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                                        आज हमारा देश हर साल अरबों रुपये खर्च करता है, चीन और जापान से मोती आयात करने में। इंडियन मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Central Institute of Freshwater Acquaculture (CIFA) के विश्लेषकों के अनुसार भारत में भी अंतर्देशीय संसाधनों से बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले मोती का उत्पादन करना संभव है। इस काम में अहम योगदान दे रहे हैं राजस्थान में जयपुर जिले के किशनगढ़ रेनवाल के रहने वाले नरेंद्र सिंह गिरवा।
उनके गांव में अधिकतर लोग खेती करते थे। लेकिन उनके पास इसके लिए पर्याप्त ज़मीन नहीं थी तो ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने स्कूल-कॉलेज के पास स्टेशनरी आइटम बेचने की दुकान खोल ली।
नरेंद्र कुमार ने करीब 8 साल तक सही से स्टेशनरी शॉप चलाई। लेकिन अचानक मकान मालिक ने दुकान खाली करवा ली। कुछ ही महीने में उन्हें 4-5 लाख रुपये का घाटा हो गया। अब घर चलाने के लिए पत्नी सिलाई क चार पैसे कमाती थीं।
इस बीच नरेंद्र यूट्यूब पर खेती का आइडिया सीखने लगे। यूट्यूब पर सर्फिंग के दौरान एक बार गलत अक्षर टाइप हो जाने के बाद उनके सामने 'Pearl Farming' का वीडियो आ गया। उस वीडियो को देखने के बाद उन्होंने 2015 में मोतियों की खेती शुरू की। इससे पहले ओडिशा के Central Institute of Freshwater Aquaculture (CIFA) जाकर पांच दिन का कोर्स किया। इसके लिए उन्होंने बड़ी मुश्किल से 6,000 रुपये की फीस भरी। इसके बाद केरल जा कर 500 सीप (Mussels) खरीदे और घर पर ही वाटर टैंक बनाकर मोतियों की खेती शुरू कर दी।
राजस्थान का शुष्क मौसम और पर्ल फार्मिंग की जानकारी नहीं होने की वजह से उनके सीप एक-एक कर दम तोड़ने लगे। कई बार असफल होने और नुकसान झेलने के बाद उनकी सीपियों की एक बैच से उन्हें दो लाख रुपये की आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने कारोबार को बढ़ाना शुरू किया। नए वाटर टैंक बनवाए और एक साथ 3,000 सीपियों को पालने लगे। उन्हें हर साइकिल में करीब 5,000 मोती मिलने लगे। इससे उन्हें हर 18 महीने में 10 से 15 लाख का फ़ायदा होने लगा।
आज नरेंद्र ऑनलाइन व ऑफलाइन बाज़ार में मोतियाँ बेचते हैं औ मोती की खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं। उन्हें अजा लोग राजस्थान के 'Pearl King' के नाम से जानते हैं।
                                               
 
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                         
   
   
   
   
     
   
   
  