21/10/2025
मन की मृत्यु ॰॰ ध्यान !!
हम अक्सर अपने आप को victimize करतें हैं की मेरा मन तो ये कर रहा था ,,, ऐसे या वैसे,, फिर मैंने अपने मन को समझाया या मन को मारकर ये/ वो काम किया ,,, actually बात सही भी होती है परंतु हम जब सही मार्ग को , नियमानुसार करतें हैं तो अपने आप पर तरस खाते हैं , बेचारगी दिखातें हैं —— जैसे सच बोलकर , ट्रैफिक रूल्स follow करके, किसी की हेल्प करके , fasting करते हुए , अच्छे पेरेंट्स बन कर इत्यादि ।
एक तरह से हम अपने कर्तव्यों का पालन कर दूसरों पर एहसान जतातें हैं , और अपनी energy low कर लेतें हैं और हमारा किया हुआ हमारी बदले की expectations को ख़राब कर देता है ।
तो कहने और समझने जैसी बात ये है की हमारा मन चंचल , मृगतृष्णासु, वयथित , easily distractable mostly for temporary, आलसी या full of anxiety , stress prone होता है । जब तक हम इसकी सुनना नहीं बंद करते तो ये most of the times हमे भटकाता ही है , हम concentrate नहीं कर पाते, दुखी होतें हैं और ग़लत परिणाम भुगततें हैं ।
फिर करना क्या है ???? ज्ञान , विवेक , मनन , निविद्यासन और साक्षात्कार से इसकी मृत्यु पर खुश हों । ऐसे हम अपनी सेंसेस को अंतर चित से ध्यान कर पाएंगे , अपनी चेतना को ब्रह्मांड की चेतना से जोड़ कर उस परम परमात्मा का अनुभव कर लेंगे। अब अगली बार हम अपने मन को बार-२ मारकर उचित अनुचित का विचार कर शास्त्रोक्त मार्ग पर चल कर विवेकी हो सकेंगे । धन्यवाद सहित —- वैद्या इंदु शर्मा ( अनुग्रहिता )🕉🙏👍