D company ayurvedic ilaaj

D company ayurvedic ilaaj जड़ी बूटियों के द्वारा सभी बिमारी का ?

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11/07/2023

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13/01/2023
22/11/2022

अगर आप अपनी दिनचर्या में ये 10 चीजें शामिल कर लें तो दुनिया का कोई भी रोग आपको छू भी नहीं पायेगा. हृदय रोग, शुगर – मधुमेह, जोड़ों के दर्द, कैंसर, किडनी, लीवर आदि के रोग आपसे कोसों दूर रहेंगे. ऐसी ग़ज़ब हैं ये.
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मेथी
मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा।
सौंठ
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पिसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात क सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व् वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।
आंवला
किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा, इसके साथ चेहरा तेजोमय बाल स्वस्थ और सौ बरस तक भी जवान महसूस करेंगे।
तुलसी और काली मिर्च
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग, अस्थमा नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।
लहसुन की कली
दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ लेने से यूरिक एसिड, हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, कैंसर आदि भयंकर रोग दूर रहते हैं।
छाछ
तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।
दालचीनी और शहद
सर्दियों में चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से अनेक रोगों से बचाव होता है।
हरड़
हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे, कहते हैं एक सभी रोग पेट से ही जन्म लेते हैं तो पेट पूर्ण स्वस्थ रहेगा।
कानो में तेल
सर्दियों में हल्का गर्म और गर्मियों में ठंडा सरसों का तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे।
नाक में तेल
रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। और 5 – 5 बूंदे बादाम रोगन की या सरसों के तेल की या गाय के देसी घी की हर रोज़ डालें.

ये ही है दुनिया....
22/11/2022

ये ही है दुनिया....

आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान)ज्योतिष्मति (मालकंगनी)आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान)ज्योतिष्मति (म...
22/11/2022

आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान)
ज्योतिष्मति (मालकंगनी)
आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान)
ज्योतिष्मति (मालकंगनी)
पूरा समझने के लिए 2 बार पढे। लेख बहुत लम्बा है इसलिए इसे प्रिंट करवा कर रख ले,
यदि आज बाजार मे मिलने वाले जीतने भी टॉनिक है (च्यवन प्राश, होर्लिक्स, बोर्नविटा, बूस्ट, बॉडी बिल्डिंग के सप्लीमेंट्स आदि )
यदि उन सब को भी बराबर मे रख दिया जाए तो हजारो रुपए के ये टॉनिक मालकंगनी के सामने कुछ नहीं।
सर्दी मे इसके समान टॉनिक दूसरा कोई नहीं है। गरीब के लिए सोना चांदी च्यवनप्राश से हजार गुना बेहतर है तो पढे लिखे मूर्ख के लिए होर्लिक्स से हजार गुणा गुणकारी।
समस्या यह है कि आयुर्वेद के महर्षियों द्वारा बताए गए इस अमृत का कोई अधनंगी हीरोइन विज्ञापन नहीं करती। इसलिए पढे लिखे मूर्खो को गुण नहीं लगता। पढे लिखे धनपशु मानते है कि जब तक कोई औरत टेलीविज़न पर कपड़े उतार कर कुछ ना बेचे तब तक वह चीज बेकार है। ईश्वर ने सृष्टि मे निर्धनों के लिए भी अमृत का निर्माण कर रखा है। जैसे ईश्वर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता उसी तरह ईश्वर का वरदान यह मालकंगनी भी अमीर गरीब सभी को लाभ पहुंचाती है।
इस लेख को लिखने मे मेरा वर्षो का अनुभव और परिश्रम लगा है। इसलिए फीस पर मेरा हक बनता है। मेरी फीस के लिए अवारा गाय को चारा खिलाए या निकट की गौशाला मे कुछ दान जरूर दे। यदि कोई गौशाला कुछ सामन बनाती है तो उसे जरुर ख़रीदे व् दूसरों को खरीदने को कहे. साथ मे महर्षि दयानन्द लिखित सत्यार्थ प्रकाश को पढे व अपने परिचितों को उपहार मे दे। यदि आप बिना फीस के प्रयोग करोगे तो समझिए आप चोरी कर रहे हैं।
यह एक पौधे के बीज हैं जो पूरे भारत मे सभी जड़ी बूटी वाले के यहाँ आसानी से मिल जाते हैं। इनमे एक गाढ़ा गहरे पीले रंग का तेल होता है। यह बहुत कड़वा होता है। यह सभी आयुर्वेदिक दवाई बेचने वालो की दुकान पर मिलता है। रोगन मालकांगनी/ मालकंगनी तेल/ ज्योतिष्मती तेल के नाम से मिलता है.
भिन्न भिन्न भाषाओं मे-
संस्कृत- ज्योतिष्मति – जो मति अर्थात बुद्धि को चमका दे
हिन्दी, उर्दू तथा अधिकांश भारतीय भाषाओ मे मालकंगनी
लेटिन -- CELASTRUS PANICULATUS
बाजार मे यह बीज व तेल के रूप मे मिलती है। इन दोनों के गुण समान हैं। क्योंकि तेल बहुत कड़वा होता है इसलिए बीज का ही प्रयोग अधिक किया जाता है। इसके 1 बीज मे 6 छोटे बीज होते हैं। इसलिए जब मात्रा 1 बीज कही जाए तो उसका अर्थ है चने के आकार का बीज जिसमे 4-6 छोटे बीज होते हैं।
उपयोग-
1 इसका सबसे बड़ा उपयोग – आयुर्वेद मे जो बुद्धि बढ़ाने वाली दवाइयाँ हैं उनमे यह मालकंगनी भी है। विद्यार्थियो के लिए सर्दी मे यह अमृत है। च्यवन प्राश, कोड लीवर आयल आदि इसके सामने कोई गुण नहीं रखते। प्राचीन वैद्यो ने इसके स्मृति /याददाश्त/ मेमोरी बढ़ाने वाले गुण की बहुत प्रशंसा की है। दिमाग का अधिक प्रयोग करने वाले व् अधिक बोलने वाले जैसे अध्यापक, वकील, चिकित्सक आदि को इसका प्रयोग जरुर करना चाहिए. इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है
2 डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगो मे इसका बहुत अच्छा प्रभाव है। डिप्रेशन जैसे अनेक मानसिक रोगो मे मालकंगनी से तत्काल लाभ होता है। मनोरोग की एलोपैथी दवाइया प्रायः नींद को बढ़ाती है, परंतु यह नींद को सामन्य ही रखती है। सभी साइकोएक्टिव दवाइया (मानसिक रोगो की अङ्ग्रेज़ी दवाइया) सुस्ती लाती है, आँख, कान की शक्ति को कम करती है कमजोरी लाती है और खून की कमी कर देती है परंतु इसमे एसी कोई समस्या नहीं है। इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है
3 - नजले जुकाम, बार बार होने वाले जुकाम, मौसम बदलते ही होने वाले जुखाम, सारी सर्दी बने रहने वाले जुकाम मे चमत्कार दिखाती है। जो भी नजले, जुखाम से परेशान है वह इसका प्रयोग जरूर करे। कुछ दिन प्रयोग करने से 1 साल तक समस्या से मुक्ति पा लेंगे। बहुत से व्यक्ति जिन्हे बड़े अस्पतालो के ENT के विशेषज्ञो ने कह दिया था कि सारी उम्र दवाई खानी होगी उन्हे इससे कुछ ही दिन मे मुसीबत से मुक्ति मिल गई । यह ना सोचे कि हमने तो बड़े अस्पतालो मे हजारो रुपए के टेस्ट करवा लिए हजारो की दवाई खा चुके हमे कुछ नहीं हुआ तो इससे क्या होगा। तो एक बार जरूर आजमाए। जो वैद्य केवल स्वर्ण भस्म, मकरध्वज, सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और मृगाक रस जैसी कीमती दवाइयो को ही आयुर्वेद मानते है एक बार वह ही इसका चमत्कार देखे। जो इन महंगी दवाइयो से ठीक ना हुए हो वह भी इस मामूली सी दवाई से ठीक हो जाएगे। इसी तरह बार बार होने वाली खांसी व् मौसम बदलते ही छाती में भारीपन भी इससे ठीक हो जाता है.
4 -जो व्यक्ति सर्दी मे प्रतिदिन सुबह घर से निकलते है वह इसका प्रयोग जरूर करे। जिसे सर्दी अधिक सताती है वह भी इसका जादू जरूर देखे। यह शरीर मे सर्दी सहन करने की क्षमता को बहुत अधिक बढ़ा देती है।
5 – जो बहुत जल्दी थक जाते है जिसे लगता है आधा दिन काम करने के बाद ही सारा शरीर दर्द कर रहा है जो बार बार चाय पीकर थकावट को दूर करने की कोशिश करते हैं उनके लिए यह आयुर्वेद की संजीवनी बूटी है। 10 दिन प्रयोग करने के बाद शरीर मे थकावट महसूस नहीं होगी।
6 जिन्हे तनाव से या नजले से या किसी भी कारण से सिर मे दर्द रहता है वह भी इसके प्रयोग से लाभ उठाए।
7 सर्दी में जिनके पैर ठन्डे हो जाते हैं व रात को सोते समय बिस्तर में भी जल्दी से गर्म नहीं होते वह इसे जरुर ले.
8 सर्दी में जिनके हाथों या पैरों की अंगुलिया सुन्न हो जाती हैं वह भी जरुर प्रयोग करे.
9 सर्दी में जिनके हाथ पैर या कंधे के छोटे या बड़े जोड़ अकड जाते हैं और हाथ पैर मोड़ने में जिन्हें समस्या होती है वह जरुर प्रयोग करे.
10 मंदबुद्धि बच्चे जिनकी आयु 5 साल से अधिक है उन्हें सर्दी में मालकंगनी व गर्मी में शंखपुष्पी दूध से दे. इस तरह 2-3 साल देने से बहुत से बच्चे ठीक हो जाते हैं. लाभ सभी को होता है. 5 साल के कम उम्र वालो को केवल शंखपुष्पी दे. बच्चो को दवाई की मात्रा उम्र के अनुसार कम दे.
11 जो व्यक्ति बार बार बीमार होते हैं व कमजोर हैं तथा ज़रा सा चलते ही सांस फूल जाती है वह भी इसका प्रयोग जरुर करे.
मात्रा व प्रयोग करने का तरीका –
बीज या तेल में से किसी भी चीज को प्रयोग कर सकते है. लाभ बराबर हैं.
तेल- 2 बूंद से 8 बूंद तक दिन में 2 बार 1 कप गर्म दूध से. ध्यान रहे यह तेल बहुत अधिक कड़वा है इसलिए जो कड़वी दवाई ना ले सके वह इसे ना ले.
बीज- इसके बीज लाकर साफ़ कर ले. फिर 100 ग्राम बीज को 2 चम्मच देशी में भून कर पीस ले. इतना ना भुने कि जल जाए. पीस कर बंद डिब्बे में रख दे. बच्चों के लिए इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला दे. आधा चम्मच दिन में 2 बार दूध से ले. जो घर से बाहर रहते हैं वह पानी से भी ले सकते हैं. यदि गर्मी लगे तो मात्रा कम कर दे. इसके साबुत बीज का प्रयोग किया जा सकता है. 1 से 4 बीज तक प्रतिदिन दूध या पानी से 2 समय ले.
जोड़ों के दर्द , कमर के दर्द, गर्दन जकड जाना, रीढ़ की हड्डी की में जकडन, कंधे का ना मुड़ना आदि दर्दो में इसके तेल को गर्म करके मालिश करे. मालिश के 2 घंटे बाद तक ठण्डा पानी ना पिए.
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चाय, अचार, चाउमीन, सिरका, कोल्डड्रिंक आदि का प्रयोग बंद कर दे या कम से कम प्रयोग करें. दूध अधिक लें.

खांसी दूर कर कफ़ निकालने में रामबाण मुलहठी=-==-=--=-=-=-=-=-=-=-=-=खांसी के बाद यदि कफ़ चीठा और सूखा हो जाए तो बार बार खां...
21/11/2022

खांसी दूर कर कफ़ निकालने में रामबाण मुलहठी
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खांसी के बाद यदि कफ़ चीठा और सूखा हो जाए तो बार बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से ही ये निकल पाता है. और जब तक ये गले से निकल ना जाए तो रोगी खांसता रहता है. ऐसे में मुलहठी का ये प्रयोग खांसी दूर कर के कफ़ निकालने में रामबाण है. मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूखी व् कफ़ वाली खांसी में लाभ करती है. यह फेफड़ों को बल देती है, अतः फेफड़ों से सम्बंधित रोगों में लाभकारी है. इसको पान में डालकर खाने से भी लाभ होता है. क्षय रोग में इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है. आइये जाने.
खांसी दूर कर कफ़ निकालने में रामबाण मुलहठी
दो कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी चूर्ण डालकर इतना उबालें कि पानी का आधा कप ही बचे. इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें. सुबह जब भी ये लेवें तब इसके कम से कम एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी खाना पीना नहीं है. यह प्रयोग 3-4 दिन तक करना है. इस पानी को दोबारा गर्म करने की ज़रूरत नहीं. इसको ढककर रखें. इस प्रयोग से कफ़ पतला और ढीला हो जाता है. जिससे बड़ी आसानी से कफ़ निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है. टी बी (यक्ष्मा) की खांसी में भी यह उपयोगी है. और टी बी के रोगी को मुलहठी चूसने से लाभ होता है.
दो ग्राम मुलहठी पाउडर, दो ग्राम आंवला पाउडर, दो चम्मच शहद मिलाकर प्रातः व् शाम को खाने से लाभ होता है.

गृध्रसी= साइटिका का सफल इलाजलक्षण - एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण बाय कहलाता है। प्रायः पैर क...
17/11/2022

गृध्रसी= साइटिका का सफल इलाज
लक्षण - एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण बाय कहलाता है। प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है। मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है। दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता।

हारसिंगार = पारिजात
के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ। पत्ते को धो कर मिक्सी मे या कैसे ही थोड़ा सा कूट ले या पीस ले। बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें। तेज आग पर मत पकाए। चाय की तरह पकाए। चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले। पहली बार मे ही 10% फायदा होगा। प्रतिदिन 2 बार पिए । यदि आप ऑफिस जाते हैं तो दोगुना पानी उबाले। थर्मस मे भरकर ले जाएँ। इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और बाद तक ठंडा पानी न पीए। दही लस्सी और आचार न खाएं।
इसके साथ महावात विध्वन्सन रस की 1-2 गोली दिन में 2 बार लेने से जल्द लाभ होता है।

पारिजात (Nyctanthes arbor-tristis) एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे परिजात, हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं।यह सब स्थानो पर मिलता है। इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल केसरिया डंडी। सुबह सब फूल झड जाते है ।

14/11/2022

डेंगू का इलाज – मलेरिया का इलाज – चिकनगुनिया का इलाज – वायरल का इलाज
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वर्षा ऋतू के बाद जैसे ही पृथ्वी के ताप में परिवर्तन होता है, प्रकृति अनेकों परिवर्तन से गुजरने लगती है, ऐसे में जहाँ अनेकों वायरल रोग मनुष्य को घेरने की फ़िराक में लगे रहते हैं वहीँ प्रक्रति पहले ही इन सबका हल निकाल देती है, मगर आज कल का मानव मिथ्या धन की लालसा में इनको अनदेखा रखता है और गाहे बगाहे इस सहज ही हल होने वाली बीमारी से अपने प्राण पखेरू खो देता है. यही आशा रखते हुए के कोई व्यक्ति इन रोगों से अपने प्राण ना खोने पाए आज आप सबको इसी प्राण हरने वाले रोग के बारे में अत्यंत सहज सुलभ इलाज बता रहें हैं.
साधारण बुखार के लिए मुनक्का और अंजीर
दस मुनक्का एक अंजीर के साथ सुबह पानी में भिगोकर रख दें। रात में सोने से पहले मुनक्का और अंजीर को दूध के साथ उबालकर इसका सेवन करें। ऐसा तीन दिन करें। कितना भी पुराना बुखार हो, ठीक हो जाएगा।
आयुर्वेद की अमृत – अमृता – गिलोय
गिलोय की पतली डंडी और तुलसी के 5 पत्ते और 3 काली मिर्च लेकर अच्छे से कूट कर कपडे से निचोड़ कर रोगी को दिन में 3 बार पिला दीजिये. मात्रा 30 ml
नए साल की शुरुवात नीम से
यदि कोई मनुष्य हिंदी के नए साल के प्रथम दिन अर्थात चैत्र शुक्ल एकम (चैत्र मास का नवरात्रि का प्रथम दिन) सुबह खाली पेट सर्वप्रथम निम्नलिखित तरीके से नीम की पत्तियों का सेवन करें तो वर्ष भर बुखार नही आता।
नीम की कोमल पत्तियां 7 नग
काली मिर्च 7 नग
सेंधा नमक चुटकी भर
इन तीनो को 3-4 चम्मच पानी में बारीक़ पीसकर चित्र शुक्ल एकम के दिन प्रात: खाली पेट सेवन करना है। ये सरल सा उपयोग आपको पुरे साल बुखार से बचा सकता है।
अद्भुत वायरल किलर – द्रौणपुष्पि
प्रकृति रोग से पहले ही इसका हल हमको प्रदान कर देती है. द्रौण पुष्पि भी एक ऐसी ही अद्भुत औषधि है जो इसी मौसम में (जब डेंगू, मलेरिया और वायरल का प्रकोप होता है) निकलती है, यह औषधि, किसी भी प्रकार के बुखार, खांसी और tb जैसी प्राण घातक बिमारियों के लिए रामबाण है. इसका पंचांग लेकर कूट पीसकर इसमें 3 काली मिर्च मिला कर पीने से इस समय बढ़ा हुआ पित्त भी शांत होता है और बुखार, मलेरिया, खांसी, tb इत्यादि में बहुत फायदा मिलता है.
तुलसी की महिमा इतनी है हिन्दू धर्म में के इसको माता के रूप में पूजा जाता है, जिस प्रकार माँ अपने बच्चे का अहित नहीं होने देती उसी प्रकार तुलसी माँ भी सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार इत्यादि वायरल रोगों में रामबाण है.
हरड- हर बुखार और वायरल का काल
छोटी हरड जिसको जंग हरड भी कहा जाता है यह एक बहुत ही ग़ज़ब की औषिधि है जो हर प्रकार के बुखार को समाप्त रखने की ताक़त रखती है, अगर बुखार किसी भी विधि से कम ना हो तो छोटी हरड का काढ़ा बना कर रोगी को दिन में 3 से 4 बार पिलायें, आशा है प्रथम दिन ही बुखार सही हो जायेगा.

10/11/2022

खांसी की अनुभूत औषधि:
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खांसी से छुटकारा पाने की अचूक औषधि हम बताने जा रहे हैं, आयुर्वेद का यह प्रयोग बहुत प्रभावी है। सेवन करने से भयंकर खांसी समाप्त हो जाती है।
केले के फूल को तवे के उपर जलकर बारीक पीस कर कपड़े से छान कर शीशी में रख लें। एक रत्ती सुबह, व एक रत्ती शाम को शहद के साथ सेवन करने से भयंकर खांसी समाप्त हो जाती है। बच्चों को आधा रत्ती दें।
नजले का तुरंत उपचार
काली मिर्च सात दाने मुख में डालकर चबाएं और मुख बंद रखे। जब मुख में खूब पानी भर जाए तो थूक दे, इस प्रकार लगातार तीन बार ऐसी प्रक्रिया करें।
काली मिर्च व तुलसी पत्र सुखाकर पीस कर रख लें तो चूर्ण दिन में तीन बार खाएं। भोजन ठंडा न करे और भोजन के एक घंटे बार जल पीए।

31/10/2022

सभी प्रकार के बुखार के लिए गिलोय मुनक्का और सौंफ।
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बुखार एक सामान्य शरीरक प्रक्रिया है, जिस से शरीर अपने अंदर जमे हुए अपशिष्ट पदार्थों को अपने तरीके से बाहर निकालने की कोशिश करता है, मगर कभी कभी ये बहुत अधिक समय तक बना रहता है तो खतरनाक हो सकता है, चाहे कितना भी पुराना या किसी भी प्रकार का हो ये तीन प्रयोग हर प्रकार के बुखार में रामबाण हैं। इन में से किसी भी प्रयोग को अपनाने से बुखार बिलकुल सही हो जायेगा। आइये जाने इन प्रयोगों के बारे में।
बुखार के लिए गिलोय (गुडुच)।
दो तोला (लगभग 20 ग्राम) कूटी हुयी गुडुच (गिलोय) को रात्रि को थोड़े पानी में भिगो कर सुबह मसल छानकर पीने से सब प्रकार के बुखार चाहे कितना भी पुराना हो सब में लाभ होता है।
बुखार में मुनक्कों का प्रयोग।
30 से 40 मुनक्कों को लगभग 250 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह उसे खूब उबालकर उसके बीज निकालकर खा जाएँ और वही पानी पी जाएँ। इससे शारीर में बल और स्फूर्ति का संचार होगा। रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी और ज्वर का उन्मूलन हो जायेगा।
बुखार में सौंफ का प्रयोग।
रात्रि में 25 ग्राम सौंफ पानी में भिगोकर रखें। सुबह उसी पानी में सौंफ को उबाल लें। उबल जाने पर सौंफ को खूब मसलकर उसका पानी छान लें। इस पानी में 4 मूंग के भार के बराबर फुलाई हुयी लाल फिटकरी का चूर्ण डालकर सुबह खाली पेट 40 दिन तक पीने से पुराने से पुराना, किसी भी प्रकार का बुखार हो मिटता है। इस प्रयोग से 20 वर्ष पुरानी कब्जियत भी दूर होती है।

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