31/08/2025
चिकित्सा में लापरवाही और कॉर्पोरेट अस्पतालों की न केवल मनमानी बल्कि आर्थिक रूप से पंगु बनाने का उपयुक्त तरीका👇🏻👇🏻👇🏻
एक सामान्य कमर दर्द के लिए मरीज़ का सीधा PET-CT स्कैन करवा दिया गया।🧐🤨 चूँकि मरीज़ की उम्र अधिक थी, अधिक रेडिएशन के कारण सुरक्षा की दृष्टि से RFT (रीनल फंक्शन टेस्ट) भी करा लिया गया। PET-CT एक उच्चतम रेडिएशन-आधारित स्कैन है, जो आमतौर पर गंभीर और जटिल मामलों, विशेष रूप से कैंसर के इलाज के दौरान, सुझाया जाता है।
इसके अतिरिक्त, डॉक्टर ने बिना किसी उपयुक्त जाँच के ही एक तिमाही इंजेक्शन भी लगा दिया, जिसकी कीमत लगभग 25,000 रुपये थी। इस तरह, एक मरीज़ जो केवल कमर दर्द की शिकायत लेकर गया था, उसे लगभग 65-70 हज़ार (Pet-CT स्कैन के लिए 25000, 5-1000/- RFT के लिए, कुछ अन्य चीजों को जोड़कर) रुपये का भारी-भरकम खर्च उठाना पड़ा।🤔🤔 लेकिन चिकित्सालय नहीं ये कॉरपोरेट हॉस्पिटल है, इलाज नहीं सिर्फ माफियागिरी है, इसलिए बिल्कुल शांत 🤫
😒 मरीज़ को लगा कि कोई गंभीर बीमारी होगी, इसीलिए ये ‘भगवान रूपी’ डॉक्टर, जो अब कॉर्पोरेट डॉक्टर बन चुके हैं, इतनी हड़बड़ी में इतने बड़े-बड़े टेस्ट करवा रहे हैं। जब रिपोर्ट आई, तो पता चला कि कमर दर्द का असली कारण एक मामूली बीमारी थी, जिसे आयुर्वेद के एक रसशास्त्र के योग्य चिकित्सक 8-10 दिनों में ठीक कर सकते हैं।
कॉर्पोरेट अस्पताल आपकी बीमारी को बढ़ाकर तब तक शोषण करते हैं जब तक आपकी जेब खाली न हो जाए।
जबकि आयुर्वेद में, यदि आपको रसशास्त्र के विद्वान चिकित्सक मिल जाते हैं, तो जटिल से जटिल रोग का उपचार केवल दवाओं से ही कुछ ही दिनों में ठीक कर सकते हैं।🤝🏻🫶🏻
और जब मैं कहता हूँ ‘ठीक हो जाएगा’, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि बीमारी केवल दब जाएगी।😎😎