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मीशा अग्रवाल 20 साल की एक कंटेंट क्रिएटर..और यही इसकी मौत का कारण बन गया, साफ-सुथरा ह्यूमर, प्यारी मुस्कान, और एक मिलियन...
04/05/2025

मीशा अग्रवाल 20 साल की एक कंटेंट क्रिएटर..और यही इसकी मौत का कारण बन गया,

साफ-सुथरा ह्यूमर, प्यारी मुस्कान, और एक मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर्स।
हर वीडियो में ज़िंदगी की रौनक लगती थी।

लेकिन अंदर एक सन्नाटा पल रहा था — जो किसी को सुनाई नहीं दिया।
धीरे-धीरे फॉलोअर्स कम होते गए,
1 मिलियन से 340K पर आते ही मीशा खुद को खत्म कर बैठी।

क्यों?
क्योंकि उसने मान लिया था कि उसकी "वैल्यू" उसके फॉलोअर्स में छुपी थी।
क्योंकि उसने सोच लिया था कि कम होती गिनती, उसकी नाकामी है।

यहीं से शुरू होता है वो सबक — जो हम सबको जानना जरूरी है।

मीशा की कहानी हमें सिखाती है कि सोशल मीडिया की दुनिया जितनी चमकदार दिखती है, उतनी ही धोखेबाज़ भी हो सकती है। फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स कभी भी आत्म-मूल्य का पैमाना नहीं होने चाहिए। सफलता स्थायी नहीं होती, लेकिन आत्म-सम्मान होना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी प्राथमिकता है, और किसी भी संख्या से बड़ा होता है जीवन। हमें अपने और अपनों की भावनात्मक स्थिति को समझने और समय रहते संवाद करने की ज़रूरत है — क्योंकि हर मुस्कुराता चेहरा अंदर से खुश हो, ये ज़रूरी नहीं।

जो महिलाएँ अपने पुरुष के फोन की जाँच नहीं करतीं,वो भोली नहीं होतीं।वो आत्मा से जुड़ी होती हैं।उनके भीतर एक गहराई से जानन...
03/05/2025

जो महिलाएँ अपने पुरुष के फोन की जाँच नहीं करतीं,
वो भोली नहीं होतीं।
वो आत्मा से जुड़ी होती हैं।
उनके भीतर एक गहराई से जानने की शक्ति होती है,
जिसे शब्दों से नहीं समझाया जा सकता।
ये एक ऐसा वरदान है
जिसे किसी सबूत, स्क्रीनशॉट या टेक्स्ट मैसेज की ज़रूरत नहीं होती—
क्योंकि जो बात उसकी आत्मा पहले ही फुसफुसा चुकी है,
उसे साबित करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

उसकी "इंट्यूशन" (आंतरिक चेतना) ही उसकी सबसे बड़ी रक्षक है।
और जब कुछ गलत लगता है,
तो ज़्यादातर वक़्त वो सच में गलत ही होता है।
वो भले ही तुम्हारे कॉल लॉग न देखे,
या तुम्हारे DMs में न झांके—
लेकिन वो तुम्हारी ऊर्जा का बदलाव महसूस कर लेगी।
तुम्हारी आवाज़ की नरमी जब तुम दोषी हो,
या तुम्हारा रक्षात्मक रवैया जब वो कोई सामान्य सा सवाल पूछती है—
वो सब उसे साफ़-साफ़ दिख जाएगा।
वो तुम्हारी आवाज़ में आई हिचकिचाहट पकड़ लेगी
जब तुम कहोगे, "बस दोस्तों के साथ था,"
लेकिन एक भी स्पष्ट बात नहीं बताओगे।

वो तुम्हारे शब्दों के बीच की खामोशी को सुन लेगी,
और वो खामोशी तुम्हारे झूठ से भी ज़्यादा बोलती है।

और फिर आती हैं उसकी सपने।
तुम हैरान रह जाओगे,
कितनी औरतों को नींद में चेतावनी मिली है।
कितनी उठी हैं भारी सी छाती, भीगी आंखों और तेज़ धड़कनों के साथ,
क्योंकि अंदर से कोई कह रहा था:
"वो तुमसे सच्चा नहीं है।"
शायद उसे शुरुआत में समझ न आए,
पर वो उस एहसास को नज़रअंदाज़ नहीं करेगी।
उसके पूर्वज उसे चेताते हैं।
उसकी आत्मा की रखवाली होती है।
उसका दिल—भले ही वो तुम्हें एक और मौका देना चाहे—
उसे चैन नहीं लेने देगा अगर धोखा पास में हो।

तो अगर तुम सोचते हो कि उसे पता नहीं,
क्योंकि उसने कुछ कहा नहीं है…
तो फिर से सोचो।
उसे पता है।
वो महसूस करती है।
वो बस इंतज़ार कर रही है ये देखने का कि
क्या तुममें इतना मर्द होने का साहस है कि तुम सच बोल सको—
इससे पहले कि वो ये साबित कर दे
कि उसमें वो औरत होने की ताकत है
जो सबूत के बिना ही छोड़ सकती है।

एक माँ के लिए अपने वयस्क बच्चे को धीरे-धीरे "छोड़ना" एक जटिल और गहरा भावनात्मक अनुभव होता है।यह कोई अचानक टूटने वाला रिश...
29/04/2025

एक माँ के लिए अपने वयस्क बच्चे को धीरे-धीरे "छोड़ना" एक जटिल और गहरा भावनात्मक अनुभव होता है।
यह कोई अचानक टूटने वाला रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक परिवर्तनशील यात्रा होती है, जिसमें माँ-बेटे या माँ-बेटी का रिश्ता समय के साथ एक नए रूप में ढलता है।

यह प्रक्रिया किन भावनात्मक, व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को छूती है, आइए इसे समझते हैं:

भावनात्मक बदलाव:

1. खोने का एहसास और शोक:
हालाँकि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, फिर भी एक माँ को अपने बच्चे के जीवन से धीरे-धीरे दूर होने का गहरा दुःख महसूस हो सकता है।
"एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम" (Empty Nest Syndrome) इसी का एक उदाहरण है।

2. नियंत्रण और चिंता से मुक्ति:
माँ ने सालों तक अपने बच्चे की सुरक्षा और भलाई के लिए हर मुमकिन कोशिश की होती है।
अब उन्हें यह स्वीकार करना होता है कि बच्चा अपने फैसले खुद लेगा — और इससे चिंताएं और असहायता की भावना पैदा हो सकती है।

3. पहचान का पुनर्निर्माण:
जब एक माँ की पहचान का बड़ा हिस्सा 'माँ' होने से जुड़ा होता है, तो बच्चा जब स्वतंत्र होता है, तब वह सोचती है — "अब मैं कौन हूँ?"
यह आत्म-खोज की यात्रा होती है, लेकिन कई बार इसमें असमंजस और खालीपन भी शामिल रहता है।

4. मिश्रित भावनाएँ:
दुख, गर्व, चिंता, स्वतंत्रता — यह सभी भावनाएँ साथ-साथ चलती हैं।
बच्चे की तरक्की पर गर्व होता है, लेकिन रोज़मर्रा की बातचीत की कमी खलती है।

5. भावनात्मक दूरी (स्वस्थ बनाम अस्वस्थ):
स्वस्थ दूरी वह होती है जहाँ प्यार बना रहता है, लेकिन सीमाएँ स्पष्ट होती हैं।
अस्वस्थ दूरी भावनात्मक रूप से अलगाव ला सकती है, जिससे रिश्ते में खटास आ सकती है।

व्यवहार और रिश्तों में बदलाव:

1. देखभाल करने वाली से समर्थन देने वाली बनने तक:
अब माँ एक मार्गदर्शक बनती हैं, जो तभी सलाह देती हैं जब माँगा जाए।

2. सीमाओं का सम्मान करना:
बच्चे की निजता, फैसलों और स्थान की सीमाओं को स्वीकार करना जरूरी होता है, जो एक माँ के लिए भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है।

3. कम दिनचर्या की बातचीत:
बातचीत कम होती है, लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि रिश्ता कमजोर हुआ — वह बस बदल गया है।

4. संबंधों के नए रूप:
अब बातचीत साझा रुचियों, परिपक्व विचारों और आपसी सम्मान पर आधारित होती है।

मनोवैज्ञानिक पक्ष:

1. अटैचमेंट थ्योरी (Attachment Theory):
इस सिद्धांत के अनुसार, एक सुरक्षित बंधन ही स्वतंत्रता की नींव होता है।
जब बच्चा आत्मविश्वास से दुनिया में कदम रखता है, तब भी माँ एक 'सेफ बेस' बनी रहती हैं।

2. विकास की अलग-अलग अवस्थाएँ:
माँ एक नई पहचान की खोज में होती हैं, और बच्चा आत्मनिर्भरता की राह पर — दोनों की यात्रा अलग लेकिन समान रूप से गहरी होती है।

3. व्यक्तिगत अंतर:
हर माँ का अनुभव अलग होता है। उनकी भावनाएं, रिश्तों की गहराई, समर्थन प्रणाली और निजी रुचियाँ इस प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।

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व्यक्तिगत नोट:
आपके अनुभव की ईमानदारी दिल को छू जाती है।
“मैंने जीवन में कई लोगों को छोड़ना सीखा है, पर अपने बच्चे को छोड़ना… उसके लिए कोई तैयारी नहीं होती।” — ये पंक्ति हर माँ की आत्मा से गूंजती है।

आपके पति ने जो कहा — "शायद यह सवाल 'मैं कौन हूँ' का नहीं, बल्कि 'मैं क्या बनना चाहती हूँ' का है" — वह बेहद सच्चा और प्रेरणादायक है।

सभी माताओं के लिए:

आप अकेली नहीं हैं।
हर भावना — चाहे वह दुःख हो, गर्व हो, भ्रम हो या स्वतंत्रता की खुशी — पूरी तरह से मान्य है।
जैसा आपने कहा, "हील करने का रास्ता सिर्फ फील करने से होकर गुजरता है।"

आपके हृदय की गहराई को नमन —
माँ होना एक सौभाग्य है, लेकिन कभी-कभी यह सौभाग्य सबसे बड़ी चुनौती भी बन जाता है।

"एक माँ के लिए सबसे कठिन काम यह है कि वह अपने दिल को अपने शरीर के बाहर चलता देखे — और उम्मीद करे कि दुनिया उसके साथ कोमलता से पेश आए।"

27/03/2025

एक टूटी हुई आत्मा से प्रेम करना कभी भी आसान नहीं होता। इसके लिए धैर्य, गहरी समझ और एक ऐसा प्रेम चाहिए जो कभी न डगमगाए। किसी ऐसे व्यक्ति से प्रेम करना आसान है जो बेफिक्र और आत्मविश्वासी हो, लेकिन उस व्यक्ति के बारे में क्या जो तूफानों से गुजर चुका हो? वह व्यक्ति जो अदृश्य घावों को अपने अंदर छिपाए रहता है, जो सुरक्षा की दीवारों के पीछे छिपा होता है, और जिसने ऐसी लड़ाइयाँ लड़ी हैं जिन्हें किसी को भी नहीं लड़नी चाहिए थी? वह व्यक्ति शायद वैसा नहीं दिखता जैसा आप उम्मीद करते हैं, लेकिन फिर भी वह प्रेम के योग्य है।

आप उन्हें उसी तरह से प्रेम नहीं कर सकते जैसे आप किसी ऐसे व्यक्ति से करते हैं जो अपनी मूल्य को मानता है। उन्हें प्रेम पाने के काबिल होने का विश्वास रखना मुश्किल हो सकता है, इसलिए आपको उन्हें ऐसे तरीके से प्रेम करना होगा जो उनके संदेहों और डर को पिघला सके। जब वे आपको दूर धकेलें, तब भी उनके साथ खड़े रहें। जब वे खुद को नकारात्मक महसूस करें, तब उन्हें सबसे अधिक प्रेम दें। यह समझें कि वे हमेशा खुद को वैसे नहीं देखते जैसे आप उन्हें देखते हैं। हजारों तारीफें उस दर्द को नहीं मिटा सकतीं और न ही उन झूठे विश्वासों को, जिन्हें उनके अतीत ने उनके दिल पर अंकित किया है। उन्हें उनकी सुंदरता याद दिलाते रहें—केवल शब्दों से नहीं, बल्कि अपने कार्यों, उनकी ओर देखने के तरीके, उन्हें छूने और उनके पास बने रहने के तरीके से।

जो सबसे ज्यादा ज़रूरी है, वह है निरंतरता। टूटे हुए लोग अक्सर हर चीज़ को अधिक सोचते हैं, इसलिए सबसे छोटे इशारे भी बहुत मायने रखते हैं। यदि आप कुछ ऐसा करना बंद कर दें, जो पहले उन्हें देखा हुआ महसूस कराता था, तो वे इसे महसूस करेंगे। अगर आपकी उपस्थिति अब दूर महसूस होने लगे, तो वे दूर खींच लेंगे। उन्हें एक स्थिर दिनचर्या की आवश्यकता होती है, कुछ जिस पर वे भरोसा कर सकें, कुछ ऐसा जो उन्हें एक ऐसी दुनिया में सुरक्षित महसूस कराए, जो अक्सर उन्हें अनिश्चित छोड़ देती है।

वे स्नेह की तलाश करते हैं, लेकिन इसे मांगने से डरते हैं। उन्हें करीब रखें, उनके माथे पर चुंबन करें, और उन्हें याद दिलाएं कि वे चाहने योग्य हैं। उन्होंने बहुत समय तक यह सवाल किया है कि क्या वे बहुत ज्यादा हैं या बहुत कम हैं। उन्हें यह दिखाएं कि वे जैसे हैं, वैसे ही पूरी तरह से पर्याप्त हैं। सबसे ऊपर, उनके साथ ईमानदार रहें। उन्हें बहुत सी झूठी बातों से दर्द हुआ है, बहुत बार उन्हें छोड़ दिया गया है। अगर आप कुछ कहते हैं, तो उसका मतलब हो। अगर आप कोई वादा करते हैं, तो उसे निभाएं। एक कड़वा सच उन्हें अधिक ठीक करेगा, बजाय एक खूबसूरत झूठ के।

एक टूटे हुए आत्मा से प्रेम करना यह समझने का मतलब है कि वे जिस तरह से प्रेम करते हैं, वह बिना किसी शर्त के होता है। जब वे प्रेम करते हैं, तो वे ऐसा एक वफादारी के साथ करते हैं, जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी। वे अपना पूरा दिल पूरी तरह से दे देते हैं। और अगर आप उनके साथ बने रहते हैं, तो वे आपको हर दिन फिर से चुनेंगे, एक ऐसे प्रेम के साथ जो कभी न टूटे।

और याद रखें, चाहे कोई भी लिंग हो, हर व्यक्ति को इस तरह से प्रेम करने का हक़ है। प्रेम का कोई लिंग नहीं होता, केवल दिल होते हैं, और हम सभी को ऐसा प्रेम चाहिए जो बिना शर्त, स्थिर और असली

बहुत समय लगा मुझे ये समझने मे कि,रिश्ते एक तरफा नही होते, कोई भी रिश्ता हो प्रेम का, दोस्ती का, कुछ भी एक तरफा नही होता।...
23/03/2025

बहुत समय लगा मुझे ये समझने मे कि,रिश्ते एक तरफा नही होते, कोई भी रिश्ता हो प्रेम का, दोस्ती का, कुछ भी एक तरफा नही होता। लेकिन कभी कभी हम किसी इंसान से इतना deeply attached हो जाते है कि खुद को पूरी तरह भूल जाते, और पूरी कोशिश करते ये bond बना रहे ,यहां तक कि हम चुन लेते है unconditional love को ,फिर हम हार जाते है एक दिन ...क्योंकि एकतरफा रिशतो के पाँव नही होते ।किसी भी रिश्ते को निभाना है तो efforts दोनो तरफ से होते है । ये हम उस attachment मे भूल ही जाते है कि जिसके लिए हम ये सब कर रहे है क्या उसे हम चाहिए है अपनी life मे या उसकी priority कोई और है, हो सकता है उनकी प्रथमिकता कोई और हो, लेकिन अपनी भावनाओ को उसके समक्ष रखने से पहले अपनी जगह उनकी life मे आपकी जगह क्या है यह अवश्य सुनिश्चित कर लें ।
कभी कभी क्या होता है कि अपने अकेलेपन हम किसी से दो चार बाते कर लेते है ।अपने दुख दर्द बाँट कर बहुत अच्छा feel करने लगते है, कही न कही हमारे मन मे जो अपने soulmate कि छवी है हम उसमे देखने लगते है।बातो बातो मे हम कब उस इंसान से emotionally attached हो जाते है यह हमे खुद पता नही चलता।अब,दोनो मे से जो संवेदनशील होता है वो suffer करता है। आपने तो उसे बहुत महत्व दे दिया, फिर आपको पता चलता है कि आप उनकी list m कही नही है, वही इंसान जो कभी आपको पढ़कर आपके मनोभाव समझ लेता था। आज आप उसके लिए कुछ भी लिख दो उसे कोई फर्क नही पड़ता, जो कभी आप से रात दिन बात किया करते थे। आज आपको ignore किया जाता है या आपको घंटो तक reply नही मिलता ।अब उनके पास समय का आभाव है....वो आपके आस पास तो होते है पर सिर्फ अजनबी बनकर। इतना सब काफी होता है समझने के लिए कि आप के लिए अब दरवाज़े बंद हो चुके है।
आप जितना उस किवाड़ को खटखटा ले वो नही खुलेगी।

हो सकता है वो वापस आ जाए, पर कुछ भी पूर्ववत नही रहेगा सिवाय तिरस्कार और दृद के, आप को कुछ नही मिलेगा
"Living alone is better than begging "
अब उस से ज़्यादा तो आप खुद को कही न कही hurt कर रहे होते है उनसे expectation रख कर कि शायद कही आपको वो दोस्त वापस मिल जाए पर ऐसा कुछ नही होने वाला। कहानी बार बार पढ़ने से उसका अंत कभी नही बदलता। किसी को चाहना गलत नही होता, attachment हो जाती है कभी कभी, पर उस रिश्ते मे बिना सोचे समझे आगे बढ़ जाना, खुद को भूल जाना ये आपके लिए सही नही होता।

खुद पर ध्यान दे आगे बढ़े, रिश्तो मे हमेशा एक clrearity और कुछ सिमाऐ तय करिये। खुद के emotions पर control रखना भी ज़रूरी है।ये ज़रूरी नही आप जिससे बात कर रहे है वो आपका bf/gf ही हो उससे flirt ही किया जाए। वो आपका अच्छा दोस्त या motivator भी हो सकता है। छोटी छोटी बातो को ध्यान मे रखकर आप खुद को hurt होने से बचा सकते है ।जीवन मे दुख आकारण आते है ,किसी को खुद को ठेस पहुंचाने या किसी के दुख का कारण बनने का मौका न दे..!🙏😊🌹

यह आपके जीवन में करने वाली सबसे कठिन चीजों में से एक होगी, और यह सबसे महत्वपूर्ण भी होगी।उन लोगों के साथ गहरी बातचीत करन...
03/03/2025

यह आपके जीवन में करने वाली सबसे कठिन चीजों में से एक होगी, और यह सबसे महत्वपूर्ण भी होगी।

उन लोगों के साथ गहरी बातचीत करना बंद कर दें जो अपनी हरकतों में कोई समस्या नहीं देखते हैं।

उन लोगों के लिए वहाँ होना बंद कर दें जिनमें आपकी मौजूदगी में कोई रुचि नहीं है।

जब आप खुशी, जुनून और प्रतिबद्धता के साथ एक जीवन के लिए संघर्ष करना शुरू करते हैं, तो हर कोई इस खास जगह पर आपका अनुसरण करने के लिए तैयार नहीं होगा।

इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अपनी पहचान बदलने की जरूरत है, इसका मतलब यह है कि आपको उन लोगों को छोड़ देना चाहिए जो आपके साथ चलने के लिए तैयार नहीं हैं।

अगर आपको उन लोगों द्वारा भुला दिया जाता है या नजरअंदाज किया जाता है जिन्हें आप अपना समय देते हैं, तो यह आपका भला है कि आप इन खास लोगों को अपनी ऊर्जा और समय देना जारी न रखें।

सच यह है... कि आप सभी के लिए नहीं हैं, और सभी आपके लिए नहीं हैं।

यह वही है जो इसे इतना असाधारण रूप से खास बनाता है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो आपके द्वारा दी गई प्रेम को पलटकर देता है।

जिस व्यक्ति को आप अपना प्रेम देने की कोशिश करते हैं, उसके साथ समय बिताने से आप खुद को उस किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाने का अवसर छीन लेते हैं।

जो व्यक्ति आपको तकिया या मानसिक चिकित्सक के रूप में इस्तेमाल करता है, उसके साथ जुड़े रहने से आप उस व्यक्ति से दूर रहते हैं जिसे आप सच्चे दिल से चाहते हैं।

शायद... अगर आप आना बंद कर दें, तो आपको चाहा नहीं जाएगा।

शायद... अगर आप कोशिश करना बंद कर दें, तो रिश्ता कम हो जाएगा।

शायद... अगर आप उन्हें टेक्स्ट करना बंद कर दें, तो आपका फोन कई दिनों तक शांत रहेगा।

इसका मतलब यह नहीं है कि आपने रिश्ता बिगाड़ दिया, इसका मतलब यह है कि उसे बनाए रखने के लिए जो ऊर्जा सिर्फ आप दे रहे थे, वही चीज़ थी जो उसे रोक रही थी। यह प्रेम नहीं है, यह एक संलग्नता है।

आप जो कुछ भी झेल रहे हैं, उससे कहीं अधिक आप इसके लायक हैं।

आपके जीवन में सबसे मूल्यवान चीज़ आपका समय है, और यह बहुत सीमित है। जब आप अपना समय किसी को देते हैं, तो यह कुछ ऐसा है जिसे आप कभी वापस नहीं पा सकते, इसलिए यह तय करें कि आप इसे किसके साथ बिताना चाहते हैं।

अपनी जिंदगी को एक सुरक्षित आश्रय बनाएं, जिसमें केवल अनुकूल आत्माएँ ही प्रवेश कर सकें।

आप किसी को बचाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। आपको उन्हें सुधारने के लिए मनाने की जिम्मेदारी नहीं है। यह आपका काम नहीं है कि आप लोगों के लिए जीएं और अपनी ज़िन्दगी उन्हें दे दें।

मेरी सलाह लें और एक ऐसा बदलाव करें जो आपको वह सुरक्षा, खुशी और प्रेम दिलाए जिसके आप सच में हकदार हैं।
साभार 🙏

उन्होंने कहा कि...ये भी कोई उम्र है ये सब पहनने कीऔर तुमने अपने मन को मार लियाउन्होंने कहा...पता भी है तुम एक विधवा होऔर...
17/01/2025

उन्होंने कहा कि...
ये भी कोई उम्र है ये सब पहनने की
और तुमने अपने मन को मार लिया

उन्होंने कहा...
पता भी है तुम एक विधवा हो
और तुमने मेहंदी लगवाने के लिये
आगे बढी अपनी हथेली को
पीछे खींच लिया,,,

उन्होंने कहा कि...
साडी में तुम गँवार दिखती हो
और तुमने चाव से खरीदा
साडी का पैकेट वापिस कर दिया,,,

उन्होंने कहा कि...
अब तुम्हारे मोटापे पर कुछ नहीं जँचता
और तुमने भरोसा कर लिया,,,

उन्होंने जो चश्मा पहनाया
उसी से खुद को देख लिया,,,

उन्होंने तुम्हें, तुममें उलझाया
और तुम उलझ गयीं!

सुनो.....
ध्यान से देखो
ये तुम हो !

उम्र कुछ भी हो
वक्त कैसा भी हो
लम्बी सांस लो
खुद में विश्वास भरो
और याद करो कि
तुम 'पापा की परी' हो !

कि परियाँ कभी सधवा,
विधवा, मोटी, काली,
भद्दी, बेडौल, बदसूरत नहीं होतीं
कि सुन्दर महसूस करने के लिये
किसी और की रज़ामंदी की जरूरत कहाँ

♥️♥️♥️

01/01/2025
07/11/2024

जिस तरह 2 दिन Exercise 🏋️‍♀️करने से पेट कम नही होता उसी तरह 2 दिन खाने से वो बाहर भी नही आता इसलिए इस दीवाली खूब खाओ त्योहार 😃मनाओ..इसी mind set से खूब over eating की ना सबने...😀😋

26/08/2024

पहली गाली पर सर काटने की शक्ति होने के बाद भी यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण हैं!!
'सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी यदि हाथ में हमेशा 'मुरली' है, तो वो कृष्ण हैं!!
'द्वारिका' का वैभव होने के बाद भी यदि 'सुदामा' जैसा मित्र है, तो वो कृष्ण हैं!!
'मृत्यु' के फन पर मौजूद होने पर भी यदि 'नृत्य' है, तो वो कृष्ण हैं!!
'सर्वसामर्थ्य' होने पर भी यदि सारथी' बने हैं, तो वो कृष्ण हैं !!

#श्री_कृष्ण #जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !!

तलाक़ पति-पत्नी दोनों में होता है सिर्फ़ पत्नी में नहीं लेकिन भारत में लोगों को यह बात समझ नहीं आती है. तलाक़ जब भी किसी...
20/07/2024

तलाक़ पति-पत्नी दोनों में होता है सिर्फ़ पत्नी में नहीं लेकिन भारत में लोगों को यह बात समझ नहीं आती है. तलाक़ जब भी किसी का होता है क़सूरवार औरतें ठहरा दी जाती हैं. हार्दिक और नताशा में तलाक़ हुआ लेकिन ट्रोल सिर्फ़ नताशा हो रही हैं क्योंकि वो पत्नी हैं और घर तोड़ने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर आती है, नहीं !

अब एक और बात, साथ में रहकर एक-दूसरे का खून पीने से कहीं बेहतर है अलग हो जाना, पति-पत्नी न सही दोस्त बनकर सकून से रहना. भारत में जो शादियाँ कम टूटती हैं वो संस्कार की वजह से नहीं बल्कि समाज क्या करेगा और औरतों को आर्थिक आज़ादी नहीं है इस वजह से तलाक़ की तादाद में कमी है. इस भूल में मत रहिए है कि प्यार है इसलिए शादियाँ चल रही हैं. आधी शादियाँ मजबूरी में चल रही हैं.

तो ऐसी शादियाँ जहां माँ-बाप बच्चे के सामने लड़ रहे हैं उससे कहीं बेहतर हार्दिक और नताशा जैसे लोग हैं जो बच्चों को एक बेहतर वातावरण देने के लिए अलग हो कर पाल रहे हैं.

नताशा और हार्दिक दोनों के लिए शुभकामनाएँ. दोनों प्यार से अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ें यही दुआ है.


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