Centre for CHEST Diseases

Centre for CHEST Diseases Centre for Chest Diseases provides consultations, diagnosis , treatment and rehabilitation for all Chest related disorders.

धूम्रपान फेफड़ों को सबसे ज़्यादा बीमार बनाता है।सिगरेट के धुएं के अलावा वातावरण की विषैले वायु से भी बचना चाहिए। यदि आप ऐस...
03/07/2025

धूम्रपान फेफड़ों को सबसे ज़्यादा बीमार बनाता है।

सिगरेट के धुएं के अलावा वातावरण की विषैले वायु से भी बचना चाहिए। यदि आप ऐसी जगह रहते हैं जहां आसपास फैक्ट्रियां हैं और वायु दूषित है तो मास्क लगाकर रहें। कई बार घर के अंदर का वातावरण भी अशुद्ध रहता है इसके लिए हमेशा घर में साफ़-सफ़ाई रखें, हाथों और पैरों को हमेशा साफ़ रखें और कुछ भी खाने से पहले हाथों को साबुन से धो लें। अल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र का भी इस्तेमाल करते रहें।
फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए रोज़ाना अनुलोम-विलोम या प्राणायाम करें जिससे फेफड़ों की कसरत हो सके।

सांस लेने में हो रही है परेशानी, हो सकता है इस बीमारी का लक्षण, जानिएलंग्स में फ्लूइड के जमने से हवा का प्रवेश बंद हो जा...
30/06/2025

सांस लेने में हो रही है परेशानी, हो सकता है इस बीमारी का लक्षण, जानिए
लंग्स में फ्लूइड के जमने से हवा का प्रवेश बंद हो जाता है जिससे खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ये बेहद जानलेवा स्थिति हो जाती है जब इसकी वजह से शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और शरीर के कम ठीक से काम करना बंद कर देते हैं.

एआरडीएस के लक्षण

• सांस लेने में कठिनाई

• लगातार खांसी रहना

• सीने में तकलीफ होना

• हार्ट बीट तेज होना

• थकान

• भ्रम की स्थिति पैदा होना

दमा के मरीजों को क्या खाना चाहिएदमा के मरीजों को सीजनल सब्जियां, फल आदि का सेवन करना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में पानी पीन...
26/06/2025

दमा के मरीजों को क्या खाना चाहिए
दमा के मरीजों को सीजनल सब्जियां, फल आदि का सेवन करना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है. विटामिन सी और विटामिन ई से युक्त फूड आइटम का ज्यादा सेवन करना चाहिए. हर रोज धूप में निकलना चाहिए. रोजना एक्सरसाइज भी जरूरी है.

अक्सर कई लोगों को सांस फूलने की बीमारी होती है।जिसे वे नजरअंदाज कर देते हैं। अगर आपको भी ऐसी कोई बीमारी है तो इसे बिल्कु...
22/06/2025

अक्सर कई लोगों को सांस फूलने की बीमारी होती है।
जिसे वे नजरअंदाज कर देते हैं। अगर आपको भी ऐसी कोई बीमारी है तो इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें। इससे आपका हार्ट फेल या फिर सीएओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का संकेत भी हो सकता है।

पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की खतरनाक बीमारीविश्वभर में लगभग 50 लाख लोग पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की खतरनाक बीमारी के शिकार है...
19/06/2025

पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की खतरनाक बीमारी
विश्वभर में लगभग 50 लाख लोग पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की खतरनाक बीमारी के शिकार हैं। पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज के फेफड़ों के अंदरूनी टिशूज डैमेज हो जाते हैं। इस बीमारी में ऊतक (टिशूज ) मोटा और सख्त हो जाता है जिससे मरीज के लिए सांस लेना कठिन हो जाता है और इसके रक्त को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलता है।
पल्मोनरी फाइब्रोसिस के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं।
सांस की तकलीफ
लगातार सूखी खांसी आना
भूख कम लगना
बिना किसी कारण के वजन में कमी
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
इन लक्षणों के दिखने पर इन्हें सामान्य नहीं समझना चाहिए। अगर ये लक्षण आपको ज्यादा परेशान करते हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि अगर सही समय से इलाज किया जाए तो इस बीमारी को जड़ से ठीक किया जा सकता है।

छाती में दर्द- एक महीना या उससे ज्यादा छाती में दर्द किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है. खासतौर से खांसी या सांस में त...
14/06/2025

छाती में दर्द- एक महीना या उससे ज्यादा छाती में दर्द किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है. खासतौर से खांसी या सांस में तकलीफ के वक्त छाती में दर्द को बिल्कुल नंजरअंदाज ना करें.

गले में छोटी छोटी गठे भी टीबी हो सकती है ।लिम्फ़ नॉड ट्यूबरक्लॉसिस, जिसे ट्यूबरक्यूलस लिम्फेडेनीटिस (tuberculous lymphad...
12/06/2025

गले में छोटी छोटी गठे भी टीबी हो सकती है ।
लिम्फ़ नॉड ट्यूबरक्लॉसिस, जिसे ट्यूबरक्यूलस लिम्फेडेनीटिस (tuberculous lymphadenitis) भी कहते हैं, में आमतौर पर गले के नॉड्स सूज जाते हैं। वैसे, सूजन शरीर के बाकी अंगों में मौजूद नॉड्स पर भी हो सकती है। कुछ वक्त के बाद ये सूजे हुए नॉड्स त्वचा के माध्यम से तरल पदार्थ रिलीज करने लगते हैं।

लक्षण – इस बीमारी के मरीज को एक या दो से अधिक लिम्फ़ हो सकते हैं, जो कि हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकते हैं। इनमें सूजन होती है लेकिन दर्द नहीं। जिन मरीज़ों को ये बीमारी बहुत अधिक है उनके लक्षण बुखार, वजन घटना, थकान और रात को पसीने आदि हो सकते हैं .

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता...
08/06/2025

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। बताते चलें कि सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है।
बचाव के तरीके
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे।
2- मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
3- मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
4- मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करे।
5- पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे।
6- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7- भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
8- बच्चे के जन्म पर BCG का टीका लगवाएं।

सीओपीडी बीमारी का धूम्रपान और प्रदूषण है बड़ा कारणसीओपीडी रोग का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान व प्रदूषण है। वहीं, जिन गांव-घर...
06/06/2025

सीओपीडी बीमारी का धूम्रपान और प्रदूषण है बड़ा कारण
सीओपीडी रोग का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान व प्रदूषण है। वहीं, जिन गांव-घरों में आज भी चूल्हे पर खाना पकता है, वहां की ज्यादातर महिलाएं सीओपीडी की शिकार हैं। इसी को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी उज्वला योजना लेकर आए
सीओपीडी के लक्षण 35 साल की उम्र के बाद ही नजर आते हैं। इसकी इलाज प्रक्रिया लंबी है, ऐसे में मरीज चिकित्सक की सलाह के बिना दवा बंद न करें। सीओपीडी के मरीज हमे 9599959021, 9599959259, 9810339359 इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती हैक्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। ज...
04/06/2025

अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है
क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी ज्यादा होती है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया अंधेरे में पनपता है।
यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह एक से दूसरे में संक्रमण से फैलता है। स्मोकिंग करने वाले को टीबी का खतरा ज्यादा होता है।
डायबीटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा। कुल मिला कर उन लोगों को खतरा सबसे ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) कम होती है।

ज्यादातर खाँसी की समस्या इम्युनिटी सिस्टम के कमजोर होने के कारण उत्पन्न होती है।इस तरह की समस्या मौसम में होने वाले बदला...
02/06/2025

ज्यादातर खाँसी की समस्या इम्युनिटी सिस्टम के कमजोर होने के कारण उत्पन्न होती है।

इस तरह की समस्या मौसम में होने वाले बदलाव के कारण उत्पन्न होती हैं। खांसी आमतौर पर संक्रमण, निमोनिया या फेफड़ों के क्षय रोग आदि के कारण होती है। एक समय पर आकर खांसी वास्‍तव में बहुत परेशान करने वाली और दर्दनाक हो जाती है। लेकिन, इस तरह की समस्या और भी बद से बदतर हो सकती है, अगर आप इस दौरान इन चीज़ों का सेवन करती हैं, जो निम्न हैं-

ठंडा पदार्थ
इस दौरान ठंडे पदार्थों से दूर रहें हैं खासकर ठंडे पेय पदार्थ, दही, बर्फ आदि का सेवन न करें। क्योंकि, यह आपके गले में सूजन और दर्द की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम जैसी चीजों से परहेज करें, इन ठंडी चीजों को खाने से गला सूखने लगता है जिससे खांसी और ज्यादा बढ़ सकती है।

प्रोसेस्ड और डब्बाबंद आहार
प्रोसेस्ड और डब्बाबंद फ़ूड खाँसी की समस्या को और भी अधिक बढ़ा सकता है। क्योंकि, यह आपके इम्यून सिस्टम को और कमजोर कर देता है, जिससे कि यह जल्दी ठीक नहीं होता है। इसलिए वाइट पास्ता, वाइट ब्रेड और चिप्स जैसी चीजों का सेवन न करें।

शराब
खाँसी में भूलकर भी शराब का सेवन न करें क्योंकि, यह आपके इम्युनिटी को कमजोर बना सकता है। इतना ही नहीं यह आपके बॉडी को डिहाइड्रेट बना देता है जिससे कि आपकी खांसी और भी अधिक बद से बदतर हो सकती है।

तला-भूना आहार
खाँसी के दौरान, बहुत अधिक तले-भूने या फिर फ्राइड फूड्स न खाएं। क्योंकि, यह खांसी में आपको बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं। खासकर, डीप फ्राई पकौड़े, चिप्स आदि का सेवन न करें।

शहद और नींबू का सेवन
खाँसी के दौरान गले में न केवल खिज-खिज होती है, बल्कि इससे सूजन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में, इन समस्या से राहत पाने के लिए आप गर्म पानी में शहद और नींबू डालकर पिएं, इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी। इसके अलावा, आप चाहें तो दवा युक्त कैंडी या तुलसी और अदरक की चाय का सेवन कर सकती हैं।

गार्गल करें
खाँसी के दौरान गले में दर्द से राहत पाने के लिए आप गार्गल करें, इससे आपको बहुत आराम मिलेगा। इसके लिए आप गर्म पानी में नमक डालकर गार्गल करें, इससे खांसी और कंजेशन में आराम मिलता है।

नींबू
अपने एंटीबायोटिक और एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों के कारण नींबू कफ दूर करने में मदद करता है। बलगम वाली खांसी को दूर करने के लिए गर्म पानी के एक कप में नींबू की कुछ बूंदे निचोड़कर इसे घूंट-घूंट करके पीयें। जल्‍द ठीक होने के लिए इस मिश्रण का नियमित आधार पर सेवन करें।

गर्म पानी का सेवन
सर्दी और जुकाम के दौरान आप कोशिश करें कि गुनगुने पानी का सेवन करें, क्योंकि यह संक्रमण को रोकने का काम करता है, और साथ ही गले की खरास और सूजन की समस्या से भी राहत प्रदान करता है। इसके अलावा, जितना हो सके तरल पदार्थों का सेवन करें, ताकि आप हाइड्रेटेड रह सकें।
इसके अलावा, किसी भी प्रकार के दवाओं का सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि आपको ऐसी समस्या होती है तो आप हमसे इस नंबर पर 9599959021, 9599959259, 9810339359 संपर्क कर सकते है . हमारी ईश्वर से सदैव कामना रहती है की आप सभी स्वस्थ्य रहे.

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Centre for Chest Diseases is a pioneering initiative assumed by Dr. Kailash Naath Gupta who is a proficient Chest & Critical Care Specialist, Interventional Pulmonologist and an expert in Sleep Disorders.

This unique concept is his brainchild to offer premium quality and affordable respiratory services to every strata of the society under one roof. The Centre for Chest Diseases (CCD) provides affordable and comprehensive treatment for Respiratory ailments including COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease), Multi-drug-resistant Tuberculosis (MDR and XDR TB), Asthma, Sleep Disorder, Interstitial Lung Disease and Occupational Lung Diseases, etc. For serving the noble cause in the society,CCD is unwaveringly committed to providing free expert consultations to war Widows, BPL Cardholders.