Dr. Tauseef Alam

Dr. Tauseef Alam AYURVEDA PHYSICIAN

01/05/2024

कोरोना वैक्सीन बनाने बाली कंपनी ने विदेश के कोर्ट में माना कि इस से खून के थक्के जम सकते है और प्लेलेट्स कम हो सकती है ..
लेकिन वैक्सीन के आते ही बिना किसी लांग टर्म ट्रायल के इन्होंने सुरक्षित घोषित कर दिया था ...
अब जब कंपनी ने खुद मान लिया तो इनका कहना है पैनिक न हो कोई बात नही ,छोटी मोटी बात है , कुछ का कहना है कि साइड इफ़ेक्ट तो होते ही है ..
दादा फिर पहले क्यो बोल रहे थे कि एकदम सुरक्षित है .. यदि नही पता था तो बोलते कि अभी पता नही है कि सुरक्षित है या नही ... अंततः स्थिति यह है कि अता पता कुछ है नही बस मनुष्यो को चूहा समझकर प्रयोग कर रहे है ..

लेकिन सबको लगवा दिया जोर जबरदस्ती कर के जो कि मानव हित और संविधान के खिलाफ था .. जब कि अधिकतर लोग कोरोना से बीमार होकर इम्युनिटी पा चुके थे .. फिर भी जबरन लगाई गयी ...

और जिन्होंने वैक्सीन नही ली वो भी आज सुरक्षित और समझदार सिद्ध हुए ..

10/04/2023

डायबिटीज़ के इन चार नवघोषित रोगियों पर आप ज़रा गौर कीजिए:

एक रोगी है, जिसकी दिनचर्या बहुत अनियमित है, वह अपने खान-पान का ख्याल नहीं रखता और ना ही वह चलता-फिरता है। उसकी इस खराब दिनचर्या के परिणाम में उसे डायबिटीज़ हो जाती है।

दूसरा रोगी है, जिसका कल एक ऑपरेशन होने वाला है। ऑपरेशन के डर के कारण उसके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ गई है, जिसके कारण वह डायबिटीज़ का रोगी बन गया।

तीसरी रोगी है, जिसका एक जवान बेटा एक्सीडेंट में गुज़र गया। जिसके सदमे की वजह से उसे डायबिटीज़ हो गई।

चौथा रोगी है, जिसे एक चर्म रोग को ठीक करने के लिए डॉक्टर ने लंबे समय तक स्टेरॉइड दिए जिससे उसे डायबिटीज़ हो गई।

इन चारों रोगियों को देखकर आपको क्या लगता है, इन्हें डायबिटीज क्यों हुई? और सामान्य ज्ञान से विचार करके आप मुझे यह बताइए कि क्या इन्हें एक जैसा उपचार दिया जाना चाहिए? क्या सभी रोगियों को एक ही दवाई दी जानी चाहिए? आप यह निश्चित रूप से सोच रहे होंगे कि इन चारों लोगों को अलग-अलग कारणों से डायबिटीज़ हुई है जिसके कारण उनके चिकित्सकों को इनका इलाज भी अलग-अलग तरह से करना चाहिए। जैसे जो रोगी अनियमित दिनचर्या के कारण डायबिटीज़ का रोगी बना है उसकी दिनचर्या को ठीक किया जाना चाहिए, जो रोगी डर के कारण डायबिटीज़ का रोगी बना है उसके डर का निदान किया जाना चाहिए, जो रोगी अपने परिजन के दुनिया से असमय जाने के कारण सदमे में है उसकी काउंसलिंग की जाना चाहिए, जो रोगी दवाओं के साइड इफेक्ट की वजह से डायबिटीज़ का शिकार हुआ है उसे उन दवाओं से दूर रखकर और उन दवाओं के असर को खत्म करने का इलाज करना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से अधिकतर चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसा नहीं करते और ऐसा करने में वे ज़्यादा दिलचस्पी भी नहीं रखते। वे सभी को एक ही जैसी दवाई देना शुरू कर देते हैं जिनका काम होता है ब्लड में ग्लूकोज़ के लेवल को कम करना, उसकी वजह चाहे जो भी हो। उन्हें कारण से मतलब नहीं है, उन्हें बस क्षणिक परिणाम देना है, आपके ब्लड ग्लूकोज़ को कुछ घंटों के लिए सामान्य दिखाना। जब यह कुछ घंटों बाद बढ़ने लगे तो फिर एक गोली खा लो। कब तक? ज़िंदगी भर तक! यह कैसा उपचार हुआ भाई? यह तो चिकित्सा के मूल सिद्धांत से विपरीत है। लेकिन यही हो रहा है! ऐसे ही इलाज किया जा रहा है और ऐसे ही इलाज करवाया जा रहा है।

आप क्या करें? अगर आपको डायबिटीज़ डायग्नोस हो तो सबसे पहले कारणों को पता करें कि आपको यह क्यों हुई? उन कारणों को दूर कीजिए। मेरा अनुभव है कि डायबिटीज़ की शुरुआत में ही निदान परिवर्जन उपचार ले लिया जाए तो अधिकांश रोगियों को जीवन भर दवाई खाने की ज़रूरत नहीं पड़ती

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16/01/2023

DIET OF SENIOR CITIZENS

Healthy Senior citizens can enjoy the same healthy diet of others provided they are doing a little to maintain good immune and metabolic state. This includes waiting till the onset of good hunger to eat, eating light always ,ensuring regular exercise( whole body movement and not postural) for fifteen minutes, morning and evening on empty stomach and treating and REVERSING any acute health problems immediately and attaining HEALTH. Ensuring intake of more vegetarian diet , less fruits and dairy products( except minimal cow ghee in place of cooking oil ).

Reducing or stopping consumption of mutton & beef are extremely beneficial for their health. Nuts and dry fruits are by their property are hard to digest and metabolise and hence best to avoid them in regular menu.

It is not the external weather conditions that matter to decide what you eat , rather it should be the conditions inside your body, your power of digestion, metabolism ,physical activities, whether you feel light,active and hungry after digestion of previously consumed food, whether you get regular bowel movement and whether the stool is easy and floating( floating stool indicate optimal digestion and metabolism), whether you get sound sleep and fresh wake up after sleep etc which determines what to eat and what not. If you have any sort of immune or metabolic imbalance any or all of these will be bad irrespective of whether lab reports show normal or not. If anything wrong you need to stay on rice or wheat gruel diet with salt and boiled veggies or Fulka chappathies with dal or veggies for 2-3 days
Best habit is to always drink boiled water as unboiled water will slow down digestion and metabolism. Also vegetable / moong soups are good for health. It is better to avoid taking any kind of nutritional supplements as it significantly hampers the innate capacity of body to rectify the inborn metabolic or assimilation error . There is no need to check Iron - Vitamin and Calcium levels but it is important to reverse any disease if emerging.


31/05/2021
29/04/2021

"On the Origin of species". Charles Darwin द्वारा लिखी इस पुस्तक मे Natural selection theory बताई गई है,संक्षेप मे इसका सिद्धांत है कि हर प्रजाति,अधिसंख्या मे प्रजनन करके संतति उत्पन्न करती है,परन्तु जो प्रकृति से तारतम्य बना ले जाते हैं वही दीर्घकाल तक अस्तित्व मे रहते हैं,मतलब survival of the fittest.
Primal life से लेकर कुछ सौ वर्ष पूर्व तक हम प्रकृति को चकमा देने मे सफल रहे और हमारी आबादी बढ़ती गयी।
वर्तमान परिवेश मे इंसान के लिए हर तरफ कृत्रिम वातावरण बचा रह गया और प्रायः लोग इस कृत्रिमता मे survive करने के लिए संघर्ष रत हो गये,जैसे भौतिक संसाधन जुटाना,सामाजिक प्रतिष्ठा बनाना AC, Refrigerator,car, आदि के सहारे प्रकृति की class attend करना छोड़ दिया न गर्मी का अहसास न जाड़े का,ना बारिश मे भीगने का तर्जुबा ना वातावरण से साक्षात्कार,ऐसी प्रजाति प्रकृति से बहुत दूर चली गयी,अब जब प्रकृति का अभ्यास ही नही किया कभी तो उसकी परीक्षा मे उत्तीर्ण होना तो मुश्किल ही होगा,हो भी रहा है।

प्रकृति का कठिन प्रश्न पत्र सबको मिला है इस समय पर उत्तीर्ण वही हो रहे हैं जिनका अभ्यास था,जिन्होने syllabus पूरा पढ़ा था,कृत्रिम संसाधनों से वंचित वर्ग अच्छे से perform कर रहा है,वो अस्पताल मे बेड नही खोज रहा न उसे वेंटिलेटर चाहिए 8-10 दिन खांसी बुखार के बाद वो पहले के जैसे।

बाकी की हालत तो हमे पता ही है।
इस बार के natural selection process से ये तो स्पष्ट है कि प्रकृति की class हमे attend करनी पड़ेगी,थोड़ा पसीना,थोड़ी ठिठुरन सहनी होगी।
या तो शतप्रतिशत कृत्रिमता के लिए तैयार कर लें खुद को,पानी ही नही हवा भी कैन मे लेकर चलना पड़ेगा।

"सर्वे सन्तु निरामयः"🙏

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