जमीअत उलमा-ए-हिन्द

जमीअत उलमा-ए-हिन्द JAMIAT ULAMA-I-HIND

We belong to Allah and to Him we shall return.
07/10/2024

We belong to Allah and to Him we shall return.

BREAKING NEWS: The Crescent of Ramadan 1445/2024 has been sighted in Saudi Arabia!Subsequently, Ramadan 1445/2024 begins...
10/03/2024

BREAKING NEWS: The Crescent of Ramadan 1445/2024 has been sighted in Saudi Arabia!

Subsequently, Ramadan 1445/2024 begins tomorrow, 11 March 2024

Taraweeh Prayers will begin in the Two Holy Mosques after Isha Prayers

15/08/2023
آپ لوگوں کی دعاؤں سے (مولانا مدنی مدظلہ ) کی طبیعت پہلے سے کافی اچھی ہے ہاسپٹل سے چھٹی مل گئی ھےڈاکٹروں نے آرام کا مشورہ...
27/08/2022

آپ لوگوں کی دعاؤں سے (مولانا مدنی مدظلہ ) کی طبیعت پہلے سے کافی اچھی ہے ہاسپٹل سے چھٹی مل گئی ھے
ڈاکٹروں نے آرام کا مشورہ دیا ہے، مزید دعاؤں کی درخواست ہے کہ اللہ تعالیٰ صحت کاملہ عاجلہ دائمہ مستمرہ عطاء فرمائے، آمین.
محمد مدنی
مدنی منزل دیوبند

हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी साहब की तबीयत खराब है, फोर्टिस अस्पताल में इलाज जारी। आप सभी से दुआ की दरख्वास्त है कि अल्ला...
24/08/2022

हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी साहब की तबीयत खराब है, फोर्टिस अस्पताल में इलाज जारी। आप सभी से दुआ की दरख्वास्त है कि अल्लाह हज़रत को जल्द शिफा दे अमीन।
«اللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ، أذْهِب البَأسَ، اشْفِ أنْتَ الشَّافِي لاَ شِفَاءَ إِلاَّ شِفاؤكَ، شِفَاءً لاَ يُغَادِرُ سَقماً».

मौलाना अरशद मदनी साहब को पाँचवा अमीरूल हिन्द बनाया गया! आज जमीयत उलेमा ए हिन्द की अमारत ए शरिया हिन्द के चुनाव में मौलान...
03/07/2021

मौलाना अरशद मदनी साहब को पाँचवा अमीरूल हिन्द बनाया गया!
आज जमीयत उलेमा ए हिन्द की अमारत ए शरिया हिन्द के चुनाव में मौलाना अरशद मदनी साहब (सदर मुदरर्सीन दारूल उलूम देवबंद व सदर जमीयत उलमा ए हिन्द) को अमारत ए शरिया हिन्द का अमीरूल हिन्द बनाया गया!
यह पद कारी उस्मान साहब मंसूरपुरी के इंतकाल के बाद रिक्त हो गया था !
Jamiat Ulama-i-Hind के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हम सबके बुज़ुर्ग, हज़रत मौलाना अरशद मदनी साहब को अमीरूल हिंद बनाए जाने पर बहुत बहुत
मुबारकबाद 💐💐💐
अल्लाह इन बुजुर्गों का साया हमेशा कायम रखे
#आमीन

27/05/2021

जमीयत उलमा ए हिंद की कार्यकारिणी सभा ने चुना
मौलाना महमूद मदनी को जमीयत उलमा ए हिंद का अंतरिम अध्यक्ष।

प्रमुख प्रस्ताव में इस्राइली बर्बरता और विस्तारवादी नीति को आतंकवादी कार्यवाही बताते हुए की गई निंदा - भर्त्सना।
कहा गया कि ओस्लो समझौते के अनुसार अल कुद्स शहर का कंट्रोल फिलिस्तीनियों के हवाले किया जाए।
गाज़ा में बडे़ पैमाने पर तबाही - बर्बादी का मुकदमा चलाया जाए। इसके अलावा पुनर्स्थापना के लिए मुआवज़ा इस्राइल से वसूल किया जाए।

नई दिल्ली (द वर्ल्ड टुडे न्यूज़ )
जमीयत उलमा ए हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में समस्त सदस्यों की आम सहमति से मौलाना महमूद मदनी को जमीअत उलमा ए हिंद का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया और महासचिव के लिए अंतरिम तौर पर मौलाना हकीमुद्दीन का़समी का नाम तय किया गया है।
कार्यकारिणी सभा में जमीयत उलमा ए हिंद के ज़िला व राज्य चुनाव के लिए जारी गतिविधियों का भी आंकलन किया गया और देश के विभिन्न भागों में चल रहे लॉकडाउन के कारण से इस काम के लिए और अधिक तीन महीने की बढ़ोतरी कर दी गई। इस अवसर पर दोनों जमीयतों के एकीकरण के पूर्व के दृष्टिकोण का पुन समर्थन किया गया। कार्यकारिणी सभा ने इसके अलावा फिलिस्तीनी समस्या और मस्जिद ए अक्सा की वर्तमान स्थिति पर एक प्रमुख प्रस्ताव में कहा कि जमीयत उलमा ए हिंद की मजलिस ए आमला का यह सम्मेलन बर्बर और आतंकवादी इस्राइली फौज के माध्यम से मस्जिद ए अक्सा के आंगन में नमाज़ियों पर हमला और उसका अपमान करने पर कड़े शब्दों में निंदा-भर्त्सना करता है। वर्तमान में इस्राइल ने जिस तरह मस्जिद ए अक्सा का अपमान किया है और उसके बाद गाजा में हवाई हमले करके 200 से अधिक लोगों का कत्ल किया है जिनमें 70 बच्चे और औरतें शामिल हैं। इससे पूरी दुनिया के मुसलमानों को आघात पहुंचा है। इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र में भारत सरकार ने जो दृष्टिकोण अपनाया है वह संतोषजनक है। वर्तमान स्थिति में जमीयत उलमा ए हिंद यह मांग करती है: (1) गाजा में भयानक युद्ध अपराध के होने पर इस्राइल पर अंतरराष्ट्रीय युद्ध अदालत में मुकदमा चलाया जाए। मस्जिद ए अक्सा की सुरक्षा को विश्वसनीय बनाया जाए। बैतुल मुकद्दस से इस्राइल अपना जबरन कब्जा फौरन हटाए और ओस्लो समझौते के अनुसार अल कुद्स शहर का कंट्रोल फिलिस्तीनियों के हवाले किया जाए। (2) विश्व जगत एक स्वयंभू स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य को फौरी तौर पर स्थापित करने में सहयोग करे। शरणार्थी फिलिस्तीनी जनता के पुनर्वास और वतन वापसी के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाए। अरब अधिकृत क्षेत्रों को इस्राइल खाली कर दे। (3) इस्राइल को पूर्वी यरूशलम में किसी तरह के नए निर्माण से रोका जाए। क्योंकि यह कदम अंतरराष्ट्रीय समझौते का घोर उल्लंघन है। (4) गाजा में जिस बड़े पैमाने पर रिहायशी मकानों को ध्वस्त किया गया है उनके पुनर्निर्माण व पुनर्स्थापना के लिए इस्राइल से मांग प्रथम आवश्यकता और न्याय का तकाज़ा है। (5) जंग बंदी की घोषणा के खिलाफ इस्राइल लगातार मस्जिदे अक्सा और आसपास के क्षेत्रों में बेकसूर फिलिस्तीनी नागरिकों पर हिंसा व अत्याचार की कार्यवाही कर रहा है उसे इस बर्बरता वाले कार्यों से रोके रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
सम्मेलन में जमीयत उलमा ए हिंद के पूर्व अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी पर एक शोक प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। प्रस्ताव में विशेष रुप से कहा गया कि आपका अध्यक्षता काल (मार्च 2008 से मई 2021) जमीअत उलमा ए हिंद के इतिहास का सुनहरे अध्याय के तौर पर याद रखा जाएगा। इस काल में जमीअत उलमा ए हिंद ने विभिन्न जीवन के क्षेत्रों में अत्यधिक कार्यों को अंजाम दिया। जिनको पूरे विश्व में स्वीकार किया गया। इस सुनहरे अध्याय की एक बड़ी विशेषता यह है कि हमारे प्रिय अध्यक्ष अपने आने वालों के लिए ऐसी मिसाल और नमूना अमल छोड़ गए हैं जिसको मजबूती से पकड़ कर ही अमल करने में जमीअत उलमा ए हिंद की असल शक्ति है। आपकी शख्सियत सही अर्थों में विश्वसनीय, प्रेम, परिश्रम और विश्व विजेता का दर्पण थी।
हज़रत फिदा ए मिल्लत के बाद जमीयत जिन चुनौती भरे हालात से दो चार हुई इन हालात में स्थाईत्व का जादू बरकरार रहना और जमीयत के संविधान को हर हाल में मुकद्दम रखना हज़रत मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी की अजमत और कामयाबी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। दूसरे शब्दों में जमात और मिल्लत का मफाद सबसे ऊपर रखना आपकी जिंदगी का प्रमुख सबक है और हम सभी कारकुन आने पदाधिकारी भविष्य में इस पर स्थापित रहना ही ना सिर्फ हज़रत मौलाना मरहूम के लिए बल्कि हमारे सभी लोगों के लिए असली शोक श्रद्धांजलि है। जमीयत उलमा ए हिंद का यह सम्मेलन अपने पूर्व अध्यक्ष की सेवाओं को स्वीकार करते हुए उनके लिए दुआ करता है कि अल्लाह तआला हज़रत के परिवार वालों, औलाद, दोस्तों, मिलने वालों और सभी संबंधियों को सब्र जमील के साथ-साथ इस गम को बर्दाश्त करने की तौफीक अता फरमाए और हज़रत को जन्नत उल फिरदोस में आला मुकाम अता फरमाए।आमीन।
हज़रत अमीर उल हिंद के अलावा हज़रत मौलाना मुफ्ती अब्दुल रज्जाक खान साहब हज़रत मौलाना मोहम्मद हमजा हुसैनी नदवी, मौलाना मोहम्मद वली रहमानी, मौलाना निजामुद्दीन असीर अदरवी, मौलाना नूर आलम खलील अमीनी, मौलाना हबीबुर्रहमान आजमी, मौलाना महमूद कासिम मेरठी, मौलाना अबू बकर रांची, मौलाना शब्बीर अहमद राजस्थान मौलाना मोहम्मद इब्राहिम जूनागढ़, महमूद उल जफर रहमानी, क़ारी रिजवान नायब नाजिम मदरसा मजहिर उलूम, हाफिज अब्दुल कबीर बनारस, कारी मोइनुद्दीन, हसन अहमद कादरी पटना, पत्नी प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी गुजरात और पत्नी मौलाना मोहम्मद अमीन पालनपुर, मौलाना अब्दुल जब्बार भागलपुर, पत्नी मुफ्ती शब्बीर अहमद मुरादाबाद, असलम भाई देवास, मिर्जा शब्बीर बैग, मुफ्ती एजाज अरशद, मौलाना अब्दुल मोमिन संभल भाई मेराज मुजफ्फरनगर, शहाबुद्दीन सीवान, हाजी मियां फैयाजउद्दीन दिल्ली, पत्नी अब्दुल रजाक धमरका, मौलाना अब्दुल कयूम पालनपुर, हाजी यूनुस, मौलाना अब्दुल रशीद उस्ताद दारुल उलूम मोहम्मद सादिक,मुफ्ती अहमद देवलया, मौलाना रफीक गाड़ी गांव आसाम, अनवरा तैमूर पूर्व मंत्री आसाम मौलाना अनवरी अली हैलाकंदी, मौलाना अब्दुल बाकी मद्रास सहित विभिन्न हस्तियों की मृत्यु पर शौक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सम्मेलन में नवनियुक्त अध्यक्ष जमीअत उलमा हिंद और महासचिव के अलावा सदस्य के तौर पर मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आज़मी, मौलाना शौकत अली वैट, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल क़ासमी, मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी शरीक हुए।
जब के जूम के माध्यम से अबुल कासिम नोमानी मोहतमिम व शैखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद, मौलाना नदीम अहमद सिद्दीकी, मौलाना पीर शब्बीर अहमद, मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार अहमद,मौलाना बदरुद्दीन अजमल मौलाना मोहम्मद रफीक मजाहिरी, मौलाना सिराजुद्दीन नदवी अजमेर और विशेष आमंत्रित के तौर पर मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी उस्ताद दारुल उलूम देवबंद, मुफ्ती अब्दुल रहमान नौगांवा सादात, मुफ्ती अहमद देवलिया हाजी मोहम्मद हारुन, मौलाना अली हसन मजाहीरी मौलाना अब्दुल कुददूस पालनपुर मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, डॉक्टर सईदुद्दीन नांगलोई और जूम के माध्यम से ही मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, क़ारी मोहम्मद अमीन, डॉक्टर मसूद अहमद आज़मी मुफ्ती हबीबुर्रहमान इलाहाबाद, मौलाना गुलाम कादिर पूंछ, मौलाना मोहम्मद इलियास मिफ्ताही पीपली माजरा, क़ारी मोहम्मद अयूब मुंबई, मौलाना मोहम्मद याहिया आसाम, शरीक हुए।

😢इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजीऊन....!😢आप हज़रात को बड़े ही अफसोस के साथ इत्तला दी जाती है कि, स्वतंत्रता संग्राम सेना...
26/05/2021

😢इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजीऊन....!😢

आप हज़रात को बड़े ही अफसोस के साथ इत्तला दी जाती है कि, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक़ साहब (भोपाल) इस दुनिया ए फ़ानी को अलविदा कह गए हैं..
2 बजे दिन में इकबाल मैदान भोपाल में नमाजे जनाजा होगी और हजरत की बड़े बाग़ भोपाल में तदफ़ीन होगी
नूर उल्लाह यूसुफ़ ज़ई
9329753319

The president of Jamiat Ulama-i-Hind Maulana Qari Mohammad Usman Mansoorpuri Passed away Today ( 21-05-2021)He led natio...
21/05/2021

The president of Jamiat Ulama-i-Hind Maulana Qari Mohammad Usman Mansoorpuri Passed away Today ( 21-05-2021)

He led nationwide anti-terrorism movements and championed the cause of Hindu Muslim unity.


New Delhi 21-05-2021:
(the world today news)
Great Islamic Scholar, the President of Jamiat Ulama-i-Hind & acting rector of Darul Uloom Deoband, Maulana Qari Syed Mohd Usman Mansoorpuri passed away today at Medanta Hospital, Gurgaon due to COVID-19 related complications. He was a senior teacher and working rector of Darul Uloom Deoband (one of the world’s most prestigious seminary founded in 1866).

The 76 years scholar played key role in issuing fatwa against Terrorism in 2008 and then after he led the anti- terrorism movements all across the country. He was champion of Hindu Muslim unity and for this he established Sadbhavna Manch under banner of Jamiat Ulama-i-Hind to stitch together the influential Hindu and Muslim leaders for taking care of local communal harmony. He also led the Jamiat’s Dalit Muslims unity movement.
Born on August 12, 1944 in a well-off nawab family at Mansurpur, Muzaffarnagar UP (India), completed his Islamic fazliat course from Deoband in 1965 and since then, devoted himself to serving the Quraan and Hadith and community and country on the other side. It is a record that he has been lecturing Hadith in Darul Uloom Deoband for over 36 years.
His lineage traces back to the Prophet of Islam. He was son in-law of the great Islamic Scholar Shaykhul Islam Maulana Sayed Hussain Ahmed Madani.
Since 2008, he was serving as president of Jamiat Ulama-i-Hind. He was also elected as Ameerul Hind under the banner of Imarate Shariat Hind in 2010. Under his presidentship, JUH has expanded its work in the multiple domains including revival of Deeni Taleemi Board and Department of Islamic jurisprudence. His wise decision and better understanding of the organization affairs has benefitted the about 100 years old organization. He was also patron of Maulana Mahmood Madani, the General Secretary of the Jamiat. Maulana mahmood Madani paid tribute to him and mourned his demise.

Issued by:
Niaz Ahmad Farooqui
Secretary, Jamiat Ulama-i-Hind
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*जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के सह प्रधानाध्यापक हजरत अमीर-उल-हिंद मौलाना कारी सैयद मुहम्मद उस्मा...
21/05/2021

*जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के सह प्रधानाध्यापक हजरत अमीर-उल-हिंद मौलाना कारी सैयद मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का इंतेकाल*

*जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज उन्होंने अपने सच्चे गुरु को खो दिया है*

नई दिल्ली, 21 मई (द वर्ल्ड टुडे न्यूज़)

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के सह-प्रधानाध्यापक हज़रत अमीर-उल-हिंद मौलाना कारी सैयद मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी न का आज दोपहर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इंतेकाल हो गया। हज़रत मौलाना कोरोना वायरस के पश्चात होने वाली परेशानियों से दोचार थे। 19 मई को उनको मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान हृदय की गति रुक जाने से देहांत हो गया।

आप एक साथ एशिया की दो बड़ी संस्थाओं दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मार्गदर्शक थे। वह मार्च 2008 से अब तक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष रहे ।

2010 में हजरत मौलाना मरगूबउर्रहमान के निधन के बाद आप को इमारत-ए-शरीआ हिंद के तहत अमीर-उल-हिंद राबे चुना गया था। 1995 से जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति के विशिष्ट आमंत्रित अतिथि और सदस्य रहे हैं। 1979 में हज़रत फिदा-ए-मिल्लत मौलाना सैयद असद मदनी के नेतृत्व में होने वाले ‘मुल्क व मिल्ल्त बचाओ’ आंदोलन में जेल भी गए ।
फ़िदा-ए-मिल्लत के निधन के बाद उन्होंने संगठन की मूल नीतियों और परंपराओं के अनुसार मिशन और काम को आगे बढ़ाया। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाए और इस्लाम के शांति के संदेश को फैलाने के लिए दिल्ली और देवबंद में विश्व स्तरीय ’अमन-ए-आलम कांफ्रेंस’ का आयोजन किया।

हज़रत मौलाना देश के सभी वर्गों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव के लिए प्रयासरत रहे, इसलिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपने कार्यकारिणी सम्मेलन 2019 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव के लिए ‘सद्भावना मंच’ की स्थापना की। इसी तरह 2017 में एक हजार शहरों में एक साथ शांति मार्च निकाले गए। साथ ही दलित-मुस्लिम एकता के लिए आंदोलन चलाए गए। 2011 में सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के आरक्षण के लिए ’मुल्क व मिल्लत बचाओ’ आंदोलन चलाया गया जिसका नेतृत्व उन्होंने खुद लखनऊ में किया। इसके अलावा 2016 में अजमेर शरीफ में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की 33वीं आम बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुसलमानों के दो वर्ग एक साथ आए और एकता का संदेश दिया।

आपके नेतृत्व में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली दंगों के पीड़ितों और उससे पूर्व बिहार, कश्मीर बाढ़ पीड़ितों और मुजफ्फरनगर व असम के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास का बड़ा कारनामा अंजाम दिया।

वह जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के गुरु और शिक्षक थे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने हमेशा अपनी बुद्धिमत्ता और ज्ञान के साथ उनका मार्गदर्शन किया। मौलाना मदनी ने उनके निधन को विशेष रूप से अपनी व्यक्तिगत क्षति बताया और कहा कि आज उन्होंने अपने एक गुरु, शिक्षक और संरक्षक को खो दिया। आपको ज्ञान, बड़प्पन, पवित्रता और संपन्नता के साथ-साथ उदारता की शक्ति और अनुशासन की उच्चतम क्षमता प्राप्त हुई। विद्यार्थियों के प्रति सहानुभूति, हमदर्दी और उनसे लगाव, आपकी विशेषता थी जबकि उसूलों की पाबंदी एक नैसर्गिग विशेषता थी।

इसके अलावा, वह दारुल उलूम देवबंद में हदीस के एक उच्च सम्मानित शिक्षक थे। वर्ष 2000 से भारत के मशहूर शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में शैक्षिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ विभिन्न प्रशासनिक कर्तव्यों का बखूबी पालन करते रहे। आपका पढ़ाने का अंदाज बिना किसी अनावश्यक बातों के बहुत ही सावधानीपूर्वक, गंभीर और विद्वतापूर्ण था। भाषा साफ-सुथरी थी और अनुवाद बहुत सहज व सरल था। आप 1999 से 2010 तक दारुल उलूम देवबंद के उप प्रधानाध्यापक रहे। हाल ही में दारुल उलूम देवबंद की परिषद के सदस्यों ने उन्हें सह-प्रधानाध्यापक के रूप में चुना। आप फिलहाल दारुल-उलूम देवबंद के कार्यकारी प्रधानाध्यापक भी थे।
आप ‘खत्म नबूव्व्त आंदोलन’ के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध थे और यह उनकी विशिष्ट सेवाओं में से एक थी। अक्टूबर 1986 में विश्व सम्मेलन ‘खत्म नबूव्वत’ का आयोजन हुआ जिसके वह संयोजक रहे। इस अवसर पर ’अखिल भारतीय खत्म नबूव्वत कार्यकारिणी’ का गठन किया गया जिसके आप नाजिम चुने गए। इस पद पर जीवनभर रहे। इस संस्था ने देश भर में कादियानी फितने के दमन के लिए एक महान सेवा की है, जो दारुल उलूम के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। ये सभी सेवाएं आपके विश्वास, अथक संघर्ष और अपार जोश का परिणाम हैं।

उनके निधन से एशिया की दो बड़ी संस्थाएं दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद और सामान्य रूप से भारतीय मुसलमानों के लिए अपूरणीय क्षति हुई है। ऐसे महान और समर्पित मार्गदर्शक की मृत्यु पर आज पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। (इन्ना लिल्लाहे वाइन्ना इलेहे राजेऊन)

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