Siddha Ayurveda

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03/12/2024

:-सप्त धातु:-

7 धातु + 3 दोष ( वात पित कफ)+1 मल =11
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में सप्त धातु होतें हैं, पूरा शरीर इनके द्वारा ही ऑपरेट होता है, आज हम आपको जो सप्त धातु पोषक चूर्ण के बारे में बताने जा रहें हैं ये उत्तम रसायन है, यह नस नाड़ियों एवम वात वाहिनियों को शक्ति प्रदान करता है. सात्विक भोजन औ सदाचरण के साथ इसके निरंतर सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहती है, और वृद्ध अवस्था के रोग नहीं सताते.

-अश्वगंधा (असगंध) 100 ग्राम,
-आंवला चूर्ण 100 ग्राम,
-हरड 100 ग्राम,

इन तीनो चीजों के चूर्ण को आपस में मिला लीजिये, अभी इसमें 400 ग्राम पीसी हुयी खांड मिश्री मिला लीजिये. और इसको किसी कांच की भरनी में भर कर रख लीजिये. प्रतिदिन एक चम्मच गर्म पानी के साथ या गर्म दूध के साथ ये चूर्ण पूरे साल फांक सकते हैं. जो व्यक्ति पूरी उम्र इसको खायेगा उसकी तो आयु कितनी होगी इसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है. अगर कोई व्यक्ति इसको 3 महीने से 1 साल तक खायेगा तो उसका शरीर भी कई सालों तक निरोगी रहेगा. इस योग को बनाने के लिए बस एक बात का ध्यान रखें के सभी वस्तुएं साफ़ सुथरी ले कर ही चूर्ण बनवाएं, कीड़े वाली अश्वगंधा ना लें. इसलिए ये सामग्री किसी विश्वसनीय दुकानदार से ही लें.

सप्त धातुओं का वर्णन –
1. रस
2. रक्त
3. मांस
4. मेद
5. अस्थि
6. मज्जा
7. शुक्र

अगर कोई रोगी या बीमार व्यक्ति जिसको चाहे कब्ज हो या कोई भी रोग हो उसको इस चूर्ण को सेवन करने से पहले एक बार शरीर का पूर्ण रूप से शोधन कर लेना चाहिए, उसके लिए हमने एक बहतरीन चूर्ण बताया था ग्रुप मे शरीर शोधन के लिए (समस्त रोगों के लिए रामबाण चूर्ण) शरीर की सात धातुओं को पोषण देने वाला बहुत उत्तम चूर्ण है

पहले वाली धातु अपने से बाद वाली धातु को पोषण देती है और धातुओं को जितना भी पोषण मिलेगा शरीर उतना ही मजबूत होगा । यह आयुर्वेद का एक बहुत गूढ़ सिद्धांत है

इस पोस्ट में हम इस बारे में ज्यादा गहराई में ना जाते हुये आपको एक ऐसे चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो इन सात धातुओं को पोषण देता है और इसको घर पर निर्मित करना भी बहुत आसान है

-अश्वगंधा 100 ग्राम
-तुलसी बीज 50 ग्राम
-सौंठ 100 ग्राम
-हल्दी चूर्ण 50 ग्राम
-हरड़ 30 ग्राम
-बहेड़ा 60 ग्राम
-आवंला 90 ग्राम

इन सभी चीजों को ऊपर लिखी गयी मात्रा में लेकर धूप में सुखाकर मिक्सी में पीस कर और सूती कपड़े में छानकर चूर्ण तैयार कर लें । एयर टाईट डिब्बे में बंद रखने पर यह चूर्ण 6-8 महीने तक खराब नही होता है । ये सभी चीजें आपको अपने आस पास किसी जड़ी-बूटी वाले के पास बहुत आसानी से मिल जायेंगी ।

सेवन विधी :-
10 साल से कम उम्र के बच्चों को चौथाई से एक ग्राम, 16 साल तक के किशोर को 2 ग्राम और उससे बड़े व्यक्ति को 3-5 ग्राम तक सेवन करना है रात को सोते समय पानी, शहद, मलाई अथवा दूध के साथ

इस चूर्ण के सेवन से मिलने वाले लाभ :-

शरीर में समस्त धातुओं को उचित पोषण देता है जिससे शरीर मजबूत और गठीला बनता है ।
पाचन सही रखता है जिससे खाया पिया शरीर को पूरी तरह से लगता है
बालों में चमक और मजबूती लाता है
त्वचा कांतिमय बनती है
शरीर में कैल्शियम की कमी नही होती जिससे हड्डियॉ मजबूत होती हैं
वात दोष के बढ़ने से हो जाने वाले रोगों से बचाव रहता है
शरीर में एलर्जी और अन्य इंफेक्शन जल्दी से नही होते हैं।

08/06/2024

👉👉👉👉👉👉आयुर्वेद एवम कैंसर,👍आयुर्वेद भारत की वेदों में वर्णित चिकित्सा पद्धति है,कैंसर एक इंग्लिश शब्द होंसकता है,ऑनकोलॉजी एक लैटिन शब्द है,लेकिन आयुर्वेद में,अरबुद,ग्रंथि, अपची, करकिटा अरवुद के नाम से उल्लेखित है,भारतीय चिकित्सा अभियान ने करीब 100 लोगों पर जो यह अध्ययन कर पाया की ,यदि कैंसर पर ,बिना केमो या सर्जरी के,उनको, अरवूद ,(ट्यूमर्स) अपच्री,immature tumers, ग्रंथि (सॉलिड ट्यूमर्स) करकिटा अर्वू द जो केंकड़े के आकार का यानी typical size,irregular wall, का ,ट्रीटमेंट ayurved se किया जाय तो अधिक सक्सेस रेट हो सकते हैं,और अधिक शोध की जरूरत हैं,भारतीय चिकित्सा अभियान इस ओर प्रयास रत हैं,यदि आप कीमोथेरेपी,शल्य क्रिया,नही कराना चाहते है,तो एक बार जरूर संपर्क करें,कृपया इस पोस्ट को अपनो तक भेंजे,🙏🙏🙏🙏

08/05/2024

भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, सुब्रह्मण्य और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। वैकल्पिक संस्करण, मुरुगन को विशेष रूप से तमिल सनातनियों द्वारा पूजा जाता है। भारत के अलावा, भगवान कार्तिकेय की पूजा मलेशिया, सिंगापुर, मॉरीशस और रीयूनियन द्वीप और श्रीलंका जैसे कई देशों में भी की जाती है।
भगवान कार्तिकेय देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं और भगवान गणेश के भाई हैं। उनके अन्य नामों में शादनाना, सनमुगा, सरवाना, शांताकुमार, सेंथिल, गुहा और सनमुख, स्वामीनाथ, अरुमुगम, कुमारन, गुरुहु और वेलन शामिल हैं। वह व्यक्ति को पूर्णता का संकेत देता है। वह सभी देवताओं के बीच अविश्वसनीय रूप से तेज और सबसे मर्दाना है।
युद्ध और विजय के देवता भगवान कार्तिकेय, सभी देवताओं द्वारा शानदार यजमानों का मार्गदर्शन करने और राक्षसों को जीतने के लिए बनाए गए थे। भगवान कार्तिकेय को आमतौर पर मोर, नागों से घिरे उनके वाहन के साथ देखा जाता है।
भारत में, भगवान कार्तिकेय के 6 सबसे प्रमुख मंदिर अरूपदैवेदु मंदिर हैं, जो तमिलनाडु में हैं। भगवान कार्तिकेय की दक्षिण भारत में सबसे अधिक पूजा की जाती है, विशेष रूप से तमिल आबादी के बीच, जिसे तमीज़ कड़ुवुल के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है तमिलों का भगवान। पश्चिम बंगाल में, दुर्गा पूजा के दौरान, कार्तिकेय को उनकी बहनों लक्ष्मी और सरस्वती और उनके भाई भगवान गणेश के साथ पूजा जाता है।
भगवान कार्तिकेय की पौराणिक उत्पत्ति:
भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति को पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों और पुराणों में विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है।
महाकाव्यों में भगवान कार्तिकेय: भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति का प्रारंभिक गहन वर्णन महाभारत में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि वह शाव और अग्नि से पैदा हुए थे और उनका उद्देश्य तारकासुर को नष्ट करना था। भगवान कार्तिकेय छ: बालकों के रूप में जन्मे थे तथा इनकी देखभाल कृतिका (सप्त ऋषि की पत्निया) ने की थी, इसीलिए उन्हें कार्तिकेय धातृ भी कहते हैं।
भगवान इंद्र ने अंततः कार्तिकेय पर हमला किया, लेकिन भगवान शिव ने हस्तक्षेप किया और कार्तिकेय को देवताओं की सेना का सेनापति बनाया।
वेदों में भगवान कार्तिकेय: अथर्ववेद अग्नि के देवता अग्नि या अग्निभू के पुत्र के रूप में भगवान कार्तिकेय को समझाता है। शतपथ ब्राह्मण कार्तिकेय को रुद्र के पुत्र और अग्नि के 9 वें रूप के रूप में पहचानता है। तैत्तिरीय आरण्यक में शनमुख के लिए गायत्री मंत्र है। छांदोग्य उपनिषद में, स्कंद के उनके रूप को उस तरीके से संदर्भित किया जाता है जो ज्ञान की ओर जाता है।

बौधायन धर्मसूत्र में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्य और महासेना के रूप में वर्णित किया गया है। महाभारत के श्लोक अरण्य पर्व भी कार्तिकेय की कथा के बारे में विवरण प्रदान करता है। स्कंद पुराण में कार्तिकेय की उत्पत्ति और किंवदंतियों से संबंधित गहन विवरण हैं। इसके अलावा, भगवान गीता (Ch.10, पद 24) में भगवान कृष्ण कहते हैं, “जनक के बीच, मैं स्कंद, युद्ध का स्वामी हूं”,
अपनी सर्वव्यापकता को स्पष्ट करते हुए सबसे उत्तम, नश्वर या दिव्य नामकरण करते हैं।
पुराणों में भगवान कार्तिकेय: पुराणों में भी भगवान कार्तिकेय का वर्णन उसी तरह किया गया है जैसे वेदों में, हालांकि मामूली बदलाव शामिल हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है कि दक्ष की पुत्री दक्षायणी से भगवान शिव का पहला विवाह हुआ, जिससे उनकी पत्नी का स्वयंवर हो गया। बाद में, देवों के प्रयासों से, शिव ने पार्वती से विवाह किया था, कामदेव को बनाकर, प्रेम के देवता ने उन्हें उनके पुनर्जन्म से जगाया। लेकिन कामदेव ने भगवान शिव के क्रोध का सामना किया, जो उनकी तीसरी आंख खोलने के संकेत थे। शिव ने अग्नि को तीसरी आँख का अपना दिव्य भोग प्रस्तुत किया, जिसने इसे देवी गंगा को दिया, क्योंकि यह अग्नि के लिए भी असहनीय था। गंगा ने इसे झील में एक नरकट के जंगल में जमा कर दिया। देवी पार्वती ने झील का रूप ले लिया था और एक बच्चे का जन्म हुआ था, जिसके छह चेहरे थे, ईशानम, शतपुरुषम, वामदेवम, अगोरम, सत्योजातम और अधोमुगम।
बच्चे का पालन पोषण 6 महिलाओं ने किया, जिसे संस्कृत में कृतिका के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार उन्हें कार्तिकेय नाम दिया गया, जिन्होंने अंततः तारकासुर का सफाया कर दिया। रामायण में बताया गया संस्करण भी उपरोक्त संस्करण से काफी मिलता जुलता है। कुछ रीति रिवाजों में, कार्तिकेय को कुंवारा माना जाता है, जबकि अन्य परंपराएं उन्हें 2 पत्नियों, दिव्यायन और वल्ली के साथ शादी के रूप में चित्रित करती हैं।

इतिहास में भगवान कार्तिकेय: विभिन्न पुरातात्विक निष्कर्षों और अवशेषों और मिट्टी के बर्तनों की ऐतिहासिक कलाकृतियों का तमिलनाडु में पता लगाया गया है, विशेष रूप से आदिचनल्लूर से जिसमें कार्तिकेय के नाम का वैचारिक शिलालेख शामिल है और यह बताता है कि 10 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में उग्र भगवान की पूजा की जाती थी। भगवान
कार्तिकेय भी अह्मुवन नामक सिंधु घाटी देवता से संबंधित हैं। वह विभिन्न गुप्तकालीन मूर्तियों और एलोरा और एलीफेंटा गुफाओं के मंदिरों में भी स्पष्ट है।
भगवान कार्तिकेय के गुण और प्रतीक: युद्ध और विजय के देवता होने के नाते, भगवान कार्तिकेय ने कई हथियारों को वहन किया, जैसे कि दिव्य भाला या लांस, जिसे वेल के रूप में जाना जाता है। उनके अन्य हथियार एक गदा, एक धनुष, एक तलवार, एक डिस्कस, एक भाला है। लेकिन ज्यादातर उन्हें एक स्पीयर का उपयोग करके चित्रित किया जाता है, जिसे शक्ति के रूप में जाना जाता है। उन्हें एक मोर की सवारी करते हुए भी देखा जाता है, जो कि उनका वाहन है। वह मानव की सभी बुराइयों को दूर करने का प्रतीक है। उनका भाला उनकी लंबी सुरक्षा का संकेत देता है, गदा शक्ति को इंगित करता है, डिस्कस सत्य के अपने ज्ञान को व्यक्त करता है और धनुष सभी बुराई को हराने के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करता है। मोर अहंकार के विनाश का प्रतीक है।
6 अलग अलग सिर भगवान कार्तिकेय के 6 सिर योगियों को उनके आध्यात्मिक विकास के लिए दी गई छह सिद्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भगवान कार्तिकेय की पूजा: तमिलनाडु में, भगवान कार्तिकेय की पूजा संगम काल से की जाती रही है। अनपसी के तमिल महीने के दौरान, छह दिन की उपवास और प्रार्थना, जिसे स्कंद शास्त्री के रूप में जाना जाता है, जगह लेता है। थाई के तमिल महीने में, मुरुगन या कार्तिकेय की पूजा थिपुसम में की जाती है। प्रत्येक मंगलवार को, आदि के तमिल महीने के दौरान, युद्ध के देवता की पूजा के लिए समर्पित है। भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्थानीय रूप से सुब्रमण्य के रूप में जाना जाता है, को कर्नाटक में दक्षिणा कन्नड़ और उडुपी में सबसे बड़ी भक्ति के साथ पूजा जाता है, जहां नागार्धने का अनूठा अनुष्ठान किया जाता है।
गुप्त युग के दौरान भी कार्तिकेय की पूजा की जाती थी। यद्यपि वह उत्तर भारत में लोकप्रिय रूप से पूजे नहीं जाते, फिर भी उन्हें हरियाणा में उच्च सम्मान दिया जाता है। बंगाल में, दुर्गा पूजा के त्योहार के दौरान भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इसके अलावा कार्तिकेय के महीने में, स्वामी की पूजा बंगाल के बाहर से की जाती है। बंगाल में प्रचलित एक और परंपरा है कि कार्तिकेय की छवियों और मूर्तियों को गुप्त रूप से घरों के परिसर में रखा जाता है, जो परिवार में एक नवजात सदस्य के रूप में एक बेटा पैदा करने का इरादा रखते हैं।

भगवान कार्तिकेय के मंदिर: भगवान कार्तिकेय के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर दक्षिणी भारत में मौजूद हैं, जैसे अरु पादिवेदु, थिरुप्पारंगुराम, थिरुथानी, स्वामीमलाई, थिरुचेंदूर, पझमुदिरचोलई, पलानी, सिकल, मरुदामलई, वाडापलानी, कंडराकोट्टम, कुंद्राथुर, तिरुपुर, तिरुपुर। अन्य क्षेत्रों में मंदिर शामिल हैं, दिल्ली में मलाई मंदिर, हरियाणा में पेहोवा मंदिर, पय्यानूर में पय्यानूर सुब्रमण्यम मंदिर, कार्नकट में कुक्के सुब्रमण्य मंदिर, कंसौरी चमोली जिले, उत्तरांचल में कार्तिक स्वामी मंदिर।

01/11/2023

कभी किसी ने इनके छिलको की खासियत बताई है आपसे? नहीं ना.. तो मुझसे जान लें👌

आज सीताफल (Custard Apple) की बात कर रहा हूँ, कई इलाकों में शरीफ़ा भी कहते हैं इसे। मुझे बेहद पसंद हैं ये और बड़ी फुर्सत और श्रद्धा से इनका आनंद लेता हूँ। पता है उत्तर भारत के अनेक इलाकों में लोग कद्दू को सीताफल कहते हैं, खैर, इस पोस्ट में मैं शरीफे यानी कस्टर्ड एप्पल/ सीताफल की बात कर रहा हूँ ❤️ कोई भी कंफ्यूज़न न रहे भई।

आप जब भी इन फलों को खाएं, इसके छिलकों को डस्टबीन का रास्ता ना दिखाएं। छिलकों को साफ धो लें, धूप में रखकर सुखा लें, और जब ये पूरी तरह से सूख जाएं तो इन्हें मिक्सर में ग्राइंड करें, पाउडर तैयार हो जाएगा। अब इस पाउडर का करना क्या है? 🤔

सीताफल के छिलकों के 1 पाव (250 ग्राम) पाउडर को 5 किलो गेहूं के आटे में मिला दीजिये। ये जो छिलकों का पाउडर है ना, ये जबरदस्त गुणों की खान है जिसमें तमाम तरह के माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं जो आपके सेहतमंद बने रहने के लिए बेहद आवश्यक हैं। फाइबर भी ताबड़तोड़ मात्रा में पाया जाता है इन छिलकों में। गेहूं और सीताफल के छिलकों के इस मिक्स आटे की जो चपाती बनेगी, वो बड़ी बेहतरीन लगती है..यकीन मानिये इसका स्वाद भी ग़ज़ब का लगता है। मुझे तो मस्त लगती है ये, हो सकता है आपको इसका स्वाद अच्छा ना लगे तो फिर क्या कर सकते हैं सीताफल के पाउडर का? तो उसका जुगाड़ भी बता दूं...

इसके छिलकों के पाउडर की एक चम्मच मात्रा की रोज एकाध बार फांकी तो मारी ही जा सकती है। मल्टीविटामिन कैप्सूल खा खाकर कब तक काम चलाओगे, कभी ऐसा भी कुछ करके देखें :-) एक क़ातिल मल्टीविटामिन ऑप्शन है ये😍 सच्ची

और एक बात, बड़ी ख़ास, इसके पाउडर से दांतों पर मंजन करके देखिएगा, बाय गॉड की कसम, सब टूथपेस्ट और अमका-ढमका आइटम्स फेल हो जाएंगे। पायरिया और मुंह से बदबू की जिन्हें शिकायत है, आजमाकर देख लें। सॉलिड तरीके से काम करता है ये। डेंटल प्लेक की बैंड भी बजा देता है ये। ये जो टूथपेस्ट और प्लास्टिक ब्रश से दिन की शुरुआत करते हो ना आप, सच्ची...बड़ी दया आती है मुझे। नीम, बबूल, अपामार्ग की दातून खोजिये, दांतों पर कूचा चलाना शुरू कर दीजिये। सीताफल का सीजन आ चुका है, कम से कम इसका पाउडर तो बनाकर रख ही लीजिये, कीजिये ज़िंदाबाद इस पावडर को और बनाइये अपने दांतों और मसूड़ों को 'हथौड़ा ब्रांड' 😍

अब आखरी और एक खास बात भी सुन लीजिये
शरीर पर चोट लग जाए, खून बह रहा है या मवाद बन आए घाव को जल्दी सुखाना हो, तो सीताफल के छिलकों का पाउडर एकदम अचूक दवा है। घाव पर लगा दीजिये इस पाउडर को, इसमें पाया जाने वाला कंपाउंड टैनिन घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। यही पाउडर आधा चम्मच दिन में 2 से 3 बार दे दीजिये, दस्त, डायरिया रोकने के लिए भी जबरदस्त कारगर है ये। आज के लिए इतना ही, अब क्या जान दे दूँ? जिनको आज की बात समझ आ जाए, फट्ट से शेयर मारो, क्या पता कोई सीताफल चट्ट करके छिलकों को फेंकने की तैयारी में हो। अब ज्यादा नहीं बताऊंगा, आज के लिए इतना काफी है। कोई भी एक आईडिया आजमाकर देखिये, मज़ा नहीं आए तो पैसे वापस😁

दुनियाभर भटक भटककर ये सारे आसान तामझाम आप सब के लिए लेकर आता हूँ, बदले में थोड़ा प्यार बरसाते रहिये ❤️। आप सबके प्यार को बटोरकर सुकून मिलता है।

19/09/2023

सिद्धा आयुर्वेदा
पंचकर्म
|| पंचधा शोधनं च तत्त-निरूहो वमनं पंचकर्माणि निरूहो नावनं तथा ||
पंचकर्मा शरीर शोधन की प्रक्रिया है जिसके प्रयोग से रोगोत्पादक मल दोष विष विजातीय द्रव्य और अधारणीय पदार्थो को शरीर से प्राकर्तिक और समीपस्थ मार्ग से बाहर निकला जाता है
पाँच कर्मो को पंचकर्म कहते हैं |
वमन
विरेचन
अनुवासन बस्ती
निरुह बस्ती
नस्य
पंचकर्म का प्रयोजन
दोषाः कदचित्तकुप्यन्ति जिता लंघनपाचनैः |
जिता संशोधनयै तु न तेषा पुनरदभवः||
वमन - दोषों को मुखमार्ग से बाहर निकालने को वमन कहते हैं |
विरेचन - दोषों को ( अधोमार्ग गुदा ) से बाहर निकालने को विरेचन कहते हैं |
बस्ती - मूत्राशय से द्रव औषधि को आभ्यान्तर प्रविष्ट करने को बस्ती कहते हैं |
नस्य - नासा छिद्रो से जाने वाली चूर्णित अथवा द्रवित औषधि को नस्य कहते हैं |
कुछ आचार्यों ने रक्तमोक्षण को पंचकर्मा में माना है
रक्तमोक्षण - शरीर के किसी स्थान विशेष से रक्त को निकालना रक्तमोक्षण कहते हैं |
Address- 401/12 vasundhara ghaziabad ,delhi ncr
Ph-no- 7827648634

02/08/2023

पिछले 40-50 सालों में मर्दों की मर्दानगी 80% तक कम हो चुकी है। अब कुछ लोंगो को मर्दानगी का सिर्फ़ एक ही मतलब पता है, ख़ैर वो उनकी सोच है ।
ब्रह्मचर्य यूथ
मर्दानगी का मतलब है पुरुषार्थ से, क्या हम एक पुरुष होने का पूरा हक़ अदा कर रहे हैं,
आज कल ज़्यादातर कमज़ोर मर्दों में कोई युद्ध की सोच नहीं, न जीत की, न ज़िम्मेदारी की, न भरोसा, न साथ , न प्यार, न परिवार, सब कुछ एकदम शून्य हो चुका है, उनके अंदर का पुरुष मर चुका है।
कुछ पुरुष महिलाओं की खूबसूरती के ग़ुलाम हैं, कुछ नशे के, कुछ मोटी थोन्द वाले खाने के,कुछ महिलाओं से भी ज़्यादा महिला बन चुके हैं।
बात आती है कि आज के मकड़जाल वाले समय में भी मर्दाना कैसे बना जाए-
उसके लिए अच्छी किताबें पढ़ो, वर्कआउट करो, पोर्न वीडियो मत देखो, कम से कम 8 घण्टे सोना, लड़कियों का पीछा छोड़ना, खुदपर काम करना, नेगेटिविटी से दूर रहना और सबसे जरूरी अपना मक़सद हमेशा याद रखें।
कठिनाई और संघर्ष का अनुभव करने से पुरुष ज़्यादा सुंदर हो जाते हैं।

19/06/2023
05/06/2023

"सेंधा नमक"
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है..

20/01/2023

🌷 *"""ज्योतिष टिप्स"""* 🌷

✡️ *आदत बदलने से ग्रह भी अच्छा फल दे सकते हैं--:*

🌞1- मंदिर को साफ़ करते है तो बृहस्पति बहुत अच्छे फल देगा।
🌞2- अपनी झूठी थाली या बर्तन उसी जगह पर छोड़ना- सफलता मे कमी।
🌞3- झूठे बर्तन को उठाकर जगह पर रखते है या साफ कर लेते है तो चन्द्रमा, शनि ग्रह ठीक होते है।
🌞4- देर रात जागने से चन्द्रमा अच्छे फल नहीं देता है।
🌞5- कोई भी बाहर से आये उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाए। राहू ग्रह ठीक होता है। राहू का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
🌞6- रसोई को गन्दा रखते हैं तो आपको मंगल ग्रह से दिक्कतें आऐंगी। रसोई हमेशा साफ सुथरी रखेंगे तो मंगल ग्रह ठीक होता।
🌞7- घर में सुबह उठकर पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध, सूर्य, शुक्र और चन्द्रमा मजबूत करते हैं।
🌞8- जो लोग पैर घसीट कर चलते है उन का राहु खराब होता है।
🌞9- बाथरूम में कपडे इधर उधर फेंकते है, बाथरूम में पानी बिखराकर आ जाते है तो चन्द्रमा अच्छे फल नहीं देता है।
🌞10- बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर उधर फेंक देते है, उन्हें शत्रु परेशान करते है,क्योंकि उनका राहू बिगड़ जाता है।
🌞11- राहू और शनि ठीक फल नहीं देते है जब बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा, सलवटे होंगी, चादर कही, तकिया कही है।
🌞12- चीख कर बोलने से शनि खराब होता है।
🌞13- बुजूर्गों के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि बढती है तथा गुरू ग्रह अच्छा होता है।
🌞14- अपशब्द बोलने से गालियां देने से गुरु और बुध खराब होते हैं..यदि आप में भी गालियां देने की आदत हैं तो बुढ़ापे में बिस्तर पकड़ने के लिए तैयार रहें।

🌞15. यदि आप के घर के नल टपकते हैं या फिर पानी ज्यादा खराब करने की आपकी आदत है,तो आपके चंद्र व राहु से मिलेंगे वूरे परिणाम ।

05/01/2023

Alternative & holistic health service

04/01/2023

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