Vagbhata Ayurveda

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08/12/2024

बिना चीर फाड़ बिना आपरेशन के Lipoma का इलाज आयुर्वेद के से करें। चर्बी युक्त गांठों को आयुर्वेद के माध्यम से नष्ट करें ताकि भविष्य में यह व्याधि समूल नष्ट हो जाये और जीवन में दोबारा परेशान ना होना पड़े। आज ही वाग्भट्ट आयुर्वेद सम्पर्क करें।

26/11/2024

जिनको भी हमारी दवाओं से लाभ मिला है कृपया कमेंट में जरूर बतायें।लीवर की समस्याओं का समाधान घर बैठे पायें। हमारे एक्सपर्...
20/10/2024

जिनको भी हमारी दवाओं से लाभ मिला है कृपया कमेंट में जरूर बतायें।
लीवर की समस्याओं का समाधान घर बैठे पायें। हमारे एक्सपर्ट से सलाह ले कर दवा मँगवायें और लीवर समस्याओं में आराम पायें।

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21/09/2024

काँस का बड़ा भाई, मूंजा या मूँज:

ये बेक पैन का स्पेशलिस्ट है। अगर आप मूँज नही जानते तो फिर आप गलत हैं। कुछ ही साल पहले जिस खाट पर आप सोते थे, उसकी रस्सियाँ इसी से बनती थी...

हनुमान चालीसा पाठ करते समय पंक्ति आती है.. "हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थात - आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभायमान है। तो चलिये आपको ले चलता हूँ, मूँज की परिचय यात्रा पर...

मुंज घास सूखे प्रदेशो में पायी जाने वाली एक प्रमुख घास है, राजस्थान के रेतीले क्षेत्रो में इसका खूब फैलाव है, किन्तु मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी यहाँ पाया जाता है। लगभग 2 से 3 मीटर ऊंचाई वाला यह घास मिटटी के कटाव को रोकनेके लिये ब्रम्हास्त्र है, साथ ही छोटे जीवो के लिए शरण स्थली और भोजन का भी स्त्रोत है। कुछ वर्षों पहले तक इसकी पत्तियो से खाट की रस्सी तैयार की जाती थी। और जब तक लोग इससे बनी खाट पर बैठते या सोते रहे न तो उन्हें कोई बैक, पैन हुआ। न ही कोई सरवाइकल प्रॉब्लम हुई और न ही अन्य तरह की समस्या।

इसमें किसी प्रकार का टोना - टोटका या जादुई रहस्य या गुणधर्म नही है। असल मे खाट की रस्सी शरीर पर मसाज या एक तरह से एक्यूप्रेशर जैसा ट्रीटमेंट शरीर को मुफ्त में उपलब्ध करवा देती थी। अब कोमल गद्दों में सोने वाली आजकल की सुकमार पीढ़ी न तो खटिया की वो गड़न/ चुभन जानती है न ही उसकी चूँ चूँ। वो जानती है तो सिर्फ BP, sugar, diabeties टाइप के बड़े बड़े नाम। ये गरीब और छोटे छोटे राहत भरे शब्द सुनने- जानने का न तो उनमें।साहस है और न ही उनके पास इतना फालतू समय है। चलो छोड़ो इस बेमतलब विषय को। हम लौटते हैं, मूँज की रस्सी पर। हालांकि सबसे मजबूत और टिकाऊ रस्सी मोआ नामक घास की होती है, इसकी नही।
इसके लंबे पुष्पक्रम से कई प्रकार के ornamental items बनाये जाते थे, घास की लेयर को मकान, झोपडी आदि की छत निर्माण में लगाया जाता था, चटाई, हाथ के पंखे और यहाँ तक की छूप से बचने के लिए चटाइनुमा चादर भी उससे बनाये जाते थे। लेकिन आधुनिक प्लास्टिक युग ने इस महत्वपूर्ण पौधे के सारे महत्त्व और उपयोग छीन लिये। किन्तु दुनिया की कोई भी प्लास्टिक मिटटी का कटाव रॉकने और जंगली जानवरो, पक्षियो एवम कीटो को संरक्षण प्रदान करने में इसकी बराबरी नहीं कर सकते।

इन सबके अलावा यह एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधे के रूम में विख्यात था। हमारे गाव में कुछ लोग इसे बड़ी काँस भी कहते हैं। उनके अनुसार इसके जड़ो का रस पेशाप में जलन होने पर फायदेमंद होती है। साथ ही खून को साफ करने का कार्य भी करती है।

18/09/2024

मधुमेह रोगी ध्यान दें।

यदि आप टाईप 2 मधुमेह से पीड़ित हैं तो फैटी लीवर की जाँच अवश्य करवा लें । यदि लीवर फैटी निकले तो लीवर को सही करने के लिये उपचार आरंभ करें। जैसे जैसे लीवर सही होगा। मधुमेह का प्रकोप भी कम होना शुरू हो जायेगा।

कई रोगियों में देखा गया है की फैटी लीवर एव वजन नियंत्रण सीमा में आते ही उनकी अंग्रेज़ी दवा बंद कर देनी पड़ी क्योंकि उनका मधुमेह स्तर सामान्य हो चुका था।

आप भी कोशिश जरूर करें। और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।

 #जनेऊ पटना के एक बड़े चिकित्सक बता रहे थे कि जनेऊ पहनने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा उस समय कम होता है जब व्यक्ति यूरिन...
12/09/2024

#जनेऊ

पटना के एक बड़े चिकित्सक बता रहे थे कि जनेऊ पहनने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा उस समय कम होता है जब व्यक्ति यूरिन का त्याग कर रहा होता है शरीर में एक विशेष प्रकार का कंपन होता है ऐसे समय में जनेऊ धारण करने वाले लोग कान पर उसे चढ़ाए रहते हैं जिससे हार्टबीट नियंत्रित होता है।

तस्वीरों में दिख रहा यह महज पीला धागा मात्रा नहीं बल्कि सनातन धर्म से जुड़ा हुआ एक ऐसा ब्रह्मास्त्र है जिसे कलयुग के जागृत देवता बजरंगबली भी नहीं तोड़ पाए थे।

हमारे इलाके में इसे जनेऊ बोलते हैं। जिन लोगों का यज्ञपवित्र संस्कार हो जाता है वहीं से धारण करते हैं। ब्रह्मचर्य को धारण करने वाले लोगों के लिए अलग जनेऊ होता है और विवाहित लोगों के लिए अलग।जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह तीन धागों वाला सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात् इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे। जनेऊ में तीन सूत्र – त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक – देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक – सत्व, रज और तम के प्रतीक होते है।

साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक है तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। अत: कुल तारों की संख्‍या नौ होती है।इनमे एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। इनका मतलब है – हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से अच्छा सुने। जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। ये पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है।

जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है क्यूंकि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। 32 विद्याएं चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर होती है। 64 कलाओं में वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि आती हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच के लिए एक नई किफ...
27/08/2024

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच के लिए एक नई किफायती तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक से मात्र 35 रुपए में रोगी के बलगम से टीबी का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक एक बार में लगभग ढाई घंटे में 1500 से ज्यादा नमूनों की जांच कर सकती है। इससे रिपोर्ट चंद घंटों में मिल जाएगी, जबकि वर्तमान में टीबी की पुष्टि होने में 42 दिन लग जाते हैं।

इस नई जांच प्रणाली का नाम 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' है। यह एक हल्का और पोर्टेबल सिस्टम है। वर्तमान में टीबी की जांच माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लिक एसिड आधारित विधियों से की जाती है, जिनमें समय भी अधिक लगता है और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों की आवश्यकता होती है। पारंपरिक तकनीक से टीबी की पुष्टि करने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगता है।

ICMR के एक अधिकारी ने बताया कि टीबी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए सटीक और तेज़ निदान उपकरणों की आवश्यकता है। मौजूदा निदान विधियाँ संवेदनशील समय लेने वाली और महंगी होती हैं।

ICMR ने 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' के व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए पात्र संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं को आमंत्रित किया है। ICMR का डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र इस प्रक्रिया के सभी चरणों में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा।

24/05/2024

मधुमेह के रोगी प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिये छाछ में चने का सत्तू मिला कर दिन में 1 से 2 बार लें॥
यह योग अत्यंत लाभकारी है।

24/05/2024

लू और गर्मी के प्रकोप से बचने के लिये ताजा छाछ का सेवन करें एवं जौ का सत्तू प्रतिदिन लें।

02/04/2024

*चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है!*

*चूना अमृत है*

चूना एक टुकडा छोटे से मिट्टी के
बर्तन मे डालकर पानी से भर दे , चूना गलकर नीचे और पानी ऊपर
होगा !
वही एक चम्मच पानी किसी
भी खाने की वस्तु के साथ लेना है ! 50 के उम्र के बाद कोई
कैल्शियम की दवा शरीर मे जल्दी नही घुलती चूना तुरन्त घुल व पच जाता है

जैसे किसी को पीलिया हो जाये
माने जॉन्डिस उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ;गेहूँ के
दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी
पीलिया ठीक कर देता है ।

ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है -अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको
अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना ।
बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत
अच्छा है जो लम्बाई बढाता है

गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला केखाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला
के पियो इससे लम्बाई बढने के साथ स्मरण शक्ति भी बहुतअच्छा होता है ।

जिन बच्चों की बुद्धि कम काम
करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन
सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।

बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म
बंध हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना
गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना । जब
कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा
केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को
चूना खिलाना चाहिए

अनार के रस में
अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिला के
रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे !

*पहला फायदा*
माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा!

*दूसरा*
बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा !

*तीसरा फ़ायदा*
बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया !

*चौथा सबसे बड़ा लाभ*
बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत
Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा
होता है ।

चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है ,कंधे का दर्द ठीक करता है!

एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis
वो चूने से ठीक होता है ।

कई बार हमारे रीढ़की हड्डी में जो
मनके होते है उसमे दुरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है ये चूना ही
ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से
ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी कोजोड़ने की ताकतसबसे
ज्यादा चूने में है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।

मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है !

मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है ।

शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे
अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है
अनार के रस में अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने
के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।

घुटने मेंघिसाव आगयाऔरडॉक्टर
कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और
हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा खाइए घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे !

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