतिवमन , थकावट व कमजोरी पाया जाना है । सुदर्शन चूर्ण या कुटज की छाल का चूर्ण कड़वा होने पर लाभकारी पाया गया है । भोजनोपरांत द्राक्षारिस्ट भी आराम पहुचाता है । गर्भावस्था में कभी कभी रक्त भी विभिन्न कारणों से आने लग सकता है । बार बार आवर्ती हो तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के सहायता से प्रयोगशाला में जाँच करवा कर कारणों का पता लगाया जा सकता है । कभी कभी पूर्ण विश्राम से और रक्तप्रदर की चिकित्सा से भी लाभ मिल जाता है ।
स्त्रियो का प्रधान रोग प्रदर है । योनि मार्ग से लाल पीला या सफेद पानी जैसा पदार्थ बराबर गिरता है । योनि सदा गीली बनी रहती है । प्रदर रोग से युवा स्त्री का भी स्वास्थ्य और सौंदर्य नष्ट हो जाता है । श्वेत प्रदर में प्रमेह की औषधियो से भी लाभ होना पाया गया है ।
चन्द्रप्रभा वटी का सेवन , गिलोय या हल्दी के स्वरस में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है । प्रदर रोग के उग्र अवस्था में वट , पीपल , गूलर पाकड़ की अंतः छाल से उत्तर बस्ती देकर जात्यादि तेल की पीचू रखने से लाभ होता है । अडूसे का स्वरस या कूड़े की छाल का काढ़ा पिलाने से ख़ून गिरना बंद हो जाता है । अत्यधिक स्थूलता भी स्त्री रोगों का मुख्य कारण हो सकते है । इसके लिए परिश्रम , उपवास , त्रिफला सेवन व अन्या रोग के निदानुसार लक्षणों की जाँच कर चिकित्सा करनी चाहिए ।
*निष्कर्ष*-:
यो तो सभी स्वास्थ्य नियम स्त्री- पुरुष दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी एवं पालनीय है । आयुर्दोक्त त्रय उपस्तथा : आहार, निंद्रा व ब्रह्मचर्य का सिंधान्त पुरुष या महिला पर सामान्यता लाभकारी सिद्ध होता है । मनुष्य जरायुज़ प्राणी है । उनमें गर्भधारण , रजोकाल , रजोनिवृत्ति , संतति का जन्म , दुग्धपान और पालन पोषण मुख्यत स्त्री ही वहन करती है । प्राकृतिक नियमों के आधार पर बनी हमारी इस प्राचीन व्यवस्था में मध्यकालीन युग से आये हुए विकारो को बदलना अति आवश्यक है ।
प्रगतिशील वातावरण में स्त्री शिक्षा नितांत आवश्यक है । स्वस्थ चरित्र और उच्च नैतिक स्तर के निर्माण हेतु बालिकाओ व महिलाओं के अधिकार , सुरक्षा व मुफ्त शिक्षा पर अधिक प्रोत्साहन भरे कदम उठाने अपेक्षित है । तत्पश्चात ही समाज में बराबरी नहीं पुरुषों से अधिक अधिकार ही कन्या भ्रूण हत्या रोक व कन्या जन्म को विशेष उत्सव के रूप में मनाना ही एक मात्र विशिष्ठ उपाय है
वैद्या इंदु शर्मा
www.drindusharmaayurveda.com

Happy holi. !!!!!सब एक से हो जातें हैं ,कोई भी अलग नहीं दिखता ,सारे रंगों के मिलने से ,कोई भी भेद नहीं दिखता,सारे सुख हो...
14/03/2025

Happy holi. !!!!!
सब एक से हो जातें हैं ,
कोई भी अलग नहीं दिखता ,
सारे रंगों के मिलने से ,
कोई भी भेद नहीं दिखता,
सारे सुख हो जाते दुगने ,
दुःख हो जाते आधे ,
कह कर हर कोई मिल जाता गले से ,
या जबरन ही पड़ जाता गले में ,
बुरा ना मानो होली है ।
जब मैं, मैं ही नहीं रहता ,
बन जाती मस्तों की टोली है ।
जीवन के सारे दिन बन जायें होली ,
रंगों की तरह ही उड़ जायें सारे शिकवे ,
कह कर बुरा ना मानो होली है ।

माया ब्रह्म ही सत्य ,जगत है मिथ्या, होता है माया रूप में ,दिख कर भी जो नहीं है होती ,जाल में अपने हमें फसाती,तरह- तरह के...
27/02/2025

माया
ब्रह्म ही सत्य ,जगत है मिथ्या,
होता है माया रूप में ,
दिख कर भी जो नहीं है होती ,
जाल में अपने हमें फसाती,
तरह- तरह के रंग दिखलाती ,
मन के अंदर तक सेंध लगाती ,
खाने - पीने को बिसराती, खट्टे मीठे स्वर बुलवाती ,
तलवारों से भी लड़वाती ,
कैसे - कैसे खेल दिखा कर ,
कर जाती सच की हत्या -२
ब्रह्म है सत्य जगत है मिथ्या -२।
असल को आवरण करके विक्षेप में है उलझाती ,
उचित - अनुचित का भेद ना करके इच्छाओं का जाल बुनवाती,
व्यक्ति , वस्तु , सुख और दुख ..,सब नश्वर हैं ,
हर वक़्त है झुठलाती,
पंचेंद्रियों को सम्मोहित कर बस गूगल ही गूगल करवाती ,
सर्वम दुःखम - दुःखम को भुलवा कर गीता ज्ञान से दूर भगाती,
अस्थायी ख़ुशी और ग़म में भर जाती सारी प्रजा-२।
ब्रह्म है सत्य जगत है मिथ्या -२ ।
द्वैत है या अद्वैत ,या जड़ है और या है चेतन ,
या हैं असंख्य दृष्टा समझ ना पाए मन,
निमित्त कौन है , क्या प्रभाव है और क्या है कारण,
अविद्या और अज्ञानता से भर कर हो जाता भ्रमित तन और मन ,
पारदर्शिता को ढक्क कर बन जाती ये जीवन की मुख्या-२
ब्रह्म है सत्य जगत है मिथ्या -२
महाठगिनी इस माया को आओ सब पहचाने ,
नित्य , अनित्य , स्थायी, अस्थायी,
के भेद को जाने ,
परम है सत्य वो ही ब्रह्म है , कैवल्यता को माने ,
आकांक्षाओं का अंत कर बस मोक्ष को पहचाने,
सवयंभू बन जाने से दंग रह जाएगी कामाख्या -२
ब्रह्म है सत्य जगत है मिथ्या -२

Nikola Tesla—Tesla Meeting with Swami Vivekananda—-Tesla was known to be inspired by Bhagwad Gita and its teachings of E...
11/02/2025

Nikola Tesla—Tesla Meeting with Swami Vivekananda—-
Tesla was known to be inspired by Bhagwad Gita and its teachings of
Eastern philosophy of Vedanta, which profoundly shaped his understanding of the universe.
Nikola Tesla did meet Swami Vivekananda ji , swami ji explained the vedic version of quantum physics to Tesla. He ( Nikola )said that some of his inventions came after he met Swami ji and understood certain parts of quantum physics and started naming few of his discoveries in Sanskrit .Nikola Tesla has been said the father of AC electrification in USA.
In 1895 Swami Vivekananda wrote a letter to a friend “ Mr.Tesla thinks he can demonstrate mathematically that force and matter are reducible to a potential energy.”
All perceptual matters come from a primary source which is beyond conception , fiiling all the space , the aakasha the either,which is acted upon by the light giving prana calling in to existence . It is a never ending cycle of things and phenomena.
And this above statement was admitting the अद्वैतवाद, THAT THERE IS ONLY GOD OR SUPREME CONCIOUSNESS. सब कुछ प्रभव से प्रलय तक और प्रलय से प्रभव तक घटित होता रहता है ।
“Sir ERWIN SCHRODINGER ON VEDANTA”
A renowned Austrian physicist (12.08.1887–04.01.1961)a Nobel Prize winner in Quantum Physics was influenced by Hindu Vedantic Philosophy . For him the universe contains a single mind.
VEDANTA TEACHES THAT CONCIOUSNESS IS SINGULAR ALL HAPPENINGS ARE PLAYED IN ONE UNIVERSAL CONCIOUSNESS AND THERE IS NO MULTIPLICITY IF CELLS. THE UNITY AND CONTINUITY OF VEDANTA ARE REFLECTED IN THE UNITY AND CONTINUITY OF WEB MECHANICS.

THAT ALSO INDICATES THE ADVOCATION OF VEDANTA’s
अद्वैतवाद.
A famous sufi saint, philospher and poet in Persian language ( Real name Jalal -Addin-Mohammad - Balkhi 30 th Sept.1207–17.12.1273). said ——
“LIFE SHOULD BE A JOURNEY TO UNION WITH ONE GOD. A BALANCE BETWEEN HOLDING ON AND LETTING GO.”
FEW LINES OF HIM……

I died as a miniral and become a plant,
I died as a plant and become an animal,
I died as an animal and become a human ,
Why should I fear when was I less by dying,
Everytime I became better than before,
Yet once more I shall die , as man to sore with angel’s blessed
But even from the angelhood I must pass on all accept God do perish….
When I have sacrifised my angel’s soul Ishall become what no mine never concieved ,
Ohh !! let me not exist for non existence proclaims in organ tones to him we shall return.
“We are not human beings having spiritual experience instead..
We are spiritual beings having human experience .”

अध्याय सप्तम /७— कृष्णा कहतें हैं —मेरे अलावा कुछ भी नहीं है , मेरे होने का कोई कारण नहीं है ।
God father of quantum physics , Max plank (1858-1947) ——famous for primarily on his role as originatorof quantum theory , awarded the Nobel Prize in 1918.
He also stated the version of above same ( भगवद गीता-७ अध्याय)——-I am the causeless cause . I am the complete and intelligent cause behind the universe. I am the absolute reality of the Universe.
Vedant says there is only god.

“I regard conciousness as fundamental . I regard matter as derivative of conciousness. We can not go beyond conciousness.”

In 1932 A scientist of Germany Werner Heisenberg (1901-1976)awarded the Nobel Prize for the theory of quantum mechanics at the age of 31 yrs.only .
Heisenberg was deeply impressed by the Bhagwad Gita’s exploration of reality .
“Quantum theory will not look ridiculous to people who have read Vedanta “ Hinduism is the only religion in which the time scales corresponds, to those modren cosmology. Vedanta is the conclusion of vedic thought. There will be found only one substance as the origin of the universe. The substance is independent of time and space ; it is unaffected by manifold.

Address

T-43, Main Road, Tekhand, Okhla Phase-1, New Delhi
Delhi
110020

Opening Hours

Monday 11am - 4pm
Tuesday 11am - 4pm
Wednesday 11am - 4pm
Thursday 11am - 4pm
Friday 11am - 4pm
Saturday 11am - 4pm

Telephone

+919811152233

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Dr. Indu Sharma Ayurveda posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Dr. Indu Sharma Ayurveda:

Share