08/04/2021
एमनियोटिक फ्लूइड कम होने से शिशु पर क्या असर पड़ता है?
यह इस बार पर निर्भर करता है कि फ्लूइड स्तर घटने की वजह क्या है, द्रव कितना कम है और आप अपनी गर्भावस्था के कौन से चरण में हैं।
एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने से शिशु के विकास में और उसके फेफड़ों के विकसित होने में समस्याएं आ सकती हैं।
यदि पहली तिमाही और दूसरी तिमाही की शुरुआत में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो तो इससे गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
अत्याधिक गंभीर मामलों में द्रव के स्तर में कमी 24 सप्ताह के बाद मृत शिशु के जन्म (स्टिलबर्थ) का कारण बन सकता है।
हालांकि, अधिकांश मामलों में एमनियोटिक द्रव में कमी तीसरी तिमाही में होती है। और इसकी वजह भी आमतौर पर पानी की थैली फटना होता है। थैली फट जाने पर डॉक्टर आपके द्रव के स्तर और शिशु की बढ़त पर पर नजदीकी निगरानी रखेंगी।
यदि आपके डॉक्टर को लगे, तो आपको जलनियोजित रखने के लिए आपको नस के जरिये (इंट्रावीनस) अतिरिक्त तरल लेने की जरुरत हो सकती है।
एमनियोटिक द्रव कम होने की वजह से प्रसव में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, हो सकता है आपका शिशु सिर ऊपर और नितंब नीचे यानि की ब्रीच स्थिति में हो। उसे सिर नीचे वाली स्थिति में आने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल रहा हो।
अगर, आपकी पानी की थैली पहले फट गई है, तो इस बात की संभावना रहती है कि आपका प्रसव समय से पहले हो जाएगा। डॉक्टर समय से पहले प्रसव करने के जोखिम की तुलना शिशु के गर्भ में रहने से इनफेक्शन होने के जोखिम से करेंगी। इनफेक्शन का शिशु पर असर होने से बचाने के लिए आपको एंटिबायटिक दवाएं दी जा सकती हैं।
जब आपकी प्रसव पीड़ा शुरु हो जाती है, तो शिशु के तनाव या संकट में आने की संभावना रहती है। वह एमनियोटिक फ्लूइड में अपना पहला मल कर सकता है। यह काले रंग का पदार्थ होता है, जिसे मीकोनियम कहा जाता है। अगर शिशु सांस के जरिये मीकोनियम अंदर ले ले, तो जन्म के समय उसे सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
एक अन्य संभावित समस्या यह हो सकती है कि जन्म के दौरान गलती से शिशु से गर्भनाल दब सकती है।
आपके शिशु पर ध्यानपूर्वक निगरानी रखी जाएगी कि वह ठीक-ठाक है या नहीं। यदि वह अत्याधिक संकट में लगे तो आपको सीजेरियन आॅपरेशन करवाना पड़ सकता है।