Guru Ayurveda

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स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं च।

अर्थात: स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा और रोगी के रोग का शमन ही आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य है।

आयुर्वेद के मार्ग पर चलें और जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य व सुख की अनुभूति करें।

🌱 गुरु आयुर्वेद 🌱

🌿पथरी में ऑपरेशन कराने से पहले आयुर्वेद अवश्य लें 🌿श्री हरदीप सिंह आयु 34 वर्ष की प्रारम्भिक जाँच में इनके दोनों गुर्दों...
04/12/2025

🌿पथरी में ऑपरेशन कराने से पहले आयुर्वेद अवश्य लें 🌿

श्री हरदीप सिंह आयु 34 वर्ष की प्रारम्भिक जाँच में इनके दोनों गुर्दों में पथरी पाई गई बाएँ में लगभग 5.5 mm और दाएँ में 3.5 mm मूत्रप्रवाह में असुविधा और कमर में भारीपन भी अनुभव कर रहे थे,,

इनकी अवस्था को देखते हुए इन्हें मूत्राश्मरी हेतु निर्धारित आयुर्वेदिक औषधि एवं परहेज़ दिया गयारोगी ने दवा का नियमित सेवन किया।

कुछ समय बाद कराई गई दूसरी जाँच में स्पष्ट लाभ दिखाई दिया। दाएँ गुर्दे की पथरी पूरी तरह समाप्त हो गई और केवल बाएँ गुर्दे में लगभग 5mm की एक पथरी शेष रही। रोगी की दर्द, जलन और भारीपन की शिकायत भी काफी हद तक समाप्त हुई।

अंतिम रिपोर्ट में स्थिति और स्थिर हुई। शरीर के अन्य सभी अवयव सामान्य दिखे और कोई रुकावट या सूजन नहीं पाई गई।

🌿हमारी औषधि से रोगी को अच्छा लाभ प्राप्त हुआ। पहले दोनों तरफ पथरी थीअब केवल एक छोटी पथरी शेष है और रोगी स्वयं को पहले से अधिक स्वस्थ अनुभव कर रहा है।

🌿औषधि हेतु 7042699044🌿

28/11/2025

बड़े शहरों की हवा में धूल, धुआं, रसायन और स्मॉग लगातार बढ़ रहे हैं. यह हवा धीरे-धीरे शरीर में दोषों को असंतुलित करती है, खासकर वात और कफ को. आयुर्वेद इसे वायु-दूषण से उत्पन्न रोगों की श्रेणी में रखता है.

🌿 प्रदूषित हवा से कौन-कौन सी दिक्कतें हो सकती हैं?
1. लगातार खाँसी और बलगम
2. साँस फूलना, अस्थमा बढ़ना
3. नाक बंद रहना, बार-बार छींक आना
4. गले में खराश, जलन और सूखापन
5. आँखों में लालपन, जलन और पानी आना
6. त्वचा में जलन, खुजली, दाने
7. सिरदर्द, थकान, नींद खराब होना
8. रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना

आयुर्वेद के अनुसार यह लक्षण दूषित वायु से बढ़े हुए कफ-वात की निशानी हैं.

🌿 आयुर्वेद क्या उपाय बताता है?

1) नस्य कर्म (नाक की सुरक्षा) – सबसे जरूरी
• हर सुबह अनु तेल, तिल तेल या शुद्ध घी की 2–2 बूंदें दोनों नथुनों में डालें.
• यह धूल, स्मॉग और एलर्जी के कणों से नाक की अंदरूनी परत की रक्षा करता है.

2) भाप और गरारे
• गर्म पानी की भाप लेने से जमा हुआ कफ ढीला होता है.
• हल्का नमक मिलाकर गरारे करने से गला साफ रहता है.

3) हल्दी + शहद
• 1 चम्मच शहद में चुटकी भर हल्दी मिलाकर दिन में एक बार लें.
• यह एलर्जी शांत करता है और फेफड़ों की रक्षा करता है.

4) तुलसी-अदरक-काली मिर्च का काढ़ा
• शहरों में प्रदूषण से होने वाली खाँसी और सांस की दिक्कतों में काफी लाभकारी.
• सुबह और शाम एक कप लेना उपयोगी है.

5) शुद्ध देशी घी
• शरीर को अंदर से चिकनाई देता है और सूखे धुएं के प्रभाव को कम करता है.

6) फेफड़ों को मजबूत करने वाली आसान क्रियाएं
• अनुलोम-विलोम
• ब्रह्मरी
• गहरी और धीमी श्वास
ये फेफड़ों की क्षमता और सहनशक्ति दोनों बढ़ाती हैं.

7) घर की हवा साफ रखें
• तुलसी, एलोवेरा, मनीप्लांट जैसे पौधों का प्रयोग
• रोज धूल साफ करना
• सुबह थोड़ी देर घर को हवा लगने देना

🧘 किन लोगों को ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए?
• अस्थमा मरीज
• बच्चे और बुजुर्ग
• गर्भवती महिलाएं
• जिन्हें एलर्जी जल्दी होती है

🌿 ध्यान में रखने वाली बातें
• ठंडे पेय, दही, पनीर, तला-भुना भोजन कफ बढ़ाता है.
• देर रात जागना वात को बढ़ाता है और प्रदूषण का असर ज्यादा महसूस होता है.
• पानी दिनभर थोड़ा-थोड़ा पिएं.

यदि आपको प्रदूषित हवा से एलर्जी, खाँसी, बलगम, अस्थमा या सांस लेने में दिक्कत होती है,
तो हमारा दमा काढ़ा इन समस्याओं में बहुत प्रभावी माना जाता है.

यह खास जड़ी-बूटियों से तैयार किया गया मिश्रण है जो
कफ साफ करने, साँस खोलने और एलर्जी शांत करने में मदद करता है.

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27/11/2025

🌿आज मैं आप सब को अपना च्यवनप्राश का फार्मूला दे रहा हूँ 🌿

*🌿बना बनाया ऑर्डर हेतु 7042699044🌿*

🌿 घर पर बनाएं अमृत-तुल्य च्यवनप्राश 🌿
�(डायबिटीज वालों के लिए 100% सुरक्षित | नॉन-डायबिटीज वालों के लिए अतिपौष्टिक)
�सर्दियों का असली रसायन, घर पर आसानी से बनने वाला!

🌿 सामग्री (1 किलो ताजा आंवला आधार)
समान सामग्री (दोनों के लिए)�• आंवला - 1 किलो�• मुनक्का - डायबिटीज वाले: 75-100 ग्राम | नॉन-डायबिटीज: 150-200 ग्राम�• अश्वगंधा - 25 ग्राम�• शतावरी - 25 ग्राम�• विदारीकंद - 25 ग्राम�• सफेद मूसली - 20 ग्राम�• गोखरू - 20 ग्राम�• पिप्पली - 20 ग्राम�• सोंठ - 10 ग्राम�• मुलेठी - 10 ग्राम�• छोटी इलायची - 10 ग्राम�• दालचीनी - 5 ग्राम�• लौंग - 2 ग्राम�• तेजपत्ता पाउडर - 2 ग्राम�• नागकेसर - 5 ग्राम�• वंशलोचन - 15 ग्राम�• ब्राह्मी - 10 ग्राम�• शंखपुष्पी - 10 ग्राम�• केसर - 1.5-2 ग्राम�• देसी गाय का घी - 200 ग्राम�• तिल का तेल - 30 ग्राम
• ⁠
दशमूल क्वाथ �100 ग्राम दशमूल (10-10 ग्राम प्रत्येक जड़ी) को 1.5 लीटर पानी में उबालकर 600-700 ml काढ़ा बनाएं�(पकाते समय सिर्फ 400-500 ml ही डालें, बाकी फेंक दें)

नॉन-डायबिटीज वाले ही डालें�• शहद - 180-220 ग्राम (पूरी तरह ठंडा होने के बाद)�या�• देशी खांड/मिश्री - 150-180 ग्राम (पकाते समय)
🌿 बनाने की विधि
1 आंवला को 3 लीटर पानी में ¼ छोटा चम्मच फिटकरी या नमक डालकर प्रेशर कुकर में 2 सीटी तक पकाएं - ठंडा करके बीज निकालें - महीन पेस्ट बना लें
2 मुनक्का को 4-5 घंटे भिगोकर पेस्ट बना लें
3 मोटे तले की कढ़ाई में 200 ग्राम घी + 30 ग्राम तिल तेल गर्म करें
4 आंवला पेस्ट डालकर मध्यम-धीमी आंच पर 25-35 मिनट भूनें - जब तक घी ऊपर तैरने लगे और कढ़ाई छोड़ने लगे
5 मुनक्का पेस्ट मिलाएं - 10-12 मिनट और चलाएं
6 सभी जड़ी-बूटियाँ और मसाले (पहले सूखी कढ़ाई में 1-2 मिनट हल्का भून लें) डालें - 15 मिनट धीमी आंच पर पकाएं
7 दशमूल क्वाथ थोड़ा-थोड़ा मिलाते जाएं (कुल 400-500 ml तक) - गाढ़ा होने तक पकाएं
8 जब मिश्रण चम्मच पर लपेटने लगे, कढ़ाई छोड़ दे और चमक आए - आंच बंद कर दें
9 पूरी तरह ठंडा (40°C से कम) होने पर शहद + केसर (हल्का कूटकर) मिलाएं
10 कांच की जार में भरें - आपका संपूर्ण च्यवनप्राश तैयार!

🌿 सेवन की मात्रा�• डायबिटीज वाले - 1 छोटा चम्मच (भोजन के बाद गुनगुने दूध/पानी के साथ)�• नॉन-डायबिटीज - 1-2 चम्मच (सुबह खाली पेट या रात को सोने से 1 घंटा पहले गुनगुने दूध के साथ)�• बच्चे (5+ साल) - आधा से 1 चम्मच

🌿 लाभ�✓ फेफड़े मजबूत + खांसी-बलगम में तुरंत राहत�✓ दिमाग तेज, याददाश्त दोगुनी�✓ जोड़ों-कमर दर्द, कमजोरी दूर�✓ त्वचा में निखार, बाल मजबूत�✓ सर्दी-जुकाम से पूर्ण सुरक्षा�✓ पूरे परिवार के लिए एक ही डिब्बा - पूरी तरह सुरक्षित और शक्तिशाली
बाजार के सबसे महंगे च्यवनप्राश से कहीं बेहतर! 🌿

🌿दशमूल नहीं भी डालंगे तो भी अच्छा बनेगा 🌿
�ॐ नमो भगवते धन्वंतरये नमः 🙏

*🌿बना बनाया ऑर्डर हेतु 7042699044🌿*

25/11/2025

🌿मधुमेह में चलने वाली एलोपैथिक दवाएँ और उनके दुष्प्रभाव🌿
1. मेटफॉर्मिनलंबे समय में गैस, भारीपन, विटामिन B12 की कमी, थकान।

2. ग्लिमिप्राइड / ग्लाइबेनक्लेमाइडशुगर लो होना, वजन बढ़ना, अग्नाशय पर दबाव।

3. DPP-4 inhibitors (Sitagliptin आदि)जोड़ दर्द, खुजली, पाचन गड़बड़।

4. SGLT-2 inhibitors (Dapagliflozin आदि)पेशाब बढ़ना, बार-बार संक्रमण, शरीर में पानी कम होना।

5. इंसुलिन -वजन बढ़ना, इंजेक्शन स्थान पर सूजन, शुगर लो होने का खतरा।

🌿आयुर्वेद का दृष्टिकोण🌿
आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह का मूल कारण है
1. अग्नि मंद होना
2. कफ-मेद की अधिकता
3. अधपका रस-धातु
4. तनाव व अव्यवस्थित दिनचर्या

मधुमेह के लिए प्रबल और सुरक्षित आयुर्वेदिक चूर्ण
1. गुडमार पत्ती चूर्ण – 50 ग्राम
2. मेथी दाना चूर्ण – 50 ग्राम
3. विजयसार चूर्ण – 50 ग्राम
4. जामुन बीज चूर्ण – 25 ग्राम
5. करेला बीज चूर्ण – 25 ग्राम
6. शतावरी चूर्ण – 25 ग्राम
7. अश्वगंधा चूर्ण – 25 ग्राम
8. त्रिफला चूर्ण – 25 ग्राम

कुल वजन300 ग्राम

लाभ🌿 शुगर संतुलन🌿 अग्न्याशय को बल🌿 पैरों में जलन, झुनझुनी, कमजोरी में राहत🌿 रक्त शोधन🌿 शरीर में नई ऊर्जा🌿 मूत्र संबंधी तकलीफों में सुधार

सेवन विधि1. सुबह खाली पेट – 1 छोटा चम्मच गुनगुने पानी के साथ2. रात भोजन के 1 घंटे बाद – 1 छोटा चम्मच🌿विशेष🌿बहुत अधिक शुगर हो तो 10–15 दिन तक खुराक थोड़ा बढ़ाई जा सकती है🌿 एलोपैथिक दवा चल रही हो तो मात्रा धीरे-धीरे घटती है, अचानक बंद नहीं करनी चाहिए।

🌿आहार-विहार🌿क्या लें 1. जौ का सत्तू 2. करेला-जामुन रस 3. दालचीनी पानी 4. मूंग खिचड़ी 5. सलाद 6. 40 मिनट तेज चाल🌿क्या न लें🌿 1. चावल 2. चीनी 3. मैदा 4. तली चीजें 5. देर रात भोजन 6. तनाव, कम नींद🌿किन समस्याओं में लाभ🌿 1. बार-बार पेशाब 2. पैरों में जलन 3. हाथ-पैर में झुनझुनी 4. थकान 5. भूख अधिक लगना 6. मोटापा 7. त्वचा का सूखापन

🌿बना बनाया चूर्ण लेने हेतु 7042699044🌿

19/11/2025

🌱हृदय ब्लॉकेज का सम्पूर्ण आयुर्वेदिक समाधान 🌱हृदय शरीर का प्रमुख अंग है, जो रक्त संचार को नियंत्रित करता है। जब हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल, वसा, और अन्य अवांछित तत्व जमा हो जाते हैं, तो रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे हृदय ब्लॉकेज उत्पन्न होता है। यदि इसे समय पर ठीक न किया जाए तो यह दिल के दौरे या हृदयाघात का कारण बन सकता है।🌱 रोग के लक्षण :✔️ छाती में भारीपन व दर्द (विशेषकर बाईं ओर)✔️ सांस लेने में कठिनाई (हल्का परिश्रम करने पर भी)✔️ हाथ, गर्दन, जबड़े और पीठ में दर्द✔️ अचानक अधिक पसीना आना✔️ घबराहट व चक्कर आना✔️ अत्यधिक थकान और कमजोरी🌱 आधुनिक चिकित्सा में विकल्प :✅ एंजियोप्लास्टी– धमनियों में स्टेंट डालकर रक्त प्रवाह को सुचारू किया जाता है।✅ बाईपास सर्जरी – अवरुद्ध धमनियों के स्थान पर स्वस्थ धमनियों को जोड़ा जाता है।✅ एलोपैथिक दवाएं – ब्लड थिनर, स्टैटिन और बीटा-ब्लॉकर्स दिए जाते हैं।➡️ आधुनिक चिकित्सा में उपचार महंगे व अस्थायी हैं, जिनके दुष्प्रभाव भी होते हैं। आयुर्वेद में इस रोग का प्राकृतिक व स्थायी समाधान उपलब्ध है।🌱आयुर्वेदिक एवं घरेलू रामबाण उपचार🥛 1. लहसुन-दूध चिकित्सा ✅ 5-6 लहसुन की कलियां कूटकर ½ लीटर दूध में डालें।✅ इसे धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक दूध आधा न रह जाए।✅ इसे चाय की तरह चुस्की लेकर भोजन के 2 घंटे बाद पिएं।✅ यह धमनियों में जमा वसा को तोड़ने व रक्त प्रवाह को सुचारू करने में अत्यंत प्रभावी है।🧅 2. प्याज-नींबू रस प्रयोग✅ 50 ग्राम प्याज का रस निकालें।✅ इसमें 2 चम्मच नींबू रस मिलाएं।✅ इसे दिन में दो बार सेवन करें।✅ यह धमनियों में जमी चर्बी को घोलकर हृदय को स्वस्थ बनाता है।🍃 3. पीपल के पत्तों का प्रयोग✅ 6-7 पीपल के कोमल पत्ते लें।✅ इसमें थोड़ी मिश्री (खांड) मिलाकर पीस लें।✅ इसे प्रातः खाली पेट लें।✅ यह हृदय को शक्ति देता है और रक्त संचार को दुरुस्त करता है।🌱शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां ✅ 1. अर्जुनारिष्ट➡️ अर्जुन की छाल हृदय को मजबूती देने वाली सर्वश्रेष्ठ औषधि है।🔹 20ml अर्जुनारिष्ट गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लें।🔹 यह कोलेस्ट्रॉल घटाने, धमनियों को साफ करने व हृदय को सशक्त करने में सर्वोत्तम औषधि है।✅ 2. हृदयामृत वटी➡️ यह हृदय की धमनियों को शुद्ध कर रक्त संचार को बेहतर बनाती है।🔹 2-2 गोलियां दिन में दो बार भोजन के बाद लें।✅ 3. पुष्करमूल चूर्ण➡️ यह हृदय को बल देने और ब्लॉकेज को कम करने में सहायक है।🔹 ½ चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम लें।✅ 4. अर्जुन चूर्ण➡️ अर्जुन की छाल हृदय रोगों में विशेष रूप से प्रभावी है।🔹 ½ चम्मच अर्जुन चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लें।🔹 यह धमनियों की सफाई, रक्त प्रवाह को सामान्य करने, और हृदय की कार्यप्रणाली को सुधारने में सहायक है।✅ 5. गिलोय सत्व + प्रवाल पिष्टी➡️ यह रक्त शुद्धि कर हृदय की कार्यप्रणाली को सुधारता है।🔹 ¼-¼ चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम लें।🌱परहेज व आहार ✔️ इन चीजों से बचें :❌ तली-भुनी व वसायुक्त चीजें (घी, मक्खन, मलाई, फास्ट फूड)❌ मैदा, चीनी, प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स❌ धूम्रपान व शराब का सेवन❌ मानसिक तनाव व चिंता✔️ क्या खाएं :✅ हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी, सहजन)✅ अंकुरित अनाज, ओमेगा-3 युक्त आहार (अलसी के बीज)✅ अदरक, हल्दी, लहसुन, अर्जुन की छाल✅ मौसमी फल जैसे सेब, अनार, पपीता🧘‍♂️ योग एवं प्राणायाम ✅ अनुलोम-विलोम प्राणायाम – धमनियों की सफाई करता है।✅ भस्त्रिका प्राणायाम – रक्त संचार को उत्तम करता है।✅ कपालभाति प्राणायाम – कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक।✅ सूर्य नमस्कार – हृदय को ऊर्जा प्रदान करता है।✅ वज्रासन और पद्मासन – हृदय को संतुलित रखते हैं।🌱बनी बनाया हृदयामृत काढ़ा औषधि भी हमसे ले सकते हैं जिससे रोग में अतिशीघ्र लाभ होता है।🌱🌱 गुरु आयुर्वेद 🌱

18/11/2025

🌿 खांसी, नजला, जुकाम लगातार छींके आना, छाती में कफ जमना इसके लिए रामबाण घरेलू नुस्खा 🌿2 नींबू, थोड़ी सी कच्ची हल्दी और 2-3 लहसुन की कली ले लीजिए। 2 कप पानी में इतना उबाल लें पकता पकता आधा रह जाए।लगातार 4 दिन तक सुबह-शाम इसका सेवन करें। छाती में कफ जमना व लगातार छींके आना और जिनको खांसी, नजला, जुकाम हमेशा बना ही रहता है इसको लेने से अत्यंत लाभ मिलेगा।☘️ गुरु आयुर्वेदा☘️📞7042699044

17/11/2025

🌿 सिर्फ एक जायफल - माइग्रेन, मुँह के छाले, खांसी -जुकाम का समाधान 🌿 किसी को किसी वजह से सिर में यदि दर्द रहता हो, माइग्रेन की समस्या रहती हो, सिर्फ एक जायफल को किसी पत्थर पर थोड़ा सा पानी डालकर घिस कर उसको चंदन की तरह माथे पर लगाएं। इससे लाभ मिलेगा।किसी को अगर मुँह में छाले बहुत ज़्यादा हो गए हो तो आधे चने के बराबर इसको पानी में घिसकर थोड़े से ज़्यादा पानी में मिला लो और कुल्ला कर लो दिन में 3-4 बार कैसे भी छाले हो बिल्कुल खत्म हो जाएंगे।जिनको खांसी, नजला, जुकाम बनी ही रहती है, छाती में हमेशा कफ बना ही रहता है, इस जायफल को चने के दाने के बराबर पानी में लो और उसको छाती में मल लो, किसी को किसी कितनी भी पुरानी खांसी हो वो 3 दिन में ठीक हो जाएगी।🍀 गुरु आयुर्वेदा 🍀7042699044

16/11/2025

🌿 फैटी लीवर का रामबाण घरेलू उपाय 🌿2 आलू बुखारे और 2 इमली लें लीजिए और रात को भिगो दें। सुबह दोनों को मथ लीजिए अच्छे से, और फिर उसे खा लें जो बचा हुआ पानी हैं उसको ऊपर से पी लें।इसका सेवन 3 से 4 महीने करने से फैटी लीवर में अत्यन्त लाभ मिलता है। ☘️ गुरु आयुर्वेदा ☘️📞7042699044

15/11/2025

बादाम गिरी 6 नग, मुनक्का 6 नग, मगज खरबूजा 4 ग्राम, छोटी इलायची 2 नग और मिश्री 10 ग्राम इन सभी को ठंडाई की तरह बारीक घोंट लें। आधा कप पानी में मिलाकर छानकर दें। यह मिश्रण पित्ताशय की पथरी में लाभकारी माना जाता है, खासकर जब ये लक्षण हों• यकृत के नीचे दर्द• उल्टी होने पर कुछ राहत मिलना• दर्द बार-बार लौट आना और लगातार बने रहनाअनुभवहाल ही में एक मित्र की बेटी को एक्स-रे और सोनोग्राफी में यकृत और पित्ताशय की पथरी पाई गई। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। उन्होंने मुझसे संपर्क किया और मैंने यही योग सेवन करने को कहा। लगभग 10 दिनों में उसे आराम मिल गया। अब 3–4 महीने हो गए हैं, उसे दर्द, उल्टी या कोई परेशानी नहीं है।एक अन्य रोगी, जिसे यकृत शूल था, उसे भी इस योग से लाभ मिला। यह पित्त स्राव को नियमित करने में सहायक माना जाता है।🌿गुरु आयुर्वेद 🌿वैद्य से परामर्श हेतु 7042699044🌿

🌿मैथीदाना-आरोग्य का खजाना🌿मैथीदाना, जितने साल जिसकी आयु हो उतने दाने लेकर रोजाना प्रातः खाली पेट, धीरे-धीरे खूब चबा-चबाक...
14/11/2025

🌿मैथीदाना-आरोग्य का खजाना🌿

मैथीदाना, जितने साल जिसकी आयु हो उतने दाने लेकर रोजाना प्रातः खाली पेट, धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर (अथवा यदि शाम को ले तो मैथीदाना पानी की सहायता से निगलना चाहिए) खाता रहे तो व्यक्ति सदैव निरोग और चुस्त बना रहेगा और मधुमेह, जोड़ों के दर्द, शोथ, रक्तचाप, बलगमी बीमारियाँ, अपचन आदि अनेकानेक रोगों से बचाव होगा। वृद्धावस्था की व्याधियां (यथा-सायटिका, घुटनों का दर्द, हाथ पैरों का सुन्न पड़ जाना, मांसपेशियों का खिंचाव, भूख न लगना, बार-बार मूत्र आनां, चक्कर आना आदि) उसके पास नहीं फटकेगी। ओज, कान्ति, और स्फूर्ति में वृद्धि होकर व्यक्ति दीर्घायु होगा।

यद्यपि अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए मैथीदाना का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे-मैथीदाना भिगोकर उसका पानी पीना या भिगाये मैथीदाना को घाट छानकर पीना, उसे अंकुरित करके चबाना या रस निकालकर पीना, उसे उबालकर उसका पानी पीना या सब्जी बनाकर खाना, खिचड़ी या कढ़ी पकाते समय उसमें डालकर सेवन करना, साबुत मैथीदाना प्रातः चबाकर खानाऔर रात्रि में पानी संग निगलना, - भुनकर या वैसे ही उसका दलिया या चूर्ण बनाकर ताजा पानी के साथ फक्की लेना, मैथीदाना के लड्डू बनाकर खाना अदि परन्तु मैथी के सेवन का निरापद और अच्छा तरीका है उसका काढ़ा या चाय बनाकर पीना।

मैथी का काढ़ा या चाय बनाने की विधि

🌿पांच ग्राम (एक डेढ़ चम्मच) मैथीदाना (दरदरा मोटा कूटा हुआ) 200 ग्राम पानी में डालकर धीमी आंच पर उबलने रख दें। लगभग दस मिनट उबलने के बाद जब पानी 150 ग्राम या पौन कप) शेष रह. जाए तब बर्तन को आग पर से नीचे उतार लें। पीने लायक गर्म रहने पर इसे स्वच्छ कपड़े से छानकर चाय की भांति घूंट-घूंट कर गर्म-गर्म पी लें।

🌿यदि कोई व्यक्ति कड़वा काढ़ा न पी सकें तो वह इस काढ़े में थोड़ा गर्म दूध और गुड़ या खांड मिलाकर चाय के रूप में भी ले सकता है। बलगमी खांसी, छाती के दर्द और पुराने हृदय रोग में थोड़े गर्म मैथी के काढ़े में एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लेना विशेष लाभप्रद रहता है। काढ़ा बनाने के लिए यदि रात में एक कांच के गिलास में पानी में मैथीदाना भिगोने को रखने के बाद सवेरे उसी पानी में भिगोया मैथीदाना उबालकर उसका काढ़ा बनाया जाय तो वह जल्दी भी बनेगा तथा मैथीदाना का कस ज्यादा आने के कारण वह काढ़ा ज्यादा गुणकारी भी रहेगा।

🌿यह दानामैथी का काढ़ा (बिना कुछ इसमें मिलाए) दिन में दो बार, प्रथम सवेरे नाश्ते से लगभग आधा घंटे पहले और रात्रि में सोने से पहले पीना चाहिए। इसे निरन्तर पीते रहने से आंव नहीं बन पायेगी क्योंकि मैथीदाना विशेष रूप से आंवनाशक और पाचन-क्रिया सुधारक है।

🌿मैथी उष्ण-रुक्ष-लघु गुणों से युक्त होने के कारण आंवनाशक, कफ निस्सारक और वातनाशक है। मैथी पाचन-अवयवों, श्वसन-संस्थान, रक्तवाहिनियों, आंतों एवं भीतरी त्वचा (झिल्ली) से चिपकी हुई आंव या चिकनाई (म्यूकस) और संचित गन्दगी और विषों को देह से बाहर कर देती है और भीतरी अवयवों की शुद्धि करके अंगों की सूजन, जलन और पीड़ा मिटाकर उन्हें पुनः आरोग्य प्रदान कर कार्यक्षम बनाती है। मैथी के प्रयोग से पाचन-क्रिया सुधरने से शरीर में रस. आदि का निर्माण ठीक से होने लगता है। मल बंधकर आने लगता है, पेट ठीक प्रकार से साफ होने लगता है, यकृत आदि अवयव सशक्त बनते हैं और उनकी कार्य शिथिलता दूर होती है जिससे शरीर में स्फूर्ति और ताकत का अनुभव होने लगता है।

🌿मैथी के बीज की रासायनिक बनावट 'कॉड-लीवर आयल' के समान है अतः शाकाहारियों के लिए मैथी मछली के तेल का अच्छा विकल्प है और उसी की तरह यह भी खून की कमी (एनीमिया), दुर्बलता, स्नायु-रोग, घुटनों का दर्द, संधिवात, सूखा रोग (रिकेट्स), छूत के रोगों के पश्चात बचने वाली कमजोरी, बहुमूत्रता, मधुमेह आदि रोगों में बहुत लाभदायक है। पाचन संस्थान के रोगों यथा- शूल, अफारा, अग्निमांद्य, अरुचि, आमातिसार (पेचिश); प्लीहा व जिगर की वृद्धि, अल्सर, कोलाइटिस, आदि के अतिरिक्त श्वसन संस्थान के रोग यथा-बलगमी खांसी, दमा, श्वसन अंगों में सूजन, ब्रोंकाइटिस, छाती के पुराने रोगों आदि में मैथी का सेवन लाभकारी है। अंगों का प्रदाह एवं सूजन मिटाकर उन्हें पुनः कार्यक्षम बनाने का गुण होने के कारण मैथी अमेन्डिसाइटिस, टांसिल्ज एवं साइनसाइटिस आदि रोगों को दूर करने में सहायता करती है और उनसे बचाव भी। मुख, कंठ और जीभ के रोगों का नाश करती है।

🌿महिलाओं की मासिक धर्म कीगड़बड़ियों, लिकोरिया, बच्चेदानी में सूजन, में लाभ करती है तथा आर्तव के स्रोतों की शुद्धि कर उनकी सूजन मिटाकर महिलाओं को आरोग्य प्रदान करती है। प्रसूतावस्था में शिथिल बने हुए अंगों को शुद्ध करती है और मां के दूध के प्रवाह की रुकावटों को दूर करती है। मैथी पोषक तत्त्वों से भरपूर होने के कारण सामान्य शक्तिवर्धक (टॉनिक) का कार्य करती है।

🌿आधुनिक खोजों से सिद्ध हो चुका है कि मैथी के प्रयोग से मूत्र और रक्त की शक्कर (डायबीटिज) में कमी आ जाती है, रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर घट जाता है और उच्च रक्तचाप संतुलित होता है तथा ट्राइग्लीसराइड्स भी नियन्त्रित हो जाता है। अंकुरित मैथीदाना में कैंसर को नियन्त्रित करने वाली विशेष विटामिन बी-16 भी विशिष्ट मात्रा में पाया जाता है तथा अंकुरित मैथी का रस आमाशय के अल्सर, आतों की सूजन (कोलाइटिस) आदि रोगियों के

लिए अत्याधिक लाभकारी सिद्ध हुआ है। कफ और वात प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए मैथी के बीज किसी वरदान से कम नहीं है फिर भी मैथी का सेवन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखना जरूरी है :-

🌿सावधानियाँ -पित्त प्रकृति वालों को या जिन्हें रक्तपित्त, रक्त प्रदर, खूनी बवासीर, नकसीर, मूत्र में रक्त आना या शरीर में कहीं से भी खून गिरने की शिकायत हो उन्हें पैथी का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि मैथी रष्ण और खुश्क होती है। तेज गर्मी के मौसम में भी मैथी का प्रयोग करना उचित नहीं है।

🌿जिन्हें गर्म तासीर की वस्तुएं अनुकूल नहीं पड़ती हो तथा जिनके शरीर में दाह अथवा आग की लपटों जैसी जलन महसूस होती हो।

🌿 जो रोगी अत्यन्त दुर्बल व कृशकाय हो, चक्कर आने की बीमारी से पीड़ित हो तथा लगातार धातु-क्षय के कारण जिनका शरीर सूखकर मात्र हड्डियों का पिंजर रह गया हो।

🌿गुरु आयुर्वेद 🌿
वैद्य से परामर्श हेतु 7042699044

10/11/2025

आयुर्वेद के प्रमाणिक ग्रंथों के अनुसार पुनः शत धौत घृत को छोटे छोटे बैच में तैयार करवा रहा हूँ शतधौत घृत त्वचा के लिए रामबाण आयुर्वेदिक क्रीम है जिसका निर्माण देसी गाय के घी से (गिर, कांकरेज, मलनाड गिद्दा आदि ) के घी को पीतल अथवा ताम्बे के बर्तन में रखकर उसी धातु के बर्तन से 100 बार सामान्य जल से धोना है कुल मिलाकर 10000 बार धोना है हाँ कंधा जरूर दर्द कर जाएगा पर इसके परिणाम दुनिया की किसी भी क्रीम से बहुत अच्छे होंगे ।🌿

शतधौत घृत के लाभ
🔸 शरीर की जलन (दाह) को तुरंत शांत करता है।
🔸 सूर्य की धूप से झुलसी त्वचा को ठंडक देता है।
🔸 जलने, फफोले या कटने के बाद घाव जल्दी भरता है।🔸 रूखी, फटी, बेजान त्वचा को मुलायम बनाता है।
🔸 झुर्रियाँ, दाग-धब्बे कम करता है।
🔸 त्वचा को ठंडी, कोमल और चमकदार बनाता है।
🔸 पित्त दोष शांत करता है, शरीर की गर्मी घटाता है।
🔸 खुजली, एलर्जी, लालिमा, सूजन में आराम देता है।
🔸 एक्ज़िमा, सोरायसिस, फंगल इन्फेक्शन में उपयोगी लेप है।
🔸 गर्मी के दाने, चेचक या फोड़े में शीतल प्रभाव देता है।🔸 फटी एडियाँ, फटे होंठ भरने में मदद करता है।
🔸 चेहरे की मालिश (फेशियल मसाज) से त्वचा में निखार लाता है।

08/11/2025

भयंकर खाँसी में सिद्ध प्रयोग

7 अमरूद के पत्तो ओर 7 काली मिर्च को 1 गिलास पानी मे आधा रहने तक उबाल कर ,छान कर उसमें आधा चम्मच शहद मिला कर पीकर सो जाएं,3 दिन अधिकतम में खाँसी गायब हो जाती हैं

छोटा सा टुकड़ा अदरक का आग में भूनकर के हल्दी में लपेट दे और वह मुंह में डालकर चूसे ऐसा करने से तत्काल खासी बंद हो जाती है दिन में दो बार सुबह शाम करनी है केवल 2 दिन तक

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