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youtu.be/T3t2MUJsrqI…एस्ट्रोलॉजी से संबंधिंत अनेक प्रश्न के उत्तर मिल जाएगा इसमें । अपना प्रतिक्रिया अवश्य दें ।
18/04/2025

youtu.be/T3t2MUJsrqI…

एस्ट्रोलॉजी से संबंधिंत अनेक प्रश्न के उत्तर मिल जाएगा इसमें । अपना प्रतिक्रिया अवश्य दें ।

#कर्मयोगनमस्ते दोस्तों! 🙏आज के इस वीडियो में हम चर्चा करेंगे—कुंडली या कर्म: किसके हाथ में है हमा....

कई लोग सोचते हैं कि ज्योतिषी वो होता है जो आपका भविष्य बताता है। हाँ, लेकिन यह केवल एक छोटा सा हिस्सा है। एक ज्योतिषी वो...
17/10/2024

कई लोग सोचते हैं कि ज्योतिषी वो होता है जो आपका भविष्य बताता है। हाँ, लेकिन यह केवल एक छोटा सा हिस्सा है। एक ज्योतिषी वो व्यक्ति है जो आपके पूरे जीवन का विश्लेषण करता है।

बिजनेस मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण रणनीति होती है जिसे “SWOT” विश्लेषण कहते हैं।
SWOT का मतलब है ताकत (Strengths), कमजोरियाँ (Weakness), अवसर (Opportunities), और खतरे (Threats)।
आपका ज्योतिषी आपके SWOT को अच्छी तरह जानता है और उसी के आधार पर आपके जीवन का मार्गदर्शन करता है।

ज्योतिषी आपके पूरे व्यक्तित्व को जानता और समझता है: आपका रूप, आपकी सोच और भावनाएँ; आपके पारिवारिक स्थिति, संसाधन, साहस और संवाद की शैली; आपका आराम क्षेत्र, घर और वाहन, आपकी रचनात्मकता और शिक्षा; आपके सामने आने वाली बाधाएँ, दुश्मन; आपका जीवनसाथी, व्यावसायिक साझेदार; आपके डर, खतरे, बीमारियाँ; आपकी किस्मत, आध्यात्मिक ज्ञान और धर्म; आपका करियर और कर्म; आपका सामाजिक दायरा, लाभ और फायदे; आपके नुकसान, विदेश में बसने की संभावनाएँ, और सुख तथा आत्मज्ञान।

आप देखते हैं, एक ज्योतिषी आपके पूरे जीवन का विश्लेषण करता है—यहाँ तक कि आपका अतीत और भविष्य दोनों।

जैसे आप डॉक्टरों और वकीलों से झूठ नहीं बोलते, वैसे ही ज्योतिषी से कभी झूठ मत बोलिए।

ज्योतिषी आपका मित्र है, आपका मार्गदर्शक है, आपका वित्तीय सलाहकार है, आपका व्यवसाय रणनीतिकार है, आपका डॉक्टर है, आपका रिश्तों का सलाहकार है…
ज्योतिषी आपका गुरु है।

अब सबसे महत्वपूर्ण बात—परामर्श शुल्क—

सबसे पहले ध्यान में रखने वाली बात यह है कि…
“आपका ज्योतिषी आपके पैसे नहीं चाहता।”

आप इंजीनियरिंग या सॉफ्टवेयर आदि पढ़ते हैं ताकि इंजीनियर बनकर पैसे कमा सकें। लेकिन ज्योतिषी ने ज्योतिष सिर्फ इसलिए सीखा है ताकि वह आकाशीय दिव्य ज्ञान को समझ सके।

जब वो 1000 लोगों का जीवन बेहतर बना सकता है, तो वह अपने जीवन को भी बेहतर बना सकता है।

आपके लिए जो समय और ज्ञान वह खर्च करता है, वह अनमोल है। इसका कोई निश्चित मूल्य नहीं हो सकता।

इसलिए आप जो राशि देते हैं, वह शुल्क नहीं है; वह गुरु दक्षिणा है। यह आपका कर्तव्य है कि आप अपने ज्योतिषी को उचित गुरु दक्षिणा दें।

ज्योतिषी हमेशा शोध में लगे रहते हैं, 24×7×365।

तो यदि आपके घर में कोई ज्योतिषी है—पिता, माता, भाई, बहन, पति या पत्नी—कृपया उन्हें सोचने के लिए स्वतंत्रता और स्थान दें।
अगर वो अचानक आधी रात को उठकर बत्ती जलाकर कुछ लिखने लगते हैं, तो हैरान न हों।
उन्हें घर के रोज़मर्रा के कामों में बाधा न डालें।

ये कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको ज्योतिषी से परामर्श लेते समय और उनके साथ रहते समय ध्यान में रखनी चाहिए।

उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए स्पष्टता लाएगी!

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06/10/2024

TRUTH ABOUT MEDICAL ASTROLOGY Ft. Dr. Shyam Jha | RidhiTalks |
https://youtu.be/dQ_hzdiMSYU

U will like it, comments are expected ..

TRUTH ABOUT MEDICAL ASTROLOGY Ft. Dr. Shyam Jha | RidhiTalks | 29Hello everyone,Welcome back to my channel. Today, i am in conversation with Medical Astrolog...

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23/06/2024

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Discovering Your Identity to Flow with Passion..

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23/06/2024

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20/10/2023

I need some birth details of individuals or known person who have experienced long-term or irreparable illnesses for the purpose of astrological research. If you have this information, please provide their accurate birth details, such as date of birth (DOB), birth time, and place of birth, along with any additional information about dieses you may have about them. This information is required for medical astrology research purposes.

Thank you

Unlocking the Secrets of the Stars: Join us for an Astrology Adventure!.Astrology event at Noormahal Karnal 02.05.2023
02/05/2023

Unlocking the Secrets of the Stars: Join us for an Astrology Adventure!.

Astrology event at Noormahal Karnal 02.05.2023

हम लोगों के लिए सबसे पहला प्रश्न आता है क्यों पहनें रत्न ? ●●◆इसका उत्तर जो सबसे पहले मेरे मन मे आया वो है हम जिस भौतिक ...
09/11/2022

हम लोगों के लिए सबसे पहला प्रश्न आता है क्यों पहनें रत्न ?
●●◆
इसका उत्तर जो सबसे पहले मेरे मन मे आया वो है हम जिस भौतिक युग में जी रहे हैं , वहाँ व्यक्ति जल्दी प्रगति की सीढ़िया चढ़ना चाहता है । इसलिए वह रत्न , ज्योतिष एवं मंत्र का सहारा लेता है . व्यक्ति सभी सुख तत्काल चाहता है । भाग्य परिवर्तन में रत्नों का योगदान अवश्य रहा है । आप हर सौ लोगों में अस्सी लोगों को रत्न की अंगूठी पहने देखते हैं , वे इन्हें अकारण ही नहीं पहने रहते , बल्कि उनमें उनका भाग्य और भविष्य छिपा होता है । लेकिन यह किस तरह से अपना फल देते हैं यह जानना आवश्यक है।

विशेष Astroyantrik पेज पर जा कर पढ़ा जा सकता है कब किन कैसे रत्न धारण करें।

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आपका - #एस्ट्रोयांत्रिक

हम लोगों के लिए सबसे पहला प्रश्न आता है क्यों पहनें रत्न ?
●●◆
इसका उत्तर जो सबसे पहले मेरे मन मे आया वो है हम जिस भौतिक युग में जी रहे हैं , वहाँ व्यक्ति जल्दी प्रगति की सीढ़िया चढ़ना चाहता है । इसलिए वह रत्न , ज्योतिष एवं मंत्र का सहारा लेता है . व्यक्ति सभी सुख तत्काल चाहता है । भाग्य परिवर्तन में रत्नों का योगदान अवश्य रहा है । आप हर सौ लोगों में अस्सी लोगों को रत्न की अंगूठी पहने देखते हैं , वे इन्हें अकारण ही नहीं पहने रहते , बल्कि उनमें उनका भाग्य और भविष्य छिपा होता है । लेकिन यह किस तरह से अपना फल देते हैं यह जानना आवश्यक है।

औषधि मणि मंत्राणां - ग्रह नक्षत्र तारिका ।
भाग्य काले भवेत्सिद्धिः आभाग्यं निष्फलं भवेत् । ।

औषधि , रत्न एवं मंत्र ग्रह जनित रोगों को दूर करते हैं । यदि समय और प्रयोग सही हो , तो इनसे उपयुक्त फल प्राप्त होते । विपरीत समय में ये सभी निष्फल हो जाते हैं ।

जन साधारण रत्नों की महिमा से अत्यधिक प्रभावित है । लेकिन अक्सर रत्न और रंगीन काँच को टुकड़ो में अंतर करना कठिन हो जाता है । अपने रंग के कारण ही प्रभाव डालते हैं । ऐसी धारणा कई लोगों के मन में आती परंतु ऐसा नहीं है । रत्न का रंग केवल उसकी खूबसूरती के लिए होता है । रत्नों की लोकप्रियता बनने का कारण यह भी रहा है कि इनसे अध्यात्म सामाजिक जीवन की हर परेशानी का हल माना जाने लगा है - फिर चाहे वह प्रतिस्पर्धा निपटने की बात तो या टूटे रिश्ते को जोड़ने का मामला हो । रत्नों का कट और आकार उनके सौंदर्य में इजाफा करता है । रत्नों का समकोणीय कटा होना भी आवश्यक है, यदि ऐसा नहीं हो तो वे ग्रहों से संबंधित रश्मियों को एकत्रित करने में पूर्ण सक्ष्म नहीं होंगे । इसलिए किसी भी दल को धारण करने से पहले उसके रंग , कटाव आकार व कौन सा रत्न आपके लिए अनुकूल होगा इन जानकारियों को बाद ही एन धारण करें ।

रत्नों को धारण करने से मन में एक खास प्रकार की अनुभूति भी होती है . मानो आपने किसी खजाने को पा लिया हो। वैसे रत्नो का सही इस्तेमाल से उस पर किया गया निवेश ब्यर्थ नहीं जाता, लेकिन कब कितने समय के लिए धारण करना चाहिए यह बहुत आवश्यक है।

रत्न एवं ग्रहों के संबंध पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मानव जीवन पर ग्रहों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है । ग्रहों में व्यक्ति के सृजन एवं संहार की जितनी प्रबल शक्ति होती हैं उतनी ही शक्ति रत्नों में ग्रहों की शक्ति घटाने तथा बढ़ाने की होती है । वैज्ञानिक भाष में रत्नों की इस शक्ति को हम आकर्षण या विकर्षण शक्ति कहते हैं । रत्नों में अपने गुण धर्म के अनुसार रत्न जे संबंधित ग्रहों की रश्मियों , चुम्बकीय शक्ति तथा वायब्रेशन (स्पंदन) को खींचने की शक्ति के साथ - साथ उसको परिवर्तित कर देने की भी शक्ति होती है ।

मेरे मत अनुसार रत्न का चुनाव कोई आसान कार्य नहीं है बहुत से ज्योतिषी लोग मात्र दशा देख कर रत्न पहना देते है जिससे उनकी दुकान चलती रहे , बहुत से ज्योतिषी धनेश और लाभेश को देख कर रत्न पहना देते है और बहुत से भागेश लग्नेश को देख कर या जिस भाव की कमी कष्ट होता उससे संबंधित रत्न दे देते हैं जो कि सर्वथा गलत है।

रत्न का प्रयोग आयुर्वेद में भस्म बना कर प्रयोग में भी किया जाता है जो कठिन से कठिन बीमारियों का ईलाज करता है। रत्न का प्रयोग बच्चों के लिए हमारी माताएँ टोटके के रूप में भी करती आयी हैं।

यह बात उतना ही सत्य है जितना कि सूर्य की प्रभा और चन्द्रमा की सुधा की गलत रत्न धारण करने से मृत्यु तुल्य कष्ट अथवा मृत्यु होने का भी संभावना उतना ही होता है जितना गलत इंजेक्शन के प्रयोग। अब मनुष्य पर है कि वह इंजेक्शन ले कर अपने जीवन को इंजेक्ट कर जिना चाहता है। सबसे पहले ग्रहों के शांति के लिए पूजा-पाठ, मंत्र-तंत्र जाप, दान-दक्षिणा, तीर्थ -यात्रा तदैव रत्न -धारण की सलाह दी जाती है। कभी इसपर और चर्च करेंगे

ध्यान रखने वाली बात यह है कि कुछ रत्न ऐसे भी है जिसका उपयोग एक साथ नहीं करना चाहिए जैसे नीलम और हीरा के साथ माणिक्य, मूंगा पुखराज, माणिक्य और मूंगा के साथ हीरा नीलम, गोमेद, मोती के साथ लहसुनिया, गोमेद, पन्ना के साथ मोती पुखराज के साथ नीलम हीरा नहीं धारण करना चाहिए संग संग ध्यान देने बात भी है कि इनके उम्र के अनुसार इनका फल मिलता है जो कि सबसे ज्यादा हीरा की सात साल और मोती की सवा दो साल की ही होती है। इसके अनुसार आप समझ सकते है जितना पुराना रत्न पहन रखें है आप उतने पुराना एक्सपायरी इंजेक्शन ले रहे हैं। अस्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि महंगे महंगे इंजेक्शन सही समय पर नही लगा सकते तो उनके लिए हमारे ज्योतिष प्रवर्त्तक नें जड़ी बूटी का प्रयोग से भी ग्रहों की शक्तियों को अपने अनुरूप प्रयोग में करते हैं जैसे धात्री, पीपल, विल्व, अर्क इत्यादि जिसपे कभी और अपना मत रखूंगा, अभी के लिए मात्र इतना ही कहूंगा कि जिस रत्न का उपयोग करते हैं उसके बारे में भली भांति जान लें कहीं ऐसा न हो कि वह आपको एक तरफ ठीक कर रहा हो तो दूसरी तरफ अनरिकवरेबल कष्ट पहुँचाने के लिए तैयार हो रहा हो।

सो ध्यान रहे रत्न का चयन से पूर्व किसी अच्छे रत्न विशेषज्ञ से अवश्य अपनी कुंडली का विश्लेषण करवा लें मैंने 75% केस में पाया है कि जब ज्यादा दीक़त हो रही थी जातक पर और उस पीरियड के लिए पुराने रत्न उतरवा दिया तो काफी ज्यादा आराम पहुंचा था।

कुछ कही अनकहीं रोचक बातें:-
- हाई बीपी वालों को मूंगा नहीं पहनना चाहिए
- रत्नों को जिस तरह समय देख कर पहनते हैं उसी तरह उतारना भी चाहिए
- मारकेश की दशा के रत्न पहनाने समय मारकेश की दशा पर विचार अवश्य करना चाहिए
-रत्नों के कट पर उसके प्रभाव मनुष्य पर शीघ्र और बिलम्ब से होते हैं
- छोटे छोटे रत्न पहनने से अच्छा होता है बड़ा रत्न जैसे 100 मोमबतियां और एक 200वॉट का बल्ब
-रत्नों की सत्यता के लिए उसके पहचान के बारे में जरूर जान लेवें
-रत्नों का रंग सिर्फ उसकी सुंदरता बढ़ाती है
-रत्नों की अपनी आयु सीमा होती है
-रत्नों के आभाव में कुछ वृक्षों के जड़ इत्यादि का प्रयोग किया जाता रहा है
-आयुर्वेद में रत्नों के भस्म से कठिन से कठिन रोगों का ईलाज किया जाता है
- 84 प्रकार के रत्न हमारे लोगों के जीवन में प्रभावशाली हैं
-काँच के टुकड़े को भी मार्किट में रत्न कह कर बेच देते हैं
- सूर्य की किरणें रत्नों में से गुजर के शरीर तक पहुंचती है तब जा के वह बीमारियों के इलाज के लिए कारगर है।
-दूसरे का प्रयोग किया गया रत्न नहीं पहनना चाहिए
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आपका - #एस्ट्रोयांत्रिक

🔱🔱🔱  दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार  🌺🌺🌺     दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर ...
26/09/2022

🔱🔱🔱 दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार 🌺🌺🌺

दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।

🔥🔥 दुर्गा सप्तशती के पाठों का महत्व 🌺🌺
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👉 मार्कण्डेय पुराण में वर्णित चमत्कारिक देवी महात्म्य में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन।

👉 इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की रक्षा के लिए बेहद गुप्त और परम उपयोगी मनुष्य का कल्याण कारी देवी कवच बताया गया है। स्वयं ब्रह्मदेव ने कहा है, कि जो मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा, वह परम सुख भोगेगा।

👉 इस दुर्गा सप्तशती को शत चंडी, नवचंडी अथवा चंडीपाठ भी कहा गया है।

👉 ये एक जागृत तंत्र विज्ञान है, दुर्गा सप्तशती पाठ के श्लोको का असर निश्चित रूप से होता है। और तीव्र गति से इसका प्रभाव पड़ता है। इसमें ब्रह्माण्ड की तीव्र शक्तिओ का ज्ञान छुपा है।

👉 यदि मनुष्य सही तरीके से और सही विधि से पढ़ लेता है तो मनुष्य के जीवन की समस्त परेशानियों का अंत सुनिश्चित है।

💎दुर्गा सप्तशती पाठ का फल 🔱


🌺🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 1
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🚩किसी भी प्रकार की चिंता है,किसी भी प्रकार का मानसिक विकार यानी की मानसिक कष्ट है। तो दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से इन सभी मानसिक विचारों और दुष्चिंताओं से मुक्ति मीलती है।
इंसान की चेतना जागृत होती है और विचारों को सही दिशा मीलती है। किसी भी प्रकार के नेगेटिव विचार आप पर हावी नहीं होते हैं। अतः दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय से आपको हर प्रकार की मानसिक चिंताओं से मुक्ति मीलती है।

🌺🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 2
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🚩दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय के पाठ से मुकदमे में विजय मीलती है। किसी भी प्रकार का आपका झगड़ा हो, वाद विवाद हो, उसमें शांति आती है,और आपके मान, सम्मान की रक्षा होती है।
दूसरा पाठ विजय के लिए होता है। लेकिन आपका उद्देश्य आपकी मंशा सही होनी चाहिए तभी ये पाठ फल देता है। अगर आप झूठ की बुनियाद मैं कभी इस अध्याय का पाठ करते हैं और चाहते हैं कि माँ आपकी सहायता करें,तो ये आपकी बहुत बड़ी भूल है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 3
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🚩तीसरे अध्याय का पाठ शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। दोस्तों शत्रुओं का भय व्यक्ति के जीवन में बहुत पीड़ा का कारण होता है क्योंकि भय ग्रस्त व्यक्ति चाहे वो कितनी भी सुख सुविधा में रह रहा हो कभी भी सुखी नहीं रह सकताहै अतः इस अध्याय के पाठ करने से आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं। अगर आपके गुप्त शत्रु हैं जिनका पता नहीं चलता और जो सबसे ज्यादा हानि पहुंचा सकते हैं तो ऐसे शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए तीसरे अध्याय का पाठ करना सर्वोत्तम होता है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 4
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🚩दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय माँ की भक्ति प्राप्त करने के लिए उनकी शक्ति उनकी ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए और उनके दर्शनों के लिए सर्वोत्तम है।
वैसे तो इस ग्रंथ के हर अध्याय के हर शब्द में माँ की ऊर्जा निहित है। फिर भी माँ की निष्काम भक्ति महसूस करने के लिए और दर्शनों के लिए यह अध्याय सर्वश्रेष्ठ जान पड़ता है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 5
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🚩पांचवे अध्याय के प्रभाव से हर प्रकार के भय का नाश होता है। चाहे वो भूत प्रेत की बाधा हो,या बुरे स्वप्न परेशान करते हो। या व्यक्ति हर जगह से परेशान हो,तो पांचवें अध्याय के पाठ से इन सभी चीजों से मुक्ति मीलती है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 6
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🚩इस अध्याय का पाठ किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा हटाने के लिए किया जाता है।इसके अलावा आपको लगता है कि आपके ऊपर जादू ,टोना किया गया हो,आपके परिवार को बांध दिया हो,या राहु और केतु से आप पीड़ित हो तो छठवें अध्याय का पाठ इन सभी कष्टों से आपको मुक्ति दिलाता है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 7
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🚩किसी भी विशेष कामना की पूर्ति के लिए सातवाँ अध्याय सर्वोत्तम है। अगर सच्चे और निर्मल दिल से माँ की पूजा की जाती है और सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है तो व्यक्ति की कामना पूर्ति अवश्य होती हैं।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 8
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🚩अगर आपका कोई प्रिय आपसे बिछड़ गया हैं, कोई गुमशुदा है और आप उसे ढूँढकर थक चूके हैं तो आठवें अध्याय का पाठ चमत्कारिक फल प्रदान करता है।
🚩बिछड़े हुए लोगों से मिलने के लिए। इसके अलावा वशीकरण के लिए भी इस अध्याय का पाठ किया जाता है,लेकिन वशीकरण सही व्यक्ति के लिए किया जा रहा है,
सही मंशा के साथ किया जा रहा हो, इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है,नहीं तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसके अलावा धन लाभ के लिए धन प्राप्ति के लिए भी आठवें अध्याय का पाठ बेहद शुभ माना जाता है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 9
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🚩नौवा अध्याय का पाठ संतान के लिए किया जाता है। पुत्र प्राप्ति के लिए या संतान से संबंधित किसी भी परेशानी के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का पाठ किया जाता है। इसके अलावा संतान की उन्नति प्रगति के लिए तथा किसी भी प्रकार की खोई हुई अमूल्य वस्तु की प्राप्ति के लिए भी नौवें अध्याय का पाठ करना उत्तम होता है। यह आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने में सहायक है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 10
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🚩अगर संतान गलत रास्ते पर जा रही है तो ऐसी भटकी हुई संतान को सही रास्ते पर लाने के लिए दसवां अध्याय सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे और योग्य पुत्र की कामना के साथ अगर दसवें अध्याय का पाठ किया जाए, तो योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं और प्राप्त संतान सही रास्ते पर चलती है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 11
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🚩अगर आपके व्यापार में हानि हो रही है,पैसों का जाना रुक नहीं रहा है,किसी भी प्रकार से धन की हानि आपको हो रही हो,तो इस अध्याय का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से आपके अनावश्यक खर्चे बंद हो जाते है। और घर में सुख शांति का वास रहता है।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 12
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🚩इस अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिस व्यक्ति पर गलत दोषारोपण कर दिया जाता है,जिससे उसके सम्मान की हानि होती है तो ऐसी स्थिती से बचने के लिए दुर्गा सप्तशती के 12 वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
🚩रोगों से मुक्ति के लिए भी 12 वें अध्याय का पाठ करना असीम लाभकारी है। कोई भी ऐसा रोग जिससे आप बहुत सालो से दुखी है और डॉक्टर की दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है। तो 12 वे अध्याय का पाठ आपको अवश्य करना चाहिए।

🌺 दुर्गा सप्तशती अध्याय – 13
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🚩तेहरवे अध्याय का पाठ माँ भगवती की भक्ति प्रदान करता है। किसी भी साधना के बाद माँ की पूर्ण भक्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अति महत्वपूर्ण है।
🚩किसी विशेष मनोकामनाओ को पूर्ण करने के लिए,किसी भी इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए,इस अध्याय का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।



11/06/2022

■केस स्टडी■
तारिक 14 -16 जून भूकंप या जमीन संख्लन या अग्नि से समस्या हो सकती है दक्षिण से पूर्व दिशा में। #एस्ट्रोयांत्रिक

ज्योतिष क्या है?                                            **us
30/05/2022

ज्योतिष क्या है?

**us

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास...
02/05/2022

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक कि जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।
एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-
नारद- बालक तुम कौन हो ?
बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।
नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?
बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।
तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।
बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?
नारद- शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।
नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।ब्रह्मा जी से वर्य मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया।शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर्य मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-

1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।

2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।

ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया । जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।
सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है।आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का अकूत भंडार है🌹

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