Dr. Abhishek Bansal

Dr. Abhishek Bansal Sr. Consultant & Chief, Interventional Radiology
Aakash Healthcare Super Speciality Hospital
Dwarka, New Delhi

Today is World Hand Hygiene Day!At the heart of Interventional Radiology, precision and safety go hand in hand — quite l...
06/05/2025

Today is World Hand Hygiene Day!

At the heart of Interventional Radiology, precision and safety go hand in hand — quite literally. Hand hygiene is a simple yet powerful tool in preventing infections and ensuring the best outcomes for our patients.

Let’s keep our hands clean and our standards high. We did our bit to create awareness on this important topic at Aakash Healthcare.

Vein Clinic (The ghostbusters of ghosts of venous disorders)… If there's something strangeIn your leg 🦵 Who ya gonna cal...
24/02/2025

Vein Clinic (The ghostbusters of ghosts of venous disorders)

… If there's something strange
In your leg 🦵
Who ya gonna call?
The Vein Clinic!

… If it's something weird in ur legs 🦵
And it don't look good
Who ya gonna call?
The Vein Clinic!

… I ain't afraid of no ghost (venous problems)
… I ain't afraid of no ghost (venous problems)

… If you're seeing tortuous things
Running through your legs 🦵
Who can you call?
The Vein Clinic!

… A pillow below your legs
While sleeping in your bed
Oh, who ya gonna call?
The Vein Clinic!

… I ain't afraid of no ghost (venous problems)
… I ain't afraid of no ghost (venous problems)

… Who ya gonna call?
The Vein Clinic!

(P.S. yes you are right. Copied this from the famous Ghostbusters song for public awareness in a funny manner with no intention of copyright infringement)

Today marks a landmark event, where the 1st ever a dedicated vein clinic is being launched in the whole of North India, ...
13/02/2025

Today marks a landmark event, where the 1st ever a dedicated vein clinic is being launched in the whole of North India, “Aakash Vein Clinic”.

Aakash Vein Clinic is a dedicated center devoted to all problems and conditions related to veins, and would offer experienced vascular specialists offering comprehensive sevices for prevention, diagnosis and treatment of venous diseases.

People with venous problems like varicose veins, venous ulcers, venous reflux, thrombosis (DVT) or Post Thrombotic Syndrome (PTS) used to hover from one doctor to another without really getting the expertise and experience that is required for managing this problems. Not anymore, as the Aakash Vein Clinic will be the one stop destination for all these problems.

We invite you all for the inauguration today and looking forward to continued blessings from all.

It was an honour to present a talk at the inaugural IRIA-ICRI meets SOII Synergy Series on "Onco-Interventions" in Hepat...
06/02/2025

It was an honour to present a talk at the inaugural IRIA-ICRI meets SOII Synergy Series on "Onco-Interventions" in Hepatocellular Carcinoma".

Hepatocellular Carcinoma (HCC) or Liver cancer can be effectively treated in a Multi-disciplinary setting where Interventional Radiology has got a lot of offer in terms of Ablation, TACE, TARE, PTBD or Portal Vein Embolization, Partial Splenic Embolization, and many other interventions. All these treatment options have literally revolutionised the treatment of HCC with a big ray of hope for patients suffering from it.

Do not fear Cancer. Stay strong and follow a healthy lifestyle, and you can protect yourself. 💪
04/02/2025

Do not fear Cancer. Stay strong and follow a healthy lifestyle, and you can protect yourself. 💪

दूर करें कैंसर का डर
आज कैंसर डे पर विशेष

अगर कैंसर का सही वक्त पर पता चल जाए तो मुमकिन है कि यह पूरी तरह ठीक हो जाए। इसलिए लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। इससे बचाव के लिए भी कुछ कदम उठा सकते हैं। एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती

वक्त पर जांच हो तो इलाज नहीं मुश्किल
करीब 6 महीने पहले एक परिवार में शादी का आयोजन हो रहा था। परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य को 5-7 दिनों से यूरिन करने के दौरान खून आ रहा था। उन्होंने परिवार में बताया तो बेटा और बहू उन्हें डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने बेटा-बहू से कहा कि उनकी कुछ जरूरी जांच करा लें। साथ ही कैंसर से जुड़ी शंका भी जता दी। इस पर उन लोगों ने डॉक्टर से कहा कि अभी कुछ दिनों के लिए कोई दवा दे दें, हमारे यहां 15 दिनों बाद शादी होनी है। उसके बाद आकर जांच करा लेंगे। डॉक्टर ने जल्दी जांच कराने की सलाह दी लेकिन वे नहीं माने। आखिरकार कुछ दवा देकर उन्हें 15 दिनों बाद जांच जरूर कराने की हिदायत दी। वैसे इस तरह के मामलों में देरी बिलकुल नहीं करनी चाहिए। लेकिन करीब 6 महीने के बाद वे लोग डॉक्टर से मिलने पहुंचे तो बुजुर्ग की स्थिति ज्यादा खराब हो चुकी थी। वह काफी कमजोर लग रहे थे। डॉक्टर ने थोड़ा सख्ती से कहा कि इन्हें जल्दी लेकर आना चाहिए था। फिर से वही सब जांच कराने के लिए कहा है। रिपोर्ट का फिलहाल इंतजार है।

कैंसर को समझें
हमारे शरीर में कोशिकाओं (सेल्स) का लगातार विभाजन होता रहता है और यह सामान्य-सी प्रक्रिया है, जिस पर शरीर का पूरा कंट्रोल रहता है। लेकिन जब शरीर के किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का कंट्रोल नहीं रहता और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो उसे कैंसर कहते हैं। जैसे-जैसे कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं बढ़ती हैं, वे ट्यूमर (गांठ) के रूप में उभर आती हैं। हालांकि हर ट्यूमर में कैंसर वाली सेल्स नहीं होतीं लेकिन जो ट्यूमर कैंसर ग्रस्त है, अगर उसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह पूरे शरीर में फैल सकता है। इसे चौथी स्टेज कहते हैं। पहली और दूसरी स्टेज में इलाज आसान होता है।
आज भी लोग जितना कैंसर के नाम से डरते हैं, शायद ही किसी दूसरी बीमारी से डरते हों। हालांकि इसका इलाज हो जाता है। लेकिन डर की वजह यह कि एक तो इसका पता जल्दी नहीं चलता और दूसरा देर हो जाए तो ज्यादा मुसीबत हो जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि पैरामेडिकल स्टाफ (नर्स आदि) और फिजिशन से लेकर आम आदमी को भी कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में पता हो। कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है और हर अंग के लिए इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। फिर भी शुरुआती कुछ लक्षण कॉमन हैं। वैसे यह भी मुमकिन है कि नीचे बताए जा रहे लक्षणों में से कोई एक लक्षण न आए या बहुत कम उभरे, पर शक करने की वजह बन सकता है। यह भी सच है कि कैंसर की जांच कराने पर 90% लोगों में कैंसर अमूमन नहीं निकलता, लेकिन जिन 10% लोगों में इसका पता चलता है, उनमें सही वक्त पर पता न चलने से स्थिति खराब होती है। इसलिए शुरुआती लक्षणों की समझ जरूर होनी चाहिए।

जब शरीर दे ऐसे संकेत तो ध्यान दें
कोई भी असामान्य लक्षण जो हर दिन की रुटीन लाइफ का हिस्सा न हों और वह लगातार 3 हफ्ते तक बरकरार रहे। सामान्य दवा या इलाज से ठीक न हो या फिर ठीक होने के बाद बार-बार हो जाए तो संदेह की स्थिति बनती है। यहां यह भी समझें कि नीचे जो भी लक्षण बताए जा रहे हैं, वे किसी दूसरी सामान्य बीमारी के भी हो सकते हैं। अगर किसी को ऐसे लक्षण महसूस हों या दिखें तो वह सचेत हो जाए, डॉक्टर से मिले, जांच कराए और मन से कैंसर का खौफ निकाल दें।
बेवजह वजन कम हो जाएयह कैंसर का सबसे अहम लक्षण है। किसी शख्स का वजन कम होना ही कैंसर का लक्षण नहीं हो सकता, लेकिन जब वह वजन कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हो, उसने डाइट कंट्रोल न की हो, वह बीमार न पड़ा हो, उसे कई दिनों तक बुखार न हुआ हो, दस्त न हुए हों, पाइल्स न हो, ग्लूटेन इंटॉलरेंस (गेहूं या इससे बने उत्पाद पचाने में परेशानी) न हो, डायबीटीज भी न हो लेकिन वजन एक महीने में 4 से 5 किलो कम हो जाए तो इसे गंभीरता से लें। पहले किसी जनरल फिजिशन या एमडी डॉक्टर से मिले। सारी बातें बताएं और जांच के लिए पूछें। उन्हें यह भी साफ-साफ बताएं कि आपका वजन बिना किसी कोशिश के कम हुआ है। वजन कम होने के बाद जांच कराने पर हो सकता है, कोई दूसरी परेशानी ही निकले क्योंकि ऐसे लोगों में भी महज 10 फीसदी लोगों को ही कैंसर डिटेक्ट होने की आशंका रहती है। सच तो यह है अगर कैंसर शुरुआत में पकड़ लिया जाए तो इसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। मुमकिन है कि इसके लिए कीमोथेरपी या रेडियोथेरपी या किसी दूसरी थेरपी की जरूरत भी न पड़े, सिर्फ दवाओं और सही लाइफस्टाइल से ही वह शख्स कैंसर को हरा दे।

अचानक गंभीर कब्ज हो जाए
कब्ज की परेशानी बहुत आम है। लेकिन जब किसी शख्स को पहले से कब्ज की परेशानी न रहती हो और अचानक ही गंभीर कब्ज की परेशानी रहने लगे तो सचेत जरूर हो जाना चाहिए। इसी तरह पहले सामान्य खाने के बाद भी एसिडिटी, गैस, कुपच आदि की परेशानी न हो, लेकिन यह अचानक शुरू हो गया हो। ये एंटासिड (डाइजीन, एसिलॉक आदि) जैसी दवाएं लेने के बाद भी कम न हों। सीधे कहें तो जिन दवाओं से सामान्य लोग ठीक हो जाते हैं, उन्हीं दवाओं को बार-बार लेने से वह शख्स ठीक न हो। ऐसा बार-बार हो। किसी के स्टूल में खून कई दिनों (2 हफ्ते से ज्यादा वक्त) से आ रहा हो या फिर बिना वजह स्टूल काला आने लगा हो (कई बार आयरन सप्लिमेंट खाने से या चुकंदर खाने से भी लाल या काला रंग होता है) तो आगे जांच की जरूरत हो सकती है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि महीने में कम से कम एक बार अपने स्टूल का कलर जरूर देखना चाहिए ताकि किसी भी असामान्य स्थिति का पता चल सके। इनके अलावा लगातार उलटी की परेशानी और उसमें खून आए, पेट के राइट साइड के ऊपरी हिस्से में लगातार दर्द रहता हो तो यह पाचन और लिवर से जुड़ी किसी गंभीर परेशानी का भी संकेत हो सकता है।

बुखार आए तो जाए नहीं
अगर किसी शख्स को ऐंटिबायॉटिक दवा लेने से ज्यादा फायदा न हो, बार-बार बुखार आता हो या फिर बुखार की वजह पता न चल पाती हो। अगर किसी को लगातार 3 हफ्ते से ज्यादा बुखार रहे तो यह खून में गंभीर इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। ब्लड कैंसर के मामलों में भी ऐसा होता है।

आवाज में बदलाव हो जाए
बिना सर्दी-जुकाम के या कोई चोट भी न लगी हो और किसी शख्स की आवाज बदल जाए। यह उस स्थिति में ज्यादा गंंभीर हो जाता है जब वह शख्स स्मोकिंग करता हो या गुटखा, खैनी आदि चबाता हो। मुमकिन है कि गले में दर्द न भी हो, फिर भी खाना निगलने में परेशानी होे तो सचेत हो जाएं।

मुंह में छाले बार-बार हों
किसी शख्स को मुंह में बार-बार छाले हो रहे हैं। दवा लेने से कुछ कम हों लेकिन फिर हो जाते हों, स्मोकिंग, गुटखे की लत भी हो तो गंभीरता से लें।

मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग
अगर किसी महिला को मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह कई बार कैंसर का शुरुआती संकेत भी हो सकता है।

कहीं गांठ हो जाए तो...
हर ट्यूमर यानी गांठ कैंसर नहीं होता। सच तो यह है कि ज्यादातर ट्यूमर कैंसर नहीं होते। पर किसी को ट्यूमर हो और डॉक्टर ने उसे निकलवाने की सलाह दी है तो उसकी बायोप्सी जरूर करानी चाहिए। इससे पता चल जाता है कि ट्यूमर में कैंसर सेल थी या नहीं। कई बार महिलाओं की ब्रेस्ट में गांठ हॉर्मोनल गड़बड़ी की वजह से होती है। उस गांठ में दर्द होता है। साइज़ कम या ज्यादा होता रहता है। अमूमन ऐसी गांठ बिनाइन ट्यूमर (खतरनाक नहीं) होती है। लेकिन जब गांठ में दर्द न हो और यह बढ़ती ही जाए तो यह मैलिग्नेंट कैंसर हो सकता है। इसलिए ब्रेस्ट की जांच खुद से भी करनी चाहिए। साथ ही 40 साल के बाद उसे मैमोग्रफी टेस्ट जरूर करवानी चाहिए। वैसे कुछ मामलों में पुरुषों के ब्रेस्ट में भी गांठ की परेशानी होती है, पर यह बहुत कम है।

कोई भी असामान्य बदलाव
शरीर में कहीं असामान्य ब्लीडिंग हो, चाहे मुंह से, नाक से, स्टूल के रास्ते से या यूरिन से। माहवारी भी 5-7 दिन से ज्यादा चले और ऐसा कई महीनों से हो रहा हो। सहवास के समय भी बार-बार खून आए। अगर कोई भी बदलाव असामान्य लगे तो अपने फैमिली डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। कैंसर का शुरुआत में पता चलना जंग करीब-करीब जीतने जैसा ही है।

इन्हें ज्यादा खतरा
-सिगरेट, तंबाकू आदि चीजों का नशा करने वाले लोगों को मुंह या फेफड़ों के कैंसर की आशंका 200 फीसदी तक ज्यादा होती है। शराब से लिवर कैंसर का खतरा बढ़ता है।
-पैक्ड फूड, फ्रोजन फूड, जंक फूड (बर्गर, नूडल्स आदि), प्रोसेस्ड फूड का लगातार सेवन करने वाले लोगों को, दूसरे लोगों की तुलना में कैंसर का रिस्क कुछ ज्यादा होता है।
-किसी खतरनाक रेज़ (किरणें: गामा रेज, एक्सरे की जरूरत से बहुत ज्यादा मात्रा) या केमिकल आदि के संपर्क में आने वाले लोगों को भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
-बरसों तक जमीन, पानी, हवा आदि में फर्टिलाइजर्स, पेस्टिसाइड आदि के संपर्क में आने वाली चीजें खाने वाले लोगों को भी खतरा कुछ ज्यादा रहता है।
-अमूमन 70 फीसदी से ज्यादा मोटे लोगों को डायबीटीज और हाई बीपी का भी खतरा रहता है। वहीं मोटे लोगों, शुगर वाले मरीजों को कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।
-किसी फैमिली में कम उम्र में किसी को कैंसर हुआ हो तो आनेवाली पीढ़ी को सचेत होना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। कुछ टेस्ट 6 महीने या 1 साल पर कराने चाहिए।
-स्ट्रेस सीधे तौर पर कैंसर नहीं लाता, लेकिन दूसरी परेशानियां पैदा होती हैं। पाचन कमजोर होता है। हॉर्मोन, एंजाइम्स सही से काम नहीं कर पाते। नींद पूरी नहीं होती।

ऐसे बचे रह सकते हैं...
कैंसर या फिर किसी भी दूसरी बीमारी में भी करीब-करीब उन्हीं हानिकारक चीजों से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है जो नई परेशानी पैदा करते हैं। ऐसी लत से ग्रस्त शख्स को एक सामान्य शख्स की तुलना में कैंसर या फिर दूसरी बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। उदाहरण के लिए बड़े शहरों में पलूशन का स्तर ज्यादा रहता है। पलूशन की वजह से उन शहरों में रहने वाले ज्यादातर लोग फेफड़े, इम्यूनिटी की कमजोरी जैसी परेशानियों से जूझते रहते हैं। ऐसे में अगर उस शहर के रहने लोग स्मोकिंग करते हैं, गुटखा खाते हैं, दूसरी तरह का नशा करते हैं तो स्वाभाविक है कि जो लोग नशा नहीं करते, उनकी तुलना में नशे की लत वाले लोग ज्यादा रिस्क पर होंगे।

लाइफस्टाइल, डाइट में बदलाव
शरीर को चलाना जरूरी
यह जरूरी नहीं कि हर कोई 1 घंटा एक्सरसाइज करे, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि फिजिकल ऐक्टिविटी हरगिज न करें या न करने के बहाने खोजते रहें। अगर कोई शख्स हफ्ते में 4 से 5 दिन भी 30 से 40 मिनट एक्सरसाइज कर लेता है तो वह कई तरह की परेशानियों से बच सकता है। यह एक्सरसाइज मांसपेशियों की मजबूती के लिए होनी चाहिए। हर दिन बिना रुके 40 से 50 मिनट का वॉक भी बहुत कारगर है।

अच्छी नींद से कैंसर की हार
अगर कोई शख्स हर रात 7 से 8 घंटे की गहरी और लगातार नींद ले पाता है तो इसका मतलब है कि उसका स्ट्रेस लेवल उसे परेशान नहीं कर रहा। वैसे भी गहरी और पूरी नींद के दौरान ही शरीर की मरम्मत होती है और इम्यूनिटी मजबूत होती है। नींद के दौरान ही शरीर खुद को मजबूत कर पाता है और बीमारियों को हरा पाता है। इसलिए अपनी नींद पूरी करने की जरूर कोशिश करें।

खानपान में ये-ये हों शामिल
हमारे भोजन में कम से कम आधा हिस्सा फाइबर (सलाद और फल) का होना चाहिए। यह हमें कई तरह की परेशानियों से बचाता है। इसमें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी है।

सलाद और स्प्राउट्स
सुबह खाली पेट चाय या कॉफी की जगह अगर सुबह पहली बाइट सलाद या स्प्राउट्स हो तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। मौसमी सलाद ( चुकंदर, गाजर, टमाटर, मूली आदि) 1 प्लेट खाने से फाइबर और कई तरह के मिनरल्स की कमी पूरी हो जाती है। साथ ही एक कटोरी स्प्राउट्स खाने से भी काफी फायदा होता है।

फलों से हमें जरूरी विटामिन और मिनरल मिलते हैं। मौसमी फल ज्यादा से ज्यादा खाएं। ये सस्ते और ताजे होते हैं।
1. पपीता: इस फल में विटामिन-C, A, B समेत लगभग सभी विटामिन मिलते हैं।
2. अमरूद: विटामिन-C का सोर्स
3. सेब या नाशपाती: विटामिन A से भरपूर
4. संतरा या मौसमी: विटामिन C से भरपूर है।
5. अंगूर: एलर्जी दूर करता है। विटामिन भी खूब मिलते हैं।

साग-सब्जियां
खानपान में साग-सब्जियों की भूमिका फलों से भी ज्यादा अहम होती है, लेकिन हम इन्हें सबसे पीछे रखते हैं। इसी वजह से हमारे शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है। जब शरीर में सभी विटामिन्स और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद होंगे तो स्वाभाविक है कि कैंसर या फिर कई दूसरी तरह की बीमारियों जैसे खतरे से हम दूर रहेंगे।

1. घीया/लौकी: विटामिन-A, B समेत कई तरह के विटामिन और फाइबर मिलते हैं। इसे सभी लोग खा सकते हैं। 1 किलो घीया को 1 से 2 चम्मच तेल में पकाएं तो ज्यादा बेहतर होगा।
2. पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, मेथी, बथुआ आदि: विटामिन-A, B, C, E
3. मौसमी सब्जियां: मौसमी सब्जियां सस्ती और ताजा होती हैं। छिलका समेत उबालें तो बेहतर है, लेकिन तेल में फ्राई किया हुआ नहीं चलेगा।

रंगारंग खाना
हरा रंग: पत्ते वाली और बाकी हरी सब्जियां लौकी, तौरी, कद्दू, ब्रोकली, साग, पालक, पत्ता गोभी, अमरूद आदि। ये सूजन घटाने में मदद करती हैं। हरी सब्जियां जरूर खानी चाहिए।
पीला और संतरी रंग: केला, संतरा, नींबू, पपीता, बेल, गाजर आदि।
नीला और बैंगनी रंग: बैंगन, चुकंदर, पत्ता गोभी, बैंगनी रंग के अंगूर, जामुन, अनार।
गहरा लाल: शकरकंदी, टमाटर।
सफेद और भूरा: प्याज, मूली, लहसुन, गोभी, शलगम।
नोट: इनके अलावा इन रंगों की और भी चीजें हैं जो खाई जा सकती हैं।

प्रोटीन और मिनरल्स लें
दालें
प्रोटीन का अच्छा जरिया मानी जाती हैं, पर अलग-अलग दालों में प्रोटीन की मात्रा भी अलग-अलग होती है:
1. मूंग: प्रोटीन की मात्रा कम, इसलिए पचाने में आसान। अक्सर मरीजों को यही दी जाती है।
2. मसूर, अरहर, चना, राजमा: प्रोटीन की मात्रा ज्यादा। सर्दियों में कुलथी की दाल भी खाएं।
3. सीड्स: चीया, फ्लैक्स, पंपकीन आदि सीड्स भी लेना चाहिए।
4. नट्स: सर्दियों में बादाम, अखरोट भी खाना चाहिए।

नॉनवेज
अंडा, मछली, चिकन और मटन: नॉनवेज के रूप में ज्यादातर उपयोग में आने वाले फूड आइटम्स। जो लोग नॉनवेज खाते हैं, उनके लिए ये प्रोटीन के बेहतरीन सोर्स हैं, पर इन्हें पकाने का तरीका बहुत अहम है।

अनाज
हमारी थाली में अमूमन अनाज यानी कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा सबसे ज्यादा (50 फीसदी) होती है। ये सही चुनाव नहीं है। इसे 50 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दें:
1. चावल: कार्बोहाइड्रेट का सबसे बेहतरीन जरिया। इसे पचाना भी आसान है। चावल बिना पॉलिश वाले खाएं।
2. रागी, जुआर, बाजरा: ये सभी अच्छे हैं, लेकिन रागी बेहतरीन है। कुछ लोग इसे गेहूं के साथ मिलाकर मिक्स्ड यानी मल्टिग्रेन के रूप में भी लेते हैं। वैसे मल्टिग्रेन आटे में दाल की मात्रा भी 20 से 40 फीसदी रखनी चाहिए। इससे प्रोटीन की कमी नहीं होती। अगर किसी को गेहूं पचाने में परेशानी है तो इसे छोड़ भी सकते हैं। ग्लूटेन प्रोटीन से कुछ लोगों को परेशानी होती है।
3. दलिया: वजन कम करने में मददगार और मिनरल्स का भी बेहतरीन जरिया

तेल-घी
तेल/घी भी शरीर के लिए जरूरी है लेकिन बीमार करने में जितनी अहम भूमिका खराब तेल की होती है, शायद ही किसी दूसरे की। महीने में एक व्यक्ति 500 ml से ज्यादा तेल न ले।

1. सरसों का तेल: हर दिन 2 से 3 चम्मच से ज्यादा नहीं होना चाहिए। भारतीयों के लिए बेहतर विकल्प है।
2. घी: गाय का देसी घी बेहतरीन माना जाता है, लेकिन वनस्पति घी से बचें।
3. ऑलिव ऑयल: ऑलिव यानी जैतून के तेल को काफी हेल्दी माना जाता है। हर दिन 2 से 3 चम्मच से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। नारियल तेल उत्तर भारतीयों के लिए भी ठीक है।

इन्हें या तो बंद कर दें या मात्रा काफी कम
जितना अहम है इस बात को समझना कि क्या खाना चाहिए, उससे ज्यादा अहम है क्या कम या बंद करना:
1. रिफाइंड प्रोडक्ट: किसी भी तरह के रिफाइंड प्रोडक्ट का इस्तेमाल रोक देना या फिर महीने में एक से दो बार कर देना चाहिए। इसमें रिफाइंड तेल, चीनी, सफेद नमक, मैदा आदि शामिल हैं।
2. डीप फ्राई: हाजमा खराब करने में डीप फ्राई वाली चीजों का अहम योगदान होता है। खासकर इसमें जंक फूड (नूडल्स, समोसा, बर्गर) शामिल हैं।

ये टेस्ट दूर करेंगे डर
लंग्स के लिए:
कोई शख्स 8-10 साल से से स्मोक कर रहा है, खांसी भी है तो फेफड़ों का CT स्कैन करा लेना चाहिए। रिस्क नहीं है तो भी 40 साल की उम्र में एक बार फेफड़ों का एक्स-रे या CT स्कैन और 40 के बाद हर साल। टेस्ट: एक्सरे, खर्च: 300 से 500 रुपये

प्रोस्टेट के लिए:
50 साल की उम्र में पुरुषों को PSA टेस्ट करा लेना चाहिए, हालांकि जरूरत महसूस होने पर उससे पहले भी करा सकते हैं। इसके नॉर्मल आने पर हर 2 साल या डॉक्टर के बताए वक्त के मुताबिक रिपीट कराएं। फैमिली हिस्ट्री या पेशाब से जुड़ी परेशानी है तो 40 साल की उम्र में ही यह टेस्ट करा लें।
टेस्ट: PSA, खर्च: 300 से 1000 रुपये

सर्वाइकल के लिए:
पहली बार शारीरिक संबंध बनाने के 3 से 5 साल बाद पेप स्मियर (PAP Smear) टेस्ट कराएं। नॉर्मल आने पर 35 साल की उम्र के बाद हर 3 से 5 साल पर।
खर्च: 1200-1600 रुपये

ब्रेस्ट के लिए:
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले काफी बढ़े हैं। ऐसे में मैमोग्रफी से यह पता लगाना आसान हो जाता है कि कोई गांठ तो नहीं बन गई है। 40 की उम्र से 70 साल तक साल में एक बार मैमोग्रफी कराने की सलाह दी जाती है।
मैमोग्राम, खर्च: 2000 से 2500 रुपये

फेफड़ों-लिवर के लिए
इससे कैंसर की स्टेज की जानकारी भी मिल जाती है। कैंसर का पता लगाने के लिए पहले सिर्फ PET इस्तेमाल होती थी, लेकिन अब PET/CT या PET/MRI भी होती हैं। पूरी बॉडी की स्कैनिंग हो जाती है। कहीं भी कैंसर सेल बढ़ रहे हों तो जानकारी मिल जाती है।
खर्च: PET/CT: 10 से 20,000 रुपये

कोलोन के लिए:
अगर स्टूल में खून आ रहा है या उसका रंग बिना कारण के काला है तो स्टूल ऑकल्ट ब्लड टेस्ट कराएं। कोई गड़बड़ी निकलने पर कोलोनोस्कोपी करा सकते हैं, जिससे कैंसर की जानकारी मिल जाती है।
टेस्ट: कोलोनोस्कोपी
खर्च: 2500 से 12000 हजार रुपये

ब्लड कैंसर की शुरुआती जांच
इसके लिए शुरुआती जांच बहुत सस्ती है। कोई अपना CBC टेस्ट कराए और उसमें WBC (वाइट ब्लड सेल: ये हमारे शरीर के सैनिक हैं जो बीमारियों से लड़ते हैं) की संख्या पर ध्यान दे तो शुरुआत में ही इसका पता चल जाता है। WBC की संख्या सामान्य से बहुत कम या बहुत ज्यादा हुई तो डॉक्टर से मिलें।

WBC की सामान्य संख्या 4,500 से 11,000
जब WBC बहुत कम हो 2000 से नीचे
जब WBC बहुत ज्यादा हो 16 हजार से ऊपर
CBC टेस्ट में खर्च: 300 रुपये

शक दूर करने के लिए बायोप्सी
कैंसर की जांच में ट्यूमर होने पर बायोप्सी कराना सामान्य जांच की प्रक्रिया है। इसमें ट्यूमर से टिशू का एक हिस्सा ऑपरेट करके निकाल लिया जाता है और फिर देखा जाता है कि ट्यूमर का नेचर बिनाइन (जिसमें कैंसर सेल न हों यानी जो खतरनाक न हो) है या फिर मैलिग्नेंट (जिनमें कैंसर सेल्स मौजूद हों यानी खतरनाक)। अगर रिजल्ट मैलिग्नेंट आता है तो फिर उस ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। वैसे आजकल लिक्विड बायोप्सी भी होती है। इसमें ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती।

एक्सपर्ट पैनल
-डॉ. अंशुमान कुमार, डायरेक्टर, धर्मशिला हॉस्पिटल
-डॉ. ललित कुमार, एक्स प्रफेसर, मेडिकल ऑन्कोलजी, AIIMS
-डॉ. पीयूष गुप्ता, सीनियर गैस्ट्रोएंट्रॉलजिस्ट, राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट
-डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन -डॉ. अभिषेक बंसल, हेड, इंटरवेंशनल रेडियॉलजी, आकाश हेल्थकेअर




#कैंसर

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27/11/2024

Dialysis Access: A LIFELINE

A Dialysis access should always be preserved and saved as it’s like a lifeline for Chronic Kidney Disease (CKD) patients. A working dialysis access may develop problems like slow flow or occlusions/thrombosis or venous narrowing and even balloon like swelling called as aneurysms. A timely treatment through Interventional Radiological treatments can save the access and eventually life of the patient.

I am sharing a public awareness video on how to care for your AV fistula and what are the early warning signs that can be recognised by yourself to prevent any further complications with the AV fistulas.

We are doing a lot of Dialysis Access Interventions such as:

Permacath Insertion (even when all veins are blocked)
Fistula Thrombectomy
Fistuloplasty
Central Venous angioplasty/ venoplasty
Aneurysm management

Among many other interventions for these patients and making sure they continue with their routine dialysis and care from the Nephrology teams.



Watch insights on "Dialysis Fistula Care: 5 Life-Saving Tips You Must Know" by Dr. Abhishek Bansal, Senior Consultant & Chief, Interventional Radiology, Aaka...

Satnam Shri Waheguru Ji ❤️To be Faculty in one of the biggest Radiology events of India, Dr.R.K Goulatia CME in the holy...
28/09/2024

Satnam Shri Waheguru Ji ❤️

To be Faculty in one of the biggest Radiology events of India, Dr.R.K Goulatia CME in the holy city of Amritsar was truly Waheguru ji’s blessings. I had the opportunity to demonstrate “USG guided Hands On” interventions to the young Radiologists along with exposing them to the world of IR especially in the field of Obstetrics and Gynecology. The conference was a world class one, thanks to the untiring efforts of Dr. Amandeep Singh, President, Punjab IRIA and Dr. Sonali Kimmatkar Soni, Secretary, Punjab IRIA and the whole organizing team. To be amongst the biggest Radiologists of the country and share the same dias, was a dream cm true.

Though I couldn’t spend much time in Amritsar and had to leave within half a day, I could get the blessings of Waheguru ji at the Golden Temple.

29/08/2024

We did this Facebook Live session on Hepatocellular Carcinoma/ Liver Cancer and answered all the queries/ doubts regarding the treatment of this deadly disease.

We aptly titled it as “Curing Liver Cancer with the Magic of Interventional Radiology”

Address

Department Of Interventional Radiology, Aakash Healthcare Super Speciality Hospital, Dwarka Sector 3
Delhi
110075

Opening Hours

Monday 9am - 6pm
Tuesday 9am - 6pm
Wednesday 9am - 6pm
Thursday 9am - 6pm
Friday 9am - 6pm
Saturday 9am - 6pm

Telephone

+919811111883

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