Yogi Shwetank Anand-योगी श्वेतांक आनंद

  • Home
  • India
  • Delhi
  • Yogi Shwetank Anand-योगी श्वेतांक आनंद

Yogi Shwetank Anand-योगी श्वेतांक आनंद Assistant Professor of Yoga and Naturopathology; Yoga instructor/Guide and Spritual Master

New video ....
02/02/2025

New video ....

This video by YOGI SHWETANK ANAND JEE is about the paranormal world OF जिन्न & जिन्नाद....... जिन्न & जिन्नाद are paranormal being which are considered to be...

योग पर थोड़ी चर्चा करने का भाव हुआ, योग का का उद्येश्य तो चित्त वृत्ति निरोध ही कहा गया, और इस अवस्था को प्राप्त करने के...
27/01/2025

योग पर थोड़ी चर्चा करने का भाव हुआ, योग का का उद्येश्य तो चित्त वृत्ति निरोध ही कहा गया, और इस अवस्था को प्राप्त करने के लिये कई मार्ग बताये गये. मंत्र हठ भक्ति ज्ञानादि.
अपने आप में प्रत्येक मार्ग अनंत रहस्य और विस्तारित है.
भक्ति में गुरु और इष्ट समर्पण, नवधा भक्ति हो या उसे प्रेमी या प्रेमिका मान सूफिवाद की ऊपरी दिखती साधना के पिछे छिपे उनके नूरानी व्यक्तित्व का भी कुछ तो राज होगा। सिक्खों में गुरु को सब कुछ मानते, सूफीयों में भी पिरपरस्ती ही सबकुछ, नगाओं में भी गुरु ही. पर भीतर कई और बातें भी होती जो जानते वो जानते😊.
खैर यहाँ हठयोग की बात करते आज. क्रिया योग और जान योग ये दो योग मैंने नाम दिया अपने अनुभव के आधार पर. क्रिया से जो भी मिले क्रिया योग ज्ञानसे जो मिले ज्ञान योग. जोभी सिर्फ समझ भर से हो जाय, जैसे सांख्य दर्शन, अष्टावक्र महागीता. परध्यान रहे विरोधी नहीं विरोध दिखने परभी. पर कुछ लोग परंपरा का विरोध करने हेतू इनबातों का उपयोग करते. साधारण व्यक्ति के जीवन में एक छोटा सा बदलाव भी सच में करपाना कितना कठिन होता ये वही समझते जो स्वयं पर और कुछ लोगों पर व्यवहारिक तौर पर कार्य कर चुके. Sit silently doing nothing कहना और बात पर हकिकत तो... इसका ये अर्थ भी नहीं की जो तंत्र को मात्र भगतई समझले या हठयोग को मात्र शरीर का लचीलापन.ये शुरुआत हो सकती पर यही भर अंतिम ऐसा भी नहीं.
चलो योग की बात पर आते हैं. शरीर से प्रारंभ कर मन से पार की अवस्था को प्राप्त करने की कला ही हठयोग और ऐसा करने करवाने वाला हठयोगी. ह्ठ का अर्थ ही गलत समझते यहाँ ह्ठ का अर्थ जबरदस्ती करना नहीं है. बल्कि ह का अर्थ हकार याने सूर्य ठ का अर्थ ठकार अर्थात चंद्र होता. हमारे अंदर की स्त्री और पुरुष ऊर्जा जिसे शिव शक्ति, यिन यांग, कहें. या प्राण अपान, श्वास प्रश्वास, इड़ा पिंगला कहें,इनको नियंत्रित करना ही है. बाईं नासिका चंद्र, दाई सूर्य. थोड़े समय एक चलती थोड़े दूसरी. समय एक घंटे के आस पास, होती इसी उर्जा के कम ज्यादा होने से शरीर और मन में बदलाव भी होता.बीच में माने जब दोनों नासिका चले या प्राण अपान मिले या तंत्र की दृष्टि से स्त्री पुरुष मिले तो अग्रि अर्थात तिसरी स्थिति योग की प्राप्त हो. अभी हम सिर्फ योग पर केंद्रित तो तंत्र पर विशेष विस्तर से तंत्र के लेख में चर्चा करेंगे.
अब जितने समय अग्नि की अवस्था में हमारा विस्तार होगा हम उस अवस्था को अतिक्रमण कर बदलाव की स्थिति में होते चले जायेंगे. अब एक प्रश्न और क्या एक ही बार में पूर्ण परिवर्तन संभव नही होसकता क्या,।! नहीं 40 किलोमिटर मैराथन दौड़ भी लिया तो उसका परिणाम जो रोज तैयारी कर कर रहे वो न होपायेगा. ना मेडल न शारीरिक लाभ. ऐसा ही कई आध्यात्मिक साधको के साथ भी होता, जिनको हम योग भ्र्स्ट कहते, सुफियों में मस्त, पागलो जैसी अवस्था. मेहर बाबा ने ऐसे कई पागलो पर कार्य किया, अब वो बिच में भी नहीं कहीं और ही हैं वो झलक पचा नहीं पाए.
तो ऐसे लोग आउट ऑफ़ माइंड हो सकते जो कभी कभी ज्ञान की भी गहरी बातें करते जैसे नशा करने वाले hote😊अब नशेड़ियों के पास बैठो तो देखो उनकी स्थिति. पर कुछ सुंदर फूल गिरे होने से बगीचा नहीं बन जाता, बगीचे के लिए व्यवस्थित तरीके अपनाने होते. पर सब घालमेल करते जिनको न कुछ करना न मिला, अब नक कटे खोजते औऱ जिनको नक कटा बनाया जाय,तो कहने का सर ये की सिर्फ बातो पर मत जाना अनुभव ही सत्य.सौ रुपए की बातों से इक रुपया का अनुभव जहाँ मिले वहीं असल बात.
हाँ तो हठ योग असल में ज़ब से सक्रिय हुआ कई आग्रह हठ योग पर भी आये आज ही इक बच्चे प्रमिन का जो क्रिया योग से जुडा उसका भी, औऱ कई पुराने हठ योगी साधको काभी निवेदन आया की इस पर बात की जाय, तो जो भी लिखा जा सकता लिखा जायेगा, कुछ विशेष भी सांकेतिक पर जो साधक हैं उन्हें मिल जायेगा मार्गदर्शन इसमें.
क्रिया योग आधुनिक समय में महावतार बाबा जी से जुडा मानते जो लाहड़ी महाशय, युक्तिश्वर गिरी क़े शिष्य योगानंद जी क़े कारण विशेष प्रचारित हुई.
पर क्रियाये क्या उतनी हीं हैं,! नहीं हिमालय के भिन्न यौगिक परम्परा में भिन्न अभ्यास है, लाहड़ी महाशय ने भी गृहस्थी औऱ सन्यासियों को एक ही पद्धति दी हो ऐसा नहीं.
बात वही जो आप पचा सकते उतना ही आपके लिए उचित. सोचने की बात ये की ये कल्पना भी कैसे की जा सकती की सारा रहस्य बस कुछ क्रिया में ही मिल गए.
इसका अर्थ ये भी नहीं की उनको करने का कोई मतलब नहीं.
पर कुएँ के मेढक बनना भी ठीक नहीं, यहाँ तालाब भी होता नदी भी औऱ समंदर भी.
लोग तो बस इसको ही भुनाने में लगे होते हम क्रिया योग जानते या हम सिखाते, औऱ कुछ लोग तो औऱ आगे की हमें महावतार बाबाजी मिले, 😊अरे भाई जिसे मिले वो क्यों कहे.
बात इतनी की क्या साधना करने से कुछ अनुभव हो रहा, गाड़ी आगे बढ़ रही या नहीं. नहीं तो व्यर्थ समय करने से अच्छा संसार में ही मौज लो दिव्य सुगंध के चककर में नक कटा बनने से अच्छा साधरण नाक का ही उपयोग कर लो.

हाँ तो क्रिया योग में भी मुद्राओ का विशेष अभ्यास औऱ महत्व है, स्वयं लाहड़ी महाशय अपनी डायरी में लिखते की अब खेचरी लगने लगी, खेचरी साधक का सम्मान सभी को करना चाहिए, अब ऐसा क्यो की खेचरी का इतना महत्व की देवराहा बाबा से लेकर सभी सिद्ध योगी इसको महत्व देते,.... तो इसका उत्तर भी भी देते
एक तो खेचरी लगने पर अपने आप ही स्वर नियंत्रण में आ जाता धीरे धीरे. सुसुमना चलने लगती, अर्थात दोनो नसीका से समान श्वास. याने अग्नि की स्थिति.
साथ ही श्वास धीमी हो जाती, रुक भी जाती. अब अभ्यास जिसका जितना उतना लाभ. किन्तु एक मात्र क्रिया से प्राणायाम का भी लाभ और केंद्रित होने का भी मिल जाता यानि योग के छठठे अंगधारणा का भी लाभ, साथ ही एक तरल पदार्थ जिसे अमृत कहा जाता उसका श्राव भी निरंतर तालु से होता जो आज्ञा चक्र सहसरार चक्र या सोम सोम चक्र से होना कहा जाता. उस रस का विशेष प्रभाव कहा गया, स्वास्थ्य आयु, युवा अवस्था शक्ति, सिद्धि यहाँ तक की भूक प्यास पर भी नियंत्रण होता,
इनमे से कई बातें मेरे अनुभवगत भी हैं.
चुकी मै करीब तीन दसको से इसका अभ्यासी रहा, तथापि अन्य कई बातें हैं जो इस संदर्भ में कहेंगे जो भाव होगा.

प्रयोगात्म रूप से इस मुद्रा को आप देख सकते निचे वीडियो में जो मैने कुछ वर्ष बनाया था,. आज के अधकतम युटुब चैनलों पर भी इसी का स्क्रीन सोत लेकर डाला गया, जो नहीं जानते सिर्फ बातें भर करने केलिए.

Address

Delhi

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Yogi Shwetank Anand-योगी श्वेतांक आनंद posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Yogi Shwetank Anand-योगी श्वेतांक आनंद:

Share

Category