The Occult Worldd

The Occult Worldd Secret�| Law of Attraction�| Reiki Healing�| crystals�| Angel Healing�| Numerology�| Tarot

Day 8: Mahagauri💫
03/10/2022

Day 8: Mahagauri💫

Day 7: Kalratri💫एक बार रक्तबीज ने सभी देवताओं का राज्य छीन लिया था। रक्तबीज के अत्याचारों से परेशान होकर तब सभी देवता भग...
02/10/2022

Day 7: Kalratri💫

एक बार रक्तबीज ने सभी देवताओं का राज्य छीन लिया था। रक्तबीज के अत्याचारों से परेशान होकर तब सभी देवता भगवान शिव के पास गए थे। भगवान शिव ने सभी देवताओं से उनकी परेशानी का कारण पूछा। तब सभी देवताओं ने भोलेनाथ को रक्तबीज के अत्याचारों के बारे में बताया। रक्तबीज के बारे में सुनने के बाद भगवान शिव माता पार्वती के पास गए। उन्होंने माता पार्वती को राक्षस का संहार करने के लिए कहा। त्रिलोकीनाथ की बात सुनकर माता पार्वती साधना करने लगीं। माता पार्वती की साधना से तब मां कालरात्रि का अवतरण हुआ था।
जब मां दुर्गा रक्तबीज का वध कर रही थीं तब राक्षस का खून धरती पर गिर रहा था जिससे सैकड़ों दानव और उत्पन्न हो जा रहे थे‌। यह देखकर मां दुर्गा ने मां कालरात्रि को राक्षसों को खा जाने के लिए कहा। मां दुर्गा की बात मानकर मां कालरात्रि राक्षसों का खून गिरने से पहले ही उसे पी जाती थीं। असुरों का वध करने के साथ वह मुंड की माला भी पहनने लगीं। मां कालरात्रि से युद्ध के दौरान रक्तबीज भी मारा गया।

Day 6: Katyayni💫आज नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां का ये रूप करुणामयी बताया गया है।...
01/10/2022

Day 6: Katyayni💫

आज नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां का ये रूप करुणामयी बताया गया है। देवी ने ऋषि कात्यायन के घर जन्म लिया था जिस कारण उन्हें कात्यायनी देवी के नाम से जाना गया। माता कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है। ये सिंह की सवारी करती हैं और इनकी 4 भुजाएं हैं। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से माता की अराधना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

धार्मिक मान्यताओं अनुसार राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए क्रोध से और देवताओं की ऊर्जा किरणों से ऋषि कात्यायन के आश्रम में संयुक्त रोशनी को देवी का रूप दिया गया। इसके बाद मां कात्यायनी ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया। मान्यता है कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में होता है उन्हें माँ कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, दुख, संताप और भय दूर हो जाता है।

Day 5: Skand Mataशास्त्रों के अनुसार कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। साथ ही कार्तिकेय को पुराणों म...
30/09/2022

Day 5: Skand Mata

शास्त्रों के अनुसार कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। साथ ही कार्तिकेय को पुराणों में सनत- कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। वहीं पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्‍हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।

Day 4: Kushmanda💫 नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड य...
29/09/2022

Day 4: Kushmanda💫

 
नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। 
 
इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। 
इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कूष्मांडा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। 
अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। 
विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।

Day 3: Maa chandraghanta💫नवरात्रि के तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा (Ma Chandraghanta) की पूजा की जाती है।...
28/09/2022

Day 3: Maa chandraghanta💫

नवरात्रि के तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा (Ma Chandraghanta) की पूजा की जाती है।  यह मां पार्वती का विवाहित स्वरूप है, जो  साहस और वीरता का अहसास कराता है।। माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, यही कारण है कि माता के इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। माता की दस भुजाएं हैं प्रत्येक भुजाओं में अलग अलग अस्त्र शस्त्र विराजमान हैं। सिंह पर सवार माता दैत्यों का संहार करती हैं। 
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से अशुभ ग्रह के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं। धर्म के अनुसार देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर निर्भरता, सौम्यता और विनम्रता जैसी प्रवृत्ति उत्पन्न होती है। मान्यताओं के अनुसार चंद्रघंटा माता को असुरों का वध करने वाली कहा जाता है। क्या आप भी नवरात्रि का व्रत करते हैं, यदि हां, तो यहां आप चंद्रघंटा माता की व्रत कथा देखकर पढ़ सकते हैं।
ऐसे हुआ मां चंद्रघंटा का जन्म
देवताओं की बात सुन ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे। क्रोध के कारण तीनों देवों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा में जाकर मिल गई। दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती का अवतरण हुआ। शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया।
भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया। सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। युद्धभूमि में देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया।

Day 2 : Brahmcharini💫 मान्‍यताओं के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म ली...
27/09/2022

Day 2 : Brahmcharini💫

मान्‍यताओं के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म ली थी। बड़े होने के बाद माता ने नारद जी के उपदेश से भगवान शिव शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की। इसी तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। उन्होंने एक हजार वर्ष तक फल, फूल खाकर समय बिताया और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रखकर तपस्या की। 

माता ने शिव शंकर को प्राप्त करने के लिए कठिन उपवास रखें। वह खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट झेले। तीन हजार वर्षों तक माता ने टूटे हुए बिल्व पत्र खाकर भोलेनाथ की आराधना करती रही। बाद में माता ने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया। इस कारण से उनका नाम अर्पणा भी है। माता ने कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर कठिन तपस्या की। 

कठिन तपस्या करने के कारण देवी माता का शरीर एकदम सूख गया। तब देवता ऋषिगण और मुनि ने ब्रह्मचारिणी माता की तपस्या की सराहना करते हुए कहा, हे माता ऐसी घोर तपस्या संसार में कोई नहीं कर सकता। ऐसी तपस्या सिर्फ आप ही कर सकती हैं। आपकी इस तपस्या से आपको भोलेनाथ जरूर पति के रूप में प्राप्त होंगे। तब यह सुनकर ब्रह्मचारी ने तपस्या करना छोड़ दिया और अपने पिता के घर चली गई। वहां जाने के कुछ ही दिन बाद माता को शिव शंकर पति के रूप में प्राप्त हो गए।

Navratri ki shubh kaamnayein💫नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। नवरात्रि का पावन ...
26/09/2022

Navratri ki shubh kaamnayein💫

नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। नवरात्रि का पावन पर्व 9 दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। जो लोग पाठ नहीं कर सकते हैं उन्हें इस कथा को सुनना चाहिए।

मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा-

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है। शैल शब्द का अर्थ होता है पर्वत। शैलपुत्री को हिमालय पर्वत की बेटी कहा जाता है। इसके पीछे की कथा यह है कि एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। दक्ष ने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। ऐसे में सती ने यज्ञ में जाने की बात कही तो भगवान शिव उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण जाना ठीक नहीं लेकिन जब वे नहीं मानीं तो शिव ने उन्हें इजाजत दे दी।

जब सती पिता के यहां पहुंची तो उन्हें बिन बुलाए मेहमान वाला व्यवहार ही झेलना पड़ा। उनकी माता के अतिरिक्त किसी ने उनसे प्यार से बात नहीं की। उनकी बहनें उनका उपहास उड़ाती रहीं। इस तरह का कठोर व्यवहार और अपने पति का अपमान सुनकर वे क्रुद्ध हो गयीं। क्षोभ, ग्लानि और क्रोध में उन्होंने खुद को यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया। यह समाचार सुन भगवान शिव ने अपने गुणों को भेजकर दक्ष का यज्ञ पूरी तरह से विध्वंस करा दिया।  अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

Law of Attraction🧿
25/09/2022

Law of Attraction🧿

Address

3B/10 Ramesh Nagar
Delhi
110015

Telephone

+918750831573

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when The Occult Worldd posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share