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27/04/2025

Siddha Marg | Siddha Di Yogshala | Siddhashram Dham

Healing | Protection | Meditation | Day – 137

> “जहाँ प्रयत्न समाप्त होता है,
वहीं से साधना प्रारंभ होती है।”

137 दिन की इस तपस्वी यात्रा ने हमें भीतर के मौन प्रदेशों से परिचित कराया है।
जब हम समर्पणपूर्वक समस्त आग्रह छोड़ देते हैं,
तो एक दिव्य प्रकाश हमारे अंतर में स्वतः प्रकट होता है —
जो प्रेम, करुणा और शांति का मूल स्रोत है।

🕉️ आज का ध्यान‑सत्र: तीन दिव्य संकेत

1. समर्पण की अनुभूति — स्वयं को ईश्वर की ऊर्जा में पूर्ण अर्पित करना।

2. श्वास का संगीत — श्वास-प्रश्वास के सहज स्वरूप को प्रेमपूर्वक सुनना।

3. अखण्ड मौन — विचारों के पार जाकर आत्मा की ध्वनि को पहचानना।

📜 एक प्रेरक कथा: “प्रकाश का स्रोत”

एक दिन एक शिष्य ने गुरुदेव से पूछा,
“गुरुदेव, मैं भीतर प्रकाश क्यों नहीं देख पाता?”

गुरुदेव ने उत्तर दिया,
“रात्रि के समय जब आकाश बादलों से घिरा हो, तो क्या तारे मिट जाते हैं?”

शिष्य बोला, “नहीं, वे तो वही रहते हैं, बस दिखते नहीं।”

गुरुदेव मुस्कुराए, बोले,
“ठीक वैसे ही, भीतर का प्रकाश भी सदैव विद्यमान है।
तुम्हारे संदेह और चंचलता के बादल हटते ही वह स्वयं प्रकट हो जाएगा।”

आज अपने भीतर के बादलों को श्वास से धीरे-धीरे हटाओ—
देखो, प्रकाश तुम्हारे ही भीतर झलक रहा है!

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🙏 सिद्धाश्रम चेतना

— आचार्य नरेंद्र | सनातन सप्तऋषि परंपरा के योगी

23/04/2025

सिद्ध मार्ग | सिद्धा दी योगशाला | सिद्धाश्रम धाम
Healing | Protection | Meditation | Day – 133

"ध्यान वो दीपक है, जो भीतर के अंधेरे को जला देता है।"

आज 133वें दिन हम एक और अंतर्यात्रा पर निकलते हैं —
जहाँ न शोर है, न कोई शंका — सिर्फ मौन की ऊर्जा है।
ध्यान की यही शक्ति है:
जो मन को निर्विचार करती है और आत्मा को ब्रह्म से जोड़ती है।

आज की कथा: "सूरज और दीपक"

एक बार एक दीपक सूर्य से बोला,
"हे सूर्यदेव! आपकी रौशनी के सामने मेरी क्या बिसात?"
सूर्य मुस्कराया और बोला,
"लेकिन जब मैं अस्त हो जाता हूँ, तब तुम्हारा ही प्रकाश अंधकार को हराता है।"
दीपक चुप हो गया — उसे अपनी भूमिका समझ में आ गई।

संदेश:
हर साधक अपने भीतर एक दीपक है।
भले ही वह सूर्य न बने, पर किसी की रात्रि को प्रकाश जरूर दे सकता है।

आज का ध्यान सत्र एक आह्वान है —
– अपने अंदर के दीपक को प्रज्वलित करने का,
– अपनी ऊर्जा को दिशा देने का,
– और उस मौन में उतरने का जहाँ आत्मा नृत्य करती है।

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सिद्धाश्रम चेतना
— आचार्य नरेंद्र
सनातन सप्तर्षि परंपरा के एक जीवित योगी
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