16/12/2023
वक़्त भी देखे,तैयारे भी देखे और देखे कई जहान,
हैरान न होना ऐ आसमाँ अब देख ऊँची उड़ान।
नश्तरें डूबों लो चाहे मतलबी अंगारों से,
न हारे कफ़न ओढ़ने वाले मौत की पुकारों से।
हौसला पर्वतों को चीरने का रखते हैं,
सामने पत्थरों से ये फ़ौलाद कहाँ डरते हैं।
जान लो बुनियाद मजीद कुछ ऐसी हमारी है,
मंज़िलों को भी इसी सोहबत की लाचारी है।
सोचा ये सब हुनर भी नाम कर दूँ,
इरादे बदल दिये,
फ़ौरन मालूम जब हुआ,
एहसांफरोशी तो यहाँ ख़ानदानी बीमारी है।
चलो अब इस तजुर्बे से तौबा करते हैं,
ख़ामोश गुजरना है,
हंगामे का क्या फ़ायदा,
सिक्का खोटा तभी तो सौदे लौटाया करते हैं।
तोहफ़े के बदले बेहतर तोहफ़े कैसे,
जब ईमान हर त्यौहार बदलते हैं।
हीरे के सौदागरों को भी तो,
यहाँ कागज़ के नोट हीं मिलते हैं।
टुकड़ों में अदा करे तो क़ीमत मत लेना,
ये रक़म साबुत हो तभी बेरोक चलते हैं,
अक्सर बोझ छोड़ना होता है इस आसमाँ में,
कदम छोड़ हौसले और ख़्वाब जब ऊँचा उड़ते हैं।
वक़्त भी देखे,तैयारे भी देखे और देखे कई जहान,
हैरान न होना ऐ आसमाँ अब देख ऊँची उड़ान।
-रघुनंदन पांडेय