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Life Line Medicos “Sehat ka Sathi"

31/12/2024
15/11/2024

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11/09/2024
11/06/2022

TOPIC. NO.68
कैलोरी क्या होती है, हमें एक दिन के खाने में कितनी कैलोरी की जरूरत पड़ती है
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हमारे हेल्दी खाने का कैलोरी से गहरा रिश्ता होता है. हम जो कुछ भी खाते हैं, उसकी एक तय कैलोरी होती है. बच्चे से लेकर व्यस्क व्यक्ति और औरत की रोजाना की कैलोरी डायट तय होती है, अगर आप उसके अनुसार खाएंगे तो स्वस्थ रहेंगे लेकिन ज्यादा या कम खाएंगे तो उसका असर भी अलग तरह से पड़ने लगेगा. जाने क्या पूरा कैलोरी का चार्ट
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ऊष्मा को मापने के लिए हम एक बड़ी इकाई का भी प्रयोग करते हैं , इसे किलो कैलोरी कहते हैं. यह ग्राम कैलोरी से एक हजार गुना अधिक होती है पाचन क्रिया में खाने के पदार्थों से पैदा होने वाली ऊष्मा को किलो कैलोरी में ही मापा जाता है.
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हम जो भी भोजन करते हैं , पाचन क्रिया द्वारा उससे ऊष्मा ऊर्जा पैदा होती है.
उदाहरण के लिए एक ग्राम प्रोटीन के पचने से चार कैलोरी और एक ग्राम वसा ( Fat ) से नौ कैलोरी ऊष्मा पैदा होती है. हर व्यक्ति की ऊष्मा की आवश्यकताएं अलग – अलग होती हैं. ये जरूरतें उसके शरीर के आकार और काम के अनुसार बदलती रहती हैं.
किसको रोज कितने कैलोरी की जरूरत
औसतन एक आम व्यक्ति को रोज के खाने के जरिए 2100-2200 के आसपास कैलोरी की जरूरत होती है. माना जाता है कि गांव में रहने वाले लोग ज्यादा मेहनत करते हैं या उनकी शारीरिक सक्रियता ज्यादा होती है, लिहाजा उनके खाने की कैलोरी में थोड़ा फर्क है. एक शहरी की औसत खुराक 2169 कैलोरी होनी चाहिए तो ग्रामीण क्षेत्र में 2214 कैलोरी.

वजन ज्यादा होने का मतलब क्या होता है
जब किसी आदमी का वज़न सामान्य से अधिक होना शुरू होता है , तो इसका मतलब है कि वह जरूरत से ज्यादा कैलोरी ले रहा है. यही अतिरिक्त ऊष्मा मोटापे के रूप में जमा हो रही है. ऊष्मा हमें लगभग सभी प्रकार के भोजनों से मिलती है.
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किससे कितनी कैलोरी
अलग – अलग पदार्थों से पैदा होने वाली ऊष्मा की मात्राएं अलग – अलग होती हैं.– 100 ग्राम गेहूं से 348 कैलोरी– 100 ग्राम मछली से 300 कैलोरी– 100 ग्राम आलू से 83 कैलोरी– 100 ग्राम चीनी से 394 कैलोरी– 100 ग्राम मक्खन से 793 कैलोरी– 100 ग्राम अण्डे से 155 कैलोरी
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कैसे पता लगती माप
किसी पदार्थ का कैलोरी मान यानी उससे पैदा होने वाली ऊष्मा को ज्ञात करने के लिए एक ग्राम पदार्थ को जलाया जाता है. जलने पर उससे पैदा होने वाली ऊष्मा को कैलोरीमीटर नामक यंत्र द्वारा माप लिया जाता है. यही ऊष्मा उस पदार्थ का कैलोरीमान बताती है.
कम कैलोरी लेने से क्या होगा
जैसे 12 ग्राम कोयले को जलाने से 94 कैलोरी ऊष्मा पैदा होती है. यदि कोई व्यक्ति ऐसा भोजन लेता है, जिससे उसकी कैलोरी की जरूरत पूरी नहीं होगी तो तो उसका वजन कम होता जाएगा. अधिक कैलोरी लेने पर उसे मोटापा आना शुरू हो जाएगा. इसलिए स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए संतुलित भोजन करना बहुत जरूरी है.

10/06/2022

TOPIC. NO.67
क्या होता है लू लगना? आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय
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लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है. लू से बचने के लिए जरूरी है खूब तरल पदार्थों का सेवन करना. एक्सपर्ट से जानें, लू लगने पर कैसे नजर आते हैं लक्षण और बचाव के उपाय.
गर्मी के मौसम में अक्सर लोग लू लगने से परेशान रहते हैं. यह एक कॉमन समस्या है, लेकिन समय पर इलाज भी जरूरी है. गर्मी में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू (Loo) कहा जाता है. अप्रैल से लेकर जून के महीने में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इन तीन महीनों में ही पारा बहुत हाई होता है और बेहद गर्म और ड्राई हवाएं बहती हैं.
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लू तब लगती है, जब तापमान बहुत अधिक होता है. जब कोई व्यक्ति गर्म हवा और धूप में देर तक रहता है, उसका चेहरा और सिर देर तक धूप और गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू (Heat wave) लग जाती है. इससे व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है.

लू से बचाव के उपाय
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डॉ. संजय कहते हैं, जब भी आप घर से बाहर जाएं खुद को हाइड्रेटेड रखें. अपने साथ पानी का बोतल और छाता जरूर लेकर चलें. बहुत देर तक बाहर धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें. जितनी देर आप गर्म हवा में खुद को एक्सपोज रखेंगे, लू लगने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है. शरीर के संपर्क में गर्म हवा जितनी अधिक आएगी, उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार होंगेडॉ. आगे बताते हैं कि कार में जो लोग बाहर जाते हैं, उन्हें लू जल्दी नहीं लगती है. बाइक, साइकिल पर चलने वाले, ठेले पर सामान बेचने वाले, मजदूरी करने वालों को लू सबसे अधिक लगती है. ऐसे में संभव हो तो इन्हें सुबह के समय अपना काम करना चाहिए. साढ़े ग्यारह बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें. मजबूरी है रहना, तो अपने ठेले के ऊपर या जहां भी बाहर काम कर रहे हैं, वहां छाता या कवर लगा लें.
खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें. ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, नारियल पानी का सेवन करें. दोपहर के समय धूप और गर्म हवा तेज होती है, इस समय बेफिजूल घर से बाहर जाने से बचें. जो लोग कार से चलते हैं, वो पार्क की गई गाड़ी का शीशा थोड़ा सा खोलकर रखें. प्रॉपर वेंटिलेशन होने के बाद ही कार में ऐसी ऑन करें, क्योंकि बंद कार में गर्मी, तपिश बहुत होती है. अचानक कार में बैठते ही ऐसी ऑन करने से भी हीट स्ट्रोक, लू लग सकती है.
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