29/05/2022
*आइए! आज अपनी नाभि के माध्यम से बीमारियों को ठीक करने का सरल तरीका समझें!*
हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभि के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है। गर्भ धारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभि के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभि एक अद्भुत भाग है।
नाभि मे तेल हम इसलिए डालते है कि हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है। जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का। नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है। बीमारियों में निम्न प्रकार के तेल का प्रयोग करें।
*1. चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...* आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द घी या नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।
*2. घुटने के दर्द में उपाय* _ सोने से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।
*3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-* रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।
*4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-* नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।
*5. शारीरिक दुर्बलता का उपाय _* नाभि में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।