20/11/2022
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जब अच्छा होने का विचार हमारी बुद्धि में ठहर जाता है तो हमें अच्छा होने का अंहकार हो जाएगा हर समय हम स्वयं को औरों से श्रेष्ठ समझेंगे और किसी में थोड़ी सी भी बुराई नजर आएगी तो हम उससे नफरत करने लगेंगे या कभी हम से किसी तरह का कोई बुरा कार्य हुआ तो हमारे अन्दर ग्लानि का भाव उत्पन्न हो जाएगा जिससे बुद्धि अस्थिर हो जाएगी और हम चीजों को ठीक वैसी नहीं देख पाएंगे जैसी वो हैं।
अच्छाई अगर बुद्धि में ठहर जाए तो बुराई बनने में देर नहीं लगती । अच्छा और बुरा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं एक को पकड़ लो तो दूसरा अपने आप उत्पन्न हो जाता है ।
इसलिए जो भी करो शून्य भाव से करो ,अकर्ता हो कर करो ताकि हमारे अन्दर न अच्छे का भाव आए , न बुरे का , न पाप का भाव आए न पुण्य का , न उच्च का भाव आए न नीच का
पूर्ण रूप से भाव रहित हो जाना क्योंकि भाव भी बन्धन ही है ।
*PANKAJ KUMAR*
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