14/02/2022
तंत्र
महादेव जी द्वारा वर्णित एवं पार्वती जी द्वारा श्रवण किया हुआ ज्ञान है इसको ही आगम ओर निगम शास्त्र कहते हैं जिस प्रकार वैदिक पद्धति है उसी प्रकार तंत्र पद्धति हे तंत्र पद्धति से किसी भी शक्ति को बहुत शीघ्र प्रसन्न कर के सिद्ध किया जा सकता हे ओर वहीं शक्ति साधक के मन चाहे कार्य पुरे करती हे काम गलत हो या सही इसमें ही तंत्र के छः कर्म होते हे मारण, मोहन, वशिकरण, उच्चाटन, स्तंभन, विद्धेषण इन सभी कामों को शक्तियों द्वारा पुरा किया जाता हे जिस प्रकार शक्तियां इन कामों को पुरा करती हे उसी प्रकार इन कामों की काट भी करती हे बस इन सभी कामों की अलग अलग क्रियाएं होती है वा मंत्र मैं शब्दों का अंतर होता है जैसे मारण प्रयोग में मंत्र के अंत में हुं फट् लगा होता है तो वशीकरण प्रयोग में वौषट लगा होता है ऐसे ही छः ओ कामों मैं मंत्र के अंत में अलग अलग शब्द का प्रयोग होता है इन्हीं शक्तियों के माध्यम से भूत, प्रेत, पिशाच आदि नकारात्मक शक्तियों को किसी का बुरा करने के लिए भेजा जाता हे जो किसी भी ईशान का जीवन बदल देती हे अच्छा चलता हुआ व्यापार बंद के कगार पर आ जाता हे धन आने के मार्गों मे रुकावट आ जाती हे घर में कलेश होने लगते हैं शादी नहीं होती बच्चे नहीं होते मांसिक संतुलन बिगड जाता हे अज्ञात रोग लग जाता है आदि
इन नकारात्मक शक्तियों को जैसे शक्तियों के माध्यम से किसी पर भी भेजा जा सकता हे वैसे ही शक्तियों के माध्यम से इनको दूर भी किया जाता हे
गुरु महेन्द्रम
महाकाली सिद्ध गद्दी
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